पति-पत्नी के झगड़े में ठेकेदार को सरपंची का ठेका:ठेकेदार बोला- सरपंच ने कहा था पति काम नहीं करते, पति बोला-पत्नी से अनबन थी
पति-पत्नी के झगड़े में ठेकेदार को सरपंची का ठेका:ठेकेदार बोला- सरपंच ने कहा था पति काम नहीं करते, पति बोला-पत्नी से अनबन थी
नीमच जिले में महिला सरपंच पर सरपंची ठेके पर देने का आरोप लगा है, जिसे ठेका देने की बात कही जा रही है वो पेशे से भी ठेकेदार है। भास्कर से बातचीत में उसने कहा कि महिला सरपंच कैलाशी बाई रिश्ते में उसकी बहन लगती है। उन्होंने ही उसे काम देखने को बोला था। सरपंच ने कहा था कि मेरे पति काम नहीं कर रहे हैं। आप काम करना। बस इतनी सी बात है। कैलाशी बाई और उसके पति दोनों से बात हुई थी। एग्रीमेंट झूठा है। मैंने कोई साइन नहीं किया। मेरे पिता 35 साल सरपंच रहे हैं। कोई पंचायत मोल बिकती है क्या? मामले में दैनिक भास्कर ने ठेकेदार सुरेश और सरपंच पति जगदीश दोनों से बात की। पति जगदीश ने एग्रीमेंट को विपक्ष की साजिश बताया। कहा कि पत्नी से अनबन थी। ठेकेदार सुरेश का घर आना-जाना है, इसलिए समझाने बुलाया था। तब पत्नी ने उसे काम देखने को बोला था। कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ है। सरपंची देने जैसी कोई बात नहीं हुई है। इस संबंध में किसी तरह की लिखा-पढ़ी नहीं की गई। आखिर क्या है सरपंची के ठेके वाले एग्रीमेंट की सच्चाई? कैसे इस मामले ने तूल पकड़ा और अब अफसर क्या कार्रवाई कर रहे हैं…? पढ़िए ये रिपोर्ट- पहले जान लीजिए मामला क्या है और एग्रीमेंट में क्या लिखा है? दरअसल, नीमच जिले की मनासा जनपद की ग्राम पंचायत दांता में कैलाशी बाई सरपंच हैं। आरोप है कि उन्होंने 500 रुपए के स्टाम्प पर गांव के ही सुरेश गरासिया को सरपंची सौंप दी। इस बारे में 24 जनवरी को एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट की कॉपी भी सोशल मीडिया पर सामने आई है। एग्रीमेंट में गवाह के रूप में गांव के सदाराम, मन्नालाल के साइन हैं। साथ ही सुरेश के साइन और सरपंच का सील-साइन है। एग्रीमेंट में लिखा-सरपंच के अधिकार ठेकेदार को सौंप रही
एग्रीमेंट में लिखा है कि महिला सरपंच अपने काम पूरे नहीं कर पा रही हैं, इसलिए सरपंच के अधिकार ठेकेदार सुरेश को सौंप रही हैं। ये देश में पहला मामला है जब संपत्ति की तरह सरपंची ट्रांसफर के कागजात सामने आए हैं। यही वजह है कि प्रदेशभर में इसकी चर्चा है। एग्रीमेंट में ये भी लिखा है कि सुरेश पिता मांगीलाल गरासिया मेरे स्थान पर कार्य कर सकेंगे, जिसमें मुझे या अन्य किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। आपत्ति की स्थिति में इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी मेरी होगी। जब तक मैं सरपंच रहूंगी, तब तक सभी कार्य सुरेश गरासिया के द्वारा किए जाएंगे। आपके कार्य के बीच में कभी दखल नहीं दिया जाएगा। न ही किसी प्रकार की कोई आनाकानी की जाएगी। जब भी सरपंच के हस्ताक्षर की जरूरत होगी, मैं वहां आपकी सहमति से अपने हस्ताक्षर करूंगी। मनरेगा, पीएम आवास, वाटर शेड सहित शासन के सभी काम सुरेश ही देखेगा। अगर अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होता है तो सरपंच चार गुना हर्जाना भी भरेंगी। गवाह के रूप में मन्नालाल का नाम लिखा है। मन्नालाल गांव के पूर्व सरपंच हैं। सुरेश का कहना है कि वो कैलाशी बाई के रिश्ते में हैं, इसलिए उनका नाम लिखा है। विवाद बढ़ने के बाद अब दोनों ही पक्ष एग्रीमेंट को मानने से इनकार कर रहे हैं। सुरेश बोला - सरपंच मेरी बहन, कहा था मिलकर काम करना
