दही-खाने पर सांप को 7 टुकड़ों में काटा था ग्रामीण:रायगढ़ में वही टुकड़े बने पत्थर, सर्पदेवी का अवतार मान श्रद्धालु कर रहे पूजा

छत्तीसगढ़ और ओडिशा बॉर्डर पर सांप खंडिन माता (सर्प देवी) की पूजा होती है। ये देवी स्थल रायगढ़ जिला के सकरभोगा गांव में स्थापित है। यहां हर साल नवरात्रि में छत्तीसगढ़ और ओडिशा से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बताया जा रहा है कि यहां सांप को 7 टुकड़ों में काटा गया था, जिससे इसका नाम सांप खंड पड़ा। सकरभोगा गांव रायगढ़ मुख्यालय से करीब 16 किमी की दूरी पर है। दैनिक भास्कर की टीम सोमवार को सकरभोगा गांव में स्थापित सांप खंडिन ​​​​​​देवी मंदिर पहुंची, जहां ​भक्तों से सांप खंडिन की मान्यताओं के बारे में बातचीत की। भक्तों ने बताया कि यहां वर्षों से सर्प देवी के अवतार के रूप में पत्थर की पूजा होती है। मटकी से दही पी जाता था सांप श्रद्धालुओं ने बताया कि इस इलाके में एक यादव महिला हर रोज दही बेचती थी, लेकिन एक सांप रोजाना उसकी मटकी से दही पी जाता था, जिससे नाराज होकर महिला के पति ने उस सांप का सिर काट दिया। उसने उसके सिर के कई टुकड़े कर दिए। ओडिशा और छत्तीसगढ़ समिति ने बनवाया मंदिर श्रद्धालुओं ने बताया कि सांप के 7 टुकड़े इधर-उधर बिखर गए। बाद में उन्होंने पत्थर का रूप ले लिया, जिसके बाद इस क्षेत्र का नाम सांप खंड पड़ गया। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोग यहां हजारों की संख्या में आते हैं और प्रार्थना करते हैं। सांप खंडिन माता का मंदिर ओडिशा और छत्तीसगढ़ की समिति ने मिलकर बनवाया है। आज भी पत्थर के चट्टान यहां मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि जिस सांप को 7 टुकड़ों में काटा गया था, वह आज भी सकरभोगा गांव में अलग-अलग बिखरे पड़े हैं। वह बरसों से चट्टान के रूप में हैं। सभी चट्टान आज भी यहां मौजूद हैं। दोनों राज्यों के लोग यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। पहले लोग आते-जाते समय पत्थर चढ़ाते थे, अब नारियल चढ़ाते हैं सांप खांड सेवा समिति के किशोरी लाल साव ने बताया कि पहले सांप खांड घने जंगल में था। जब भी कोई इस रास्ते से आता-जाता था, तो मंदिर के सामने पत्थर या लकड़ी का छोटा टुकड़ा चढ़ा देता था, ताकि कोई विपत्ति न आए। उन्होंने बताया कि अगर कोई ऐसा नहीं करता था, तो उसे रास्ते में किसी न किसी बाधा का सामना करना पड़ता था। अब जब भी कोई वाहन से इस रास्ते से गुजरता है, तो तेज हॉर्न बजाता है या मंदिर में नारियल या अगरबत्ती चढ़ाता है और फिर आगे बढ़ जाता है। 2 राज्यों के लोगों ने मिलकर बनाई समिति सांप खंड सेवा समिति के कार्यकर्ता सीताराम शा ने बताया कि दोनों राज्यों के आसपास के गांव सकरभोगा, कोसमपाली, विश्वनाथ पाली, भोजपल्ली, बनोरा, महापल्ली, दया डेरा, झारगांव, कौआकुंडा, बादीमाल, कनकतुरा, लोहबाधा, बरदरहा के लोगों को मिलाकर एक समिति तैयार की गई। इसके बाद आपसी सहयोग से मंदिर का निर्माण शुरू कराया गया। सड़क पर बैठकर श्रद्धालुओं ने भंडारा प्रसाद खाया नवरात्रि के अवसर पर 10 दिनों तक भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। हर दिन अलग-अलग लोग भंडारे की व्यवस्था करते हैं। पहले दिन डेढ़ क्विंटल चावल पकाया गया। धीरे-धीरे भक्तों की बढ़ती संख्या के साथ भंडारे की मात्रा भी बढ़ने लगती है। रविवार को भंडारे के लिए 3 क्विंटल चावल और दाल, सब्जी पकाई गई। दशमी तक भंडारे के लिए करीब 18 क्विंटल चावल, दाल, सब्जी पकाई जाती है। सोमवार को भी भक्तों की काफी संख्या रही। ऐसे में भंडारा प्रसाद खाने के लिए लोगों को सड़कों पर बैठाया गया। महिलाओं के लिए सड़क के किनारे व्यवस्था की गई। ऐसे में दोनों तरफ से आने वाले वाहन भी भंडारे तक रुक गए। 10 दिनों तक ऐसा होता है कार्यक्रम सांप खंड में नवरात्रि के दस दिनों में होने वाले कार्यक्रमों की बात करें तो पहले दिन कलश यात्रा, दूसरे दिन कृष्ण गुरु भजन, बधरा, गुड़ीपारा यात्रा, तीसरे दिन कीर्तन सम्मेलन, छोटे बच्चों के लिए नृत्य प्रतियोगिता, चौथे दिन पाला सम्मेलन, पांचवें दिन प्रवचन, भजन, छठे दिन से नौवें दिन तक भजन होते हैं। दशमी को कीर्तन, रावण दहन और महाभंडारा का आयोजन होता है।

