इंदौर के लालबाग पैलेस में 150 साल पुराना बाथ टब:राजा का साढ़े छह फीट लंबा डबल बेड; पढ़िए महल के भूतिया होने का क्या है सच

इंदौर के लालबाग पैलेस की दीवारों पर बनी पेंटिंग को देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि यह दशकों पुरानी है। इनकी चमक आज भी कम नहीं हुई है। भारत में पहली बार पीओपी का इस्तेमाल भी इसी महल में किया गया था। होलकर राजाओं के बेडरूम और बाथरुम की खासियतें चौंका देने वाली है। तुकाजीराव होलकर द्वितीय ने 1844 में इसे बनवाना शुरू किया। उनके बेटे शिवाजीराव होलकर ने 1886 से 1903 तक इसका निर्माण कराया। इसके बाद तुकाजीराव होलकर तृतीय ने 1903 से 1926 तक इसके अलग-अलग हिस्सों में काम कराते रहे। 150 साल पुरानी इस इमारत की खासियतों का आज जिक्र इसलिए क्योंकि पैलेस का मेन गेट विरासत होने जा रहा है। यहां सेल्फी पॉइंट और गार्डन बनाए जाएंगे। 47 करोड़ रुपए की लागत से गार्डन, बाउंड्रीवॉल भी बनाने की तैयारी है। मेन एंट्रेंस केसरबाग की ओर मोड़ दिया जाएगा। शासन को प्रपोजल दिया जा चुका है, मंजूरी मिलना बाकी है। बुधवार को हमने महल के नीचे बने तलघर और खुफिया रास्तों के बारे में बताया था। दूसरी कड़ी में आज पैलेस की अनदेखी तस्वीरों और उनकी खासियतों से रूबरू कराएंगे। साथ ही इसके भूतहा होने में कितना सच है, यह भी बताएंगे। सबसे पहले देखिए फर्स्ट फ्लोर पर बना यह बेडरूम बिना पंखे हर वक्त हवा, बनी रहती है ठंडक सरस्वती नदी के किनारे उत्तर-दक्षिण दिशा में बने इस महल के बाहर काफी खुला एरिया है। महल में हर कमरे में चारों तरफ फ्रेंच और इंडियन स्टाइल विंडो हैं। यूरोपियन शैली में बने भव्य महल के किसी भी कोने में गर्मी नहीं लगती। पूरे पैलेस के किसी भी कमरे में सीलिंग फैन के लिए इलेक्ट्रिक पॉइंट नहीं छोड़े गए थे। न ही कभी पंखे लगवाए गए। इसके बाद भी यहां हर वक्त हवा आती है और ठंडक बनी रहती है। भव्य झूमर, झाड़ फानूस, आलीशान कालीन भी आज तक वैसे ही चमक रहे हैं। इसके निर्माण में रोमन शैली, पेरिस के राजमहलों वाली सजावट, बेल्जियम की कांच कला, कसारा संगमरमर के कॉलम शामिल किए गए। इस महल में वे सुविधाएं थीं जिनकी उस समय दुनिया में किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। यहां का फर्नीचर भी आलीशान है। वेस्टर्न स्टाइल डाइनिंग हॉल में 100 लोग खाना खा सकते थे। यह भी बताया जाता है कि लालबाग पैलेस होलकरों का पार्टी डेस्टिनेशन था। इसलिए डांस फ्लोर भी बनाया गया था। अब 9 तस्वीरों में देखिए, महल की खासियत... लालबाग में भूत... सालों यहां काम किया, कभी डर नहीं लगा लालबाग पैलेस में भूतों को लेकर कई बातें सामने आई थी। लेकिन, पुरातत्व विभाग के उप संचालक प्रकाश परांजपे ने इन्हें अफवाह बताया। कहा- ऐसे पड़ा लालबाग नाम तुकोजीराव द्वितीय ने इस महल के निर्माण के पहले यह लोकेशन देखी थी। तब महल के बाईं ओर सरस्वती नदी बहा करती थी। इसका उल्लेख तुकोजीराव द्वितीय के प्रधानमंत्री बक्षी खुमानसिंह की डायरी में मिलता है। महल के बाग में 400 प्रजातियों के गुलाब लगाए गए थे। नेशनल रोज सोसायटी लंदन द्वारा तैयार की गई गुलाब की 68 प्रजातियां भी यहां थी। गुलाब की लालिमा से ही इसका नाम लालबाग रखा गया। यहां हो चुकी है इन मूवी की शूटिंग 1950 में फिल्म ‘आन’ की शूटिंग दिलीप कुमार यहां