इंदौर में 89 घंटे बाद छात्रों का प्रदर्शन खत्म:रात 3 बजे बातचीत करने पहुंचे कलेक्टर, MPPSC ने दिया हर सवाल का जवाब
इंदौर में 89 घंटे बाद छात्रों का प्रदर्शन खत्म:रात 3 बजे बातचीत करने पहुंचे कलेक्टर, MPPSC ने दिया हर सवाल का जवाब
इंदौर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के अभ्यर्थियों का चार दिन चला धरना-प्रदर्शन रविवार सुबह 5 बजे समाप्त हो गया। छात्रों का यह प्रदर्शन करीब 89 घंटे तक चला। प्रदर्शन में प्रदेशभर के करीब 2 हजार से अधिक छात्र शामिल हुए थे। इस दौरान दो अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठे थे। गुरुवार रात से आमरण अनशन पर बैठे अरविंद सिंह भदौरिया की हालत शनिवार को बिगड़ गई। जिसके चलते वे बेहोश हो गए। उन्हें ड्रीप चढ़ाई गई। अरविंद के साथ स्टूडेंट लीडर राधे जाट भी आमरण अनशन पर थे। कलेक्टर ने ढाई घंटे तक की छात्रों से बातचीत
चार दिनों से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) मुख्यालय के सामने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांगों को मान लिया गया है। आयोग की सहमति के बाद, कलेक्टर आशीष सिंह सहित प्रशासन के अधिकारी आधी रात को प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच पहुंचे। उन्होंने ढाई घंटे तक उनके साथ चर्चा की और तड़के 5 बजे आंदोलन को समाप्त करवाया। छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात के लिए भोपाल रवाना हो गया है। पांच सूत्रीय मांगों को लेकर एमपीपीएससी के करीब 2 हजार से अधिक छात्र पिछले चार दिनों से आयोग मुख्यालय के बाहर धरना दे रहे थे। कड़कड़ाती ठंड के बावजूद, देर रात तक सभी छात्र धरने पर बैठे रहे। रात करीब 3 बजे कलेक्टर आशीष सिंह और प्रशासन के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्रों को आश्वासन देकर प्रदर्शन समाप्त करने के लिए राजी किया। देर रात मुख्यालय के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था, जिसे देखकर छात्र सकते में आ गए। कुछ समय बाद, कलेक्टर आशीष सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर आयोग ने सहमति जताई है। हालांकि, कुछ मांगे फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिन पर आयोग बैठक करेगा। बाकी मांगों पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद, पुलिस बल ने छात्रों को मुख्यालय से हटने के निर्देश दिए। आश्वासन मिलने के बाद छात्र संतुष्ट हो गए। इसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन स्थल को खाली कर दिया। पीसीसी चीफ, नेता प्रतिपक्ष सहित कई विधायकों ने धरना स्थल पर पहुंचकर किया था समर्थन एमपीपीएससी मुख्यालय के सामने धरना दे रहे अभ्यर्थियों के समर्थन में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार, कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने भी स्टूडेंट्स की मांगों को समर्थन देने पहुंचे थे। इस दौरान पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि, एमपीपीएससी में 100 नंबर के पेपर में 101 नंबर आ रहे हैं, ये धांधली नहीं तो क्या है। यहां कोई भी परीक्षा बिना भ्रष्टाचार के नहीं होती है। सब अधिकारी भ्रष्टाचार करके नंबर देते हैं। 2019 से कॉपी क्यों नहीं दे रहे? उन्होंने कहा कि ये कैसे हठधर्मिता है कि पांच लाख बच्चे हर साल तैयारी करते हैं और वैकेंसी निकलती है 110 की। जबकि सरकार ढाई लाख लोगों के लिए नौकरी की बात करती है। पिछले मुख्यमंत्री भी भाषण दे देकर चले गए। और हर साल चार-पांच लाख बच्चे ओवरएज हो जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने छात्रों की मांग का समर्थन करते हुए कहा था कि- इनकी मांग वाजिब है। पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठे हैं, कुछ अनशन पर बैठे हैं। मध्यप्रदेश सरकार को, सीएम को इनसे बात करना चाहिए। क्या परेशानी है इन्हें कॉपी दिखाने में। क्यों नहीं दिखाना चाहते सरकार बताए। प्रश्न गलत क्यों देते हैं। पारदर्शिता होना चाहिए। जिस प्रकार से इंटरव्यू में गड़बड़िया हो रही हैं, इसे तत्काल बंद कराए, नहीं तो अलगे सत्र में सदन नहीं चलने देंगे। आयोग और छात्रों के बीच 2 बार की चर्चा में नहीं बन सकी थी सहमती
