शिक्षकों की नहीं बन पा रही ऑनलाइन हाजिरी:ई शिक्षा कोष ऐप में तकनीकी समस्या, स्कूल लोकेशन शो न होना सहित अन्य है परेशानियां
शिक्षकों की नहीं बन पा रही ऑनलाइन हाजिरी:ई शिक्षा कोष ऐप में तकनीकी समस्या, स्कूल लोकेशन शो न होना सहित अन्य है परेशानियां
बिहार सरकार का ई शिक्षा कोष ऐप लागू होते ही फेल हो गया है। शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बड़े शिद्दत से एप्लीकेशन को शुरू किया था। जो तकनीकी खामियों की वजह से कामयाब नहीं होता दिख रहा है। शिक्षकों को ऑफलाइन मोड में ही उपस्थिति दर्ज करानी पड़ रही है। ऐप में सबसे ज्यादा परेशानी है कि स्कूल का लोकेशन शो नहीं कर रहा। शिक्षकों का डेटाबेस भी नहीं दिख रहा। ऐप ओपन नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है। टैब या मोबाइल पर ऐप खुलने में टाइम आउट हो रहा। इंटरनेट पुअर शो जैसी दिक्कत आ रही है। ऑनलाइन हजारी बनाने में परेशानी के बाद ऑफलाइन मोड को जारी रखा गया है। अगले तीन महीने तक उपस्थिति पंजी पर हाजिरी बनती रहेगी। हालांकि, ऑनलाइन उपस्थिति प्रतिदिन दर्ज करना अनिवार्य है। 25 जून से अनिवार्य किया गया था शिक्षा अपर मुख्य सचिव ने ई शिक्षाकोष ऐप को 25 जून से अनिवार्य रूप में लागू किया था। इसके पहले ट्रायल भी किया गया था। सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को 25 जून से ऑनलाइन अटेंडेंस बनाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ई-शिक्षाकोष पोर्ट (एप) विकसित किया गया है। एप्लीकेशन की मॉनिटरिंग जिला शिक्षा कार्यालय को करना है। ऐप पर शिक्षकों की उपस्थिति देखी जाएगी। शिक्षा विभाग के निर्देश पर हर जिला शिक्षा कार्यालय में ई शिक्षा कोष सेल बनाया गया है। एप्लीकेशन कैसे काम करता है.... ई शिक्षा कोष एप्लीकेशन और पोर्टल पर हाजिरी बनाने के लिए शिक्षकों को संबंधित विद्यालय के पांच सौ मीटर की दायरे में रहना अनिवार्य है। शिक्षक को उनके मोबाइल स्क्रीन पर दो बटन दिखाई देते हैं । एक स्कूल इन और दूसरा स्कूल आउट। विद्यालय में उपस्थित रहने की स्थिति में प्रधानाध्यापक और शिक्षक सेल्फ अटेंडेंस को चुनते हुए बटन को क्लिक करते हैं। इसके बाद सेल्फी कैमरा खुलेगा। सेल्फी मोड में फोटो क्लिक करना होता है। सेल्फी कैमरा से खींची गई फोटो ऐप पर लोड हो जाएगा। शिक्षकों का अटेंडेंस बन जाएगा। शिक्षको को यह काम दो बार करना होता है। स्कूल पहुंचने पर पहली दफा और स्कूल से जाने वक्त दूसरी दफा।
बिहार सरकार का ई शिक्षा कोष ऐप लागू होते ही फेल हो गया है। शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बड़े शिद्दत से एप्लीकेशन को शुरू किया था। जो तकनीकी खामियों की वजह से कामयाब नहीं होता दिख रहा है। शिक्षकों को ऑफलाइन मोड में ही उपस्थिति दर्ज करानी पड़ रही है। ऐप में सबसे ज्यादा परेशानी है कि स्कूल का लोकेशन शो नहीं कर रहा। शिक्षकों का डेटाबेस भी नहीं दिख रहा। ऐप ओपन नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है। टैब या मोबाइल पर ऐप खुलने में टाइम आउट हो रहा। इंटरनेट पुअर शो जैसी दिक्कत आ रही है। ऑनलाइन हजारी बनाने में परेशानी के बाद ऑफलाइन मोड को जारी रखा गया है। अगले तीन महीने तक उपस्थिति पंजी पर हाजिरी बनती रहेगी। हालांकि, ऑनलाइन उपस्थिति प्रतिदिन दर्ज करना अनिवार्य है। 25 जून से अनिवार्य किया गया था शिक्षा अपर मुख्य सचिव ने ई शिक्षाकोष ऐप को 25 जून से अनिवार्य रूप में लागू किया था। इसके पहले ट्रायल भी किया गया था। सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को 25 जून से ऑनलाइन अटेंडेंस बनाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ई-शिक्षाकोष पोर्ट (एप) विकसित किया गया है। एप्लीकेशन की मॉनिटरिंग जिला शिक्षा कार्यालय को करना है। ऐप पर शिक्षकों की उपस्थिति देखी जाएगी। शिक्षा विभाग के निर्देश पर हर जिला शिक्षा कार्यालय में ई शिक्षा कोष सेल बनाया गया है। एप्लीकेशन कैसे काम करता है.... ई शिक्षा कोष एप्लीकेशन और पोर्टल पर हाजिरी बनाने के लिए शिक्षकों को संबंधित विद्यालय के पांच सौ मीटर की दायरे में रहना अनिवार्य है। शिक्षक को उनके मोबाइल स्क्रीन पर दो बटन दिखाई देते हैं । एक स्कूल इन और दूसरा स्कूल आउट। विद्यालय में उपस्थित रहने की स्थिति में प्रधानाध्यापक और शिक्षक सेल्फ अटेंडेंस को चुनते हुए बटन को क्लिक करते हैं। इसके बाद सेल्फी कैमरा खुलेगा। सेल्फी मोड में फोटो क्लिक करना होता है। सेल्फी कैमरा से खींची गई फोटो ऐप पर लोड हो जाएगा। शिक्षकों का अटेंडेंस बन जाएगा। शिक्षको को यह काम दो बार करना होता है। स्कूल पहुंचने पर पहली दफा और स्कूल से जाने वक्त दूसरी दफा।