7 हजार की दुकान 1.40 लाख रुपए में ब्लैक:ग्वालियर मेले में लूट का सबसे बड़ा खुलासा, अधिकारी तक शामिल

ग्वालियर व्यापार मेला, जो पहले पशु मेले से लेकर ट्रेड फेयर तक का सफर तय करता था, अब दुकान माफियाओं के कारण अपनी रौनक खोता जा रहा है। दुकान माफिया और मेले के कर्मचारियों का गठबंधन 7 हजार रुपए की दुकान के लिए 1.40 लाख रुपए तक की रकम वसूल रहा है। दुकान आवंटन में आरक्षण का फायदा उठाकर ये माफिया पनप रहे हैं। अब हालत ये हो गई है कि जो माफिया पहले से दुकानों पर कब्जा किए हुए हैं, वे खुद व्यापार करने की बजाय दूसरे व्यापारियों को मनचाहे दामों पर दुकानें किराए पर दे रहे हैं। इस काले धंधे में माफिया 2 महीने का किराया 1.40 लाख रुपए तक वसूल रहे हैं। इस भ्रष्टाचार में मेला प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह से शामिल हैं। प्राधिकरण के दफ्तर में दलालों का जमावड़ा लगा रहता है, और प्राधिकरण के कर्मचारी व्यापारियों को इतनी परेशानी में डालते हैं कि वे मजबूरन ब्लैक में दुकानें लेने पर मजबूर हो जाते हैं। ग्वालियर मेले में सबसे बड़ी लूट का खुलासा, पढ़िए दैनिक भास्कर की पूरी रिपोर्ट... स्टिंग-1 मेरी 15 दुकानें, हर एक का किराया 1.20 लाख रुपए प्राधिकरण कार्यालय के बाहर बैठे दलाल ने भास्कर रिपोर्टर से कहा कि वे मैनपुरी के शंकर उस्ताद से मिलें। शंकर ने रिपोर्टर से कहा, "मेले में मेरी 15 दुकानें हैं, और हर एक 1.20 लाख रुपये में बिक चुकी है। मीना बाजार में 15 बाई 30 की एक दुकान है, जिसे मैं 40 हजार रुपये में दूंगा।" सौदा तय होने के बाद, शंकर ने फोन लगाया और कुछ ही देर में ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष कल्ली पंडित और अनुज गुर्जर वहां पहुंचे। भास्कर रिपोर्टर को देख कर वे हैरान हो गए और व्यापारी से कहा, "अगर तुम इनके साथ घूमोगे, तो तुम्हें कभी भी मेले में दुकान नहीं मिलेगी।" स्टिंग-2 पिछले साल 80 हजार में 2 दुकानें ली, अब 1.30 लाख रु. मांगे जौरा (मुरैना) के माखन कैम मेला प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर परेशान होकर घूमते हुए दिखाई दिए। उन्होंने बताया, "4 साल पहले राकेश गोस्वामी से 50 हजार रुपए में 2 दुकानें (649 और 650) ली थीं। पिछले साल 80 हजार रुपए में ली, लेकिन अब राकेश ने इन दुकानें 1.20 लाख रुपए में किसी और को दे दी हैं और मुझसे 1.30 लाख रुपए मांग रहा है। पूरे मेले में दुकानें ब्लैक हो रही हैं, और प्राधिकरण के लोगों को इस बारे में सब कुछ पता है, वे खुद ही ब्लैक में दुकानें दिलवाते हैं।" स्टिंग-3 रिपोर्टर ने किराया ज्यादा होने की बात कही, दलाल बोला- दोनों लेना पड़ेगी मेले की छत्री पर चाय वाले से जानकारी मिलने पर रिपोर्टर दुकान नंबर 586 पर पहुंचे, जहां उन्हें सुजीत मिला। सुजीत ने ढाई फीट चौड़े आले (गुमटी नुमा छोटी दुकान) और दुकान 586 के लिए 1.40 लाख रुपए मांगे। जब रिपोर्टर ने किराया ज्यादा होने की बात कही और एक दुकान की मांग की, तो सुजीत ने जवाब दिया, "अगर लेना है तो दोनों लो, वरना हम ही जूड़े की दुकान लगा लेंगे।" इसके बाद, रिपोर्टर से दुकान नंबर 587 और 588 को भी 1-1 लाख रुपए में ब्लैक में लेने का सौदा हुआ। बोला- आकर