इससे पहले आयोग के अधिकारियों से प्रदर्शन कर रहे छात्रों की दो बार चर्चा भी हुई, लेकिन छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि आयोग हमें लिखित में दे, हम तत्काल जगह छोड़ देंगे, नहीं तो लोकतांत्रिक तरीके से शांति पूर्ण प्रदर्शन करते रहेंगे। इधर, दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए आयोग अपनी मजबूरी बताई। अधिकारियों का कहना है कि जो काम हमारे हाथ में है उसमें हम सुधार कर रहे हैं, लेकिन सरकार और कोर्ट लेवल पर कुछ भी टिप्पणी कर पाना हमारे लिए संभव नहीं। एमपीपीएससी के ओएसडी डॉ. रवींद्र पंचभाई ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि- हम लगातार स्टूडेंट के संपर्क में हैं। जो विषय हमारे हाथ में है उस पर विचार कर रहे हैं। जो शासन के अधीन है उसे वहां फॉरवर्ड कर दिया है। ऐसे विषय जो हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं उस पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। अब सिलसिलेवार पढ़िए- स्टूडेंट की मांग, उस पर आयोग के जवाब और स्टूडेंट के तर्क 1. छात्रों की मांग : 2019 से मुख्य परीक्षा (Mains) की कॉपियां दिखाई जाए। इसकी मार्कशीट भी जारी की जाए।
आयोग का जवाब : वर्तमान में सौ प्रतिशत तक 2019 या उसके बाद जो भी विज्ञापन निकला है, उसमें 13 प्रतिशत परिणाम रुका है। अधूरे परीक्षा परिणामों के बीच किसी भी तरह के अंकों का प्रदर्शन करना परीक्षा की गोपनीयता को खंडित करता है। इसीलिए परीक्षा नीति के अनुसार कॉपियां दिखाना संभव नहीं है। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
छात्रों का तर्क : हम आयोग के जवाब से संतुष्ट हो जाएंगे, यदि वे हमें लिखित में जवाब दे दें। 2. छात्रों की मांग : एमपीपीएससी 2025 में राज्य सेवा में 700 और वन सेवा में 100 पदों के साथ नोटिफिकेशन जारी किया जाए।
आयोग का जवाब : आयोग केवल परीक्षा कंडक्टिंग एजेंसी है। शासन के विभागों से जितने भी पद हमारे पास आते हैं, आयोग उसकी परीक्षा कराता है। हम उसी अनुसार चयन प्रक्रिया पूरी करके शासन को सौंप देंगे। भले 700 पद हों या 7 हजार। हमारा ऐसे विभागों से लगातार पत्राचार चलता रहता है।
छात्रों का तर्क : एमपीपीएससी को इसके लिए रिमाइंडर जारी करना चाहिए। 3. छात्रों की मांग : 2023 राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया जाए।
आयोग का जवाब : इसकी घोषणा के लिए हमारी तैयारी पूरी है।
इंदौर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के अभ्यर्थियों का चार दिन चला धरना-प्रदर्शन रविवार सुबह 5 बजे समाप्त हो गया। छात्रों का यह प्रदर्शन करीब 89 घंटे तक चला। प्रदर्शन में प्रदेशभर के करीब 2 हजार से अधिक छात्र शामिल हुए थे। इस दौरान दो अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठे थे। गुरुवार रात से आमरण अनशन पर बैठे अरविंद सिंह भदौरिया की हालत शनिवार को बिगड़ गई। जिसके चलते वे बेहोश हो गए। उन्हें ड्रीप चढ़ाई गई। अरविंद के साथ स्टूडेंट लीडर राधे जाट भी आमरण अनशन पर थे। कलेक्टर ने ढाई घंटे तक की छात्रों से बातचीत
चार दिनों से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) मुख्यालय के सामने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांगों को मान लिया गया है। आयोग की सहमति के बाद, कलेक्टर आशीष सिंह सहित प्रशासन के अधिकारी आधी रात को प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच पहुंचे। उन्होंने ढाई घंटे तक उनके साथ चर्चा की और तड़के 5 बजे आंदोलन को समाप्त करवाया। छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात के लिए भोपाल रवाना हो गया है। पांच सूत्रीय मांगों को लेकर एमपीपीएससी के करीब 2 हजार से अधिक छात्र पिछले