इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीरियर डिजाइनर का इनोवेशन:आर्किटेक्चर और भारतीय शास्त्रीय संगीत को मिलाकर बनाई 'स्वराकृति'

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीरियर डिजाइनर ने 15वें ज्ञानार्जन का आयोजन किया। कार्य्रकम में मुख्य अतिथि के तौर पर आर्किटेक्ट मैत्री केबी बुच, आर्किटेक्ट कालापी ए बुच और डॉ. जानकी मिठाईवाला शामिल हुए। कालापी और मैत्री ने डॉ. जानकी के साथ मिलकर आर्किटेक्ट और म्यूजिक कॉम्बिनेशन से बने अपने नए और यूनिक प्रोजेक्ट पर बात की। वह अभी तक 65 से ज्यादा जगह पर अपने इस नए कॉम्बिनेशन को प्रेजेंट कर चुकी है। इंदौर रिजनल चैप्टर के चेयरपर्सन आर्किटेक्ट अभिषेक जुल्का ने मुख्य अथितियों के कार्य की सराहना की और सभी को उनके काम से सीख लेने की सलाह दी। चेयरपर्सन इलेक्ट विकास ठक्कर ने कहा कि इस तरह के प्रयोग आर्किटेक्चर के क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर लें जाएंगे। जल्द ही भारत आर्किटेक्चर के क्षेत्र में विश्व में सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा। हमारी कोशिश रहती हैं कि शहर के आर्किटेक्ट नई चीजे सीखकर और बेहतर काम कर पाए। स्वर और आकृति से बना स्वराकृति आर्किटेक्ट मैत्री ने बताया कि हमने भारतीय शास्त्रीय संगीत और आर्किटेक्चर को मिला कर कुछ नया और अलग बनाने की कोशिश है। हमने प्राचीन भारतीय संस्कृति और आज के समय के अनुसार इसे विश्व स्तर पर स्वीकारता पाने के अनुसार बनाने की कोशिश की है। आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इस तरह का कॉम्बिनेशन पहली बार हुआ है। हमने इसे 'स्वराकृति' नाम दिया है। म्यूजिक को हम छू नहीं सकते वही आर्किटेक्चर को छू कर देखा जा सकता है। दो विभिन्न रूपों को एक साथ लाना कल्पना से परे है लेकिन हमारे देश को हमेशा से यह पता है कि भावों और आकार को कैसे साथ लाया जा सकता है। हमें शुरू से मन के भावो को एक आकार देने की कला आती है। हमारे ऋषियों ने यंत्र के रूप में यह कला हमें बहुत पहले सीखा दी थी। आर्किटेक्चर और म्यूजिक का कॉम्बिनेशन डॉ; जानकी ने बताया कि गणित की मदद से हमने इन दो चीजों को जोड़ा है। यदि गणित की दृष्टि से देख जाए तो संगीत के स्वरों के बीच एक तय अंतर होता है और हमेशा एक जैसा रहता है। इसी अंतर का को आधार बनाकर हमने एक आर्किटेचर तैयार किया है। जितना डिस्टेंस स्वर के बिच होता है उतनी ही दूरी हमने ईटों के बीच रखी और इस प्रोजेक्ट को तैयार किया। पहले के समय में हमारे ऋषि भी इसी तरह से मंदिर का निर्माण किया करते थे। हमने उसी कला को वापस लाने की कोशिश की है।*बहुत शोध के बाद तैयार हुआ प्रोजेक्ट*आर्किटेक्ट कलापी ने बताया कि इसी आधार पर हमने टाइल्स भी बनाई है। इन टाइल्स को म्यूजिक और गणित को मिलाकर तैयार किया गया है। जैसे आयुर्वेद में हर इलाज के लिए अलग दवा है वैसे ही संगीत में हर एक स्वर के लिए अलग अंक और दूरी तय की हुई है। काफी एनालिसिस और एक्सपेरिमेंट के बाद हमने यह प्रोजेक्ट्स तैयार किए हैं।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीरियर डिजाइनर का इनोवेशन:आर्किटेक्चर और भारतीय शास्त्रीय संगीत को मिलाकर बनाई 'स्वराकृति'
