अफसर पर मंत्री जी मेहरबान:बीजेपी नेता के निशाने पर 2 IAS, फिर चर्चा में मऊंगज, वन्य जीवों पर श्रेय की होड़

स्कूल शिक्षा विभाग के एक बोर्ड के संचालक पर मंत्री जी रीझे हैं। इसका असर ऐसे दिखा कि संचालक के वर्किंग प्लान की प्रशंसा मंत्रीजी ने सीएम के सामने भी की। मंत्री ने विभाग की समीक्षा के दौरान इस उपक्रम के नवाचारों की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि कैसे स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर यह बोर्ड काम कर रहा है। पूरी मीटिंग में इन्हीं संचालक के दो-दो प्रभार वाले बोर्ड चर्चा में रहे। यहां खास बात यह है कि ये संचालक इसी साल तीन माह बाद रिटायर होने वाले हैं और इस कोशिश में हैं कि कार्यकाल बढ़ जाए। पांच साल से अधिक समय से इस बोर्ड में जमे संचालक के पास तीन जगहों का प्रभार है और विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि रिटायरमेंट के बाद ये फिर अपनी जमावट के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं के निशाने पर आईएएस प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े नगरीय निकाय में पदस्थ आईएएस अधिकारी इस समय बीजेपी नेताओं के निशाने पर हैं। सीधी भर्ती वाले इन आईएएस के खिलाफ पहले भी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मोर्चा खोल चुके हैं और विधानसभा में सवाल उठा चुके हैं। अब सत्ता पक्ष के सांसद और सरकार में मंत्री ने पिछले हफ्ते जिस तरह से साहब को घेरा है उसके बाद वे बचाव की मुद्रा में है। इन पर आरोप है कि वे मंत्री, सांसद और यहां तक कि निकाय के मुखिया का ही फोन नहीं उठा रहे हैं। मामला पहले मीडिया में सुर्खियां बना और फिर सरकार तक पहुंच गया है। ऐसे में आईएएस अफसर अब यह सफाई देते फिर रहे हैं कि उनके पास फोन आता है तो जरूर उठाते हैं। सभी की बात भी सुनते हैं। परिवहन घोटाले में अब केंद्रीय एजेंसी से उम्मीद परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों पर लोकायुक्त की मेहरबानी के चलते मिली जमानत को अब राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। विपक्ष के साथ ही जनता में ये बात तेजी से फैल रही है कि 11 करोड़ कैश और 52 किलो सोना के साथ पकड़ाई इनोवा का मालिकाना हक न स्वीकार करने वाले सौरभ शर्मा को बचाने में ऊपर से नीचे तक पूरा सिस्टम लगा हुआ है। इसी कारण लोकायुक्त ने कार्रवाई अधूरी न होने का बहाना बनाकर चालान नहीं पेश किया। अब गिरफ्तारी का अधिकार रखने वाली और सात दिन तक रिमांड पर रखकर सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल से पूछताछ कर चुकी केंद्रीय जांच एजेंसी पर सबकी निगाहें हैं। क्योंकि इस एजेंसी को भी चालान पेश करना है। अगर इसने भी दिल्ली दरबार के आकाओं की शह पर तय समय पर चालान नहीं पेश किया तो इन्हें दूसरे मामले में भी जमानत मिलना तय है। ऐसे में अरबों रुपए के करप्शन के इस मामले में सरगना तो सामने नहीं ही आएंगे और ये तीनों दागी भी छूटने में सफल हो जाएंगे। हालांकि विपक्ष इसको लेकर अभी हमलावर है। वन्य जीवों का श्रेय लेने की होड़ प्रदेश में पिछले तीन महीने में सत्ता पक्ष के नेताओं में वन्य जीवों का श्रेय लेने की होड़ मची है। प्रदेश के आलाकमान के साथ दिल्ली दरबार में दखल रखने वाले नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं वहीं इसके लिए जिम्मेदार विभाग के मुखिया और अफसर साइलेंट मोड पर निर्देशों पर अमल करने में जुटे हैं। पिछले माह एमपी में घोषित नए टाइगर रिजर्व के मामले में यह बात सामने आई है। दरअसल पहले सरकार खुद इस टाइगर रिजर्व पहुंचे और वहां बाघिन को छोड़ा। इसके बाद अब यहां एक और टाइगर छोड़ा गया है तो इस इलाके के कद्दावर नेता ने खुद इसकी जानकारी जनता तक पहुंचाई और वन्य जीवों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बताते हुए कहा कि वे इलाके को पर्यटन के क्षेत्र में ऊंचाइयों तक ले जाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे। दिल्ली की मीटिंग से जागी नेताओं की उम्मीद दिल्ली में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की