नए पार्षदों को पसंद नहीं आ रहा पुराना काम:निगम चुनाव के पहले 20 करोड़ के काम कराए, अब उन्हीं गलियों को तोड़ रहे, कहीं पाइपलाइन बिछा रहे तो कहीं नलों के लिए खुदाई
नए पार्षदों को पसंद नहीं आ रहा पुराना काम:निगम चुनाव के पहले 20 करोड़ के काम कराए, अब उन्हीं गलियों को तोड़ रहे, कहीं पाइपलाइन बिछा रहे तो कहीं नलों के लिए खुदाई
राजधानी नगर निगम चुनाव के पहले आनन-फानन में 20 करोड़ से ज्यादा के सिविल वर्क कराए गए। इसमें खासतौर पर वार्डों के अंदर की गलियों, सड़कों और नालियों को बनाया गया। लेकिन करीब छह महीने बाद ही इन्हें फिर से तोड़ा जा रहा है। शहर में अभी करीब दो दर्जन वार्डों के अंदर किसी न किसी कारणों से खुदाई की जा रही है। कहीं पाइपलाइन बिछाने के लिए सड़क खोदी गई है तो कहीं नालियां गलत बन गई हैं कहकर उन्हें तोड़ा जा रहा है। अभी गर्मी में नए नल लगाने के लिए भी जमकर खुदाई की जा रही है। नए पार्षदों को पुराना काम पसंद ही नहीं आ रहा है। इस पूरे मामले में सभी 10 जोन के अफसर भी खामोश हैं। वे कुछ कारण बताकर काम करने से इंकार भी करते हैं तो उनके पास ऊपर से फोन आ जाता है। पार्षद के अनुसार ही काम किया जाए। इसलिए अब अफसर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। निगम के 70 पार्षदों में करीब दो तिहाई पार्षद पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। इतना ही नहीं ऐसा पहली बार हुआ है जब शहर के 10 जोन में 9 में पहली बार चुनाव जीतकर आए पार्षद अध्यक्ष बने हैं। इस वजह से अपने लोगों और समर्थकों के अनुसार वार्डों में काम कराना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि पुराने काम कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए थे, इसलिए उन्हें अब सुधारा जा रहा है। पुराने वार्ड नंबरों से उलझे
नए पार्षद अपने वार्ड की जरूरतों के अनुसार टेंडर जारी करवा रहे हैं। 20 लाख तक के कामों के लिए जोन दफ्तरों से ही टेंडर जारी हो जाते हैं। इस वजह से हर जोन से काम जारी हो रहे हैं। इसके अलावा पुराने काम जिन्हें मंजूरी मिल गई थी, लेकिन चुनावी आचार संहिता की वजह से उनका टेंडर जारी नहीं किया गया था वो भी सारे काम अब जारी हो रहे हैं। इन कामों में वार्डों के नंबर पुराने रखे गए हैं। यानी परिसीमन के पहले वार्डों के जो नंबर थे उन्हीं के आधार पर टेंडर जारी हो रहे हैं। इससे पार्षद और ठेकेदार भी कंफ्यूज हो रहे हैं। वैध-अवैध नलों के लिए खुदाई
गर्मी शुरू होते ही कई वार्डों में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। ऐसे में अभी अधिकतर जगहों पर लोगों के घरों में वैध-अवैध नल लगाए जा रहे हैं। ये सारे काम पार्षदों की सहमति से ही हो रहे हैं। पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं उनके घरों में जाकर लोग पानी की समस्या बता रहे हैं। इस वजह से पार्षद भी निगम ठेकेदारों से कहकर उनके घरों में नल लगवाने के साथ ही बस्तियों में बोर करवा रहे हैं। उनका कहना है कि पानी की समस्या बड़ी होती है ऐसे में लोगों को राहत दिलाने वाले काम तो कराने ही होंगे। वैध-अवैध नलों के लिए खुदाई
गर्मी शुरू होते ही कई वार्डों में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। ऐसे में अभी अधिकतर जगहों पर लोगों के घरों में वैध-अवैध नल लगाए जा रहे हैं। ये सारे काम पार्षदों की सहमति से ही हो रहे हैं। पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं उनके घरों में जाकर लोग पानी की समस्या बता रहे हैं। इस वजह से पार्षद भी निगम ठेकेदारों से कहकर उनके घरों में नल लगवाने के साथ ही बस्तियों में बोर करवा रहे हैं। उनका कहना है कि पानी की समस्या बड़ी होती है ऐसे में लोगों को राहत दिलाने वाले काम तो कराने ही होंगे। यह सही है कि इस बार बड़ी संख्या में नए चेहरे चुनाव जीते हैं। पुराने कार्यकाल में जो गलत निर्माण हुए होंगे उसे ही सही करा रहे होंगे। अफसरों से कहा जाएगा कि जहां जरूरत हो वहीं निर्माण हो। बेवजह तोड़फोड़ और खुदाई न की जाए।
