हाउसिंग बोर्ड की सुपर कॉरिडोर प्रस्तावित योजना पर रोक:हाईकोर्ट ने किसानों के पक्ष में दिया फैसला, 375 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित है योजना
हाउसिंग बोर्ड की सुपर कॉरिडोर प्रस्तावित योजना पर रोक:हाईकोर्ट ने किसानों के पक्ष में दिया फैसला, 375 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित है योजना
हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड की सुपर कॉरिडोर प्रस्तावित योजना पर रोक लगा दी है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भू-अर्जन की धारा 5-A और सेक्शन 6 को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस भूमि पर हाउसिंग बोर्ड की योजना लागू नहीं की जा सकती। बताया जा रहा है कि इस जमीन की कीमत 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। पालाखेड़ी में लगभग 375 एकड़ जमीन पर हाउसिंग बोर्ड ने आवासीय योजना प्रस्तावित की थी, जिसमें 102 किसानों की जमीन अधिगृहित की जानी थी। इस अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने 42 याचिकाएं दायर की थीं। मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने बुधवार को इस मामले में निर्णय सुनाया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रत्येक किसान को 25 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति दी जाए, हालांकि इसके लिए किसानों को अलग से जिला न्यायालय में याचिका दायर करनी होगी। दरअसल, साल 2013 में लागू हुए नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत दो से चार गुना तक मुआवजे के साथ कई अन्य प्रावधान जोड़े गए। इसी आधार पर किसानों द्वारा हाउसिंग बोर्ड से उचित मुआवजे की मांग की गई थी। सभी याचिकाकर्ता किसान को 25 हजार मुआवजा मिलेगा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता (किसान) पिछले 12 सालों से अधिक समय से अपनी भूमि से वंचित हैं और इस दौरान हाउसिंग बोर्ड ने परियोजना में कोई रुचि नहीं दिखाई। इन 12 सालों में न तो कोई सुनवाई त्वरित रूप से करवाने का प्रयास हुआ और न ही रोक हटाने के लिए कोई आवेदन दायर किया गया। राज्य सरकार ने अलग से रिटर्न दाखिल नहीं किया, बल्कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा दाखिल रिटर्न को ही अपनाया। ऐसे में याचिकाकर्ता प्रत्येक को 25,000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया, साथ ही उन्हें सिविल मुकदमे के माध्यम से मुआवजा या क्षतिपूर्ति का दावा करने की स्वतंत्रता भी दी गई। इन आधारों पर किसानों के पक्ष में निर्णय 12 साल पहले भी हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक हाउसिंग बोर्ड की पालाखेड़ी आवासीय योजना के तहत 375 एकड़ भूमि के अधिग्रहण पर हाईकोर्ट ने 1 जुलाई 2013 को भी रोक लगाई थी। तब 11 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण पर स्थगन आदेश दिया था। किसानों द्वारा जताई गई आपत्तियों को संभागायुक्त ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद किसान बाबूलाल, रमेश, निर्मल, केसरसिंह, अशोक, सत्येंद्र, जितेंद्र, मलखानसिंह आदि ने कोर्ट का रुख किया था। इस पर जस्टिस एन.के. मोदी की बेंच में सुनवाई हुई थी, जिसमें अधिवक्ता के.एल. हार्डिया ने तर्क दिया था कि योजना अस्तित्व में होनी चाहिए और शासन से स्वीकृत भी होनी चाहिए। अब नई योजनाएं लैंड पुलिंग एक्ट के तहत
हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड की सुपर कॉरिडोर प्रस्तावित योजना पर रोक लगा दी है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भू-अर्जन की धारा 5-A और सेक्शन 6 को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस भूमि पर हाउसिंग बोर्ड की योजना लागू नहीं की जा सकती। बताया जा रहा है कि इस जमीन की कीमत 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। पालाखेड़ी में लगभग 375 एकड़ जमीन पर हाउसिंग बोर्ड ने आवासीय योजना प्रस्तावित की थी, जिसमें 102 किसानों की जमीन अधिगृहित की जानी थी। इस अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने 42 याचिकाएं दायर की थीं। मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने बुधवार को इस मामले में निर्णय सुनाया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रत्येक किसान को 25 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति दी जाए, हालांकि इसके लिए किसानों को अलग से जिला न्यायालय में याचिका दायर करनी होगी। दरअसल, साल 2013 में लागू हुए नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत दो से चार गुना तक मुआवजे के साथ कई अन्य प्रावधान जोड़े गए। इसी आधार पर किसानों द्वारा हाउसिंग बोर्ड से उचित मुआवजे की मांग की गई थी। सभी याचिकाकर्ता किसान को 25 हजार मुआवजा मिलेगा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता (किसान) पिछले 12 सालों से अधिक समय से अपनी भूमि से वंचित हैं और इस दौरान हाउसिंग बोर्ड ने परियोजना में कोई रुचि नहीं दिखाई। इन 12 सालों में न तो कोई सुनवाई त्वरित रूप से करवाने का प्रयास हुआ और न ही रोक हटाने के लिए कोई आवेदन दायर किया गया। राज्य सरकार ने अलग से रिटर्न दाखिल नहीं किया, बल्कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा दाखिल रिटर्न को ही अपनाया। ऐसे में याचिकाकर्ता प्रत्येक को 25,000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया, साथ ही उन्हें सिविल मुकदमे के माध्यम से मुआवजा या क्षतिपूर्ति का दावा करने की स्वतंत्रता भी दी गई। इन आधारों पर किसानों के पक्ष में निर्णय 12 साल पहले भी हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक हाउसिंग बोर्ड की पालाखेड़ी आवासीय योजना के तहत 375 एकड़ भूमि के अधिग्रहण पर हाईकोर्ट ने 1 जुलाई 2013 को भी रोक लगाई थी। तब 11 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण पर स्थगन आदेश दिया था। किसानों द्वारा जताई गई आपत्तियों को संभागायुक्त ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद किसान बाबूलाल, रमेश, निर्मल, केसरसिंह, अशोक, सत्येंद्र, जितेंद्र, मलखानसिंह आदि ने कोर्ट का रुख किया था। इस पर जस्टिस एन.के. मोदी की बेंच में सुनवाई हुई थी, जिसमें अधिवक्ता के.एल. हार्डिया ने तर्क दिया था कि योजना अस्तित्व में होनी चाहिए और शासन से स्वीकृत भी होनी चाहिए। अब नई योजनाएं लैंड पुलिंग एक्ट के तहत