एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को 4 लाख भुगतान का आदेश:बालाघाट उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला; कंपनी ने बीमा क्लेम रिजेक्ट किया था
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को 4 लाख भुगतान का आदेश:बालाघाट उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला; कंपनी ने बीमा क्लेम रिजेक्ट किया था
बालाघाट जिला उपभोक्ता आयोग ने गुरुवार को एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता को 4 लाख रुपए का बीमा क्लेम भुगतान करना का आदेश दिया है। मामला जनवरी 2020 का है, जब दीपमाला यादव ने भारतीय स्टेट बैंक वारासिवनी से 4 लाख रुपए का पर्सनल लोन लिया था। बैंक ने लोन को कवर करने के लिए एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस से स्मार्ट स्वधन प्लस बीमा कराया। इसकी प्रीमियम राशि 18,560 रुपए थी। 6 अक्टूबर 2021 को दीपमाला यादव की मृत्यु हो गई। उनके पति सुनील मेहरबान ने बीमा क्लेम के लिए सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए। लेकिन कंपनी ने किडनी की बीमारी से मृत्यु होने का हवाला देते हुए क्लेम को खारिज कर दिया। पीड़ित सुनील मेहरबान ने अधिवक्ता जे.एल. अंगारे से उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर कराई थी। आयोग अध्यक्ष श्यामाचरण और सदस्य महेश चांडक और हर्षा विजयवार की बेंच ने मामले की सुनवाई की। फोरम ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की सेवा में कमी मानते हुए कंपनी को 4 लाख रुपए का बीमा क्लेम बैंक को देने का आदेश दिया। साथ ही आवेदक मेहरबान को 5 हजार रुपए वाद व्यय के रूप में देने को कहा है।
बालाघाट जिला उपभोक्ता आयोग ने गुरुवार को एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता को 4 लाख रुपए का बीमा क्लेम भुगतान करना का आदेश दिया है। मामला जनवरी 2020 का है, जब दीपमाला यादव ने भारतीय स्टेट बैंक वारासिवनी से 4 लाख रुपए का पर्सनल लोन लिया था। बैंक ने लोन को कवर करने के लिए एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस से स्मार्ट स्वधन प्लस बीमा कराया। इसकी प्रीमियम राशि 18,560 रुपए थी। 6 अक्टूबर 2021 को दीपमाला यादव की मृत्यु हो गई। उनके पति सुनील मेहरबान ने बीमा क्लेम के लिए सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए। लेकिन कंपनी ने किडनी की बीमारी से मृत्यु होने का हवाला देते हुए क्लेम को खारिज कर दिया। पीड़ित सुनील मेहरबान ने अधिवक्ता जे.एल. अंगारे से उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर कराई थी। आयोग अध्यक्ष श्यामाचरण और सदस्य महेश चांडक और हर्षा विजयवार की बेंच ने मामले की सुनवाई की। फोरम ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की सेवा में कमी मानते हुए कंपनी को 4 लाख रुपए का बीमा क्लेम बैंक को देने का आदेश दिया। साथ ही आवेदक मेहरबान को 5 हजार रुपए वाद व्यय के रूप में देने को कहा है।