सागर में 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह:रिजक की मर्यादा नाटक की हुई प्रस्तुति, आज सुहाने अफसाने नाटक का होगा मंचन

मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग, नाट्य विद्यालय भोपाल और जिला प्रशासन द्वारा सागर में 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। महाकवि पद्माकर सभागार में बुधवार रात समारोह का शुभारंभ किया गया। रंग प्रयोग नाट्य समारोह के पहले दिन विजयदान देथा की कहानी रिजक की मर्यादा का मंचन दिल्ली के रंग निर्देशक अजय कुमार के निर्देशन में हुआ। नाटक एक कलाकार की कहानी पर आधारित है। जिसमें शंकर भांड नाम का बहरुपिया है जो जिस चरित्र में ढलता है तो उसमें पूरी तरह डूब जाता है। कालाकार साधु का वेश धारण कर इलाके में जाता है। वह अपने आप को इतना विश्वसनीय बना देता है कि गांव का सेठ अपनी सारी संपत्ति साधु को दान करना चाहता है। यहां शंकर भांड अपने असली रूप में आकर बताता है कि मैं कोई साधु नहीं हूं। सेठ ने जब कहा कि इतनी दौलत मिल गई थी तो साधु का क्यों छोड़ा? तब शंकर भांड ने कहा कि मैं जो रूप धारण करता हूं उसी के अनुरूप हो जाता हूं। इसलिए इतनी धन दौलत साधु के लिए व्यर्थ है और यह मेरे रिजक यानि कुल और कलाकारी की मर्यादा भी है। शंकर भांड ने चुड़ैल का स्वांग किया इसके बाद कहानी में अचानक मोड़ तब आता है जब ख्याति सुनकर राजा उसे चुड़ैल का स्वांग करने को बोलता है। शंकर ने कहा कि यह स्वांग मत कराइए, क्योंकि मैं किसी भी रूप में पूरी तरह प्रवेश कर जाता हूं। अगर ये स्वांग हुआ तो फिर चुड़ैल किसी भी मनुष्य का सीना फाड़कर रक्तपान करने के बाद ही शांत होती है ऐसे में मेरे सामने जो भी आएगा उसकी छाती चीरकर रक्तपान करना पड़ेगा। राजा और मंत्रियों ने सोचा कि यह बहानेबाजी कर रहा है। उसे उकसाया और शंकर भांड ने अगले दिन चुड़ैल का स्वांग किया। स्वांग इतना विश्वसनीय था कि राजा, दरबारी, प्रजा सभी भाग खड़े हुए। लेकिन राजा का साला जो कि नशे में था, वह चुड़ैल के सामने जाकर गिर पड़ा। चुड़ैल ने राजा के साले की छाती चीर डाली और रक्तपान किया। इस स्वांग के बाद जब शंकर भांड ने राजा से बख्शीश मांगी तब लोगों को अहसास हुआ कि ये तो चुड़ैल नहीं शंकर है। तब सबने उसे राजा के साले का हत्यारा घोषित करके पकड़ लिया। बच्चों को बताया जाए कि वे भी रिजक की मर्यादा का पालन करें राजा की रानी आई और बिलखते हुए शंकर भांड को सूली पर चढ़ाए जाने की मांग की। शंकर भांड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उसने पहले ही यह स्वांग न कराए जाने की गुजारिश की थी। लेकिन आपने बाध्य किया। तभी राजा के मंत्री ने इस परेशानी से बचने राजा को सलाह दी कि शंकर भांड को कल सती का स्वांग करने का आदेश दें, वह जो करता है पूरे सत्य से करता है इससे उसे सजा भी मिल जाएगी और दोष भी आप पर नहीं आएगा। यह आदेश पाकर शंकर समझ गया कि उसे अपने रिजक की मर्यादा का पालन करना है तो सती की तरह चिता में जल जाना होगा। उसने राजा से प्रार्थना की कि उसकी राख उसके घरवालों तक पहुंचा दी जाए और उसके बच्चों को भी बताया जाए कि वे भी रिजक की मर्यादा का पालन करें। वादा लेने के बाद शंकर भांड ने राजा के आदेश का पालन करते हुए सती का स्वांग किया और रिजक की मर्यादा रखी इन्होंने नाटक में निभाए किरदार नाट्य मंचन में शारोन मेरी मसीह, हिमाद्रि व्यास, संजना, अभिषेक मंडोरिया, अर्पित ठाकुर, गौतम सारस्वत, प्रदीप तिवारी, रोहित खिलवानी, अभय आनंद बडोनी, कनिष्क द्विवेदी और विशाल बरुआ आदि ने अलग-अलग किरदारों की भूमिका निभाई। जबकि संगीत पक्ष की जिम्मेदारी को सागर शुक्ला और संजय कोरी ने निभाया। आज होगा सुहाने अफसाने नाटक का मंचन रंगकर्मी आकाश विश्वकर्मा ने बताया कि गुरुवार को नील सायमन द्वारा लिखित और विद्यानिधि बनारसे द्वारा निर्देशित नाटक सुहाने अफसाने का मंचन किया जाएगा। जिसमें अलग-अलग 6 कहानियों को पिरोया गया है। समारोह में नि:शुल्क प्रवेश है। शहर के लोग पहुंचकर नाटक की प्रस्तुतियां दे सकते हैं।

