इंदौर में मोबाइल टावर का रेडिएशन 20 गुना ज्यादा:कैंसर हॉटस्पॉट इलाकों में 16 गुना अधिक; लोग बोले- यह स्लो पॉइजन
इंदौर में मोबाइल टावर का रेडिएशन 20 गुना ज्यादा:कैंसर हॉटस्पॉट इलाकों में 16 गुना अधिक; लोग बोले- यह स्लो पॉइजन
विधानसभा में सवाल उठने के बाद इसका जवाब देने के लिए इंदौर के तीन विभाग एक-दूसरे के सामने देख रहे हैं। नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रेडिएशन मापने का यंत्र ही नहीं है। दरअसल, विधायक महेंद्र हार्डिया की विधानसभा इंदौर-5 की कृषि विहार कॉलोनी के 60 में से 15 घरों में कैंसर के मरीज हैं। यहां 6 साल में 15 मरीजों की कैंसर से मौत हो चुकी है। रहवासियों का दावा है कि इसका मुख्य कारण मोबाइल टावर से होने वाला रेडिएशन है। इसके लिए वे पिछले पांच-छह साल से प्रयास कर रहे हैं कि उनके इलाके के मोबाइल टावर को हटाया जाए या उनके रेडिएशन के घनत्व को कम किया जाए। हार्डिया ने दैनिक भास्कर से चर्चा में कहा, 'मोबाइल टावर रेडिएशन से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही हैं। इसलिए मैंने विधानसभा में यह सवाल उठाया है। इस सवाल का जवाब मुझे नहीं मिला है। लेकिन, मैंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से बात करके कहा है कि ऐसे इलाके जहां कम दूरी पर ज्यादा टावर लगे हैं, वहां का सर्वे किया जाए। कैंसर सहित अन्य बीमारियों से लड़ रहे मरीजों को भी चिन्हित किया जाना चाहिए। मोबाइल टावर का रेडिएशन कैसे कम हो, इसके लिए सरकार को एक्सपर्ट्स की राय लेकर काम करना चाहिए।' कृषि विहार कॉलोनी के रहने वाले संजय खादीवाला का कहना है, 'मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन स्लो पॉइजन (धीमा जहर) है। टावर हटाने के मामले में प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है।' जांच में चौंकाने वाले आंकड़े इस बीच दैनिक भास्कर ने इंदौर के प्रमुख इलाकों में माइक्रोवेव रेडिएशन मीटर के जरिए रेडिएशन की जांच की। मोबाइल पर लाइव रिकॉर्ड भी किया। चौंकाने वाली बात यह है कि इंदौर में रेडिएशन का स्तर तय मानक से 20 गुना ज्यादा तक है। कितना रेडिएशन नुकसान नहीं पहुंचाता? जांच में हमारे साथ मौजूद स्वास्थ्य विभाग के पूर्व रेडिएशन सुरक्षा अधिकारी शिवाकांत वाजपेयी बताते हैं, '0.45 मिलीवॉट/सेमी² आदर्श स्थिति मानी जाती है। लेकिन, इंदौर में यह स्तर 20 गुना ज्यादा, यानी 9 मिलीवॉट/सेमी² तक है।' शिवाकांत वाजपेयी भारतीय विकिरण संरक्षण परिषद और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के सदस्य भी हैं। भास्कर के लिए उन्होंने जिस उपकरण से रेडिएशन की जांच की, उसका नाम BR15 माइक्रोवेव रेडिएशन मीटर है, जिसे जर्मनी से आयात किया गया है। रहवासी भी आगे आए दैनिक भास्कर ने रेडिएशन मापने के लिए सबसे पहले पूर्वी इंदौर के कृषि विहार का दौरा किया, जो कैंसर का हॉटस्पॉट बन चुका है। यहां के रहवासी संजय खादीवाला और आरसी सोनी का कहना है कि हमारी कॉलोनी के 60 में से 15 घरों में कैंसर के मरीज हैं। यहां रेडिएशन खतरनाक स्तर पर है। बीते 6 वर्षों में 15 रहवासियों की मौत कैंसर के कारण हुई है। संजय खादीवाला ने कहा, 'हमने इलाके से टावर हटाने के लिए कई बार प्रशासन को पत्र लिखा और अधिकारियों से मुलाकात भी की, लेकिन अब तक कोई भी टावर नहीं हटाया गया है।' अब जानिए, वो सवाल जिसने इस मुद्दे को गरमा दिया इंदौर की विधानसभा-5 के विधायक महेंद्र हार्डिया ने अपनी ही सरकार से पूछा कि इंदौर में रेडिएशन से होने वाले प्रदूषण की स्थिति क्या है और क्या इसकी वजह से कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है? स्वास्थ्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम में से कोई भी इस सवाल का जवाब देने में सक्षम नहीं है। खंडवा के एक पिता ने 17 साल तक लड़ा केस, टावर हटवाया खंडवा के परदेशीपुरा निवासी राजेंद्र तिवारी ने