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीरियर डिजाइनर ने 15वें ज्ञानार्जन का आयोजन किया। कार्य्रकम में मुख्य अतिथि के तौर पर आर्किटेक्ट मैत्री केबी बुच, आर्किटेक्ट कालापी ए बुच और डॉ. जानकी मिठाईवाला शामिल हुए। कालापी और मैत्री ने डॉ. जानकी के साथ मिलकर आर्किटेक्ट और म्यूजिक कॉम्बिनेशन से बने अपने नए और यूनिक प्रोजेक्ट पर बात की। वह अभी तक 65 से ज्यादा जगह पर अपने इस नए कॉम्बिनेशन को प्रेजेंट कर चुकी है। इंदौर रिजनल चैप्टर के चेयरपर्सन आर्किटेक्ट अभिषेक जुल्का ने मुख्य अथितियों के कार्य की सराहना की और सभी को उनके काम से सीख लेने की सलाह दी। चेयरपर्सन इलेक्ट विकास ठक्कर ने कहा कि इस तरह के प्रयोग आर्किटेक्चर के क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर लें जाएंगे। जल्द ही भारत आर्किटेक्चर के क्षेत्र में विश्व में सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा। हमारी कोशिश रहती हैं कि शहर के आर्किटेक्ट नई चीजे सीखकर और बेहतर काम कर पाए। स्वर और आकृति से बना स्वराकृति आर्किटेक्ट मैत्री ने बताया कि हमने भारतीय शास्त्रीय संगीत और आर्किटेक्चर को मिला कर कुछ नया और अलग बनाने की कोशिश है। हमने प्राचीन भारतीय संस्कृति और आज के समय के अनुसार इसे विश्व स्तर पर स्वीकारता पाने के अनुसार बनाने की कोशिश की है। आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इस तरह का कॉम्बिनेशन पहली बार हुआ है। हमने इसे 'स्वराकृति' नाम दिया है। म्यूजिक को हम छू नहीं सकते वही आर्किटेक्चर को छू कर देखा जा सकता है। दो विभिन्न रूपों को एक साथ लाना कल्पना से परे है लेकिन हमारे देश को हमेशा से यह पता है कि भावों और आकार को कैसे साथ लाया जा सकता है। हमें शुरू से मन के भावो को एक आकार देने की कला आती है। हमारे ऋषियों ने यंत्र के रूप में यह कला हमें बहुत पहले सीखा दी थी। आर्किटेक्चर और म्यूजिक का कॉम्बिनेशन डॉ; जानकी ने बताया कि गणित की मदद से हमने इन दो चीजों को जोड़ा है। यदि गणित की दृष्टि से देख जाए तो संगीत के स्वरों के बीच एक तय अंतर होता है और हमेशा एक जैसा रहता है। इसी अंतर का को आधार बनाकर हमने एक आर्किटेचर तैयार किया है। जितना डिस्टेंस स्वर के बिच होता है उतनी ही दूरी हमने ईटों के बीच रखी और इस प्रोजेक्ट को तैयार किया। पहले के समय में हमारे ऋषि भी इसी तरह से मंदिर का निर्माण किया करते थे। हमने उसी कला को वापस लाने की कोशिश की है।*बहुत शोध के बाद तैयार हुआ प्रोजेक्ट*आर्किटेक्ट कलापी ने बताया कि इसी आधार पर हमने टाइल्स भी बनाई है। इन टाइल्स को म्यूजिक और गणित को मिलाकर तैयार किया गया है। जैसे आयुर्वेद में हर इलाज के लिए अलग दवा है वैसे ही संगीत में हर एक स्वर के लिए अलग अंक और दूरी तय की हुई है। काफी एनालिसिस और एक्सपेरिमेंट के बाद हमने यह प्रोजेक्ट्स तैयार किए हैं।