कर चुके हैं। सनी देओल की ‘सिंह साब दि ग्रेट’ और 2018 में मल्टी स्टारर फिल्म ‘कलंक’ भी यहां शूट हो चुकी है। वेब सीरिज ‘चार्जशीट मर्डर’ और टीवी शो ‘सुन यार ट्राय मार’ भी लालबाग में ही शूट हुआ था। अगस्त में दक्षिण भारत की हॉरर मूवी की शूटिंग पूरी हुई। ड्रोन–प्रीवेडिंग शूट भी होने लगे यह महल सोमवार और सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। भारतीयों के लिए एंट्री फीस 20 रुपए और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एंट्री फीस 400 रुपए है। बाहर से फोटो खींचने के लिए 270 रुपए और वीडियो शूट करने के लिए 420 रुपए चार्ज देना होगा। अब यहां प्रीवेडिंग शूट भी होने लगे हैं। यहां मूवी शूट के लिए 75 हजार रुपए, टेली फिल्म और ड्रोन शूटिंग के लिए के लिए 25 हजार और वेडिंग शूट के लिए 5 हजार रुपए प्रतिदिन का चार्ज लिया जाता है। कैसे पहुंचें लाल बाग पैलेस इंदौर के रेलवे स्टेशन और सरवटे बस स्टैंड से 4 किमी दूर है। देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट से पैलेस की दूरी 7 किमी है। यहां से टैक्सी करके पैलेस तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह खबर भी पढ़ें... 150 साल बाद बंद होंगे लालबाग पैलेस के मेन गेट पैलेस का मेन गेट इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तरह बनाया गया था। कास्ट आयरन (कच्चा लोहा) से बनाए गए इस भारी भरकम गेट को जहाज के रास्ते मुंबई लाया गया और वहां से सड़क मार्ग से यह इंदौर लाया गया था। दुनिया में ऐसे दो ही गेट हैं। एक इंदौर, दूसरा बकिंघम पैलेस, लंदन में है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

इंदौर के लालबाग पैलेस में 150 साल पुराना बाथ टब:राजा का साढ़े छह फीट लंबा डबल बेड; पढ़िए महल के भूतिया होने का क्या है सच
इंदौर के लालबाग पैलेस की दीवारों पर बनी पेंटिंग को देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि यह दशकों पुरानी है। इनकी चमक आज भी कम नहीं हुई है। भारत में पहली बार पीओपी का इस्तेमाल भी इसी महल में किया गया था। होलकर राजाओं के बेडरूम और बाथरुम की खासियतें चौंका देने वाली है। तुकाजीराव होलकर द्वितीय ने 1844 में इसे बनवाना शुरू किया। उनके बेटे शिवाजीराव होलकर ने 1886 से 1903 तक इसका निर्माण कराया। इसके बाद तुकाजीराव होलकर तृतीय ने 1903 से 1926 तक इसके अलग-अलग हिस्सों में काम कराते रहे। 150 साल पुरानी इस इमारत की खासियतों का आज जिक्र इसलिए क्योंकि पैलेस का मेन गेट विरासत होने जा रहा है। यहां सेल्फी पॉइंट और गार्डन बनाए जाएंगे। 47 करोड़ रुपए की लागत से गार्डन, बाउंड्रीवॉल भी बनाने की तैयारी है। मेन एंट्रेंस केसरबाग की ओर मोड़ दिया जाएगा। शासन को प्रपोजल दिया जा चुका है, मंजूरी मिलना बाकी है। बुधवार को हमने महल के नीचे बने तलघर और खुफिया रास्तों के बारे में बताया था। दूसरी कड़ी में आज पैलेस की अनदेखी तस्वीरों और उनकी खासियतों से रूबरू कराएंगे। साथ ही इसके भूतहा होने में कितना सच है, यह भी बताएंगे। सबसे पहले देखिए फर्स्ट फ्लोर पर बना यह बेडरूम बिना पंखे हर वक्त हवा, बनी रहती है ठंडक सरस्वती नदी के किनारे उत्तर-दक्षिण दिशा में बने इस महल के बाहर काफी खुला एरिया है। महल में हर कमरे में चारों तरफ फ्रेंच और इंडियन स्टाइल विंडो