20 करोड़ से बनेगा महादेवघाट कॉरिडोर:पहले रमन फिर भूपेश सरकार ने की थी घोषणा पर अमल नहीं हुआ

शहर की लाइफ लाइन खारुन नदी के आस-पास के इलाके काे सजाने-संवारने का प्लान पिछली दो सरकारों के कार्यकाल में पूरा नहीं हो सका। पहली बार इसका प्रोजेक्ट भाजपा शासनकाल में बनाया गया। उस समय गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर खारुन रिवर फ्रंट का प्रोजेक्ट लाया गया। पर प्रोजेक्ट ड्राइंग डिजाइन से आगे नहीं बढ़ा। 2018 में कांग्रेस सरकार बनी। कांग्रेस सरकार ने भी महादेवघाट से कुम्हारी तक नदी के दोनों किनारे को डेवलप करने की घोषणा की। पर इस बार भी प्लानिंग आगे नहीं बढ़ पाई। अब फिर खारुन तट के लिए नया प्रोजेक्ट बनाया गया है। हालांकि इस बार महादेवघाट और आसपास के इलाके को विकसित करने के साथ यहां कॉरीडोर बनाने की तैयारी की है। शहर से होकर गुजर रही खारुन नदी ऐतिहासिक होने के साथ-साथ पर्यटन के नजरिए से भी अहम है। पहला प्लान : 1 हजार करोड़ का बना रमन सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल यानी 2009 से 2012 के बीच खारुन नदी के डेवलपमेंट का प्लान तैयार किया था। आरडीए ने सर्वे के बाद ड्राइंग-डिजाइन पर 48 लाख खर्च किए गए। क्यों बंद- प्रोजेक्ट में किसानों के खेत और फार्म हाऊस आ रहे थे। विरोध होने पर रोका। दूसरा प्लान: दोनों तरफ बनाना था 2018 में भूपेश सरकार ने रायपुर से दुर्ग के बीच नदी के किनारे 18 किमी के इलाके को डेवलप करना तय किया गया। इसमें नगर निगम, स्मार्ट सिटी को पहले 4 किमी तक डेवलपमेंट करने की जिम्मेदारी सौंपी। क्यों बंद- चुनाव करीब आ गया और प्रोजेक्ट फिर फाइलों में बंद हो गया। अब तीसरा प्लान : मंदिर और घाट वाले हिस्से पर फोकस, 20 करोड़ बजट अब विष्णु सरकार ने खारुन रिवर फ्रंट का नया प्लान बनाकर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। इस बार नगर निगम ने प्लान बनाया है। अलग-अलग चरण में इसे पूरा किया जाएगा। पहले चरण के लिए 20 करोड़ का बजट तैयार किया गया है। ड्राइंग-डिजाइन तैयार कर ली गई है। जल्द ही निगम टेंडर जारी करेगा। महादेवघाट चौक से मंदिर परिसर और नदी के घाटों को संवारा जाएगा। महादेवघाट का सौंदर्यीकरण और विकास करने का प्लान तैयार है। यह स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का है। शहर के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। पूरे हिस्से को एक कॉरिडोर के रूप में डेवलप किया जा रहा है। इसे हमने बजट में भी रखा है। - मीनल चौबे, महापौर रायपुर

20 करोड़ से बनेगा महादेवघाट कॉरिडोर:पहले रमन फिर भूपेश सरकार ने की थी घोषणा पर अमल नहीं हुआ
शहर की लाइफ लाइन खारुन नदी के आस-पास के इलाके काे सजाने-संवारने का प्लान पिछली दो सरकारों के कार्यकाल में पूरा नहीं हो सका। पहली बार इसका प्रोजेक्ट भाजपा शासनकाल में बनाया गया। उस समय गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर खारुन रिवर फ्रंट का प्रोजेक्ट लाया गया। पर प्रोजेक्ट ड्राइंग डिजाइन से आगे नहीं बढ़ा। 2018 में कांग्रेस सरकार बनी। कांग्रेस सरकार ने भी महादेवघाट से कुम्हारी तक नदी के दोनों किनारे को डेवलप करने की घोषणा की। पर इस बार भी प्लानिंग आगे नहीं बढ़ पाई। अब फिर खारुन तट के लिए नया प्रोजेक्ट बनाया गया है। हालांकि इस बार महादेवघाट और आसपास के इलाके को विकसित करने के साथ यहां कॉरीडोर बनाने की तैयारी की है। शहर से होकर गुजर रही खारुन नदी ऐतिहासिक होने के साथ-साथ पर्यटन के नजरिए से भी अहम है। पहला प्लान : 1 हजार करोड़ का बना रमन सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल यानी 2009 से 2012 के बीच खारुन नदी के डेवलपमेंट का प्लान तैयार किया था। आरडीए ने सर्वे के बाद ड्राइंग-डिजाइन पर 48 लाख खर्च किए गए। क्यों बंद- प्रोजेक्ट में किसानों के खेत और फार्म हाऊस आ रहे थे। विरोध होने पर रोका। दूसरा प्लान: दोनों तरफ बनाना था 2018 में भूपेश सरकार ने रायपुर से दुर्ग के बीच नदी के किनारे 18 किमी के इलाके को डेवलप करना तय किया गया। इसमें नगर निगम, स्मार्ट सिटी को पहले 4 किमी तक डेवलपमेंट करने की जिम्मेदारी सौंपी। क्यों बंद- चुनाव करीब आ गया और प्रोजेक्ट फिर फाइलों में बंद हो गया। अब तीसरा प्लान : मंदिर और घाट वाले हिस्से पर फोकस, 20 करोड़ बजट अब विष्णु सरकार ने खारुन रिवर फ्रंट का नया प्लान बनाकर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। इस बार नगर निगम ने प्लान बनाया है। अलग-अलग चरण में इसे पूरा किया जाएगा। पहले चरण के लिए 20 करोड़ का बजट तैयार किया गया है। ड्राइंग-डिजाइन तैयार कर ली गई है। जल्द ही निगम टेंडर जारी करेगा। महादेवघाट चौक से मंदिर परिसर और नदी के घाटों को संवारा जाएगा। महादेवघाट का सौंदर्यीकरण और विकास करने का प्लान तैयार है। यह स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का है। शहर के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। पूरे हिस्से को एक कॉरिडोर के रूप में डेवलप किया जा रहा है। इसे हमने बजट में भी रखा है। - मीनल चौबे, महापौर रायपुर