उफ् ये कुर्सी का रोग; एमजीएम के बाद अब डेंटल कॉलेज में बवाल
उफ् ये कुर्सी का रोग; एमजीएम के बाद अब डेंटल कॉलेज में बवाल
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में डीन की कुर्सी का बवाल थमे अभी दो हफ्ते भी नहीं बीते थे कि अब डेंटल कॉलेज में प्राचार्य की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व डॉ. देशराज जैन की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी पत्नी डॉ. संध्या जैन ने प्राचार्य की कुर्सी संभाली थी। वरीयता की सूची में वे पहले नंबर पर थीं। अब शासन ने उन्हें हटाकर डॉ. अलका गुप्ता को प्राचार्य का प्रभार सौंप दिया है। डॉ. जैन ने शासन के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उधर, गुरुवार को डॉ. गुप्ता ने कैविएट दायर कर दी और प्राचार्य पद का प्रभार संभाल लिया। शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई होगी। मामले में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। सीट पर संकट नहीं, मैं पीएससी से चयनित, सबसे सीनियर हूं पूर्व प्राचार्य डॉ. संध्या जैन का कहना है कि पीएससी के माध्यम से चयनित हूं और सबसे सीनियर हूं। वरिष्ठता के क्रम में चौथे नंबर पर हूं। पीजी सीट को लेकर संकट नहीं है। पीजी सीट की अनुमति मिल चुकी है। अंडरटेकिंग दी थी। अनियमितता को लेकर कही जा रही बातें गलत हैं, क्योंकि हमारे पास किसी प्रकार का नोटिस नहीं आया है। 15 वर्ष के कार्यकाल में दो नई बिल्डिंगों का काम पूरा करवाया है। शासन से 75 डेंटल चेयर के लिए प्रयास किया। मिलते ही उन्हें विभाग में इंस्टॉल करवाया। ओपीजी मशीन के इंस्टॉल होने के बाद एईआरबी सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है। उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लेड पार्टीशन खरीदी के आदेश दे दिए हैं। खाली पदों की भर्ती प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। कोई भी फैकल्टी विदेश जाती है तो वह अनुमति लेकर ही जाती है। पीजी सीट बचाना मेरे लिए चुनौती, निरीक्षण में बताई थी खामियां प्राचार्य डॉ. अलका गुप्ता का कहना है कि पीजी की सीट बचाना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस वर्ष अनुमति के लिए काउंसिल से टीम आई तो उन्होंने यहां खामियां बताई थीं। यह सभी प्रबंधन स्तर से ठीक हो सकती थी। जैसे ओपीजी मशीन दो माह से रखी है, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुई। डेंटल चेयर सरकार की ओर से नवंबर में मिल गई थी, लेकिन कुछ दिन पहले इंस्टॉल हुई है। यहां के डॉक्टर विदेश जा रहे हैं, फैकल्टी के भी आने का कोई समय तय नहीं है। इससे मरीज और छात्रों को समस्या हो रही है। सरकार ने उन्हें मौका दिया कि चीजों में सुधार हो, लेकिन सुधार नहीं किया। कोर्ट में केविएट इसलिए लगाई ताकि वह कोर्ट को बरगला नहीं सके। डॉ. गुप्ता ने साथ ही कहा कि 70 से अधिक आयु वर्ग के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में डीन की कुर्सी का बवाल थमे अभी दो हफ्ते भी नहीं बीते थे कि अब डेंटल कॉलेज में प्राचार्य की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व डॉ. देशराज जैन की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी पत्नी डॉ. संध्या जैन ने प्राचार्य की कुर्सी संभाली थी। वरीयता की सूची में वे पहले नंबर पर थीं। अब शासन ने उन्हें हटाकर डॉ. अलका गुप्ता को प्राचार्य का प्रभार सौंप दिया है। डॉ. जैन ने शासन के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उधर, गुरुवार को डॉ. गुप्ता ने कैविएट दायर कर दी और प्राचार्य पद का प्रभार संभाल लिया। शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई होगी। मामले में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। सीट पर संकट नहीं, मैं पीएससी से चयनित, सबसे सीनियर हूं पूर्व प्राचार्य डॉ. संध्या जैन का कहना है कि पीएससी के माध्यम से चयनित हूं और सबसे सीनियर हूं। वरिष्ठता के क्रम में चौथे नंबर पर हूं। पीजी सीट को लेकर संकट नहीं है। पीजी सीट की अनुमति मिल चुकी है। अंडरटेकिंग दी थी। अनियमितता को लेकर कही जा रही बातें गलत हैं, क्योंकि हमारे पास किसी प्रकार का नोटिस नहीं आया है। 15 वर्ष के कार्यकाल में दो नई बिल्डिंगों का काम पूरा करवाया है। शासन से 75 डेंटल चेयर के लिए प्रयास किया। मिलते ही उन्हें विभाग में इंस्टॉल करवाया। ओपीजी मशीन के इंस्टॉल होने के बाद एईआरबी सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है। उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लेड पार्टीशन खरीदी के आदेश दे दिए हैं। खाली पदों की भर्ती प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। कोई भी फैकल्टी विदेश जाती है तो वह अनुमति लेकर ही जाती है। पीजी सीट बचाना मेरे लिए चुनौती, निरीक्षण में बताई थी खामियां प्राचार्य डॉ. अलका गुप्ता का कहना है कि पीजी की सीट बचाना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस वर्ष अनुमति के लिए काउंसिल से टीम आई तो उन्होंने यहां खामियां बताई थीं। यह सभी प्रबंधन स्तर से ठीक हो सकती थी। जैसे ओपीजी मशीन दो माह से रखी है, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुई। डेंटल चेयर सरकार की ओर से नवंबर में मिल गई थी, लेकिन कुछ दिन पहले इंस्टॉल हुई है। यहां के डॉक्टर विदेश जा रहे हैं, फैकल्टी के भी आने का कोई समय तय नहीं है। इससे मरीज और छात्रों को समस्या हो रही है। सरकार ने उन्हें मौका दिया कि चीजों में सुधार हो, लेकिन सुधार नहीं किया। कोर्ट में केविएट इसलिए लगाई ताकि वह कोर्ट को बरगला नहीं सके। डॉ. गुप्ता ने साथ ही कहा कि 70 से अधिक आयु वर्ग के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।