दही-खाने पर सांप को 7 टुकड़ों में काटा था ग्रामीण:रायगढ़ में वही टुकड़े बने पत्थर, सर्पदेवी का अवतार मान श्रद्धालु कर रहे पूजा
छत्तीसगढ़ और ओडिशा बॉर्डर पर सांप खंडिन माता (सर्प देवी) की पूजा होती है। ये देवी स्थल रायगढ़ जिला के सकरभोगा गांव में स्थापित है। यहां हर साल नवरात्रि में छत्तीसगढ़ और ओडिशा से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बताया जा रहा है कि यहां सांप को 7 टुकड़ों में काटा गया था, जिससे इसका नाम सांप खंड पड़ा। सकरभोगा गांव रायगढ़ मुख्यालय से करीब 16 किमी की दूरी पर है। दैनिक भास्कर की टीम सोमवार को सकरभोगा गांव में स्थापित सांप खंडिन ​​​​​​देवी मंदिर पहुंची, जहां ​भक्तों से सांप खंडिन की मान्यताओं के बारे में बातचीत की। भक्तों ने बताया कि यहां वर्षों से सर्प देवी के अवतार के रूप में पत्थर की पूजा होती है। मटकी से दही पी जाता था सांप श्रद्धालुओं ने बताया कि इस इलाके में एक यादव महिला हर रोज दही बेचती थी, लेकिन एक सांप रोजाना उसकी मटकी से दही पी जाता था, जिससे नाराज होकर महिला के पति ने उस सांप का सिर काट दिया। उसने उसके सिर के कई टुकड़े कर दिए। ओडिशा और छत्तीसगढ़ समिति ने बनवाया मंदिर श्रद्धालुओं ने बताया कि सांप के 7 टुकड़े इधर-उधर बिखर गए। बाद में उन्होंने पत्थर का रूप ले लिया, जिसके बाद इस क्षेत्र का नाम सांप खंड पड़ गया। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोग यहां हजारों की संख्या में आते हैं और प्रार्थना करते हैं। सांप खंडिन माता का मंदिर ओडिशा और छत्तीसगढ़ की समिति ने मिलकर बनवाया है। आज भी पत्थर के चट्टान यहां मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि जिस सांप को 7 टुकड़ों में काटा गया था, वह आज भी सकरभोगा गांव में अलग-अलग बिखरे पड़े हैं। वह बरसों से चट्टान के रूप में हैं। सभी चट्टान आज भी यहां मौजूद हैं। दोनों राज्यों के लोग यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। पहले लोग आते-जाते समय पत्थर चढ़ाते थे, अब नारियल चढ़ाते हैं सांप खांड सेवा समिति के किशोरी लाल साव ने बताया कि पहले सांप खांड घने जंगल में था। जब भी कोई इस रास्ते से आता-जाता था, तो मंदिर के सामने पत्थर या लकड़ी का छोटा टुकड़ा चढ़ा देता था, ताकि कोई विपत्ति न आए। उन्होंने बताया कि अगर कोई ऐसा नहीं करता था, तो उसे रास्ते में किसी न किसी बाधा का सामना करना पड़ता था। अब जब भी कोई वाहन से इस रास्ते से गुजरता है, तो तेज हॉर्न बजाता है या मंदिर में नारियल या अगरबत्ती चढ़ाता है और फिर आगे बढ़ जाता है। 2 राज्यों के लोगों ने मिलकर बनाई समिति सांप खंड सेवा समिति के कार्यकर्ता सीताराम शा ने बताया कि दोनों राज्यों के आसपास के गांव सकरभोगा, कोसमपाली, विश्वनाथ पाली, भोजपल्ली, बनोरा, महापल्ली, दया डेरा, झारगांव, कौआकुंडा, बादीमाल, कनकतुरा, लोहबाधा, बरदरहा के लोगों को मिलाकर एक समिति तैयार की गई। इसके बाद आपसी सहयोग से मंदिर का निर्माण शुरू कराया गया। सड़क पर बैठकर श्रद्धालुओं ने भंडारा प्रसाद खाया नवरात्रि के अवसर पर 10 दिनों तक भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। हर दिन अलग-अलग लोग भंडारे की व्यवस्था करते हैं। पहले दिन डेढ़ क्विंटल चावल पकाया गया। धीरे-धीरे भक्तों की बढ़ती संख्या के साथ भंडारे की मात्रा भी बढ़ने लगती है। रविवार को भंडारे के लिए 3 क्विंटल चावल और दाल, सब्जी पकाई गई। दशमी तक भंडारे के लिए करीब 18 क्विंटल चावल, दाल, सब्जी पकाई जाती है। सोमवार को भी भक्तों की काफी संख्या रही। ऐसे में भंडारा प्रसाद खाने के लिए लोगों को सड़कों पर बैठाया गया। महिलाओं के लिए सड़क के किनारे व्यवस्था की गई। ऐसे में दोनों तरफ से आने वाले वाहन भी भंडारे तक रुक गए। 10 दिनों तक ऐसा होता है कार्यक्रम सांप खंड में नवरात्रि के दस दिनों में होने वाले कार्यक्रमों की बात करें तो पहले दिन कलश यात्रा, दूसरे दिन कृष्ण गुरु भजन, बधरा, गुड़ीपारा यात्रा, तीसरे दिन कीर्तन सम्मेलन, छोटे बच्चों के लिए नृत्य प्रतियोगिता, चौथे दिन पाला सम्मेलन, पांचवें दिन प्रवचन, भजन, छठे दिन से नौवें दिन तक भजन होते हैं। दशमी को कीर्तन, रावण दहन और महाभंडारा का आयोजन होता है।