बताया, '2007 में मैंने ब्रज नगर के एक रहवासी इलाके में प्लॉट लेकर मकान बनाया। मेरे पड़ोस में एक निजी भूखंड था। इसे मोबाइल कंपनी ने प्लॉट मालिक से लीज पर लेकर टावर लगा दिया।' राजेंद्र तिवारी ने कहा, 'जब मैंने वहां घर बनाया, तब मेरी दो बेटियों की उम्र महज 9 और 10 वर्ष थी। उनकी सेहत को लेकर चिंतित था। इसलिए मैंने 2008 में टावर हटवाने का फैसला किया और कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।' हार नहीं मानी, 4 बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया राजेंद्र ने बताया, '2008 से 2023 तक कई कलेक्टर आए और गए, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश मिलने के बावजूद कभी भी उनकी ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए। एक-दो बार नहीं, बल्कि चार बार मैं जबलपुर स्थित हाईकोर्ट गया। दो बार फैसले मेरे पक्ष में आए और नियम अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। तीसरी बार केस बोर्ड तक नहीं आया। चौथी बार मैंने फिर अवमानना याचिका दायर की, तब जाकर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।' आप भी जान सकते हैं, आपके घर के आसपास कितना रेडिएशन है आपके घर के आसपास कितने मोबाइल टावर हैं, यह जानना अब आसान है। tarangsanchar.gov.in/EMF Portal पर जाकर आप अपना नाम, लोकेशन, ईमेल और मोबाइल नंबर दर्ज करें। इसके बाद आप अपने क्षेत्र में मौजूद टावरों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस पोर्टल में लोकेशन बदलकर अन्य जगहों के टावर की जानकारी भी ली जा सकती है। यदि रेडिएशन का स्तर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (डीओटी) द्वारा निर्धारित मानकों से अधिक है, तो डीओटी में इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। रेडिएशन की जांच के लिए दूरसंचार विभाग की टीम ही आती है। रेडिएशन के दुष्प्रभाव और सावधानियां मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से होने वाली समस्याएं रेडिएशन के प्रकार और प्रभाव मोबाइल टावर और रेडिएशन स्तर
विधानसभा में सवाल उठने के बाद इसका जवाब देने के लिए इंदौर के तीन विभाग एक-दूसरे के सामने देख रहे हैं। नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रेडिएशन मापने का यंत्र ही नहीं है। दरअसल, विधायक महेंद्र हार्डिया की विधानसभा इंदौर-5 की कृषि विहार कॉलोनी के 60 में से 15 घरों में कैंसर के मरीज हैं। यहां 6 साल में 15 मरीजों की कैंसर से मौत हो चुकी है। रहवासियों का दावा है कि इसका मुख्य कारण मोबाइल टावर से होने वाला रेडिएशन है। इसके लिए वे पिछले पांच-छह साल से प्रयास कर रहे हैं कि उनके इलाके के मोबाइल टावर को हटाया जाए या उनके रेडिएशन के घनत्व को कम किया जाए। हार्डिया ने दैनिक भास्कर से चर्चा में कहा, 'मोबाइल टावर रेडिएशन से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही हैं। इसलिए मैंने विधानसभा में यह सवाल उठाया है। इस सवाल का जवाब मुझे नहीं मिला है। लेकिन, मैंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से बात करके कहा है कि ऐसे इलाके जहां कम दूरी पर ज्यादा टावर लगे हैं, वहां का सर्वे किया जाए। कैंसर सहित अन्य बीमारियों से लड़ रहे मरीजों को भी चिन्हित किया जाना चाहिए। मोबाइल टावर का रेडिएशन कैसे कम हो, इसके लिए सरकार को एक्सपर्ट्स की राय लेकर काम करना चाहिए।' कृषि विहार कॉलोनी के रहने वाले संजय खादीवाला का कहना है, 'मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन स्लो पॉइजन (धीमा जहर) है। टावर हटाने के मामले में प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है।' जांच में चौंकाने वाले आंकड़े इस बीच दैनिक भास्कर ने इंदौर के प्रमुख इलाकों में माइक्रोवेव रेडिएशन मीटर के जरिए रेडिएशन की जांच की। मोबाइल पर लाइव रिकॉर्ड भी किया। चौंकाने वाली बात यह है कि इंदौर में