दमोह में निजी क्लीनिक संचालकों की चेतावनी का असर:कलेक्टर के आश्वासन पर टला बंद का फैसला; स्वास्थ्य विभाग ने अपनाया लचीला रुख

दमोह में निजी क्लिनिक और अस्पताल संचालकों की चेतावनी के बाद प्रशासन ने अपना रुख नरम कर लिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम बार-बार जांच से नाराज होकर सभी क्लिनिक और अस्पताल संचालकों ने 27 जून से अपने प्रतिष्ठान बंद करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद विभाग ने कहा है खामियां को ठीक किया जाएगा। इसके संचालकों ने विरोध वापस ले लिया है। जिले में 22 निजी क्लिनिक और अस्पताल संचालित हैं। डॉ. संजीव सिंघई के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाए गए नियम अव्यावहारिक हैं। वे सरकारी महत्वपूर्ण नियमों का पालन करने को तैयार हैं। मिशन अस्पताल पर हुई कार्रवाई के बाद से प्रशासन ने सभी निजी अस्पतालों को अव्यावहारिक नोटिस देने शुरू कर दिए। निरीक्षण दल छोटी-छोटी कमियां निकालकर अस्पताल बंद करने की धमकी दे रहा था। जैसे रेत भरी बाल्टी न होना। नियम के अनुसार वार्षिक जांच होनी चाहिए, लेकिन हर तीन महीने में जांच की जा रही थी। डॉक्टरों को आशंका थी कि यह किसी बड़े अस्पताल को लाभ पहुंचाने का षड्यंत्र हो सकता है। डॉक्टर विनोद कुकरेजा ने प्रशासन को चेतावनी दी थी। कलेक्टर सुधीर कोचर से मुलाकात के बाद मामला शांत हुआ। कलेक्टर ने अव्यावहारिक नियमों में सुधार का आश्वासन दिया। इसके बाद क्लिनिक संचालकों ने अपना विरोध वापस ले लिया। स्वास्थ्य विभाग समन्वय बनाएगा शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टर को यह भरोसा दिलाया है कि जो खामियां हुई है उन्हें ठीक किया जाएगा। अधिकारियों के बीच समन्वय न होने के कारण बार-बार इस तरह से टीम क्लिनिक में जांच करने के लिए गई, जिससे यह अव्यवस्था हुई। अब उसमें सुधार कर दिया गया है। आगे से ऐसा नहीं होगा। इसके बाद सभी निजी क्लिनिक अस्पताल संचालक ने तय किया कि अब हड़ताल नहीं करेंगे।

Jun 26, 2025 - 13:34
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दमोह में निजी क्लीनिक संचालकों की चेतावनी का असर:कलेक्टर के आश्वासन पर टला बंद का फैसला; स्वास्थ्य विभाग ने अपनाया लचीला रुख
दमोह में निजी क्लिनिक और अस्पताल संचालकों की चेतावनी के बाद प्रशासन ने अपना रुख नरम कर लिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम बार-बार जांच से नाराज होकर सभी क्लिनिक और अस्पताल संचालकों ने 27 जून से अपने प्रतिष्ठान बंद करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद विभाग ने कहा है खामियां को ठीक किया जाएगा। इसके संचालकों ने विरोध वापस ले लिया है। जिले में 22 निजी क्लिनिक और अस्पताल संचालित हैं। डॉ. संजीव सिंघई के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाए गए नियम अव्यावहारिक हैं। वे सरकारी महत्वपूर्ण नियमों का पालन करने को तैयार हैं। मिशन अस्पताल पर हुई कार्रवाई के बाद से प्रशासन ने सभी निजी अस्पतालों को अव्यावहारिक नोटिस देने शुरू कर दिए। निरीक्षण दल छोटी-छोटी कमियां निकालकर अस्पताल बंद करने की धमकी दे रहा था। जैसे रेत भरी बाल्टी न होना। नियम के अनुसार वार्षिक जांच होनी चाहिए, लेकिन हर तीन महीने में जांच की जा रही थी। डॉक्टरों को आशंका थी कि यह किसी बड़े अस्पताल को लाभ पहुंचाने का षड्यंत्र हो सकता है। डॉक्टर विनोद कुकरेजा ने प्रशासन को चेतावनी दी थी। कलेक्टर सुधीर कोचर से मुलाकात के बाद मामला शांत हुआ। कलेक्टर ने अव्यावहारिक नियमों में सुधार का आश्वासन दिया। इसके बाद क्लिनिक संचालकों ने अपना विरोध वापस ले लिया। स्वास्थ्य विभाग समन्वय बनाएगा शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टर को यह भरोसा दिलाया है कि जो खामियां हुई है उन्हें ठीक किया जाएगा। अधिकारियों के बीच समन्वय न होने के कारण बार-बार इस तरह से टीम क्लिनिक में जांच करने के लिए गई, जिससे यह अव्यवस्था हुई। अब उसमें सुधार कर दिया गया है। आगे से ऐसा नहीं होगा। इसके बाद सभी निजी क्लिनिक अस्पताल संचालक ने तय किया कि अब हड़ताल नहीं करेंगे।