- मीनल चौबे, महापौर रायपुर
राजधानी नगर निगम चुनाव के पहले आनन-फानन में 20 करोड़ से ज्यादा के सिविल वर्क कराए गए। इसमें खासतौर पर वार्डों के अंदर की गलियों, सड़कों और नालियों को बनाया गया। लेकिन करीब छह महीने बाद ही इन्हें फिर से तोड़ा जा रहा है। शहर में अभी करीब दो दर्जन वार्डों के अंदर किसी न किसी कारणों से खुदाई की जा रही है। कहीं पाइपलाइन बिछाने के लिए सड़क खोदी गई है तो कहीं नालियां गलत बन गई हैं कहकर उन्हें तोड़ा जा रहा है। अभी गर्मी में नए नल लगाने के लिए भी जमकर खुदाई की जा रही है। नए पार्षदों को पुराना काम पसंद ही नहीं आ रहा है। इस पूरे मामले में सभी 10 जोन के अफसर भी खामोश हैं। वे कुछ कारण बताकर काम करने से इंकार भी करते हैं तो उनके पास ऊपर से फोन आ जाता है। पार्षद के अनुसार ही काम किया जाए। इसलिए अब अफसर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। निगम के 70 पार्षदों में करीब दो तिहाई पार्षद पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। इतना ही नहीं ऐसा पहली बार हुआ है जब शहर के 10 जोन में 9 में पहली बार चुनाव जीतकर आए पार्षद अध्यक्ष बने हैं। इस वजह से अपने लोगों और समर्थकों के अनुसार वार्डों में काम कराना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि पुराने काम कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए थे, इसलिए उन्हें अब सुधारा जा रहा है। पुराने वार्ड नंबरों से उलझे
नए पार्षद अपने वार्ड की जरूरतों के अनुसार टेंडर जारी करवा रहे हैं। 20 लाख तक के कामों के लिए जोन दफ्तरों से ही टेंडर जारी हो जाते हैं। इस वजह से हर जोन से काम जारी हो रहे हैं। इसके अलावा पुराने काम जिन्हें मंजूरी मिल गई थी, लेकिन चुनावी आचार संहिता की वजह से उनका टेंडर जारी नहीं किया गया था वो भी सारे काम अब जारी हो रहे हैं। इन कामों में वार्डों के नंबर पुराने रखे गए हैं। यानी परिसीमन के पहले वार्डों के जो नंबर थे उन्हीं के आधार पर टेंडर जारी हो रहे हैं। इससे पार्षद और ठेकेदार भी कंफ्यूज हो रहे हैं। वैध-अवैध नलों के लिए खुदाई
गर्मी शुरू होते ही कई वार्डों में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। ऐसे में अभी अधिकतर जगहों पर लोगों के घरों में वैध-अवैध नल लगाए जा रहे हैं। ये सारे काम पार्षदों की सहमति से ही हो रहे हैं। पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं उनके घरों में जाकर लोग पानी की समस्या बता रहे हैं। इस वजह से पार्षद भी निगम ठेकेदारों से कहकर उनके घरों में नल लगवाने के साथ ही बस्तियों में बोर करवा रहे हैं। उनका कहना है कि पानी की समस्या बड़ी होती है ऐसे में लोगों को राहत दिलाने वाले काम तो कराने ही होंगे। वैध-अवैध नलों के लिए खुदाई
गर्मी शुरू होते ही कई वार्डों में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। ऐसे में अभी अधिकतर जगहों पर लोगों के घरों में वैध-अवैध नल लगाए जा रहे हैं। ये सारे काम पार्षदों की सहमति से ही हो रहे हैं। पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं उनके घरों में जाकर लोग पानी की समस्या बता रहे हैं। इस वजह से पार्षद भी निगम ठेकेदारों से कहकर उनके घरों में नल लगवाने के साथ ही बस्तियों में बोर करवा रहे हैं। उनका कहना है कि पानी की समस्या बड़ी होती है ऐसे में लोगों को राहत दिलाने वाले काम तो कराने ही होंगे। यह सही है कि इस बार बड़ी संख्या में नए चेहरे चुनाव जीते हैं। पुराने कार्यकाल में जो गलत निर्माण हुए होंगे उसे ही सही करा रहे होंगे। अफसरों से कहा जाएगा कि जहां जरूरत हो वहीं निर्माण हो। बेवजह तोड़फोड़ और खुदाई न की जाए।
- मीनल चौबे, महापौर रायपुर