सीतापुर-हनुमना सिंचाई परियोजना के लिए 1290 हेक्टेयर जमीन की जरूरत:कमिश्नर का निर्देश- भू-अर्जन प्रक्रिया में तेजी लाएं, खसरे में विभाग का नाम जरूर दर्ज करें

रीवा संभाग के कमिश्नर बीएस जामोद ने संभागीय बैठक में मंगलवार को भू-अर्जन प्रकरणों की समीक्षा करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सीतापुर-हनुमना उद्वहन सिंचाई परियोजना के लिए सीधी जिले के 53 गांवों से 1290 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है। इस संबंध में एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द इन गांवों के नक्शे जल संसाधन विभाग को उपलब्ध कराएं। सभी एसडीएम को निर्देश दिए कमिश्नर ने विशेष रूप से निर्देश दिए कि भू-अर्जन के बाद खसरे में संबंधित विभाग का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा कि खसरे में सुधार न होने से कई बार अप्रिय स्थिति उत्पन्न होती है। सभी एसडीएम को 15 दिनों के भीतर भू-अर्जन के प्रकरणों का निराकरण कर मुआवजा वितरण का निर्देश दिया गया है। रीवा-सिंगरौली रेल परियोजना के कार्य की समीक्षा बैठक में सीधी जिले की गोड़ सिंचाई परियोजना का भी मुद्दा उठा, जिसके लिए लगभग 167.5 हेक्टेयर वन भूमि के बदले राजस्व भूमि की आवश्यकता है। रीवा-सिंगरौली रेल परियोजना की प्रगति की भी समीक्षा की गई, जिसमें रीवा से गोविंदगढ़ तक का काम पूरा हो चुका है और गोविंदगढ़ से चुरहट तक की भू-अर्जन प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि भू-अर्जन में देरी से बड़ी परियोजनाओं में विलंब होता है, इसलिए समय-सीमा का कड़ाई से पालन किया जाए। इनकी रही मौजूदगी बैठक में संयुक्त आयुक्त दिव्या त्रिपाठी, अपर कलेक्टर मैहर शैलेन्द्र सिंह, संयुक्त कलेक्टर रीवा श्रेयस गोखले, डिप्टी कलेक्टर मऊगंज श्रीमती रश्मि चतुर्वेदी, एसडीएम गोपद बनास सीधी नीलेश शर्मा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। संभाग के सभी जिलों के एसडीएम तथा भू अर्जन के अधिकारी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

सीतापुर-हनुमना सिंचाई परियोजना के लिए 1290 हेक्टेयर जमीन की जरूरत:कमिश्नर का निर्देश- भू-अर्जन प्रक्रिया में तेजी लाएं, खसरे में विभाग का नाम जरूर दर्ज करें
रीवा संभाग के कमिश्नर बीएस जामोद ने संभागीय बैठक में मंगलवार को भू-अर्जन प्रकरणों की समीक्षा करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सीतापुर-हनुमना उद्वहन सिंचाई परियोजना के लिए सीधी जिले के 53 गांवों से 1290 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है। इस संबंध में एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द इन गांवों के नक्शे जल संसाधन विभाग को उपलब्ध कराएं। सभी एसडीएम को निर्देश दिए कमिश्नर ने विशेष रूप से निर्देश दिए कि भू-अर्जन के बाद खसरे में संबंधित विभाग का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा कि खसरे में सुधार न होने से कई बार अप्रिय स्थिति उत्पन्न होती है। सभी एसडीएम को 15 दिनों के भीतर भू-अर्जन के प्रकरणों का निराकरण कर मुआवजा वितरण का निर्देश दिया गया है। रीवा-सिंगरौली रेल परियोजना के कार्य की समीक्षा बैठक में सीधी जिले की गोड़ सिंचाई परियोजना का भी मुद्दा उठा, जिसके लिए लगभग 167.5 हेक्टेयर वन भूमि के बदले राजस्व भूमि की आवश्यकता है। रीवा-सिंगरौली रेल परियोजना की प्रगति की भी समीक्षा की गई, जिसमें रीवा से गोविंदगढ़ तक का काम पूरा हो चुका है और गोविंदगढ़ से चुरहट तक की भू-अर्जन प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि भू-अर्जन में देरी से बड़ी परियोजनाओं में विलंब होता है, इसलिए समय-सीमा का कड़ाई से पालन किया जाए। इनकी रही मौजूदगी बैठक में संयुक्त आयुक्त दिव्या त्रिपाठी, अपर कलेक्टर मैहर शैलेन्द्र सिंह, संयुक्त कलेक्टर रीवा श्रेयस गोखले, डिप्टी कलेक्टर मऊगंज श्रीमती रश्मि चतुर्वेदी, एसडीएम गोपद बनास सीधी नीलेश शर्मा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। संभाग के सभी जिलों के एसडीएम तथा भू अर्जन के अधिकारी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।