इंदौर रेलवे स्टेशन की डिजाइन अभी तक नहीं हुई फाइनल:2028 सिंहस्थ के पहले पूरा करने का लक्ष्य, 450 करोड़ में होगा रि-डेवलपमेंट

साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ के पहले इंदौर रेलवे स्टेशन का रि-डेवलपमेंट का कार्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि अभी तक इसकी डिजाइन फाइनल नहीं हुई है। जानकार बताते हैं कि डिजाइन को लेकर बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन यह अभी तक फाइनल क्यों नहीं हुआ इसकी वजह समझ नहीं आ रही है। बता दें कि इस प्रोजेक्ट का फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली भूमिपूजन किया था। करीब 450 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले इस रेलवे स्टेशन का काम सिंहस्थ के पहले (साल 2027 तक) पूरा करने का लक्ष्य है। रेलवे ने दिसंबर 2024 में ही गुजरात की निर्माण एजेंसी को काम सौंप दिया था, उसने अब तक फाइनल डिजाइन ही स्वीकृत नहीं कराई है। जिससे रि-डेवलपमेंट का काम 5 माह बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। अगले महीने से बारिश आ जाएगी और तीन माह काम शुरू करने में ही परेशानी आएगी। इस कारण दो साल में रेलवे स्टेशन का रि-डेवलपमेंट का काम पूरा होना मुश्किल नजर आ रहा है। सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि नए स्टेशन की डिजाइन पर पिछले दिनों हुई बैठक में सहमति बनी थी। इसके बाद इसे फाइनल करने के लिए मुख्यालय भेजा था। संभवत: इसे फाइनल कर दिया गया है, लेकिन फाइनल डिजाइन अभी तक मिली नहीं है। इसके जल्द ही मिलने की उम्मीद है। नया निर्माण नई डिजाइन के आधार पर ही टुकड़ों-टुकड़ों में किया जाएगा, ताकि ट्रेनों का संचालन और यात्रियों को कोई परेशानी न हो। कंपनी ने टेंडर होने के बाद यह किया कंपनी ने यहां पर तैयारी शुरू कर ली है। मिट्टी का परीक्षण किया जा चुका है पर डिजाइन फाइनल न होने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है। निर्माण एजेंसी को सबसे पहले रेलवे स्टेशन की अंदरूनी डिजाइन तैयार करनी है। इसमें स्टेशन भवन, पैदल पुल, सर्कुलेटिंग एरिया, पार्किंग आदि का फोटो के साथ मेजरमेंट लिया जाना है। इसके बाद इस डिजाइन रिपोर्ट को निर्माण विभाग रिव्यू करेगा। स्वीकृति मिलने पर ही काम शुरू हो पाएगा। डिजाइन को लेकर रेलवे अधिकारियों ने भी नाराजगी जताई है। सिंहस्थ के पहले तैयार करने का है लक्ष्य उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ को देखते हुए इंदौर में नया स्टेशन इससे पहले ही तैयार करने का लक्ष्य रखा है, क्योंकि सिंहस्थ में बड़ी संख्या में पूरे देश से यात्री उज्जैन पहुंचेंगे और इंदौर इसके लिए प्रमुख स्टेशन होगा। इसे देखते हुए इसे ज्यादा यात्रियों के लिए सिंहस्थ के पहले तैयार करने की योजना है। सिंहस्थ के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा इंदौर जानकारों का कहना है कि जिस तरह से इस साल हुए प्रयागराज कुंभ में लोगों की भीड़ आई थी, उस हिसाब से उज्जैन सिंहस्थ में भी भीड़ आएगी। रेलवे स्पेशल ट्रेनें भी चलाएगा। ऐसे में अगर इंदौर का मुख्य रेलवे स्टेशन ही तैयार नहीं होगा, तो सारा लोड लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर आ जाएगा। वहां पर भीड़ का मैनेजमेंट करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। 50 साल की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि नया स्टेशन इंदौर की 50 साल की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा और नई बिल्डिंग 7 मंजिला होगी। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 495 करोड़ रुपए खर्च होंगे और साल 2027 में स्टेशन ऑपरेशनल होगा। लालवानी ने बताया कि नया स्टेशन सर्वसुविधायुक्त होगा और 26 लिफ्ट एवं 17 एस्केलेटर होंगे। रेल यातायात और यात्री संख्या के लिहाज से आने वाले समय में रेलवे स्टेशन का विस्तार करना जरूरी हो गया है। स्टेशन से प्रतिदिन 68 ट्रेनों का आना-जाना होता है और 30 से 35 हजार यात्री सफर करते हैं। रेल यातायात दबाव बढ़ने के चलते आधा दर्जन से अधिक लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन महू स्टेशन से किया जा रहा है।