मीटिंग ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के मैदानी नेताओं में उम्मीद जागी है। इन नेताओं को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे सीनियर पदाधिकारियों ने यह कहकर फील्ड में एक्टिव रहने का मंत्र दिया है कि काम करोगे तो पद के साथ पार्टी में पावर भी मिलेगा। इसके लिए जो परफॉर्मेंस पॉइंट तय किए गए हैं, उससे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष उत्साहित हैं और समर्थकों तक संदेश पहुंचाने लगे हैं कि आगामी चुनावों में टिकट के बंटवारे में उनकी भूमिका रहेगी। पार्टी का दफ्तर होगा तो कार्यकर्ताओं की बैठक के लिए दिक्कत नहीं रहेगी। अब केंद्रीय नेतृत्व अपने फैसले पर कितना अमल करेगा, इसका इंतजार इन नेताओं को है। 24 घंटे पहरा, फिर भी पुलिस बेखबर डेढ़ साल पहले वजूद में आया विंध्य क्षेत्र का मऊगंज जिला कानून व्यवस्था के हिसाब से सरकार के लिए चुनौती वाला जिला बन गया है। जनवरी से अब तक यहां घटनाओं के बाद सरकार ने कलेक्टर और एसपी को हटा दिया है पर यहां सामने आने वाले अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिले के एक गांव में कुछ लोगों द्वारा पुलिस पर पथराव और पिटाई के बाद एक युवक और एक एएसआई की मौत हो चुकी है। अब इसी गांव में एक साथ तीन डेड बॉडी मिली है। शव जिस हालात में मिले, उससे ऐसा लग रहा है कि इनकी मौत कई दिनों पहले हो गई और अंदर घर में ही लटकी रही। सवाल यह उठ रहा है कि गांव में 24 घंटे पहरेदारी कर रही पुलिस को इनके बारे में भनक क्यों नहीं मिली? लोगों ने दुर्गंध के बारे में बताया तब पुलिस को पता चला। पिछले हफ्ते की सुनी-सुनाई पढ़ें- विधायक ने दिया सरकार को खुला चैलेंज विधानसभा में बजट पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच हल्की नोक झोंक हुई। विरोधी दल के एक विधायक ने सरकार पर हमला बोला। उसके कुछ देर बाद सत्ता पक्ष की ओर से विरोधी दल के विधायक के काम काज को लेकर भी टिप्पणी हो गई। पढ़ें पूरी खबर...

अफसर पर मंत्री जी मेहरबान:बीजेपी नेता के निशाने पर 2 IAS, फिर चर्चा में मऊंगज, वन्य जीवों पर श्रेय की होड़
स्कूल शिक्षा विभाग के एक बोर्ड के संचालक पर मंत्री जी रीझे हैं। इसका असर ऐसे दिखा कि संचालक के वर्किंग प्लान की प्रशंसा मंत्रीजी ने सीएम के सामने भी की। मंत्री ने विभाग की समीक्षा के दौरान इस उपक्रम के नवाचारों की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि कैसे स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर यह बोर्ड काम कर रहा है। पूरी मीटिंग में इन्हीं संचालक के दो-दो प्रभार वाले बोर्ड चर्चा में रहे। यहां खास बात यह है कि ये संचालक इसी साल तीन माह बाद रिटायर होने वाले हैं और इस कोशिश में हैं कि कार्यकाल बढ़ जाए। पांच साल से अधिक समय से इस बोर्ड में जमे संचालक के पास तीन जगहों का प्रभार है और विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि रिटायरमेंट के बाद ये फिर अपनी जमावट के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं के निशाने पर आईएएस प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े नगरीय निकाय में पदस्थ आईएएस अधिकारी इस समय बीजेपी नेताओं के निशाने पर हैं। सीधी भर्ती वाले इन आईएएस के खिलाफ पहले भी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मोर्चा खोल चुके हैं और विधानसभा में सवाल उठा चुके हैं। अब सत्ता पक्ष के सांसद और सरकार में मंत्री ने पिछले हफ्ते जिस तरह से साहब को घेरा है उसके बाद वे बचाव की मुद्रा में है। इन पर आरोप है कि वे मंत्री, सांसद और यहां तक कि निकाय के मुखिया का ही फोन नहीं उठा रहे हैं। मामला पहले मीडिया में सुर्खियां बना और फिर सरकार तक पहुंच गया है। ऐसे में आईएएस अफसर अब यह सफाई देते फिर रहे हैं कि उनके पास फोन आता है तो जरूर उठाते हैं। सभी की बात भी सुनते हैं। परिवहन घोटाले में अब केंद्रीय एजेंसी से उम्मीद परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों पर लोकायुक्त की मेहरबानी के चलते मिली