मिलो, कर देंगे व्यवस्था मेला प्राधिकरण के चपरासी सुरेंद्र गुर्जर से दमोह के एक व्यापारी ने फोन पर ब्लैक में दुकान लेने के लिए बातचीत की। इस पर गुर्जर ने कहा, "मैं कार्यालय में ही मिलूंगा। आप आकर मिल लीजिए, व्यवस्था हो जाएगी।" दुकानों का गणित: 90% की सूची ही चस्पा नहीं की मेले में कुल 2500 दुकानें हैं, जिनमें करीब 1300 पक्की दुकानें, 400 चबूतरे, 100 शिल्प बाजार और 250 से अधिक कच्ची दुकानें शामिल हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर और खाली जमीन अलग से हैं। इन दुकानों में से केवल 300 का नवीन आवंटन होता है, जबकि 90% दुकानें आरक्षित हैं, लेकिन प्राधिकरण इस सूची को चस्पा नहीं करता। जब सूची मांगी गई, तो आवंटन प्रभारी चंद्रकांत पवार ने कहा कि सूची तैयार नहीं हुई है। प्राधिकरण के सचिव टीआर रावत ने कहा, "सूची से आपको क्या लेना-देना?" जब सूची चस्पा करने को कहा गया, तो उन्होंने इसे करने से मना कर दिया। खाली रखते हैं दुकानें, ताकि ब्लैक कर सकें आरक्षण का लाभ उठाकर कई लोग 5-5 साल से दुकानों पर कब्जा किए हुए हैं। वे जानबूझकर दुकानों को खाली रखते हैं, ताकि बाद में उन्हें ब्लैक में बेचकर ज्यादा कमाई कर सकें। इसी वजह से मेला शुभारंभ के बाद केवल 15-20 दुकानों का ही आवंटन हो पाता है। संभागीय आयुक्त मनोज खत्री बोले मेला पारदर्शिता के साथ आयोजित हो, इसलिए हमने शिकायत पेटी रखवाई है। इन शिकायतों पर संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी। अगर दुकानों के ब्लैक करने का मामला है, तो मैं स्टिंग रिकॉर्ड देखकर कार्रवाई करूंगा।

7 हजार की दुकान 1.40 लाख रुपए में ब्लैक:ग्वालियर मेले में लूट का सबसे बड़ा खुलासा, अधिकारी तक शामिल
ग्वालियर व्यापार मेला, जो पहले पशु मेले से लेकर ट्रेड फेयर तक का सफर तय करता था, अब दुकान माफियाओं के कारण अपनी रौनक खोता जा रहा है। दुकान माफिया और मेले के कर्मचारियों का गठबंधन 7 हजार रुपए की दुकान के लिए 1.40 लाख रुपए तक की रकम वसूल रहा है। दुकान आवंटन में आरक्षण का फायदा उठाकर ये माफिया पनप रहे हैं। अब हालत ये हो गई है कि जो माफिया पहले से दुकानों पर कब्जा किए हुए हैं, वे खुद व्यापार करने की बजाय दूसरे व्यापारियों को मनचाहे दामों पर दुकानें किराए पर दे रहे हैं। इस काले धंधे में माफिया 2 महीने का किराया 1.40 लाख रुपए तक वसूल रहे हैं। इस भ्रष्टाचार में मेला प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह से शामिल हैं। प्राधिकरण के दफ्तर में दलालों का जमावड़ा लगा रहता है, और प्राधिकरण के कर्मचारी व्यापारियों को इतनी परेशानी में डालते हैं कि वे मजबूरन ब्लैक में दुकानें लेने पर मजबूर हो जाते हैं। ग्वालियर मेले में सबसे बड़ी लूट का खुलासा, पढ़िए दैनिक भास्कर की पूरी रिपोर्ट... स्टिंग-1 मेरी 15 दुकानें, हर एक का किराया 1.20 लाख रुपए प्राधिकरण कार्यालय के बाहर बैठे दलाल ने भास्कर रिपोर्टर से कहा कि वे मैनपुरी के शंकर उस्ताद से मिलें। शंकर ने रिपोर्टर से कहा, "मेले में मेरी 15 दुकानें हैं, और हर एक 1.20 लाख रुपये में बिक चुकी है। मीना बाजार में 15 बाई 30 की एक दुकान है, जिसे मैं 40 हजार रुपये में दूंगा।" सौदा तय होने के बाद, शंकर