मैंने कोई अनुबंध नहीं किया है। इसके बदले में कोई पेमेंट भी नहीं दिया है। ये सब कुछ गलत है। ये स्टाम्प किसने दिया आपको मुझे नहीं पता। गवाहों को खड़ा करो। आप जहां बुलाओगे, वहां आ जाएंगे। गवाह मन्नालाल, सदाराम सरपंच के परिवार के हैं। मैं ठेकेदार हूं। छोटा-मोटा काम करता हूं। सीसी रोड, नाला निर्माण। उसी का कागज लिखवाते हैं। सरपंच पति शराब पीते हैं। सरपंच कैलाशी बाई ने लिखवाया होगा कि पति शराब पीते हैं, आप काम करना। काम उनसे नहीं होता है। 15 दिन हुए होंगे इस बात को। जगदीश के सामने बात हुई। सरपंच पति है। काम वो ही देता है। जनता ने उन्हें सरपंच चुना है। मैं उनका साइन नहीं कर सकता। सील-साइन वो ही करेंगी। मैं थोड़े ही सरपंच बन सकता हूं। मैं सिर्फ काम करता हूं। एक नहीं, मेरे पास 7-8 पंचायतें हैं। मजदूर लेकर के काम करवाता हूं। जहां से माल खरीदते हैं वहां के बिल लगते हैं। ‘सरपंच बोलेंगी तो बचे हुए कार्यकाल का काम कर दूंगा’
सुरेश ने कहा कि पेमेंट सरपंच ही निकाल सकते हैं। मैं जनपद में जाऊंगा, सरपंच के कहने पर ही सुनवाई होगी। मैं लिखा भी लूंगा। नोटरी भी करा लूंगा तो भी मैं मोल रखने वाला कौन हूं। कोई पंचायत मोल बिकती है क्या? पंचायत को कोई बेच नहीं सकता। सिर्फ प्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायत में काम कर रहे हैं। सरपंच कैलाशी बाई ने कहा मेरे पति काम नहीं कर रहे हैं। आप काम करना। बस इतना है। वो बोलेंगी तो बचे हुए सरपंची कार्यकाल का काम कर देंगे। मना कर देंगी तो कोई बात नहीं। शराब पीकर सरपंच पति ने शर्तें डाल दी हो और कैलाशी बाई मना करती हैं, तो भी हमें कोई दिक्कत नहीं है। बात तो दोनों से हुई थी। अनुबंध झूठा है। मैंने कोई साइन नहीं किया। मुझसे बोला गया कि काम आप करना। सिर्फ काम करने की लिखा-पढ़ी कोरे कागज पर हुई थी। स्टाम्प पर कोई लिखा पढ़ी नहीं हुई। मेरा साइन फर्जी है। मेरे पिताजी 35 साल, 2007 तक सरपंच रहे। पिता के बाद मन्नालाल जी सरपंच बने, जिन्हें गवाह बताया गया है। उसके बाद गोवर्धनजी बने, फिर गजेंद्र सिंह जी सरपंच बने। 2022 में कैलाशी बाई सरपंच बनीं। अनुबंध कैसे हुआ ये तो सरपंच पति जगदीश ही बता सकता है। इनके सरपंची कार्यकाल में 2 लाख 80 हजार का काम किया है। रतनपुरा के सीसी रोड का काम है। सरपंच पति ने कहा- बच्चों की कसम खाता हूं, एग्रीमेंट फर्जी है
सरपंच पति जगदीश ने बताया कि मेरे खिलाफ जो चुनाव लड़े थे, ये उनकी साजिश है। ये एग्रीमेंट पूरा फर्जी है। विपक्ष के द्वारा मुझे बदनाम करने की साजिश है। मेरे बहुत सारे दुश्मन हैं। किसी भी तरह का कोई एग्रीमेंट नहीं किया। लोग 50 रुपए में फर्जी सील बनाकर कुछ भी साइन कर देंगे तो मैं क्या करूं। मेरे बच्चों की कसम खाकर कह रहा हूं। हमने ऐसा कोई एग्रीमेंट नहीं करवाया है। न मैंने किसी से पैसे लिए, न किसी को पैसे दिए। न ही पंचायत गिरवी रखने की किसी से बात की। सुरेश ने एक
