डिंडौरी में दोनों हाथों से दिव्यांग छात्रा पैर से लिखती:64% अंक लाने वाली सुगंती बनना चाहती है अफसर; माता-पिता मजदूरी कर पढ़ा रहे
डिंडौरी में दोनों हाथों से दिव्यांग छात्रा पैर से लिखती:64% अंक लाने वाली सुगंती बनना चाहती है अफसर; माता-पिता मजदूरी कर पढ़ा रहे
जमीन पर ठीक से बैठ नहीं पाती, जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग है। रोजाना 10 किलोमीटर की दूरी तय कर बस और ऑटो में बैठकर स्कूल पढ़ने जाती है। अपने पैर से लिखती है, दिव्यांगता भी पढ़ाई में बाधा नहीं बन पा रही है। पिता ट्रैक्टर चलाकर और मां मजदूरी करके शिक्षा दिला रहे हैं। यह कहानी शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल गाड़ासरई में पढ़ने वाली कक्षा 11वीं की छात्रा सुगंती आयाम की है। पिता ट्रैक्टर चलाकर बेटी को पढ़ा रहा दरअसल, सुंगती आयाम पुत्री सरजू आयाम निवासी सुनियामार गांव जो जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग है। जिस वजह से पैर से लिखती है। रोज 10 किलोमीटर की दूरी तय कर शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल गाड़ासरई में बड़े लगन के साथ पढ़ाई करने जाती है। पिता और मात दोनों बेटी सरजू को पढ़ाने मजदूरी करते हैं। पिता जहां ट्रैक्टर चलाता है, तो वहीं मां दिहाड़ी मजदूरी करती है। बेटी सुगंती ने 10वीं कक्षा में 64 फीसदी अंक प्राप्त किए थे। जबकि वह अब 11वीं कक्षा में कला संकाय में पढ़ती है। पढ़ाई में सहेलियों का मदद रहता है सुंगती की सहेलियों स्कूल में उसकी मदद करती हैं, तो घर उनके परिजन पढ़ाई के लिए हमेशा ध्यान देते हैं। माता-पिता अपने बेटी सुंगती की शिक्षा को हमेशा से प्राथमिकता देते हैं। सरकार की ओर से पढ़ाई के लिए प्रति माह 600 रुपए भी दिए जा रहे हैं। सुंगती का सपना है कि पढ़ लिखकर नौकरी हासिल करे, अपने माता-पिता का सहारा बने। इधर, मां भारती कहती हैं, कि बेटी की पढ़ाई में पूरा परिवार सहयोग करता है। सुगंती की कहानी साबित करती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार के समर्थन से कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। इस वजह से मैं भी पढ़ लिखकर अफसर बनना चाहती हूं।
जमीन पर ठीक से बैठ नहीं पाती, जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग है। रोजाना 10 किलोमीटर की दूरी तय कर बस और ऑटो में बैठकर स्कूल पढ़ने जाती है। अपने पैर से लिखती है, दिव्यांगता भी पढ़ाई में बाधा नहीं बन पा रही है। पिता ट्रैक्टर चलाकर और मां मजदूरी करके शिक्षा दिला रहे हैं। यह कहानी शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल गाड़ासरई में पढ़ने वाली कक्षा 11वीं की छात्रा सुगंती आयाम की है। पिता ट्रैक्टर चलाकर बेटी को पढ़ा रहा दरअसल, सुंगती आयाम पुत्री सरजू आयाम निवासी सुनियामार गांव जो जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग है। जिस वजह से पैर से लिखती है। रोज 10 किलोमीटर की दूरी तय कर शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल गाड़ासरई में बड़े लगन के साथ पढ़ाई करने जाती है। पिता और मात दोनों बेटी सरजू को पढ़ाने मजदूरी करते हैं। पिता जहां ट्रैक्टर चलाता है, तो वहीं मां दिहाड़ी मजदूरी करती है। बेटी सुगंती ने 10वीं कक्षा में 64 फीसदी अंक प्राप्त किए थे। जबकि वह अब 11वीं कक्षा में कला संकाय में पढ़ती है। पढ़ाई में सहेलियों का मदद रहता है सुंगती की सहेलियों स्कूल में उसकी मदद करती हैं, तो घर उनके परिजन पढ़ाई के लिए हमेशा ध्यान देते हैं। माता-पिता अपने बेटी सुंगती की शिक्षा को हमेशा से प्राथमिकता देते हैं। सरकार की ओर से पढ़ाई के लिए प्रति माह 600 रुपए भी दिए जा रहे हैं। सुंगती का सपना है कि पढ़ लिखकर नौकरी हासिल करे, अपने माता-पिता का सहारा बने। इधर, मां भारती कहती हैं, कि बेटी की पढ़ाई में पूरा परिवार सहयोग करता है। सुगंती की कहानी साबित करती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार के समर्थन से कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। इस वजह से मैं भी पढ़ लिखकर अफसर बनना चाहती हूं।