हैं। यूरोपियन शैली में बने भव्य महल के किसी भी कोने में गर्मी नहीं लगती। पूरे पैलेस के किसी भी कमरे में सीलिंग फैन के लिए इलेक्ट्रिक पॉइंट नहीं छोड़े गए थे। न ही कभी पंखे लगवाए गए। इसके बाद भी यहां हर वक्त हवा आती है और ठंडक बनी रहती है। भव्य झूमर, झाड़ फानूस, आलीशान कालीन भी आज तक वैसे ही चमक रहे हैं। इसके निर्माण में रोमन शैली, पेरिस के राजमहलों वाली सजावट, बेल्जियम की कांच कला, कसारा संगमरमर के कॉलम शामिल किए गए। इस महल में वे सुविधाएं थीं जिनकी उस समय दुनिया में किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। यहां का फर्नीचर भी आलीशान है। वेस्टर्न स्टाइल डाइनिंग हॉल में 100 लोग खाना खा सकते थे। यह भी बताया जाता है कि लालबाग पैलेस होलकरों का पार्टी डेस्टिनेशन था। इसलिए डांस फ्लोर भी बनाया गया था। अब 9 तस्वीरों में देखिए, महल की खासियत... लालबाग में भूत... सालों यहां काम किया, कभी डर नहीं लगा लालबाग पैलेस में भूतों को लेकर कई बातें सामने आई थी। लेकिन, पुरातत्व विभाग के उप संचालक प्रकाश परांजपे ने इन्हें अफवाह बताया। कहा- ऐसे पड़ा लालबाग नाम तुकोजीराव द्वितीय ने इस महल के निर्माण के पहले यह लोकेशन देखी थी। तब महल के बाईं ओर सरस्वती नदी बहा करती थी। इसका उल्लेख तुकोजीराव द्वितीय के प्रधानमंत्री बक्षी खुमानसिंह की डायरी में मिलता है। महल के बाग में 400 प्रजातियों के गुलाब लगाए गए थे। नेशनल रोज सोसायटी लंदन द्वारा तैयार की गई गुलाब की 68 प्रजातियां भी यहां थी। गुलाब की लालिमा से ही इसका नाम लालबाग रखा गया। यहां हो चुकी है इन मूवी की शूटिंग 1950 में फिल्म ‘आन’ की शूटिंग दिलीप कुमार यहां कर चुके हैं। सनी देओल की ‘सिंह साब दि ग्रेट’ और 2018 में मल्टी स्टारर फिल्म ‘कलंक’ भी यहां शूट हो चुकी है। वेब सीरिज ‘चार्जशीट मर्डर’ और टीवी शो ‘सुन यार ट्राय मार’ भी लालबाग में ही शूट हुआ था। अगस्त में दक्षिण भारत की हॉरर मूवी की शूटिंग पूरी हुई। ड्रोन–प्रीवेडिंग शूट भी होने लगे यह महल सोमवार और सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। भारतीयों के लिए एंट्री फीस 20 रुपए और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एंट्री फीस 400 रुपए है। बाहर से फोटो खींचने के लिए 270 रुपए और वीडियो शूट करने के लिए 420 रुपए चार्ज देना होगा। अब यहां प्रीवेडिंग शूट भी होने लगे हैं। यहां मूवी शूट के लिए 75 हजार रुपए, टेली फिल्म और ड्रोन शूटिंग के लिए के लिए 25 हजार और वेडिंग शूट के लिए 5 हजार रुपए प्रतिदिन का चार्ज लिया जाता है। कैसे पहुंचें लाल बाग पैलेस इंदौर के रेलवे स्टेशन और सरवटे बस स्टैंड से 4 किमी दूर है। देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट से पैलेस की दूरी 7 किमी है। यहां से टैक्सी करके पैलेस तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह खबर भी पढ़ें... 150 साल बाद बंद होंगे लालबाग पैलेस के मेन गेट पैलेस का मेन गेट इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तरह बनाया गया था। कास्ट आयरन (कच्चा लोहा) से बनाए गए इस भारी भरकम गेट को जहाज के रास्ते मुंबई लाया गया और वहां से सड़क मार्ग से यह इंदौर लाया गया था। दुनिया में ऐसे दो ही गेट हैं। एक इंदौर, दूसरा बकिंघम पैलेस, लंदन में है। पूरी खबर यहां पढ़ें...