मां शेरावाली गरबा मंडल ने कलाकारों को दिया मंच:इंदौर में 'सुखलिया की महारानी' के सामने गरबा के साथ लुभा रही नृत्य नाटिकाएं
मां शेरावाली गरबा मंडल ने कलाकारों को दिया मंच:इंदौर में 'सुखलिया की महारानी' के सामने गरबा के साथ लुभा रही नृत्य नाटिकाएं
शहर के प्राचीन और प्रतिष्ठित गरबा मंडलों में से एक है सुखलिया का मां शेरावाली गरबा मंडल। यह वह मंच है जहां पर छोटी बालिकाओं से लेकर 20-22 वर्ष की युवतियों को गरबा करने के साथ ही अपनी कला के प्रदर्शन का अवसर भी मिल रहा है। पूरे पारिवारिक माहौल में यहां पार्टिसिपेंटस आकर अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में क्षेत्र के रहवासियों के साथ ही अन्य क्षेत्रों से भी लोग आ रहे हैं। मां शेरावाली गरबा मंडल के संचालक संजू कौशल ने बताया कि यह गरबा मंडल 25 वर्षों से सुखलिया की महारानी के रूप में मां दुर्गा की स्थापना करता है और यहां गरबा किया जाता है। पहले इसका स्वरूप छोटा था, लेकिन साल-दर-साल इसका स्वरूप भी बढ़ता जा रहा है। प्रस्तुतियों में भी बड़ा अंतर आया है, पहले बालिकाएं सिर्फ गरबा किया करती थीं, अब गरबों के स्तर में भी काफी सुधार हुआ है, क्योंकि पार्टिसिपेंट्स करीब एक माह पहले से गरबा की प्रेक्टिस शुरू कर देती हैं। इसके साथ ही यहां की नृत्य नाटिकाएं भी काफी पसंद की जा रही हैं। संजू कौशल और विजय कौशल ने बताया कि मंडल द्वारा 10 अक्टूबर को सुखलिया की महारानी की महाआरती की गई। 11 अक्टूबर को कन्या पूजन एवं कन्या भोज का कार्यक्रम होगा। नवरात्रि में प्रतिदिन विधि-विधान से सुबह और शाम पूजन और माता रानी की आरती की जा रही है।
शहर के प्राचीन और प्रतिष्ठित गरबा मंडलों में से एक है सुखलिया का मां शेरावाली गरबा मंडल। यह वह मंच है जहां पर छोटी बालिकाओं से लेकर 20-22 वर्ष की युवतियों को गरबा करने के साथ ही अपनी कला के प्रदर्शन का अवसर भी मिल रहा है। पूरे पारिवारिक माहौल में यहां पार्टिसिपेंटस आकर अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में क्षेत्र के रहवासियों के साथ ही अन्य क्षेत्रों से भी लोग आ रहे हैं। मां शेरावाली गरबा मंडल के संचालक संजू कौशल ने बताया कि यह गरबा मंडल 25 वर्षों से सुखलिया की महारानी के रूप में मां दुर्गा की स्थापना करता है और यहां गरबा किया जाता है। पहले इसका स्वरूप छोटा था, लेकिन साल-दर-साल इसका स्वरूप भी बढ़ता जा रहा है। प्रस्तुतियों में भी बड़ा अंतर आया है, पहले बालिकाएं सिर्फ गरबा किया करती थीं, अब गरबों के स्तर में भी काफी सुधार हुआ है, क्योंकि पार्टिसिपेंट्स करीब एक माह पहले से गरबा की प्रेक्टिस शुरू कर देती हैं। इसके साथ ही यहां की नृत्य नाटिकाएं भी काफी पसंद की जा रही हैं। संजू कौशल और विजय कौशल ने बताया कि मंडल द्वारा 10 अक्टूबर को सुखलिया की महारानी की महाआरती की गई। 11 अक्टूबर को कन्या पूजन एवं कन्या भोज का कार्यक्रम होगा। नवरात्रि में प्रतिदिन विधि-विधान से सुबह और शाम पूजन और माता रानी की आरती की जा रही है।