नीमच जिले में महिला सरपंच पर सरपंची ठेके पर देने का आरोप लगा है, जिसे ठेका देने की बात कही जा रही है वो पेशे से भी ठेकेदार है। भास्कर से बातचीत में उसने कहा कि महिला सरपंच कैलाशी बाई रिश्ते में उसकी बहन लगती है। उन्होंने ही उसे काम देखने को बोला था। सरपंच ने कहा था कि मेरे पति काम नहीं कर रहे हैं। आप काम करना। बस इतनी सी बात है। कैलाशी बाई और उसके पति दोनों से बात हुई थी। एग्रीमेंट झूठा है। मैंने कोई साइन नहीं किया। मेरे पिता 35 साल सरपंच रहे हैं। कोई पंचायत मोल बिकती है क्या? मामले में दैनिक भास्कर ने ठेकेदार सुरेश और सरपंच पति जगदीश दोनों से बात की। पति जगदीश ने एग्रीमेंट को विपक्ष की साजिश बताया। कहा कि पत्नी से अनबन थी। ठेकेदार सुरेश का घर आना-जाना है, इसलिए समझाने बुलाया था। तब पत्नी ने उसे काम देखने को बोला था। कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ है। सरपंची देने जैसी कोई बात नहीं हुई है। इस संबंध में किसी तरह की लिखा-पढ़ी नहीं की गई। आखिर क्या है सरपंची के ठेके वाले एग्रीमेंट की सच्चाई? कैसे इस मामले ने तूल पकड़ा और अब अफसर क्या कार्रवाई कर रहे हैं…? पढ़िए ये रिपोर्ट- पहले जान लीजिए मामला क्या है और एग्रीमेंट में क्या लिखा है? दरअसल, नीमच जिले की मनासा जनपद की ग्राम पंचायत दांता में कैलाशी बाई सरपंच हैं। आरोप है कि उन्होंने 500 रुपए के स्टाम्प पर गांव के ही सुरेश गरासिया को सरपंची सौंप दी। इस बारे में 24 जनवरी को एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट की कॉपी भी सोशल मीडिया पर सामने आई है। एग्रीमेंट में गवाह के रूप में गांव के सदाराम, मन्नालाल के साइन हैं। साथ ही सुरेश के साइन और सरपंच का सील-साइन है। एग्रीमेंट में लिखा-सरपंच के अधिकार ठेकेदार को सौंप रही
एग्रीमेंट में लिखा है कि महिला सरपंच अपने काम पूरे नहीं कर पा रही हैं, इसलिए सरपंच के अधिकार ठेकेदार सुरेश को सौंप रही हैं। ये देश में पहला मामला है जब संपत्ति की तरह सरपंची ट्रांसफर के कागजात सामने आए हैं। यही वजह है कि प्रदेशभर में इसकी चर्चा है। एग्रीमेंट में ये भी लिखा है कि सुरेश पिता मांगीलाल गरासिया मेरे स्थान पर कार्य कर सकेंगे, जिसमें मुझे या अन्य किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। आपत्ति की स्थिति में इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी मेरी होगी। जब तक मैं सरपंच रहूंगी, तब तक सभी कार्य सुरेश गरासिया के द्वारा किए जाएंगे। आपके कार्य के बीच में कभी दखल नहीं दिया जाएगा। न ही किसी प्रकार की कोई आनाकानी की जाएगी। जब भी सरपंच के हस्ताक्षर की जरूरत होगी, मैं वहां आपकी सहमति से अपने हस्ताक्षर करूंगी। मनरेगा, पीएम आवास, वाटर शेड सहित शासन के सभी काम सुरेश ही देखेगा। अगर अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होता है तो सरपंच चार गुना हर्जाना भी भरेंगी। गवाह के रूप में मन्नालाल का नाम लिखा है। मन्नालाल गांव के पूर्व सरपंच हैं। सुरेश का कहना है कि वो कैलाशी बाई के रिश्ते में हैं, इसलिए उनका नाम लिखा है। विवाद बढ़ने के बाद अब दोनों ही पक्ष एग्रीमेंट को मानने से इनकार कर रहे हैं। सुरेश बोला - सरपंच मेरी बहन, कहा था मिलकर काम करना
मैंने कोई अनुबंध नहीं किया है। इसके बदले में कोई पेमेंट भी नहीं दिया है। ये सब कुछ गलत है। ये स्टाम्प किसने दिया आपको मुझे नहीं पता। गवाहों को खड़ा करो। आप जहां बुलाओगे, वहां आ जाएंगे। गवाह मन्नालाल, सदाराम सरपंच के परिवार के हैं। मैं ठेकेदार हूं। छोटा-मोटा काम करता हूं। सीसी रोड, नाला निर्माण। उसी का कागज लिखवाते हैं। सरपंच पति शराब पीते हैं। सरपंच कैलाशी बाई ने लिखवाया होगा कि पति शराब पीते हैं, आप काम करना। काम उनसे नहीं होता है। 15 दिन हुए होंगे इस बात को। जगदीश के सामने बात हुई। सरपंच पति है। काम वो ही देता है। जनता ने उन्हें सरपंच चुना है। मैं उनका साइन नहीं कर सकता। सील-साइन वो ही करेंगी। मैं थोड़े ही सरपंच बन सकता हूं। मैं सिर्फ काम करता हूं। एक नहीं, मेरे पास 7-8 पंचायतें हैं। मजदूर लेकर के काम करवाता हूं। जहां से माल खरीदते हैं वहां के बिल लगते हैं। ‘सरपंच बोलेंगी तो बचे हुए कार्यकाल का काम कर दूंगा’