जमानत को अब राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। विपक्ष के साथ ही जनता में ये बात तेजी से फैल रही है कि 11 करोड़ कैश और 52 किलो सोना के साथ पकड़ाई इनोवा का मालिकाना हक न स्वीकार करने वाले सौरभ शर्मा को बचाने में ऊपर से नीचे तक पूरा सिस्टम लगा हुआ है। इसी कारण लोकायुक्त ने कार्रवाई अधूरी न होने का बहाना बनाकर चालान नहीं पेश किया। अब गिरफ्तारी का अधिकार रखने वाली और सात दिन तक रिमांड पर रखकर सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल से पूछताछ कर चुकी केंद्रीय जांच एजेंसी पर सबकी निगाहें हैं। क्योंकि इस एजेंसी को भी चालान पेश करना है। अगर इसने भी दिल्ली दरबार के आकाओं की शह पर तय समय पर चालान नहीं पेश किया तो इन्हें दूसरे मामले में भी जमानत मिलना तय है। ऐसे में अरबों रुपए के करप्शन के इस मामले में सरगना तो सामने नहीं ही आएंगे और ये तीनों दागी भी छूटने में सफल हो जाएंगे। हालांकि विपक्ष इसको लेकर अभी हमलावर है। वन्य जीवों का श्रेय लेने की होड़ प्रदेश में पिछले तीन महीने में सत्ता पक्ष के नेताओं में वन्य जीवों का श्रेय लेने की होड़ मची है। प्रदेश के आलाकमान के साथ दिल्ली दरबार में दखल रखने वाले नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं वहीं इसके लिए जिम्मेदार विभाग के मुखिया और अफसर साइलेंट मोड पर निर्देशों पर अमल करने में जुटे हैं। पिछले माह एमपी में घोषित नए टाइगर रिजर्व के मामले में यह बात सामने आई है। दरअसल पहले सरकार खुद इस टाइगर रिजर्व पहुंचे और वहां बाघिन को छोड़ा। इसके बाद अब यहां एक और टाइगर छोड़ा गया है तो इस इलाके के कद्दावर नेता ने खुद इसकी जानकारी जनता तक पहुंचाई और वन्य जीवों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बताते हुए कहा कि वे इलाके को पर्यटन के क्षेत्र में ऊंचाइयों तक ले जाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे। दिल्ली की मीटिंग से जागी नेताओं की उम्मीद दिल्ली में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की मीटिंग ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के मैदानी नेताओं में उम्मीद जागी है। इन नेताओं को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे सीनियर पदाधिकारियों ने यह कहकर फील्ड में एक्टिव रहने का मंत्र दिया है कि काम करोगे तो पद के साथ पार्टी में पावर भी मिलेगा। इसके लिए जो परफॉर्मेंस पॉइंट तय किए गए हैं, उससे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष उत्साहित हैं और समर्थकों तक संदेश पहुंचाने लगे हैं कि आगामी चुनावों में टिकट के बंटवारे में उनकी भूमिका रहेगी। पार्टी का दफ्तर होगा तो कार्यकर्ताओं की बैठक के लिए दिक्कत नहीं रहेगी। अब केंद्रीय नेतृत्व अपने फैसले पर कितना अमल करेगा, इसका इंतजार इन नेताओं को है। 24 घंटे पहरा, फिर भी पुलिस बेखबर डेढ़ साल पहले वजूद में आया विंध्य क्षेत्र का मऊगंज जिला कानून व्यवस्था के हिसाब से सरकार के लिए चुनौती वाला जिला बन गया है। जनवरी से अब तक यहां घटनाओं के बाद सरकार ने कलेक्टर और एसपी को हटा दिया है पर यहां सामने आने वाले अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिले के एक गांव में कुछ लोगों द्वारा पुलिस पर पथराव और पिटाई के बाद एक युवक और एक एएसआई की मौत हो चुकी है। अब इसी गांव में एक साथ तीन डेड बॉडी मिली है। शव जिस हालात में मिले, उससे ऐसा लग रहा है कि इनकी मौत कई दिनों पहले हो गई और अंदर घर में ही लटकी रही। सवाल यह उठ रहा है कि गांव में 24 घंटे पहरेदारी कर रही पुलिस को इनके बारे में भनक क्यों नहीं मिली? लोगों ने दुर्गंध के बारे में बताया तब पुलिस को पता चला। पिछले हफ्ते की सुनी-सुनाई पढ़ें- विधायक ने दिया सरकार को खुला चैलेंज विधानसभा में बजट पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच हल्की नोक झोंक हुई। विरोधी दल के एक विधायक ने सरकार पर हमला बोला। उसके कुछ देर बाद सत्ता पक्ष की ओर से विरोधी दल के विधायक के काम काज को लेकर भी टिप्पणी हो गई। पढ़ें पूरी खबर...