आरक्षक भर्ती चयन के लिए लगाई थी फर्जी मार्कशीट:कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा; ₹1,400 का लगाया जुर्माना
आरक्षक भर्ती चयन के लिए लगाई थी फर्जी मार्कशीट:कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा; ₹1,400 का लगाया जुर्माना
सातवीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) में आरक्षक बैंड के रिक्त पदों पर 22 सितंबर 2017 को हुई भर्ती के दौरान हाई स्कूल की नकली मार्कशीट लगाने वाले आकाश पंसोरिया को अदालत ने सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार जैन की अदालत ने मंगलवार को पंसोरिया को 5 साल के सश्रम कारावास और ₹1,400 के अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन के अनुसार, आरोपी ने राज्य ओपन स्कूल के नाम से जो मार्कशीट प्रस्तुत की थी, वह पुलिस दस्तावेज सत्यापन के दौरान संदिग्ध पाई गई। सत्यापन के लिए जब दस्तावेज मूल बोर्ड को भेजे गए, तो राज्य ओपन स्कूल ने उसे फर्जी घोषित कर दिया। इस खुलासे के बाद तत्कालीन सेनानी, सातवीं वाहिनी एसएएफ, आशुतोष प्रताप सिंह ने 29 सितंबर 2017 को पुलिस अधीक्षक (दक्षिण), भोपाल को लिखित शिकायत दी। थाना जहांगीराबाद ने 14 जनवरी 2018 को आरोपी के खिलाफ (IPC) की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज़ का प्रयोग) के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की और विवेचना पूर्ण कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्यों को प्रस्तुत किया, जिन्हें अदालत ने विश्वसनीय माना और दोष सिद्ध किया।
सातवीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) में आरक्षक बैंड के रिक्त पदों पर 22 सितंबर 2017 को हुई भर्ती के दौरान हाई स्कूल की नकली मार्कशीट लगाने वाले आकाश पंसोरिया को अदालत ने सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार जैन की अदालत ने मंगलवार को पंसोरिया को 5 साल के सश्रम कारावास और ₹1,400 के अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन के अनुसार, आरोपी ने राज्य ओपन स्कूल के नाम से जो मार्कशीट प्रस्तुत की थी, वह पुलिस दस्तावेज सत्यापन के दौरान संदिग्ध पाई गई। सत्यापन के लिए जब दस्तावेज मूल बोर्ड को भेजे गए, तो राज्य ओपन स्कूल ने उसे फर्जी घोषित कर दिया। इस खुलासे के बाद तत्कालीन सेनानी, सातवीं वाहिनी एसएएफ, आशुतोष प्रताप सिंह ने 29 सितंबर 2017 को पुलिस अधीक्षक (दक्षिण), भोपाल को लिखित शिकायत दी। थाना जहांगीराबाद ने 14 जनवरी 2018 को आरोपी के खिलाफ (IPC) की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज़ का प्रयोग) के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की और विवेचना पूर्ण कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्यों को प्रस्तुत किया, जिन्हें अदालत ने विश्वसनीय माना और दोष सिद्ध किया।