नगर निगम में ठेकेदारों को भुगतान नहीं:कांग्रेस पार्षदों ने आयुक्त के खिलाफ किया प्रदर्शन, वार्डों में विकास कार्य रुके
नगर निगम में ठेकेदारों को भुगतान नहीं:कांग्रेस पार्षदों ने आयुक्त के खिलाफ किया प्रदर्शन, वार्डों में विकास कार्य रुके
नगर निगम के मुख्य गेट पर गुरुवार को कांग्रेस पार्षद दल ने जोरदार प्रदर्शन किया। पार्षदों ने तख्तियां लेकर आयुक्त के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन का मुख्य कारण कांग्रेस पार्षदों के क्षेत्रों में विकास कार्य न होना और ठेकेदारों को भुगतान न करना था। नेता प्रतिपक्ष रवि राय के अनुसार पिछले 3 वर्षों से निर्माण कार्य नहीं हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर आयुक्त आशीष पाठक को कई बार अवगत कराया गया। कुछ दिन पहले शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुकेश भाटी के साथ आयुक्त से चर्चा भी हुई थी। आयुक्त ने समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था। रवि राय ने कहा कि भुगतान न मिलने से ठेकेदारों ने काम करना बंद कर दिया है। वार्डों में टूटी सड़कें, नालियां, उद्यान और चेंबर की मरम्मत का काम रुका हुआ है। शासन करोड़ों रुपए की घोषणा कर रहा है, लेकिन नगर निगम के टेंडर में कोई ठेकेदार या एजेंसी भाग लेने को तैयार नहीं है। दोपहर को नगर निगम के साधारण सम्मेलन में भी यह मुद्दा उठाया गया। सम्मेलन में 15 प्रकरणों पर चर्चा के लिए रखा गया था। सदन की कार्यवाही के दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।
नगर निगम के मुख्य गेट पर गुरुवार को कांग्रेस पार्षद दल ने जोरदार प्रदर्शन किया। पार्षदों ने तख्तियां लेकर आयुक्त के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन का मुख्य कारण कांग्रेस पार्षदों के क्षेत्रों में विकास कार्य न होना और ठेकेदारों को भुगतान न करना था। नेता प्रतिपक्ष रवि राय के अनुसार पिछले 3 वर्षों से निर्माण कार्य नहीं हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर आयुक्त आशीष पाठक को कई बार अवगत कराया गया। कुछ दिन पहले शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुकेश भाटी के साथ आयुक्त से चर्चा भी हुई थी। आयुक्त ने समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था। रवि राय ने कहा कि भुगतान न मिलने से ठेकेदारों ने काम करना बंद कर दिया है। वार्डों में टूटी सड़कें, नालियां, उद्यान और चेंबर की मरम्मत का काम रुका हुआ है। शासन करोड़ों रुपए की घोषणा कर रहा है, लेकिन नगर निगम के टेंडर में कोई ठेकेदार या एजेंसी भाग लेने को तैयार नहीं है। दोपहर को नगर निगम के साधारण सम्मेलन में भी यह मुद्दा उठाया गया। सम्मेलन में 15 प्रकरणों पर चर्चा के लिए रखा गया था। सदन की कार्यवाही के दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।