कागजी घोड़े दौड़ा रहा प्राधिकरण:जीडीए के प्रोजेक्ट... 4 में से सिर्फ 1 टाउनशिप पास शताब्दीपुरम में सुविधाएं नहीं, मॉल में दुकानें खाली
कागजी घोड़े दौड़ा रहा प्राधिकरण:जीडीए के प्रोजेक्ट... 4 में से सिर्फ 1 टाउनशिप पास शताब्दीपुरम में सुविधाएं नहीं, मॉल में दुकानें खाली
हाउसिंग, कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने और लोगों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने का जिम्मा संभालने वाला ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारी पिछले कई वर्षों से सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने में लगे हैं। स्थिति ये है कि प्राधिकरण के कई प्रोजेक्ट या तो शुरू नहीं हो पा रहे या फिर पूरे नहीं हो पा रहे। मास्टर प्लान में प्रस्तावित सड़कों को तैयार कर हाउसिंग-कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने के मामले में पिछले कई वर्ष से सिर्फ फाइल ही घूम रही है। प्राधिकरण के अधिकारियों के इस ढुलमुल रवैए का खामियाजा खुद को तो राजस्व कमी के तौर पर झेलना पड़ ही रहा है। इसके अलावा जरुरतमंद लोगों को रियायती दरों वाले प्लॉट या आवास भी नहीं मिल पा रहे। साथ ही व्यवस्थित ढंग से प्रोजेक्ट तैयार नहीं हो रहे, लोगों को निजी कॉलोनाइजरों से महंगे दामों में प्रॉपर्टी लेनी पड़ रही है। टाउनशिप:4 में से सिर्फ 1 की अनुमति मास्टर प्लान में टाउनशिप के 4 प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। टीडीएस-2 में ललियापुरा अंडरपास से ब्लू लोटस कॉलोनी, टीडीएस-4 में एयरपोर्ट से पुरानी छावनी साडा गेट तक, टीडीएस-5 में सिरोल तिराहे से झांसी बायपास, टीडीएस-6 में भाटखेड़ी से रमौआ प्रोजेक्ट हैं। इनमें से टीडीएस-4 की अनुमति शासन से जीडीए को मिली है, लेकिन 391.86 करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर काम बहुत धीमा है। जिससे एयरपोर्ट से पुरानी छावनी तक 21 गांव का क्षेत्र शहरी विकास होने में काफी समय लगेगा। शताब्दीपुरम: फेज-4 में आवंटन नहीं जीडए की सबसे बड़ी हाउसिंग-कमर्शियल कॉलोनी शताब्दीपुरम के 3 फेस में करीब 14 हजार प्लॉट-मकान बेचे हैं, लेकिन यहां पानी-सीवर लाइन से लेकर बिजली और सड़क तक की परेशानी बनी हुई है। इन सड़कों में 1 से 3 फीट तक गहरे गड्डे हो चुके हैं। प्राधिकरण के अधिकारी लगातार दावे के बाद भी चौथे फेज में आवंटन शुरू नहीं कर पाए हैं। शताब्दीपुरम फेज-4 में करीब 5 हजार प्लॉट बेचे जाएंगे। यहां सड़क का काम नहीं हो सका है। इसकी प्रक्रिया लंबित होती जा रही है। पुरानी योजनाओं का हाल रेरा ने जताई काम पर आपत्ति भास्कर एक्सपर्ट -वीके शर्मा, रिटायर्ड ज्वाइंट डायरेक्टर/ टीएंडसीपी जीडीए बदले कार्यशैली तभी उसके काम दिखेंगे जीडीए को कार्यशैली में बदलाव की जरुरत है। प्राधिकरण को स्थाई तोर पर कंसलटेंट कंपनियां लेनी चाहिए। ताकि, उनके प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हो। साथ ही ऐसी मॉनिटरिंग टीम हो, जो समय पर काम पूरा कराए। प्राधिकरण में स्टाफ की कमी है। शासन स्तर से स्टाफ की भरपाई कराई जानी जरुरी है। जमीन आवंटन के कारण अब तक हो रहे हैं परेशान
