दिल्ली में विकास , विजन और मोदी पर विश्वास की विजय अथ दिल्ली विधानसभा निर्वाचन कथा

दिल्ली में विकास , विजन और मोदी पर विश्वास की विजय   अथ दिल्ली विधानसभा निर्वाचन कथा

( मनोज द्विवेदी, अनूपपुर- मध्यप्रदेश )

8 फरवरी 2025 दिन शनिवार का दिन दिल्ली विधानसभा निर्वाचन 2025 के परिणाम की दृष्टि से ऐतिहासिक कहा जा सकता है। अन्ना आन्दोलन की गर्भ से उत्पन्न हुई केजरीवाल सरकार का पतन हो गया। पतन भी ऐसा कि लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहे अरविन्द केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक चुनाव हार गये। दिल्ली की प्रबुद्ध जनता ने निर्णायक परिणाम दे कर बतला दिया कि उसकी उम्मीदें केजरीवाल सरकार से टूट चुकी हैं। यह चुनाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कई मोर्चों पर लड़ा जा रहा था। जिस पर आगे चर्चा होगी। जेल से जमानत पर बाहर आए अरविन्द केजरीवाल किस उम्मीद पर मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना से ऊपर स्वयं को अगला मुख्यमंत्री बतलाते रहे ( वो भी तब जबकि न्यायालय ने उन्हे कार्यालय जाने और नीतिगत विषयों , शराब घोटाले में दखल ना देने की पाबंदी लगा रखी है ) , जनता समझ नहीं सकी। भ्रष्टाचार और अनैतिक मुख्यमंत्री होने का आरोप झेलते केजरीवाल उस भाजपा से मुख्यमंत्री का चेहरा पूछते रहे , जो उसे भ्रष्टाचार , शीशमहल और यमुना प्रदूषण पर लगातार घेर रही थी। जेल से निकलने के बाद से ही केजरीवाल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते रहे। इण्डी गठबंधन में प्रधान चेहरा बनने की राहुल गांधी से होड़ के चक्कर में उन्होंने दिल्ली चुनाव को मोदी बनाम केजरीवाल बनाने की कोशिश की। राहुल कांग्रेस ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी की गतिविधि का पूरा बदला लेते हुए दिल्ली की सभी विधानसभाओं में प्रत्याशी उतारकर

केजरीवाल के पतन की गाथा लिख दी।

*बहानेबाजी और आरोपों से नाराजगी --*

दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार की बहानेबाजी और आरोपों के तौर तरीकों से नाराज थी। जिस दिल्ली ने शीला दीक्षित सरकार से आजिज आ कर आम आदमी पार्टी पर भरोसा करते हुए दो - दो बार प्रचण्ड बहुमत प्रदान किया, वही केजरीवाल सरकार पेयजल आपूर्ति, प्रदूषण, यमुना की सफाई , रोजगार, चिकित्सा, बिजली बिल जैसे जमीनी मुद्दों पर विफल रही। शराब घोटाला , शीश महल जैसे मुद्दों ने जनता का आप से मोह भंग कर दिया। महीनों जेल में रहने वाले केजरीवाल, मनीष ,संजय , सत्येन्द्र की मुद्रा पूरे चुनाव में चोर मचाए शोर वाली रही । दस साल के काम गिनाने और आगे की योजनाओं पर फोकस करने की जगह आप के नेता पूरे समय मोदी और अमित शाह पर आक्रामक दिखे। दिल्ली की जनता ने कोविड के समय शीश महल बनते और आक्सीजन - दवाओं की जगह गली - गली शराब व्यवसाय को फलते - फूलते देखा। यह सब कट्टर ईमानदार केजरीवाल सरकार के दावों के विपरीत था।