चार दिनों से आयोग मुख्यालय के बाहर धरना दे रहे थे। कड़कड़ाती ठंड के बावजूद, देर रात तक सभी छात्र धरने पर बैठे रहे। रात करीब 3 बजे कलेक्टर आशीष सिंह और प्रशासन के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्रों को आश्वासन देकर प्रदर्शन समाप्त करने के लिए राजी किया। देर रात मुख्यालय के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था, जिसे देखकर छात्र सकते में आ गए। कुछ समय बाद, कलेक्टर आशीष सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर आयोग ने सहमति जताई है। हालांकि, कुछ मांगे फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिन पर आयोग बैठक करेगा। बाकी मांगों पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद, पुलिस बल ने छात्रों को मुख्यालय से हटने के निर्देश दिए। आश्वासन मिलने के बाद छात्र संतुष्ट हो गए। इसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन स्थल को खाली कर दिया। पीसीसी चीफ, नेता प्रतिपक्ष सहित कई विधायकों ने धरना स्थल पर पहुंचकर किया था समर्थन एमपीपीएससी मुख्यालय के सामने धरना दे रहे अभ्यर्थियों के समर्थन में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार, कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने भी स्टूडेंट्स की मांगों को समर्थन देने पहुंचे थे। इस दौरान पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि, एमपीपीएससी में 100 नंबर के पेपर में 101 नंबर आ रहे हैं, ये धांधली नहीं तो क्या है। यहां कोई भी परीक्षा बिना भ्रष्टाचार के नहीं होती है। सब अधिकारी भ्रष्टाचार करके नंबर देते हैं। 2019 से कॉपी क्यों नहीं दे रहे? उन्होंने कहा कि ये कैसे हठधर्मिता है कि पांच लाख बच्चे हर साल तैयारी करते हैं और वैकेंसी निकलती है 110 की। जबकि सरकार ढाई लाख लोगों के लिए नौकरी की बात करती है। पिछले मुख्यमंत्री भी भाषण दे देकर चले गए। और हर साल चार-पांच लाख बच्चे ओवरएज हो जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने छात्रों की मांग का समर्थन करते हुए कहा था कि- इनकी मांग वाजिब है। पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठे हैं, कुछ अनशन पर बैठे हैं। मध्यप्रदेश सरकार को, सीएम को इनसे बात करना चाहिए। क्या परेशानी है इन्हें कॉपी दिखाने में। क्यों नहीं दिखाना चाहते सरकार बताए। प्रश्न गलत क्यों देते हैं। पारदर्शिता होना चाहिए। जिस प्रकार से इंटरव्यू में गड़बड़िया हो रही हैं, इसे तत्काल बंद कराए, नहीं तो अलगे सत्र में सदन नहीं चलने देंगे। आयोग और छात्रों के बीच 2 बार की चर्चा में नहीं बन सकी थी सहमती
इससे पहले आयोग के अधिकारियों से प्रदर्शन कर रहे छात्रों की दो बार चर्चा भी हुई, लेकिन छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि आयोग हमें लिखित में दे, हम तत्काल जगह छोड़ देंगे, नहीं तो लोकतांत्रिक तरीके से शांति पूर्ण प्रदर्शन करते रहेंगे। इधर, दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए आयोग अपनी मजबूरी बताई। अधिकारियों का कहना है कि जो काम हमारे हाथ में है उसमें हम सुधार कर रहे हैं, लेकिन सरकार और कोर्ट लेवल पर कुछ भी टिप्पणी कर पाना हमारे लिए संभव नहीं। एमपीपीएससी के ओएसडी डॉ. रवींद्र पंचभाई ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि- हम लगातार स्टूडेंट के संपर्क में हैं। जो विषय हमारे हाथ में है उस पर विचार कर रहे हैं। जो शासन के अधीन है उसे वहां फॉरवर्ड कर दिया है। ऐसे विषय जो हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं उस पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। अब सिलसिलेवार पढ़िए- स्टूडेंट की मांग, उस पर आयोग के जवाब और स्टूडेंट के तर्क 1. छात्रों की मांग : 2019 से मुख्य परीक्षा (Mains) की कॉपियां दिखाई जाए। इसकी मार्कशीट भी जारी की जाए।
