कबीर धर्म मंदिर- जियनपुर के संस्थापक रामसूरत साहेब स्मृति समारोह:संत परीक्षा साहेब बोले- सद्गुरु कबीर का प्रादुर्भाव न हुआ होता, तो भारत की स्थिति और खराब हो जाती
कबीर धर्म मंदिर- जियनपुर के संस्थापक रामसूरत साहेब स्मृति समारोह:संत परीक्षा साहेब बोले- सद्गुरु कबीर का प्रादुर्भाव न हुआ होता, तो भारत की स्थिति और खराब हो जाती
कबीर की परंपरा के प्रख्यात उपदेशक एवं कबीर धर्म मंदिर- जियनपुर के संस्थापक रामसूरत साहेब के उत्तराधिकारी संत परीक्षा साहेब ने कहा कि कबीर सामाजिक-सांस्कृतिक एकता के महान दूत थे। हमें कबीर की इस विरासत को आगे बढ़ाना है। मध्यकाल में सद्गुरु कबीर का प्रादुर्भाव न हुआ होता, तो भारत की स्थिति और खराब हो जाती। शायद हम और टुकड़ों में बंट जाते। प्रेम साहेब ने कहा कि कबीर साहेब ने जाति और कट्टरपंथ की आलोचना की तीन दिवसीय सत्संग समारोह के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि वे हमारे प्रेरक हैं और उन्हीें की प्रेरणा से हम उनके सपनों का समाज बना सकते हैं। संत कबीर की जन्मस्थली से पधारे प्रेम साहेब ने कहा कि कबीर साहेब ने जाति और कट्टरपंथ की आलोचना करते हुए पूरा जीवन संघर्ष किया और काशी में रहते हुए रूढ़ियों पर कुठाराघात किया। हम यहां से लौटें तो कबीर की, रामसूरत साहेब की और कबीर की परंपरा के अन्य आचार्यों की देशना को और मजबूती से गांठ बांध कर लौटें। वर्तमान में कुछ लोग मंदिर की संपत्ति जो अब करोड़ों की हो गई है हड़प कर बेचना चाहते हैं-धर्मप्रकाश साहेब उपदेशक विवेक साहेब ने बताया कि जब तक अंदर की आंख नहीं खोलेंगे, तब तक मंजिल प्राप्त नहीं हो सकती। कार्यक्रम संयोजक धर्मप्रकाश साहेब ने बताया कि सद्गुरु रामसूरत साहेब अयोध्या में मठ की स्थापना सेवा के लिए किया था वैसे ही सेवा परीक्षा साहेब के निर्देशन में चल रही है, लेकिन वर्तमान में कुछ लोग मंदिर की संपत्ति जो अब करोड़ों की हो गई है हड़प कर बेचना चाहते हैं। इस अवसर पर कई अन्य शीर्ष संतों ने विचार रखे। इस दौरान रविदास मंदिर के महंत बनवारी पति ब्रह्मचारी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रेखा चौधरी, समाजसेवी रामचंदर भी उपस्थित रहे। कबीर मेला का का भी आयोजन किया गया
रामसूरत साहेब के अनुयायियों के एक अन्य वर्ग की ओर से जियनपुर कबीर मंदिर के निकट ही तीन दिवसीय कबीर मेला का समापन किया गया। इस अवसर पर पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य बाैद्ध अरविंद सिंह पटेल ने कहा कि हमें सद्गुरु कबीर के विचारों काे आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने सद्भावना का संदेश दिया। कबीर का सांप्रदायिक सौहार्द देश-विदेश में एकता-अखंडता स्थापित कर रहा है। कार्यक्रम का संयोजन महंत उमाशंकर दास ने किया।
कबीर की परंपरा के प्रख्यात उपदेशक एवं कबीर धर्म मंदिर- जियनपुर के संस्थापक रामसूरत साहेब के उत्तराधिकारी संत परीक्षा साहेब ने कहा कि कबीर सामाजिक-सांस्कृतिक एकता के महान दूत थे। हमें कबीर की इस विरासत को आगे बढ़ाना है। मध्यकाल में सद्गुरु कबीर का प्रादुर्भाव न हुआ होता, तो भारत की स्थिति और खराब हो जाती। शायद हम और टुकड़ों में बंट जाते। प्रेम साहेब ने कहा कि कबीर साहेब ने जाति और कट्टरपंथ की आलोचना की तीन दिवसीय सत्संग समारोह के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि वे हमारे प्रेरक हैं और उन्हीें की प्रेरणा से हम उनके सपनों का समाज बना सकते हैं। संत कबीर की जन्मस्थली से पधारे प्रेम साहेब ने कहा कि कबीर साहेब ने जाति और कट्टरपंथ की आलोचना करते हुए पूरा जीवन संघर्ष किया और काशी में रहते हुए रूढ़ियों पर कुठाराघात किया। हम यहां से लौटें तो कबीर की, रामसूरत साहेब की और कबीर की परंपरा के अन्य आचार्यों की देशना को और मजबूती से गांठ बांध कर लौटें। वर्तमान में कुछ लोग मंदिर की संपत्ति जो अब करोड़ों की हो गई है हड़प कर बेचना चाहते हैं-धर्मप्रकाश साहेब उपदेशक विवेक साहेब ने बताया कि जब तक अंदर की आंख नहीं खोलेंगे, तब तक मंजिल प्राप्त नहीं हो सकती। कार्यक्रम संयोजक धर्मप्रकाश साहेब ने बताया कि सद्गुरु रामसूरत साहेब अयोध्या में मठ की स्थापना सेवा के लिए किया था वैसे ही सेवा परीक्षा साहेब के निर्देशन में चल रही है, लेकिन वर्तमान में कुछ लोग मंदिर की संपत्ति जो अब करोड़ों की हो गई है हड़प कर बेचना चाहते हैं। इस अवसर पर कई अन्य शीर्ष संतों ने विचार रखे। इस दौरान रविदास मंदिर के महंत बनवारी पति ब्रह्मचारी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रेखा चौधरी, समाजसेवी रामचंदर भी उपस्थित रहे। कबीर मेला का का भी आयोजन किया गया
रामसूरत साहेब के अनुयायियों के एक अन्य वर्ग की ओर से जियनपुर कबीर मंदिर के निकट ही तीन दिवसीय कबीर मेला का समापन किया गया। इस अवसर पर पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य बाैद्ध अरविंद सिंह पटेल ने कहा कि हमें सद्गुरु कबीर के विचारों काे आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने सद्भावना का संदेश दिया। कबीर का सांप्रदायिक सौहार्द देश-विदेश में एकता-अखंडता स्थापित कर रहा है। कार्यक्रम का संयोजन महंत उमाशंकर दास ने किया।