 *विकास और मोदी विजन पर दिल्ली का विश्वास --*

कर्नाटक ,तेलंगाना में कांग्रेस और दिल्ली , पंजाब में आम आदमी पार्टी अपने चुनावी वायदों से पीछे हटती दिखी। अपनी सरकारों की विफलता का ठीकरा दोनो दल केन्द्र सरकार पर फोडती रही हैं। इसके कारण कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर साख का संकट बना हुआ है। जबकि प्रधानमंत्री ‌नरेन्द्र मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और फिर महाराष्ट्र की राज्य सरकारों ने घोषणाओं पर अमल करके सरकार पर जनता के विश्वास को मजबूत किया है। *मोदी जो कहता है ,वो जरुर करता है* , के नारे पर लोगो का भरोसा मजबूत हुआ है। भाजपा के राष्ट्र प्रथम और विकसित भारत के स्पष्ट विजन को दिल्ली की जनता ने भी स्वीकार किया। नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के मंत्रियों ने विकास के प्रति अपनी योजनाओं को दिल्ली के मतदाताओं के जेहन में बैठाने की सफल कोशिश की। मोदी सरकार के विकास , विजन और उन पर जनता के विश्वास ने दिल्ली में भाजपा की विजय सुनिश्चित की।

*आपस की लड़ाई से भाजपा को मलाई --*

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच की लड़ाई से भाजपा को सत्ता की मलाई मिल गयी। अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी का अहंकार क्रमश: आप और कांग्रेस दोनों पर भारी पड़ा है।

महा गठबंधन और फिर इण्डी गठबन्धन का हिस्सा होने के बावजूद आम आदमी पार्टी ने गोवा और फिर हरियाणा में कांग्रेस से अलग प्रत्याशी उतारे। जिसके चलते कांग्रेस की पराजय हुई। कांग्रेस का एक बडा तबका अकेले चुनाव लडने का हिमायती रहा है। गोवा - हरियाणा में आम आदमी पार्टी के रुख से नाराज दिल्ली में राहुल कांग्रेस आ़धे - अधूरे मन से दिल्ली चुनाव में उतरी। यदि उसके शीर्ष नेताओं ने ईमानदारी से पूरा जोर लगाया होता तो उसे कुछ सीटें अवश्य मिलतीं। सपा, टीएमसी, शिवसेना ( उद्धव) जैसे दलों ने कांग्रेस के विरुद्ध आम आदमी पार्टी का समर्थन किया। कांग्रेस यद्यपि एक भी सीट नहीं जीत सकी लेकिन उसने इतने वोट प्राप्त कर लिये जिसने केजरीवाल के पतन का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

*महिलाओं , मुस्लिमों और मध्यवर्ग का मोह भंग --*

महिला, मुस्लिम , दलित और मध्यम वर्ग में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की पकड़ रही है। अलग - अलग कारणों से इस वर्ग के मतदाताओं को केजरीवाल पिछले दस वर्षों से लुभाने मे सफल रहे हैं। झुग्गी झोपड़ी के गरीबों , महिलाओं, मुस्लिमों और मध्यम वर्ग के मतदाताओं में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई है। यमुना में गन्दगी के कारण इस क्षेत्र से लगी विधानसभा के मतदाताओं में आप के प्रति नाराजगी है। इन सबके चलते आम आदमी पार्टी के मंत्रियों ,विधायकों की पराजय हुई।

*मुख्यमंत्री चयन पर सबकी नजर --*

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के लिये प्रत्याशी का चेहरा उजागर नहीं किया था। यह उसकी सफल रणनीति थी‌ अब यह देखना होगा कि दिल्ली के लिये भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाती है। प्रवेश वर्मा ने अरविन्द केजरीवाल को हराया है‌ ‌ । उन्हे जायंट किलर कहा जा रहा है। दिल्ली का मुख्यमंत्री चुनते समय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, हरियाणा, राजस्थान को भी साधना चाहेगा। बहरहाल दिल्ली की नई सरकार के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं। जिन अपेक्षाओं के साथ मतदाताओं ‌ने ऐतिहासिक परिणाम दिये हैं, उसे उम्मीद है कि डबल इंजन की सरकार उन सब पर अवश्य खरा उतरेगी।