इंदौर रेलवे स्टेशन की डिजाइन अभी तक नहीं हुई फाइनल:2028 सिंहस्थ के पहले पूरा करने का लक्ष्य, 450 करोड़ में होगा रि-डेवलपमेंट
साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ के पहले इंदौर रेलवे स्टेशन का रि-डेवलपमेंट का कार्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि अभी तक इसकी डिजाइन फाइनल नहीं हुई है। जानकार बताते हैं कि डिजाइन को लेकर बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन यह अभी तक फाइनल क्यों नहीं हुआ इसकी वजह समझ नहीं आ रही है। बता दें कि इस प्रोजेक्ट का फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली भूमिपूजन किया था। करीब 450 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले इस रेलवे स्टेशन का काम सिंहस्थ के पहले (साल 2027 तक) पूरा करने का लक्ष्य है। रेलवे ने दिसंबर 2024 में ही गुजरात की निर्माण एजेंसी को काम सौंप दिया था, उसने अब तक फाइनल डिजाइन ही स्वीकृत नहीं कराई है। जिससे रि-डेवलपमेंट का काम 5 माह बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। अगले महीने से बारिश आ जाएगी और तीन माह काम शुरू करने में ही परेशानी आएगी। इस कारण दो साल में रेलवे स्टेशन का रि-डेवलपमेंट का काम पूरा होना मुश्किल नजर आ रहा है। सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि नए स्टेशन की डिजाइन पर पिछले दिनों हुई बैठक में सहमति बनी थी। इसके बाद इसे फाइनल करने के लिए मुख्यालय भेजा था। संभवत: इसे फाइनल कर दिया गया है, लेकिन फाइनल डिजाइन अभी तक मिली नहीं है। इसके जल्द ही मिलने की उम्मीद है। नया निर्माण नई डिजाइन के आधार पर ही टुकड़ों-टुकड़ों में किया जाएगा, ताकि ट्रेनों का संचालन और यात्रियों को कोई परेशानी न हो। कंपनी ने टेंडर होने के बाद यह किया कंपनी ने यहां पर तैयारी शुरू कर ली है। मिट्टी का परीक्षण किया जा चुका है पर डिजाइन फाइनल न होने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है। निर्माण एजेंसी को सबसे पहले रेलवे स्टेशन की अंदरूनी डिजाइन तैयार करनी है। इसमें स्टेशन भवन, पैदल पुल, सर्कुलेटिंग एरिया, पार्किंग आदि का फोटो के साथ मेजरमेंट लिया जाना है। इसके बाद इस डिजाइन रिपोर्ट को निर्माण विभाग रिव्यू करेगा। स्वीकृति मिलने पर ही काम शुरू हो पाएगा। डिजाइन को लेकर रेलवे अधिकारियों ने भी नाराजगी जताई है। सिंहस्थ के पहले तैयार करने का है लक्ष्य उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ को देखते हुए इंदौर में नया स्टेशन इससे पहले ही तैयार करने का लक्ष्य रखा है, क्योंकि सिंहस्थ में बड़ी संख्या में पूरे देश से यात्री उज्जैन पहुंचेंगे और इंदौर इसके लिए प्रमुख स्टेशन होगा। इसे देखते हुए इसे ज्यादा यात्रियों के लिए सिंहस्थ के पहले तैयार करने की योजना है। सिंहस्थ के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा इंदौर जानकारों का कहना है कि जिस तरह से इस साल हुए प्रयागराज कुंभ में लोगों की भीड़ आई थी, उस हिसाब से उज्जैन सिंहस्थ में भी भीड़ आएगी। रेलवे स्पेशल ट्रेनें भी चलाएगा। ऐसे में अगर इंदौर का मुख्य रेलवे स्टेशन ही तैयार नहीं होगा, तो सारा लोड लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर आ जाएगा। वहां पर भीड़ का मैनेजमेंट करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। 50 साल की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि नया स्टेशन इंदौर की 50 साल की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा और नई बिल्डिंग 7 मंजिला होगी। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 495 करोड़ रुपए खर्च होंगे और साल 2027 में स्टेशन ऑपरेशनल होगा। लालवानी ने बताया कि नया स्टेशन सर्वसुविधायुक्त होगा और 26 लिफ्ट एवं 17 एस्केलेटर होंगे। रेल यातायात और यात्री संख्या के लिहाज से आने वाले समय में रेलवे स्टेशन का विस्तार करना जरूरी हो गया है। स्टेशन से प्रतिदिन 68 ट्रेनों का आना-जाना होता है और 30 से 35 हजार यात्री सफर करते हैं। रेल यातायात दबाव बढ़ने के चलते आधा दर्जन से अधिक लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन महू स्टेशन से किया जा रहा है।