गैस टैंकर और बस की टक्कर पर आधारित मॉक ड्रिल:SDERF की टीम 5 मिनट में पहुंची, 25 यात्रियों को सुरक्षित बचाया

सीहोर जिले में शुक्रवार को एक बड़े औद्योगिक आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस मॉक ड्रिल में इमरजेंसी रिस्पॉन्स की तैयारियों और प्रशासनिक समन्वय की व्यावहारिक परख की गई। इंदौर-भोपाल बायपास स्थित क्रिसेंट चौराहे पर एक कृत्रिम आपातकालीन स्थिति बनाई गई, जिसमें गैस टैंकर और यात्री बस की टक्कर का दृश्य रचा गया। 5 मिनट में घटनास्थल पर पहुंचीं राहत टीमें जैसे ही डायल 100 को हादसे की सूचना मिली, कलेक्टर बालागुरू के. और जिला पंचायत सीईओ डॉ. नेहा जैन के निर्देश पर तत्काल बचाव अभियान शुरू किया गया। महज 5 से 10 मिनट के भीतर एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड ने गैस रिसाव को रोका और आग पर काबू पाया। बस में सवार 25 यात्रियों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविर में पहुंचाया गया। घायलों को जिला अस्पताल और गंभीर मामलों को भोपाल रेफर करने का रूटीन अभ्यास भी किया गया। मॉक ड्रिल देखकर लोग घबरा गए यह मॉक ड्रिल इतनी वास्तविक और जीवंत थी कि आसपास मौजूद कई नागरिकों को यह असली हादसा लगने लगा। कुछ लोगों ने घबराकर प्रशासनिक अधिकारियों को फोन कर मदद मांगी, जिसके बाद जिला प्रशासन को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा कि यह एक पूर्व नियोजित अभ्यास है। भोपाल से पहुंचे वरिष्ठ अधिकारी इस अभ्यास की निगरानी भोपाल से आए वरिष्ठ अधिकारियों ने भी की। ड्रिल का उद्देश्य था यह देखना कि आपदा की स्थिति में प्रशासन, राहत एजेंसियां और स्वास्थ्य सेवाएं कितनी तेजी और प्रभावशीलता से कार्य करती हैं। कलेक्टर बालागुरू के. ने मॉक ड्रिल के बाद कहा कि यह अभ्यास आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।

गैस टैंकर और बस की टक्कर पर आधारित मॉक ड्रिल:SDERF की टीम 5 मिनट में पहुंची, 25 यात्रियों को सुरक्षित बचाया
सीहोर जिले में शुक्रवार को एक बड़े औद्योगिक आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस मॉक ड्रिल में इमरजेंसी रिस्पॉन्स की तैयारियों और प्रशासनिक समन्वय की व्यावहारिक परख की गई। इंदौर-भोपाल बायपास स्थित क्रिसेंट चौराहे पर एक कृत्रिम आपातकालीन स्थिति बनाई गई, जिसमें गैस टैंकर और यात्री बस की टक्कर का दृश्य रचा गया। 5 मिनट में घटनास्थल पर पहुंचीं राहत टीमें जैसे ही डायल 100 को हादसे की सूचना मिली, कलेक्टर बालागुरू के. और जिला पंचायत सीईओ डॉ. नेहा जैन के निर्देश पर तत्काल बचाव अभियान शुरू किया गया। महज 5 से 10 मिनट के भीतर एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड ने गैस रिसाव को रोका और आग पर काबू पाया। बस में सवार 25 यात्रियों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविर में पहुंचाया गया। घायलों को जिला अस्पताल और गंभीर मामलों को भोपाल रेफर करने का रूटीन अभ्यास भी किया गया। मॉक ड्रिल देखकर लोग घबरा गए यह मॉक ड्रिल इतनी वास्तविक और जीवंत थी कि आसपास मौजूद कई नागरिकों को यह असली हादसा लगने लगा। कुछ लोगों ने घबराकर प्रशासनिक अधिकारियों को फोन कर मदद मांगी, जिसके बाद जिला प्रशासन को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा कि यह एक पूर्व नियोजित अभ्यास है। भोपाल से पहुंचे वरिष्ठ अधिकारी इस अभ्यास की निगरानी भोपाल से आए वरिष्ठ अधिकारियों ने भी की। ड्रिल का उद्देश्य था यह देखना कि आपदा की स्थिति में प्रशासन, राहत एजेंसियां और स्वास्थ्य सेवाएं कितनी तेजी और प्रभावशीलता से कार्य करती हैं। कलेक्टर बालागुरू के. ने मॉक ड्रिल के बाद कहा कि यह अभ्यास आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।