मुझसे पहले के कार्यकाल में प्राधिकरण को जमीनों को लेने और आवंटन के मामले में लेटलतीफी के कारण परेशानी आ रही है। जिन्हें दूर किया जा रहा है।
-नरोत्तम भार्गव, सीईओ/ जीडीए
हाउसिंग, कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने और लोगों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने का जिम्मा संभालने वाला ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारी पिछले कई वर्षों से सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने में लगे हैं। स्थिति ये है कि प्राधिकरण के कई प्रोजेक्ट या तो शुरू नहीं हो पा रहे या फिर पूरे नहीं हो पा रहे। मास्टर प्लान में प्रस्तावित सड़कों को तैयार कर हाउसिंग-कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने के मामले में पिछले कई वर्ष से सिर्फ फाइल ही घूम रही है। प्राधिकरण के अधिकारियों के इस ढुलमुल रवैए का खामियाजा खुद को तो राजस्व कमी के तौर पर झेलना पड़ ही रहा है। इसके अलावा जरुरतमंद लोगों को रियायती दरों वाले प्लॉट या आवास भी नहीं मिल पा रहे। साथ ही व्यवस्थित ढंग से प्रोजेक्ट तैयार नहीं हो रहे, लोगों को निजी कॉलोनाइजरों से महंगे दामों में प्रॉपर्टी लेनी पड़ रही है। टाउनशिप:4 में से सिर्फ 1 की अनुमति मास्टर प्लान में टाउनशिप के 4 प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। टीडीएस-2 में ललियापुरा अंडरपास से ब्लू लोटस कॉलोनी, टीडीएस-4 में एयरपोर्ट से पुरानी छावनी साडा गेट तक, टीडीएस-5 में सिरोल तिराहे से झांसी बायपास, टीडीएस-6 में भाटखेड़ी से रमौआ प्रोजेक्ट हैं। इनमें से टीडीएस-4 की अनुमति शासन से जीडीए को मिली है, लेकिन 391.86 करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर काम बहुत धीमा है। जिससे एयरपोर्ट से पुरानी छावनी तक 21 गांव का क्षेत्र शहरी विकास होने में काफी समय लगेगा। शताब्दीपुरम: फेज-4 में आवंटन नहीं जीडए की सबसे बड़ी हाउसिंग-कमर्शियल कॉलोनी शताब्दीपुरम के 3 फेस में करीब 14 हजार प्लॉट-मकान बेचे हैं, लेकिन यहां पानी-सीवर लाइन से लेकर बिजली और सड़क तक की परेशानी बनी हुई है। इन सड़कों में 1 से 3 फीट तक गहरे गड्डे हो चुके हैं। प्राधिकरण के अधिकारी लगातार दावे के बाद भी चौथे फेज में आवंटन शुरू नहीं कर पाए हैं। शताब्दीपुरम फेज-4 में करीब 5 हजार प्लॉट बेचे जाएंगे। यहां सड़क का काम नहीं हो सका है। इसकी प्रक्रिया लंबित होती जा रही है। पुरानी योजनाओं का हाल रेरा ने जताई काम पर आपत्ति भास्कर एक्सपर्ट -वीके शर्मा, रिटायर्ड ज्वाइंट डायरेक्टर/ टीएंडसीपी जीडीए बदले कार्यशैली तभी उसके काम दिखेंगे जीडीए को कार्यशैली में बदलाव की जरुरत है। प्राधिकरण को स्थाई तोर पर कंसलटेंट कंपनियां लेनी चाहिए। ताकि, उनके प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हो। साथ ही ऐसी मॉनिटरिंग टीम हो, जो समय पर काम पूरा कराए। प्राधिकरण में स्टाफ की कमी है। शासन स्तर से स्टाफ की भरपाई कराई जानी जरुरी है। जमीन आवंटन के कारण अब तक हो रहे हैं परेशान
मुझसे पहले के कार्यकाल में प्राधिकरण को जमीनों को लेने और आवंटन के मामले में लेटलतीफी के कारण परेशानी आ रही है। जिन्हें दूर किया जा रहा है।
-नरोत्तम भार्गव, सीईओ/ जीडीए