रिश्वत लेने और जमीन हड़पने का मामला:पीड़ित से 50 लाख की जमीन भी हड़पना चाहते थे एसडीएम
रिश्वत लेने और जमीन हड़पने का मामला:पीड़ित से 50 लाख की जमीन भी हड़पना चाहते थे एसडीएम
एसीबी ने शुक्रवार को एसडीएम समेत चार लोगों को रिश्वत लेते पकड़ा था। इस घटना में पीडि़त ग्रामीण ने बताया कि एसडीएम ने उसके पक्ष में फैसला देने के लिए न सिर्फ रिश्वत की मांग की थी बल्कि 50 लाख कीमत की उसकी जमीन भी हड़पना चाहते थे। कन्हाई राम बंजारे की शिकायत पर एसीबी ने खांडे सहित चार कर्मचारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। वह तीसरी बार में एसीबी के हाथ लगे हैं। इससे पहले बलौदाबाजार में जिस दिन घटना हुई थी, उस दिन भी टीम उदयपुर आई थी, जिसमें रायपुर से भी कुछ कर्मचारी आए थे, लेकिन तब एसडीएम पकड़े नहीं गए। दोबारा पिछले मंगलवार को भी टीम ने खांडे को अंबिकापुर में उसके आवास में दबोचने जाल बिछाया था, लेकिन इस बार भी एसडीएम बच गए थे। कन्हाई राम बंजारा रिश्वत की रकम लेकर एसडीएम के घर गया था, लेकिन तब एसडीएम ने खिड़की से बात कर कन्हाई को कहा कि उदयपुर में ही पैसा दे देना। एसीबी की टीम दूर से नजर रखी हुई थी। कन्हाई राम बंजारा के वहां से निकलने के बाद एसडीएम के परिजन देखते रहे कि कोई और तो नहीं है, उन्हें शक हो रहा था। एसडीएम से मैं ही नहीं, कई लोग परेशान हैं... जजगा में मेरे परिवार की पुश्तैनी जमीन है। मेरे बड़े पिताजी ने इसे अपने नाम पर कराने तहसील में आवेदन लगाया था। मैंने विरोध किया तो तहसील न्यायालय से सभी सदस्यों के नाम पर रिकार्ड दुरुस्त करने का आदेश हुआ था। बड़े पिताजी इसके खिलाफ एसडीएम न्यायालय गए। इसमें फैसला नहीं हुआ है। मैं एसडीएम से मिला तो बोले कि तुम्हारे परिवार को जमीन नहीं मिलेगी, मैंने कहा कि तहसील से तो मेरे पक्ष में फैसला आया है, गांव के लोगों ने गवाही भी मेरे पक्ष में दी है। एसडीएम ने एक कागज दिखाया, जिसमें 50 हजार लिखा था। कहा कि इसे करा दो, तत्काल आदेश निकालकर दिखाया कि देखो तुम्हारा काम हो गया है, जितना जल्दी हो पैसा दे देना। मेरे पास पैसे नहीं थे। एसडीएम ने कहा कि देर मत करना, नहीं तो आदेश फाड़ने में पांच मिनट भी नहीं लगेगा। दूसरे दिन परमेश्वरी नाम की महिला मेरे पास आई। वह कहने लगी कि मैं एसडीएम से अपना काम कराई हूं, तुम्हारा भी काम हो जाएगा, करोड़ों की जमीन है, लाख दो लाख से काम नहीं होगा। 50 डिसमिल जमीन देनी होगी। डर से मैं जमीन देने तैयार हो गया। पिछले महीने परमेश्वरी गाड़ी लेकर मेरे घर आई। उसके साथ उदयपुर की ही दीपा और उसके पति भी थे। वे कहने लगे कि पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए अंबिकापुर चलना होगा। उनकी ही गाड़ी में हम तीनों भाई- मां को लेकर अंबिकापुर आए। यहां रजिस्ट्री कार्यालय में हम लोगों से पॉवर ऑफ अटॉर्नी के पेपर पर दस्तखत करा लिए गए। ये सब एसडीएम ही करा रहे थे, ताकि बाद में जमीन को बेच सकें। यह जमीन 50 लाख से अधिक की है। पॉवर ऑफ अटॉर्नी के बाद दूसरे दिन एसडीएम के पास गया और बताया कि जमीन लिख दिया हूं, अब तो मेरा काम कर दीजिए, एसडीएम कहने लगे मेरे को उसमें क्या मिलेगा। काम कराना है तो 50 हजार देना ही होगा। गांव से दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा लेकर दौड़ता रहा, लेकिन काम नहीं हुआ। एसडीएम से कई लोग परेशान हैं।
