माधव टाइगर रिजर्व बनने के बाद पहला मेला:7 बाघों की मौजूदगी के बाद भी बलारी माता मंदिर पहुंचे हजारों श्रद्धालु
माधव टाइगर रिजर्व बनने के बाद पहला मेला:7 बाघों की मौजूदगी के बाद भी बलारी माता मंदिर पहुंचे हजारों श्रद्धालु
शिवपुरी के बलारी माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यह मंदिर शहर से 30 किमी दूर माधव टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थित है। यहां आयोजित परंपरागत मेले में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आसपास के क्षेत्रों से आते हैं। खासतौर पर षष्ठी और सप्तमी में अधिक लोग पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते में कई जगह भंडारों का भी आयोजन किया गया है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद पहला मेला माधव टाइगर रिजर्व में स्थित बलारी माता मंदिर में सात बाघों की मौजूदगी के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद यह पहला नवरात्रि मेला है। क्षेत्र में छठ और सप्तमी के दिन परंपरागत मेले में हजारों श्रद्धालु पहुंचे। कुछ पैदल आए तो कुछ अन्य वाहनों से दर्शन करने पहुंचे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते में कई भंडारों का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर के बाहर नियमों के अनुसार दुकानें लगाई गईं। श्रद्धालुओं ने परंपरागत विधि से पूजा-अर्चना कर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया। पहाड़ चीर कर प्रकट हुईं थीं माता बलारी मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता बलारी का प्राकट्य स्थल मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर 'झाला' नामक स्थान पर है। मान्यता है कि एक समय लाखा बंजारा नामक व्यक्ति अपने काफिले के साथ यहां रुका था। उसकी कन्या के साथ बालरूप में मां भगवती खेलने आती थीं। एक दिन माता ने उसे दर्शन दिए और उसकी बैलगाड़ी में बैठकर चल दीं, लेकिन पीछे मुड़कर देखने की मना करने के बाद भी लाखा बंजारा ने पीछे देखा, जिससे माता वहीं रुक गईं। वही स्थान आज बलारी माता मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। पुजारी के अनुसार, माता की प्रतिमा किसी धातु या पत्थर की नहीं है, बल्कि यह स्वयंभू चल शरीर के कंकाल स्वरूप में विराजित है। एक ही दिन में तीन रूपों में देती हैं दर्शन पुजारी ने यह भी बताया कि माता बलारी के दर्शन एक ही दिन में तीन रूपों में होते हैं। सुबह बालरूप, दोपहर में युवा रूप और संध्या के समय माता वृद्धावस्था में दर्शन देती हैं। यह अनूठा दृश्य श्रद्धालुओं की आस्था को और गहरा कर देता है। डकैतों को नहीं पसंद माता की छाया एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि माता बलारी का डकैतों से विशेष विरोध रहा है। पुजारी ने बताया कि पूर्व में कई बार डकैतों द्वारा अपहृत लोगों को इस क्षेत्र में छिपाया जाता था, लेकिन माता की कृपा से वे स्वतः मुक्त हो जाया करते थे। इस चमत्कार को लेकर आज भी कई श्रद्धालु आस्था से जुड़े किस्से सुनाते हैं।
शिवपुरी के बलारी माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यह मंदिर शहर से 30 किमी दूर माधव टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थित है। यहां आयोजित परंपरागत मेले में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आसपास के क्षेत्रों से आते हैं। खासतौर पर षष्ठी और सप्तमी में अधिक लोग पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते में कई जगह भंडारों का भी आयोजन किया गया है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद पहला मेला माधव टाइगर रिजर्व में स्थित बलारी माता मंदिर में सात बाघों की मौजूदगी के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद यह पहला नवरात्रि मेला है। क्षेत्र में छठ और सप्तमी के दिन परंपरागत मेले में हजारों श्रद्धालु पहुंचे। कुछ पैदल आए तो कुछ अन्य वाहनों से दर्शन करने पहुंचे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते में कई भंडारों का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर के बाहर नियमों के अनुसार दुकानें लगाई गईं। श्रद्धालुओं ने परंपरागत विधि से पूजा-अर्चना कर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया। पहाड़ चीर कर प्रकट हुईं थीं माता बलारी मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता बलारी का प्राकट्य स्थल मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर 'झाला' नामक स्थान पर है। मान्यता है कि एक समय लाखा बंजारा नामक व्यक्ति अपने काफिले के साथ यहां रुका था। उसकी कन्या के साथ बालरूप में मां भगवती खेलने आती थीं। एक दिन माता ने उसे दर्शन दिए और उसकी बैलगाड़ी में बैठकर चल दीं, लेकिन पीछे मुड़कर देखने की मना करने के बाद भी लाखा बंजारा ने पीछे देखा, जिससे माता वहीं रुक गईं। वही स्थान आज बलारी माता मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। पुजारी के अनुसार, माता की प्रतिमा किसी धातु या पत्थर की नहीं है, बल्कि यह स्वयंभू चल शरीर के कंकाल स्वरूप में विराजित है। एक ही दिन में तीन रूपों में देती हैं दर्शन पुजारी ने यह भी बताया कि माता बलारी के दर्शन एक ही दिन में तीन रूपों में होते हैं। सुबह बालरूप, दोपहर में युवा रूप और संध्या के समय माता वृद्धावस्था में दर्शन देती हैं। यह अनूठा दृश्य श्रद्धालुओं की आस्था को और गहरा कर देता है। डकैतों को नहीं पसंद माता की छाया एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि माता बलारी का डकैतों से विशेष विरोध रहा है। पुजारी ने बताया कि पूर्व में कई बार डकैतों द्वारा अपहृत लोगों को इस क्षेत्र में छिपाया जाता था, लेकिन माता की कृपा से वे स्वतः मुक्त हो जाया करते थे। इस चमत्कार को लेकर आज भी कई श्रद्धालु आस्था से जुड़े किस्से सुनाते हैं।