दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान:बच्चों में स्वास्थ्य विसंगतियों की पहचान कर किया जाएगा उपचार
दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान:बच्चों में स्वास्थ्य विसंगतियों की पहचान कर किया जाएगा उपचार
दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान की शुरुआत होटल अशोका में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी ने किया । डायरिया से निपटने के लिए 25 जून से 31 अगस्त तक अभियान की योजना बनाई है। इस दौरान बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में प्रतिवर्ष दस्तक अभियान संचालित किया जाता है। अभियान का प्रमुख उद्देश्य बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाना है। डिप्टी डायरेक्टर चाइल्ड एवं स्वास्थ्य हिमानी यादव ने बताया यह अभियान हर साल दो भागों में करते हैं, जिसमें पहले भाग में बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं जिसमें एनेमिक बच्चों के बारे में पता चलता है। दूसरे राउंड में उनका दोबारा परीक्षण करते हैं यह देखने के लिए वह एनीमिया से बाहर आए हैं। इसकी शुरुआत साल 2016 में हुई थी। एनएफएचएस डेटा के अनुसार डायरिया 6.5 प्रतिशत बच्चो में होता है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य आयुक्त प्रियंका दास ने कार्यक्रम की रूप देखा बताई। वहीं दस्तक अभियान के बारे में मौजूद स्वास्थ्य अधिकारियों को बताई। उन्होंने कहा कि हम इस कार्यक्रम में पहचान करते हैं इसमें बच्चों में गंभीर बीमारियों की पहचान करते हैं। इसके अलावा हम बच्चे को रिफर करके बच्चे को दवाईयां आदि दी जाती हैं। इसके बाद हम परामर्श भी देते हैं, फिर समुदाय आधारित प्रबंधन करते हैं। इससे पहले हम करीब 81.33 लाख बच्चो की जांच कर पाए हैं। बच्चों में स्वास्थ्य विसंगतियों की जाएगी पहचान
दस्तक अभियान के अन्तर्गत बीमार नवजातों और बच्चों की पहुंच, प्रबंधन एवं रेफरल एवं अस्पताल से छुट्टी प्राप्त बच्चों का फोलोअप किया जाएगा। 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों में विटामिन ‘ए’ की खुराक का अनुपूरण और 0 से 5 आयु वर्ष के बच्चों में दस्त की पहचान एवं नियंत्रण के लिए ओ.आर. एस. एवं जिंक का वितरण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही 0-5 आयु वर्ष के बच्चों में निमोनिया, जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलम्ब, गंभीर कुपोषण की त्वरित पहचान और प्रबंधन का कार्य किया जाएगा। 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों में गंभीर अनीमिया की स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन के साथ शिशु एवं बाल आहारपूर्ति सम्बन्धी समझाइश समुदाय को दी जाएगी। आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों या टीकाकरण से छूटे बच्चों की स्थिति की जानकारी लेकर आवश्यक निदानात्मक कार्रवाई की जाएगी। 5 वर्ष तक के बच्चों में श्रवण बाधिता और दृष्टिदोष की पहचान एवं उपचार का कार्य किया जाएगा। डायरिया के लिए विभागों को निर्देश
इस अभियान के तहत डायरिया की रोकथाम के लिए लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग, महिला बाल विकास विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।
दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान की शुरुआत होटल अशोका में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी ने किया । डायरिया से निपटने के लिए 25 जून से 31 अगस्त तक अभियान की योजना बनाई है। इस दौरान बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में प्रतिवर्ष दस्तक अभियान संचालित किया जाता है। अभियान का प्रमुख उद्देश्य बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाना है। डिप्टी डायरेक्टर चाइल्ड एवं स्वास्थ्य हिमानी यादव ने बताया यह अभियान हर साल दो भागों में करते हैं, जिसमें पहले भाग में बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं जिसमें एनेमिक बच्चों के बारे में पता चलता है। दूसरे राउंड में उनका दोबारा परीक्षण करते हैं यह देखने के लिए वह एनीमिया से बाहर आए हैं। इसकी शुरुआत साल 2016 में हुई थी। एनएफएचएस डेटा के अनुसार डायरिया 6.5 प्रतिशत बच्चो में होता है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य आयुक्त प्रियंका दास ने कार्यक्रम की रूप देखा बताई। वहीं दस्तक अभियान के बारे में मौजूद स्वास्थ्य अधिकारियों को बताई। उन्होंने कहा कि हम इस कार्यक्रम में पहचान करते हैं इसमें बच्चों में गंभीर बीमारियों की पहचान करते हैं। इसके अलावा हम बच्चे को रिफर करके बच्चे को दवाईयां आदि दी जाती हैं। इसके बाद हम परामर्श भी देते हैं, फिर समुदाय आधारित प्रबंधन करते हैं। इससे पहले हम करीब 81.33 लाख बच्चो की जांच कर पाए हैं। बच्चों में स्वास्थ्य विसंगतियों की जाएगी पहचान
दस्तक अभियान के अन्तर्गत बीमार नवजातों और बच्चों की पहुंच, प्रबंधन एवं रेफरल एवं अस्पताल से छुट्टी प्राप्त बच्चों का फोलोअप किया जाएगा। 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों में विटामिन ‘ए’ की खुराक का अनुपूरण और 0 से 5 आयु वर्ष के बच्चों में दस्त की पहचान एवं नियंत्रण के लिए ओ.आर. एस. एवं जिंक का वितरण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही 0-5 आयु वर्ष के बच्चों में निमोनिया, जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलम्ब, गंभीर कुपोषण की त्वरित पहचान और प्रबंधन का कार्य किया जाएगा। 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों में गंभीर अनीमिया की स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन के साथ शिशु एवं बाल आहारपूर्ति सम्बन्धी समझाइश समुदाय को दी जाएगी। आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों या टीकाकरण से छूटे बच्चों की स्थिति की जानकारी लेकर आवश्यक निदानात्मक कार्रवाई की जाएगी। 5 वर्ष तक के बच्चों में श्रवण बाधिता और दृष्टिदोष की पहचान एवं उपचार का कार्य किया जाएगा। डायरिया के लिए विभागों को निर्देश
इस अभियान के तहत डायरिया की रोकथाम के लिए लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग, महिला बाल विकास विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।