रेडिएशन का स्तर तय मानक से 20 गुना ज्यादा तक है। कितना रेडिएशन नुकसान नहीं पहुंचाता? जांच में हमारे साथ मौजूद स्वास्थ्य विभाग के पूर्व रेडिएशन सुरक्षा अधिकारी शिवाकांत वाजपेयी बताते हैं, '0.45 मिलीवॉट/सेमी² आदर्श स्थिति मानी जाती है। लेकिन, इंदौर में यह स्तर 20 गुना ज्यादा, यानी 9 मिलीवॉट/सेमी² तक है।' शिवाकांत वाजपेयी भारतीय विकिरण संरक्षण परिषद और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के सदस्य भी हैं। भास्कर के लिए उन्होंने जिस उपकरण से रेडिएशन की जांच की, उसका नाम BR15 माइक्रोवेव रेडिएशन मीटर है, जिसे जर्मनी से आयात किया गया है। रहवासी भी आगे आए दैनिक भास्कर ने रेडिएशन मापने के लिए सबसे पहले पूर्वी इंदौर के कृषि विहार का दौरा किया, जो कैंसर का हॉटस्पॉट बन चुका है। यहां के रहवासी संजय खादीवाला और आरसी सोनी का कहना है कि हमारी कॉलोनी के 60 में से 15 घरों में कैंसर के मरीज हैं। यहां रेडिएशन खतरनाक स्तर पर है। बीते 6 वर्षों में 15 रहवासियों की मौत कैंसर के कारण हुई है। संजय खादीवाला ने कहा, 'हमने इलाके से टावर हटाने के लिए कई बार प्रशासन को पत्र लिखा और अधिकारियों से मुलाकात भी की, लेकिन अब तक कोई भी टावर नहीं हटाया गया है।' अब जानिए, वो सवाल जिसने इस मुद्दे को गरमा दिया इंदौर की विधानसभा-5 के विधायक महेंद्र हार्डिया ने अपनी ही सरकार से पूछा कि इंदौर में रेडिएशन से होने वाले प्रदूषण की स्थिति क्या है और क्या इसकी वजह से कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है? स्वास्थ्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम में से कोई भी इस सवाल का जवाब देने में सक्षम नहीं है। खंडवा के एक पिता ने 17 साल तक लड़ा केस, टावर हटवाया खंडवा के परदेशीपुरा निवासी राजेंद्र तिवारी ने बताया, '2007 में मैंने ब्रज नगर के एक रहवासी इलाके में प्लॉट लेकर मकान बनाया। मेरे पड़ोस में एक निजी भूखंड था। इसे मोबाइल कंपनी ने प्लॉट मालिक से लीज पर लेकर टावर लगा दिया।' राजेंद्र तिवारी ने कहा, 'जब मैंने वहां घर बनाया, तब मेरी दो बेटियों की उम्र महज 9 और 10 वर्ष थी। उनकी सेहत को लेकर चिंतित था। इसलिए मैंने 2008 में टावर हटवाने का फैसला किया और कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।' हार नहीं मानी, 4 बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया राजेंद्र ने बताया, '2008 से 2023 तक कई कलेक्टर आए और गए, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश मिलने के बावजूद कभी भी उनकी ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए। एक-दो बार नहीं, बल्कि चार बार मैं जबलपुर स्थित हाईकोर्ट गया। दो बार फैसले मेरे पक्ष में आए और नियम अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। तीसरी बार केस बोर्ड तक नहीं आया। चौथी बार मैंने फिर अवमानना याचिका दायर की, तब जाकर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।' आप भी जान सकते हैं, आपके घर के आसपास कितना रेडिएशन है आपके घर के आसपास कितने मोबाइल टावर हैं, यह जानना अब आसान है। tarangsanchar.gov.in/EMF Portal पर जाकर आप अपना नाम, लोकेशन, ईमेल और मोबाइल नंबर दर्ज करें। इसके बाद आप अपने क्षेत्र में मौजूद टावरों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस पोर्टल में लोकेशन बदलकर अन्य जगहों के टावर की जानकारी भी ली जा सकती है। यदि रेडिएशन का स्तर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (डीओटी) द्वारा निर्धारित मानकों से अधिक है, तो डीओटी में इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। रेडिएशन की जांच के लिए दूरसंचार विभाग की टीम ही आती है। रेडिएशन के दुष्प्रभाव और सावधानियां मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से होने वाली समस्याएं रेडिएशन के प्रकार और प्रभाव मोबाइल टावर और रेडिएशन स्तर