आयोग का जवाब : वर्तमान में सौ प्रतिशत तक 2019 या उसके बाद जो भी विज्ञापन निकला है, उसमें 13 प्रतिशत परिणाम रुका है। अधूरे परीक्षा परिणामों के बीच किसी भी तरह के अंकों का प्रदर्शन करना परीक्षा की गोपनीयता को खंडित करता है। इसीलिए परीक्षा नीति के अनुसार कॉपियां दिखाना संभव नहीं है। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
छात्रों का तर्क : हम आयोग के जवाब से संतुष्ट हो जाएंगे, यदि वे हमें लिखित में जवाब दे दें। 2. छात्रों की मांग : एमपीपीएससी 2025 में राज्य सेवा में 700 और वन सेवा में 100 पदों के साथ नोटिफिकेशन जारी किया जाए।
आयोग का जवाब : आयोग केवल परीक्षा कंडक्टिंग एजेंसी है। शासन के विभागों से जितने भी पद हमारे पास आते हैं, आयोग उसकी परीक्षा कराता है। हम उसी अनुसार चयन प्रक्रिया पूरी करके शासन को सौंप देंगे। भले 700 पद हों या 7 हजार। हमारा ऐसे विभागों से लगातार पत्राचार चलता रहता है।
छात्रों का तर्क : एमपीपीएससी को इसके लिए रिमाइंडर जारी करना चाहिए। 3. छात्रों की मांग : 2023 राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया जाए।
आयोग का जवाब : इसकी घोषणा के लिए हमारी तैयारी पूरी है। लेकिन उसमें हाई कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई चल रही है। यदि हम रिजल्ट जारी कर देते हैं और हाई कोर्ट का आदेश कुछ और आता है तो हम रिजल्ट को रिवर्ट कैसे करेंगे? ऐसे में हमें परीक्षा परिणाम निरस्त करना पड़ेगा। इस केस में 7 जनवरी को सुनवाई है। उसमें हाई कोर्ट का जो भी निर्णय आता है उसके आधार पर हम रिजल्ट घोषित कर देंगे।
छात्रों का तर्क : हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि आयोग के वकील इसमें अगली तारीख ले लेंगे। 4. छात्रों की मांग : 87/13 फॉर्मूला खत्म करके सभी परिणाम सौ प्रतिशत पर जारी किए जाएं।
आयोग का जवाब : ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कुछ याचिकाओं की सुनवाई चल रही है। उसके आदेश से रिजल्ट भी प्रभावित होगा। लेकिन शासन की मजबूरी है कि लगातार लोग रिटायर्ड हो रहे हैं और मैनपॉवर की जरूरत बनी रहती है। इसलिए 87% पर नियुक्तियां की जा रही हैं। जो विवादित 13% हिस्सा है उसे होल्ड किया है। जिस भी पक्ष में कोर्ट का निर्णय आता है, उसी अनुसार नियुक्तियां की जाएंगी।
छात्रों का तर्क : वे इस मामले का हल निकालना ही नहीं चाहते। ऐसा हम कई सालों से कई केसेस में देख चुके हैं। 5. छात्रों की मांग : सहायक प्राध्यापक 2022 के सभी विषयों के साक्षात्कार तीन माह के अंदर आयोजित हों। अंतिम चयन प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए।
आयोग का जवाब : सहा. प्राध्यापक के सभी विषयों के लिखित परीक्षा परिणाम हम बहुत जल्द ही घोषित करने जा रहे हैं। लेकिन साक्षात्कार के लिए एक सीमा है। अभी 38 विषयों के साक्षात्कार होना है। हम ये सोमवार यानी 23 दिसंबर से शुरू करने जा रहे हैं। जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे। सोमवार से संस्कृत विषय के साक्षात्कार शुरू कर रहे हैं। उसके बाद गृह विज्ञान का भी टाइम टेबल घोषित कर दिया है। इसके साक्षात्कार 2 जनवरी से शुरू होंगे। हिंदी और अन्य विषयों के भी जल्द से जल्द साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी करके अगले सहायक प्राध्यापकों का विज्ञापन जारी करने जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में 7 से 8 हजार अभ्यर्थियों के इंटरव्यू लिए जाएंगे। इनमें से करीब 2 हजार पद भरे जाना है।