(जैसा कन्हाई राम बंजारा ने बताया)
एसीबी ने शुक्रवार को एसडीएम समेत चार लोगों को रिश्वत लेते पकड़ा था। इस घटना में पीडि़त ग्रामीण ने बताया कि एसडीएम ने उसके पक्ष में फैसला देने के लिए न सिर्फ रिश्वत की मांग की थी बल्कि 50 लाख कीमत की उसकी जमीन भी हड़पना चाहते थे। कन्हाई राम बंजारे की शिकायत पर एसीबी ने खांडे सहित चार कर्मचारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। वह तीसरी बार में एसीबी के हाथ लगे हैं। इससे पहले बलौदाबाजार में जिस दिन घटना हुई थी, उस दिन भी टीम उदयपुर आई थी, जिसमें रायपुर से भी कुछ कर्मचारी आए थे, लेकिन तब एसडीएम पकड़े नहीं गए। दोबारा पिछले मंगलवार को भी टीम ने खांडे को अंबिकापुर में उसके आवास में दबोचने जाल बिछाया था, लेकिन इस बार भी एसडीएम बच गए थे। कन्हाई राम बंजारा रिश्वत की रकम लेकर एसडीएम के घर गया था, लेकिन तब एसडीएम ने खिड़की से बात कर कन्हाई को कहा कि उदयपुर में ही पैसा दे देना। एसीबी की टीम दूर से नजर रखी हुई थी। कन्हाई राम बंजारा के वहां से निकलने के बाद एसडीएम के परिजन देखते रहे कि कोई और तो नहीं है, उन्हें शक हो रहा था। एसडीएम से मैं ही नहीं, कई लोग परेशान हैं... जजगा में मेरे परिवार की पुश्तैनी जमीन है। मेरे बड़े पिताजी ने इसे अपने नाम पर कराने तहसील में आवेदन लगाया था। मैंने विरोध किया तो तहसील न्यायालय से सभी सदस्यों के नाम पर रिकार्ड दुरुस्त करने का आदेश हुआ था। बड़े पिताजी इसके खिलाफ एसडीएम न्यायालय गए। इसमें फैसला नहीं हुआ है। मैं एसडीएम से मिला तो बोले कि तुम्हारे परिवार को जमीन नहीं मिलेगी, मैंने कहा कि तहसील से तो मेरे पक्ष में फैसला आया है, गांव के लोगों ने गवाही भी मेरे पक्ष में दी है। एसडीएम ने एक कागज दिखाया, जिसमें 50 हजार लिखा था। कहा कि इसे करा दो, तत्काल आदेश निकालकर दिखाया कि देखो तुम्हारा काम हो गया है, जितना जल्दी हो पैसा दे देना। मेरे पास पैसे नहीं थे। एसडीएम ने कहा कि देर मत करना, नहीं तो आदेश फाड़ने में पांच मिनट भी नहीं लगेगा। दूसरे दिन परमेश्वरी नाम की महिला मेरे पास आई। वह कहने लगी कि मैं एसडीएम से अपना काम कराई हूं, तुम्हारा भी काम हो जाएगा, करोड़ों की जमीन है, लाख दो लाख से काम नहीं होगा। 50 डिसमिल जमीन देनी होगी। डर से मैं जमीन देने तैयार हो गया। पिछले महीने परमेश्वरी गाड़ी लेकर मेरे घर आई। उसके साथ उदयपुर की ही दीपा और उसके पति भी थे। वे कहने लगे कि पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए अंबिकापुर चलना होगा। उनकी ही गाड़ी में हम तीनों भाई- मां को लेकर अंबिकापुर आए। यहां रजिस्ट्री कार्यालय में हम लोगों से पॉवर ऑफ अटॉर्नी के पेपर पर दस्तखत करा लिए गए। ये सब एसडीएम ही करा रहे थे, ताकि बाद में जमीन को बेच सकें। यह जमीन 50 लाख से अधिक की है। पॉवर ऑफ अटॉर्नी के बाद दूसरे दिन एसडीएम के पास गया और बताया कि जमीन लिख दिया हूं, अब तो मेरा काम कर दीजिए, एसडीएम कहने लगे मेरे को उसमें क्या मिलेगा। काम कराना है तो 50 हजार देना ही होगा। गांव से दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा लेकर दौड़ता रहा, लेकिन काम नहीं हुआ। एसडीएम से कई लोग परेशान हैं।
(जैसा कन्हाई राम बंजारा ने बताया)