ने फोन लगाया और कुछ ही देर में ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष कल्ली पंडित और अनुज गुर्जर वहां पहुंचे। भास्कर रिपोर्टर को देख कर वे हैरान हो गए और व्यापारी से कहा, "अगर तुम इनके साथ घूमोगे, तो तुम्हें कभी भी मेले में दुकान नहीं मिलेगी।" स्टिंग-2 पिछले साल 80 हजार में 2 दुकानें ली, अब 1.30 लाख रु. मांगे जौरा (मुरैना) के माखन कैम मेला प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर परेशान होकर घूमते हुए दिखाई दिए। उन्होंने बताया, "4 साल पहले राकेश गोस्वामी से 50 हजार रुपए में 2 दुकानें (649 और 650) ली थीं। पिछले साल 80 हजार रुपए में ली, लेकिन अब राकेश ने इन दुकानें 1.20 लाख रुपए में किसी और को दे दी हैं और मुझसे 1.30 लाख रुपए मांग रहा है। पूरे मेले में दुकानें ब्लैक हो रही हैं, और प्राधिकरण के लोगों को इस बारे में सब कुछ पता है, वे खुद ही ब्लैक में दुकानें दिलवाते हैं।" स्टिंग-3 रिपोर्टर ने किराया ज्यादा होने की बात कही, दलाल बोला- दोनों लेना पड़ेगी मेले की छत्री पर चाय वाले से जानकारी मिलने पर रिपोर्टर दुकान नंबर 586 पर पहुंचे, जहां उन्हें सुजीत मिला। सुजीत ने ढाई फीट चौड़े आले (गुमटी नुमा छोटी दुकान) और दुकान 586 के लिए 1.40 लाख रुपए मांगे। जब रिपोर्टर ने किराया ज्यादा होने की बात कही और एक दुकान की मांग की, तो सुजीत ने जवाब दिया, "अगर लेना है तो दोनों लो, वरना हम ही जूड़े की दुकान लगा लेंगे।" इसके बाद, रिपोर्टर से दुकान नंबर 587 और 588 को भी 1-1 लाख रुपए में ब्लैक में लेने का सौदा हुआ। बोला- आकर मिलो, कर देंगे व्यवस्था मेला प्राधिकरण के चपरासी सुरेंद्र गुर्जर से दमोह के एक व्यापारी ने फोन पर ब्लैक में दुकान लेने के लिए बातचीत की। इस पर गुर्जर ने कहा, "मैं कार्यालय में ही मिलूंगा। आप आकर मिल लीजिए, व्यवस्था हो जाएगी।" दुकानों का गणित: 90% की सूची ही चस्पा नहीं की मेले में कुल 2500 दुकानें हैं, जिनमें करीब 1300 पक्की दुकानें, 400 चबूतरे, 100 शिल्प बाजार और 250 से अधिक कच्ची दुकानें शामिल हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर और खाली जमीन अलग से हैं। इन दुकानों में से केवल 300 का नवीन आवंटन होता है, जबकि 90% दुकानें आरक्षित हैं, लेकिन प्राधिकरण इस सूची को चस्पा नहीं करता। जब सूची मांगी गई, तो आवंटन प्रभारी चंद्रकांत पवार ने कहा कि सूची तैयार नहीं हुई है। प्राधिकरण के सचिव टीआर रावत ने कहा, "सूची से आपको क्या लेना-देना?" जब सूची चस्पा करने को कहा गया, तो उन्होंने इसे करने से मना कर दिया। खाली रखते हैं दुकानें, ताकि ब्लैक कर सकें आरक्षण का लाभ उठाकर कई लोग 5-5 साल से दुकानों पर कब्जा किए हुए हैं। वे जानबूझकर दुकानों को खाली रखते हैं, ताकि बाद में उन्हें ब्लैक में बेचकर ज्यादा कमाई कर सकें। इसी वजह से मेला शुभारंभ के बाद केवल 15-20 दुकानों का ही आवंटन हो पाता है। संभागीय आयुक्त मनोज खत्री बोले मेला पारदर्शिता के साथ आयोजित हो, इसलिए हमने शिकायत पेटी रखवाई है। इन शिकायतों पर संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी। अगर दुकानों के ब्लैक करने का मामला है, तो मैं स्टिंग रिकॉर्ड देखकर कार्रवाई करूंगा।