9 जून को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ लेने के साथ ही 18वीं लोकसभा का कामकाज शुरू हो गया। लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा। यह 3 जुलाई तक चलेगा। 10 दिन में कुल 8 बैठकें होंगी। शुरुआत के दो दिन प्रोटेम स्पीकर भर्तुहरि महताब नए सांसदों को शपथ दिलाएंगे। 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा। 27 जून को राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू होगा। इसी दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा में अभिभाषण देंगी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी बोलेंगे। सत्र के आखिरी दो दिन अभिभाषण पर दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी पहली बार पीएम मोदी के सामने नेता विपक्ष होगा। 2014 और 2019 में विपक्ष की कोई भी पार्टी नेता विपक्ष के लिए जरूरी 10 फीसदी सीटें नहीं जीत पाई थी। संसद सत्र में NEET परीक्षा में गड़बड़ी समेत अन्य मुद्दों पर हंगामे के आसार हैं। संसद सत्र के 8 दिनों में क्या-क्या होगा, सिलसिलेवार पढ़ें... 24-25 जून: प्रोटेम स्पीकर नए सांसदों को शपथ दिलाएंगे जेल में बंद सांसद कैसे शपथ लेंगे 26 जून: लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा भाजपा : 17-18 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर मंत्रियों की बैठक हुई। इसमें लोकसभा स्पीकर को लेकर भी चर्चा हुई। भाजपा चाहती है कि स्पीकर उनकी पार्टी का हो। बीजेपी ओम बिड़ला को दूसरी बार स्पीकर बना सकती है। राजस्थान के कोटा से सांसद बिड़ला पिछली बार भी लोकसभा अध्यक्ष थे। NDA : भाजपा के सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी के बीच स्पीकर पद को लेकर मांग उठी थी। बाद में जेडीयू ने घोषणा कर दी है कि वह भाजपा के किसी भी फैसले का समर्थन करेगी। टीडीपी ने एनडीए उम्मीदवार की वकालत की है। यानी अभी खुलकर कुछ भी कहने से परहेज किया है। विपक्ष : INDIA ब्लॉक इस बार डिप्टी स्पीकर पद की मांग करेगा। चर्चा थी कि अगर विपक्ष के सांसद को डिप्टी स्पीकर पद नहीं मिलता है तो विपक्षी खेमा स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगा। डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परम्परा रही है। 16वीं लोकसभा में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। जबकि, 17वीं लोकसभा में पद खाली रहा। टकराव की आशंका: भाजपा स्पीकर पद पर सहमति के लिए विपक्ष को अपने कैंडिडेट का नाम प्रस्तावित करेगी। अगर विपक्ष सहमत नहीं हुआ तो अपना उम्मीदवार उतारेगी। ऐसी परिस्थिति में स्पीकर के लिए चुनाव करना पड़ेगा। 27 जून : राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण
27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा में सुबह 11 बजे अभिभाषण देंगी। इसमें केंद्र सरकार के अगले 5 साल के कार्यक्रम का रोडमैप पेश करेंगी। 17वीं लोकसभा में तब के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों सदन को 1 घंटे संबोधित किया था। इसी दिन राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू हो जाएगा। इस साल 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटें खाली हुईं थीं। जिनमें 41 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीत गए। वहीं फरवरी में 15 सीटों पर हुई वोटिंग में यूपी की 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की, सपा को दो सीट मिलीं। कर्नाटक में कांग्रेस को 3, भाजपा को 1 मिली थी। वहीं हिमाचल की एक सीट भी भाजपा के खाते में आई थी। 1-3 जुलाई : संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। विपक्ष नीट परीक्षा गड़बड़ी, यूजीसी नेट एग्जाम कैंसिलेशन और अग्निवीर योजना को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इसके बाद प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे। 40 दिन छोटा होगा सत्र
पिछली 17वीं लोकसभा की तुलना में 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 40 दिन छोटा है। 2019 में नरेंद्र मोदी ने 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और 17 जून को संसद का पहला सत्र शुरु हो गया था। हालांकि इसमें नई सरकार का बजट सत्र भी शामिल था। वहीं इस बार 9 जून को पीएम का शपथ ग्रहण हुआ और पहला सत्र 15 दिन बाद शुरू हुआ। 10 साल बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी मिलेगी
लोकसभा में इस बार नेता प्रतिपक्ष भी होगा। पिछले 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है, क्योंकि 2014 के बाद से किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते। मावलंकर नियम के तहत नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या 543 का 10% यानी 54 सांसद होना जरूरी है। 16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे 44 सांसदों वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष (LOP) का दर्जा नहीं था। 17वीं लोकसभा में 52 सांसदों की अगुवाई अधीर रंजन चौधरी ने की थी। उन्हें भी कैबिनेट जैसे अधिकार नहीं थे। विपक्ष का नेता हर बड़ी नियुक्ति में शामिल
सदन के नेता (PM) के बराबर ही नेता प्रतिपक्ष को तरजीह मिलती है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी उन्हें शामिल किया जाता है जिसकी अध्यक्षता पीएम करते हैं। नेता प्रतिपक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी शामिल हो जाता है। लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही बनाया जाता है। इस समिति के पास PM तक को तलब करने का अधिकार होता है। सदन के भीतर प्रतिपक्ष के अगली, दूसरी कतार में कौन नेता बैठेगा, इसकी राय भी विपक्ष के नेता से ली जाती है। 18वीं लोकसभा में पक्ष और विपक्ष की स्थिति
2014 और 2019 की तुलना में इस बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है। 18वीं लोकसभा में NDA की सरकार है। गठबंधन के पास 293 सांसद हैं। मोदी समेत 72 सांसदों ने 9 जून को शपथ ली थी। मोदी के पिछले दो कार्यकाल की तुलना में तीसरे टर्म में विपक्ष मजबूत हुआ है। INDIA ब्लॉक ने 234 सीटें हासिल की हैं। कांग्रेस के पास 99 सीटे हैं, जो सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि महाराष्ट्र के सांगली से निर्दलीय चुनाव जीते विशाल पाटिल कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी की कुल संख्या 100 हो गई है। ग्राफिक के जरिए जानिए मोदी 3.0 कार्यकाल में कितने मंत्री