सागर में 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह:रिजक की मर्यादा नाटक की हुई प्रस्तुति, आज सुहाने अफसाने नाटक का होगा मंचन
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग, नाट्य विद्यालय भोपाल और जिला प्रशासन द्वारा सागर में 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। महाकवि पद्माकर सभागार में बुधवार रात समारोह का शुभारंभ किया गया। रंग प्रयोग नाट्य समारोह के पहले दिन विजयदान देथा की कहानी रिजक की मर्यादा का मंचन दिल्ली के रंग निर्देशक अजय कुमार के निर्देशन में हुआ। नाटक एक कलाकार की कहानी पर आधारित है। जिसमें शंकर भांड नाम का बहरुपिया है जो जिस चरित्र में ढलता है तो उसमें पूरी तरह डूब जाता है। कालाकार साधु का वेश धारण कर इलाके में जाता है। वह अपने आप को इतना विश्वसनीय बना देता है कि गांव का सेठ अपनी सारी संपत्ति साधु को दान करना चाहता है। यहां शंकर भांड अपने असली रूप में आकर बताता है कि मैं कोई साधु नहीं हूं। सेठ ने जब कहा कि इतनी दौलत मिल गई थी तो साधु का क्यों छोड़ा? तब शंकर भांड ने कहा कि मैं जो रूप धारण करता हूं उसी के अनुरूप हो जाता हूं। इसलिए इतनी धन दौलत साधु के लिए व्यर्थ है और यह मेरे रिजक यानि कुल और कलाकारी की मर्यादा भी है। शंकर भांड ने चुड़ैल का स्वांग किया इसके बाद कहानी में अचानक मोड़ तब आता है जब ख्याति सुनकर राजा उसे चुड़ैल का स्वांग करने को बोलता है। शंकर ने कहा कि यह स्वांग मत कराइए, क्योंकि मैं किसी भी रूप में पूरी तरह प्रवेश कर जाता हूं। अगर ये स्वांग हुआ तो फिर चुड़ैल किसी भी मनुष्य का सीना फाड़कर रक्तपान करने के बाद ही शांत होती है ऐसे में मेरे सामने जो भी आएगा उसकी छाती चीरकर रक्तपान करना पड़ेगा। राजा और मंत्रियों ने सोचा कि यह बहानेबाजी कर रहा है। उसे उकसाया और शंकर भांड ने अगले दिन चुड़ैल का स्वांग किया। स्वांग इतना विश्वसनीय था कि राजा, दरबारी, प्रजा सभी भाग खड़े हुए। लेकिन राजा का साला जो कि नशे में था, वह चुड़ैल के सामने जाकर गिर पड़ा। चुड़ैल ने राजा के साले की छाती चीर डाली और रक्तपान किया। इस स्वांग के बाद जब शंकर भांड ने राजा से बख्शीश मांगी तब लोगों को अहसास हुआ कि ये तो चुड़ैल नहीं शंकर है। तब सबने उसे राजा के साले का हत्यारा घोषित करके पकड़ लिया। बच्चों को बताया जाए कि वे भी रिजक की मर्यादा का पालन करें राजा की रानी आई और बिलखते हुए शंकर भांड को सूली पर चढ़ाए जाने की मांग की। शंकर भांड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उसने पहले ही यह स्वांग न कराए जाने की गुजारिश की थी। लेकिन आपने बाध्य किया। तभी राजा के मंत्री ने इस परेशानी से बचने राजा को सलाह दी कि शंकर भांड को कल सती का स्वांग करने का आदेश दें, वह जो करता है पूरे सत्य से करता है इससे उसे सजा भी मिल जाएगी और दोष भी आप पर नहीं आएगा। यह आदेश पाकर शंकर समझ गया कि उसे अपने रिजक की मर्यादा का पालन करना है तो सती की तरह चिता में जल जाना होगा। उसने राजा से प्रार्थना की कि उसकी राख उसके घरवालों तक पहुंचा दी जाए और उसके बच्चों को भी बताया जाए कि वे भी रिजक की मर्यादा का पालन करें। वादा लेने के बाद शंकर भांड ने राजा के आदेश का पालन करते हुए सती का स्वांग किया और रिजक की मर्यादा रखी इन्होंने नाटक में निभाए किरदार नाट्य मंचन में शारोन मेरी मसीह, हिमाद्रि व्यास, संजना, अभिषेक मंडोरिया, अर्पित ठाकुर, गौतम सारस्वत, प्रदीप तिवारी, रोहित खिलवानी, अभय आनंद बडोनी, कनिष्क द्विवेदी और विशाल बरुआ आदि ने अलग-अलग किरदारों की भूमिका निभाई। जबकि संगीत पक्ष की जिम्मेदारी को सागर शुक्ला और संजय कोरी ने निभाया। आज होगा सुहाने अफसाने नाटक का मंचन रंगकर्मी आकाश विश्वकर्मा ने बताया कि गुरुवार को नील सायमन द्वारा लिखित और विद्यानिधि बनारसे द्वारा निर्देशित नाटक सुहाने अफसाने का मंचन किया जाएगा। जिसमें अलग-अलग 6 कहानियों को पिरोया गया है। समारोह में नि:शुल्क प्रवेश है। शहर के लोग पहुंचकर नाटक की प्रस्तुतियां दे सकते हैं।