रायगढ़-जशपुर सहित 18 जिलों में यलो अलर्ट:रायपुर-दुर्ग, बस्तर संभाग के जिले भीगेंगे, बिजली गिरेगी, कल से पूरे सप्ताह सभी जिलों में बरसेगा पानी
छत्तीसगढ़ के करीब सभी हिस्सों में अगले 24 घंटे में तेज बारिश हो सकती है। दरअसल, 24 जुलाई के आस-पास उत्तर बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बन रहा है। इसके असर से पूरे प्रदेश में तेज बारिश होगी। खासकर दक्षिण हिस्से यानी बस्तर संभाग में इसका असर ज्यादा रहेगा। ये ट्रेंड इस पूरे सप्ताह देखने को मिल सकता है। आज यानी मंगलवार के लिए मौसम विभाग ने रायगढ़, जशपुर, रायपुर, दुर्ग, बस्तर सहित राज्य के 18 जिलों में तेज बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान बिजली भी गिर सकती है। लिहाजा मौसम विभाग ने सतर्कता बरतने को कहा है। तापमान की बात करें तो सोमवार को सबसे अधिक टेंपरेचर 33.6 डिग्री सेल्सियस पेंड्रा रोड और सबसे कम न्यूनतम तापमान 21.0 डिग्री सेल्सियस राजनांदगांव में दर्ज किया गया। अब जानिए, अलग-अलग जिलों में बारिश से बने हालातों के बारे में कवर्धा जिले के रानीदहरा जलप्रपात में देखने आए 5 पर्यटक लौटते वक्त पुल से बह गए, जिसमें से एक की मौत हो गई। वहीं भारी बारिश से दल्ली राजहरा में बाढ़ जैसे हालात बन गए। नाले के तेज बहाव में एक गाय बह गई। दल्ली राजहरा से अंतागढ़ जाने वाला रेलवे ट्रैक जलभराव के कारण डूबा रहा। अब ये दो तस्वीरें देखिए... अब तक 437.1 मिमी बारिश, सबसे कम बेमेतरा में राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 1 जून से अब तक 446.1 मिमी औसत बारिश हो चुकी है। बलरामपुर जिले में सबसे ज्यादा 739.1 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 240.8 मिमी बारिश हुई है। बारिश से जुड़ी अन्य तस्वीरें देखिए- बारिश के बाद झरनों की सुंदरता तस्वीरों में देखिए लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ
छत्तीसगढ़ के करीब सभी हिस्सों में अगले 24 घंटे में तेज बारिश हो सकती है। दरअसल, 24 जुलाई के आस-पास उत्तर बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बन रहा है। इसके असर से पूरे प्रदेश में तेज बारिश होगी। खासकर दक्षिण हिस्से यानी बस्तर संभाग में इसका असर ज्यादा रहेगा। ये ट्रेंड इस पूरे सप्ताह देखने को मिल सकता है। आज यानी मंगलवार के लिए मौसम विभाग ने रायगढ़, जशपुर, रायपुर, दुर्ग, बस्तर सहित राज्य के 18 जिलों में तेज बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान बिजली भी गिर सकती है। लिहाजा मौसम विभाग ने सतर्कता बरतने को कहा है। तापमान की बात करें तो सोमवार को सबसे अधिक टेंपरेचर 33.6 डिग्री सेल्सियस पेंड्रा रोड और सबसे कम न्यूनतम तापमान 21.0 डिग्री सेल्सियस राजनांदगांव में दर्ज किया गया। अब जानिए, अलग-अलग जिलों में बारिश से बने हालातों के बारे में कवर्धा जिले के रानीदहरा जलप्रपात में देखने आए 5 पर्यटक लौटते वक्त पुल से बह गए, जिसमें से एक की मौत हो गई। वहीं भारी बारिश से दल्ली राजहरा में बाढ़ जैसे हालात बन गए। नाले के तेज बहाव में एक गाय बह गई। दल्ली राजहरा से अंतागढ़ जाने वाला रेलवे ट्रैक जलभराव के कारण डूबा रहा। अब ये दो तस्वीरें देखिए... अब तक 437.1 मिमी बारिश, सबसे कम बेमेतरा में राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 1 जून से अब तक 446.1 मिमी औसत बारिश हो चुकी है। बलरामपुर जिले में सबसे ज्यादा 739.1 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 240.8 मिमी बारिश हुई है। बारिश से जुड़ी अन्य तस्वीरें देखिए- बारिश के बाद झरनों की सुंदरता तस्वीरों में देखिए लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