सुरेश ने कहा कि पेमेंट सरपंच ही निकाल सकते हैं। मैं जनपद में जाऊंगा, सरपंच के कहने पर ही सुनवाई होगी। मैं लिखा भी लूंगा। नोटरी भी करा लूंगा तो भी मैं मोल रखने वाला कौन हूं। कोई पंचायत मोल बिकती है क्या? पंचायत को कोई बेच नहीं सकता। सिर्फ प्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायत में काम कर रहे हैं। सरपंच कैलाशी बाई ने कहा मेरे पति काम नहीं कर रहे हैं। आप काम करना। बस इतना है। वो बोलेंगी तो बचे हुए सरपंची कार्यकाल का काम कर देंगे। मना कर देंगी तो कोई बात नहीं। शराब पीकर सरपंच पति ने शर्तें डाल दी हो और कैलाशी बाई मना करती हैं, तो भी हमें कोई दिक्कत नहीं है। बात तो दोनों से हुई थी। अनुबंध झूठा है। मैंने कोई साइन नहीं किया। मुझसे बोला गया कि काम आप करना। सिर्फ काम करने की लिखा-पढ़ी कोरे कागज पर हुई थी। स्टाम्प पर कोई लिखा पढ़ी नहीं हुई। मेरा साइन फर्जी है। मेरे पिताजी 35 साल, 2007 तक सरपंच रहे। पिता के बाद मन्नालाल जी सरपंच बने, जिन्हें गवाह बताया गया है। उसके बाद गोवर्धनजी बने, फिर गजेंद्र सिंह जी सरपंच बने। 2022 में कैलाशी बाई सरपंच बनीं। अनुबंध कैसे हुआ ये तो सरपंच पति जगदीश ही बता सकता है। इनके सरपंची कार्यकाल में 2 लाख 80 हजार का काम किया है। रतनपुरा के सीसी रोड का काम है। सरपंच पति ने कहा- बच्चों की कसम खाता हूं, एग्रीमेंट फर्जी है
सरपंच पति जगदीश ने बताया कि मेरे खिलाफ जो चुनाव लड़े थे, ये उनकी साजिश है। ये एग्रीमेंट पूरा फर्जी है। विपक्ष के द्वारा मुझे बदनाम करने की साजिश है। मेरे बहुत सारे दुश्मन हैं। किसी भी तरह का कोई एग्रीमेंट नहीं किया। लोग 50 रुपए में फर्जी सील बनाकर कुछ भी साइन कर देंगे तो मैं क्या करूं। मेरे बच्चों की कसम खाकर कह रहा हूं। हमने ऐसा कोई एग्रीमेंट नहीं करवाया है। न मैंने किसी से पैसे लिए, न किसी को पैसे दिए। न ही पंचायत गिरवी रखने की किसी से बात की। सुरेश ने एक रुपया भी नहीं दिया है। आप उससे पूछ लो। एक स्टाॅप डैम (रतनपुरा) का ठेका सुरेश को दिया था। उसकी लिखा-पढ़ी कोरे कागज पर की थी। किस प्रकार से काम करना है। आधा होने पर कितना पेमेंट दिया जाएगा। पूरा होने पर कितना पेमेंट होगा। उस पर सुरेश से साइन करवाए थे। ये वो एग्रीमेंट नहीं है। ये स्टाम्प पर एग्रीमेंट है। सरपंच बनने के बाद से सुरेश को दो काम दिए हैं। सुरेश और मेरा एक-दूसरे के घर आना-जाना है। काम के बारे में तो चर्चा होती रहती थी। मैं शराब नहीं पीता हूं। हम पति-पत्नी के बीच की लड़ाई है। वो घर का मैटर है, चलता रहता है। 15 दिन पहले पत्नी से झगड़ा हुआ था तो सुरेश भईया को बुलाया था। उन्होंने समझा दिया। रिश्ते में सुरेश पत्नी का भाई लगता है। मैं अनपढ़ आदमी हूं। पत्नी ने सुरेश से बोला कि इनके (पति जगदीश) साथ रहकर काम करवाना, ध्यान रखना। ये बात हुई है। जिला पंचायत सीईओ बोले- नोटिस देकर जवाब मांगा है
जिला पंचायत सीईओ अमन वैष्णव का कहना है कि दांता पंचायत की सरपंच ने 500 रुपए के स्टाम्प पर किसी सुरेश नामक व्यक्ति को काम दे दिया है, ऐसी सूचना मिली है। पद से वंचित करने का नोटिस सरपंच को जारी किया है। ये हैं सरपंच के पद और पावर को लेकर नियम