छात्रों का तर्क : यदि ऐसा है तो हम आयोग के कदम का स्वागत करते हैं। 6. छात्रों की मांग : मप्र पात्रता परीक्षा (SET) में 6% की जगह 15% उम्मीदवारों को क्वालीफाई किया जाए। आयोग का जवाब : जो भी पात्रता परीक्षा का आयोजन है वह यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार होगा। यूजीसी नेट की गाइड लाइन के मुताबिक परीक्षा में हिस्सा लेने वाले कुल अभ्यर्थियों के 15% क्वालिफाई होते हैं। लेकिन एमपीपीएससी में हम क्वालिफाई प्रतिभागियों के 6% स्टूडेंट को मौका देते हैं। यह संख्या निश्चित रूप से SET के अभ्यर्थियों से ज्यादा है। यह अभ्यर्थियों को समझना होगा। 7. छात्रों की मांग : सहायक संचालक कृषि एवं विस्तार अधिकारी का विज्ञापन 100 से अधिक और सहायक यंत्री सिविल के 450 से अधिक पद के साथ विज्ञापन जारी किया जाए। आयोग का जवाब : यह हमारे हाथ में नहीं है। हमें जो भी विभाग जितने भी पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए कहेंगे हम उतने पदों के लिए परीक्षा आयोजित करेंगे। छात्रों का तर्क : आयोग इस मामले में रिमाइंडर जारी कर सकता है, जो उसे करना चाहिए। 8. छात्रों की मांग : आईटीआई प्रिंसिपल के साक्षात्कार एक साल से लंबित हैं। जल्द से जल्द आयोजित कराए जाएं। आयोग का जवाब : इसकी तारीख घोषित हो चुकी है। इसका कैलेंडर एमपीपीएससी के पोर्टल पर अपलोड है। छात्रों ने आयोग को परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सुझाव भी दिए, जानिए उन पर आयोग के जवाब छात्रों का सुझाव : प्रारंभिक परीक्षा में यूपीएससी की तरह एक भी प्रश्न गलत न हो। आयोग का जवाब : दो दिन पहले ही सहायक प्राध्यापक के 12 विषयों की परीक्षा के परिणाम घोषित किए हैं और उसमें शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम सही हैं। यह लगातार सुधार की प्रक्रिया है। यह एकेडमिक काम है। हमारे एक्सपर्ट और मॉडरेटर इस पर काम करते हैं। छात्रों का सुझाव : इंटरव्यू के मार्क्स कम करके बिना कैटेगरी और सरनेम के वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ इंटरव्यू आयोजित हों। आयोग का जवाब : सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक काम कर रहे हैं। जितने भी लोक सेवा आयोग हैं, वे सभी संवैधानिक संस्थाए हैं। यहां पर देश के प्रतिष्ठित एक्सपर्ट आते हैं। वहां किस तरह की चर्चा होती है, उसकी रिकॉर्डिंग करना एक्सपर्ट या विषय विशेषज्ञों की कार्यप्रणाली और योग्यता पर शंका करने का विषय हो सकता है। आयोग में वर्तमान में ऐसी कोई समस्या नहीं है। छात्रों के प्रदर्शन से जुड़ी यह खबरें भी पढ़ें... इंदौर में कड़ाके की ठंड में सड़क पर डटे स्टूडेंट्स:नेता प्रतिपक्ष बोले- इनकी मांगें जायज, सीएम जल्द निर्णय लें; मौके पर एडीएम से की बात इंदौर में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के अभ्यर्थियों का प्रदर्शन शनिवार को लगातार चौथे दिन भी जारी है। करीब 2 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स कड़ाके की ठंड के बीच एमपीपीएससी के दफ्तर के सामने डटे हैं। शनिवार रात में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी यहां पहुंचे। उन्होंने स्टूडेंट्स की मांगों को जायज बताया और सरकार से इन्हें जल्द पूरा करने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष ने मौके पर एडीएम रोशन राय से भी बात की। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स की मांगों को लेकर आपको सरकार से बात करनी चाहिए। पूरी खबर... कड़ाके की ठंड में सड़क पर डटे हजारों स्टूडेंट्स:इंदौर में एमपीपीएससी के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन; बोले- हमारी मांगें जायज, पूरी करनी होंगी इंदौर में एमपीपीएससी के दफ्तर के सामने बुधवार को दिनभर प्रदर्शन के बाद रात में भी कड़ाके की ठंड के बीच हजारों स्टूडेंट्स डटे रहे। गुरुवार को भी वे बैठे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हम मांगें पूरी होने तक यहीं रहेंगे। ये प्रदर्शन नेशनल एजुकेडेट यूथ यूनियन के नेतृत्व में हो रहा है। यूनियन की राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य राधे जाट ने कहा- बुधवार सुबह 10 बजे से प्रदर्शन शुरू हुआ। इसमें 10 से 15 हजार स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं। मुख्यमंत्री जब तक हमारी मांगों का निराकरण लिखित में नहीं दे देते तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा। हमारी सभी मांगें जायज हैं, उन्हें पूरा करना पड़ेगा।पूरी खबर...