इंदौर में कल्पद्रुम महामंडल विधान:41 बग्घियों वाली चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा 8 फरवरी को, हजारों श्रद्धालु जुटे
इंदौर में कल्पद्रुम महामंडल विधान:41 बग्घियों वाली चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा 8 फरवरी को, हजारों श्रद्धालु जुटे
इंदौर के महावीर नगर ग्राउंड पर आयोजित श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान जारी हैं। शनिवार शाम को निकलने वाली चक्रवर्ती की भव्य दिग्विजय यात्रा की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। इस यात्रा में 41 बग्घियों में इंद्र-इंद्राणी सवार होंगे, जिसकी कमान 40 से अधिक युवा संभालेंगे। यात्रा में स्वर्ण और चांदी के रथ पर 4 मुख्य पात्र सवार होंगे। विधान के दौरान मुनिश्री विनम्र सागर महाराज ने आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रथम समाधि तिथि पर उनके जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागरजी 58 वर्षों के अपने जीवन में चारित्र के हिमालय के समान थे। उनका जीवन श्रद्धा, विश्वास, वात्सल्य और सम्यक चारित्र से परिपूर्ण था। मुनिश्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुदेव के दिए ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रभाव जन्म-जन्मांतर तक बना रहेगा। कार्यक्रम में मुनिश्री निस्वार्थ सागर, मुनिश्री निसर्ग सागर महाराज सहित अन्य साधु-साध्वी भी उपस्थित रहे। विधान में हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हो रहे हैं, जो धार्मिक विधि-विधान में भाग ले रहे हैं। 88 अर्घ्य समर्पित किए गए दयोदय फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट एवं कल्पद्रूम महामंडल विधान महोत्सव समिति संरक्षक राजेश उदावत, अध्यक्ष राहुल जैन (स्पोर्ट्स वर्ल्ड), मनीष नायक एवं मीडिया प्रभारी राजीव जैन ने बताया कि महामंडल विधान के छठे दिन सुबह के सत्र में मुनिश्री के सान्निध्य एवं विधानाचार्य ब्रह्मचारी अनिल भैया, डॉ. अभिषेक जैन एवं डॉ. आशीष जैन के निर्देशन में सुबह के सत्र में शांतिधारा व नित्य पूजन की विधियां संपन्न हुई। श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान निमित्त में गढ़धर परमेष्ठी का पूजन इंद्र-इंद्राणियों द्वारा किया गया एवं 64 विधिधारी मुनिराजों के 64 अर्घ्य सहित 88 अर्घ्य शुक्रवार को समर्पित किए गए। आयोजन के समापन अवसर तक 1695 अर्घ्य समर्पित किए जाएंगे। शुक्रवार को नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, अल्पसंख्यक आयोग मंत्री ललित गांधी (महाराष्ट्र) ने भी मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान विमल अजमेरा, प्रदीप जैन , नरेंद्र जैन , मनोज बाकलीवाल, सतीश डबडेरा, धर्मेंद्र जैन , दिलीप पाटनी, जैनेश झांझरी, आनंद जैन, डीके जैन, प्रदीप जैन सहित हजारों समाज बंधु मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सचिन जैन ने किया। आचार्यश्री पर आधारित नाटक ने किया भाव-विभोर शुक्रवार को त्रिशला माता मंडल सिलवानी (रायसेन) के 40 कलाकारों ने आचार्यश्री के जीवन चरित्र पर महानाट्य की प्रस्तुति दी। नाटक की सूत्रधार कमलेश जैन ने बताया कि आचार्यश्री के जन्म से लेकर समाधि दिवस को नाटक के माध्यम से दिखाया गया। 1 घंटे 4 मिनट के इस नाटक में अलग-अलग पात्रों ने अपने अभिनय से सभी दर्शकों का मन मोह लिया। नाटक में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के माता-पिता, 4 भाई व 2 बहनों के पात्र बने कलाकारों ने अपने अभिनय से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्यश्री विद्या सागर महाराज के पात्र में व्रतधारी इलू थे। वहीं महावीर सागर, योग सागर, समय सागर, शांता-सुवर्णा के पात्रों को शांतम जैन, श्रेयांश जैन, प्रयाशू जैन, शुभी जैन एवं सौम्य जैन ने निभाया। वहीं आचार्यश्री के बाल्यकाल का पात्र बने अरिहंत जैन ने अपने अभिनय से खूब तालियां बटोरी। आचार्यश्री के दोस्त मारूति का पात्र टोनी जैन बने। आचार्यश्री के पिता मल्लप्पा एवं माता श्रीमंती का किरदार आशीष सिंघई एवं सविता जैन ने निभाया। 1 घंटे 4 मिनट तक नान स्टाप चले इस महानाट्य में आचार्यश्री के जन्म से लेकर समाधि दिवस की यात्रा का भावपूर्ण चरित्र-चित्रण हुआ जिसने वहां उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं को भाव-विभोर कर दिया। नाटक के दौरान आचार्यश्री के संदेशों का भी अनुसरण करवाया गया। चक्रवर्ती दिग्विजय यात्रा 8 फरवरी को अध्यक्ष राहुल जैन ने बताया कि 8 फरवरी को शाम 6.30 बजे आयोजन स्थल से चक्रवर्ती दिग्विजय यात्रा निकाली जाएगी। चक्रवर्ती दिग्विजय की इस ऐतिहासिक व भव्य यात्रा में 41 बग्घियों पर इंद्र-इंद्राणी संवार होंगे। वहीं चार मुख्य रथ सौधर्म इंद्र, चक्रवर्ती इंद्र, कुबेर इंद्र व महायज्ञनायक इंद्र परिवार के रहेंगे। यात्रा के दौरान 2 स्वर्ण व रजत रथ भी रहेंगे जो इस यात्रा में मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। इसी के साथ राजस्थान, झाबुआ, राजगढ़, कुक्षी की आदिवासी मंडलियां भी नृत्य की प्रस्तुति देंगी। यात्रा में ढ़ोल-ताशे, 11 घोड़ों के साथ ही 25 से अधिक मंच भी लगाए जाएंगे। यात्रा प्रभारी जिनेश झांझरी, प्रदीप बडज़ात्या एवं जितेंद्र सेठ ने बताया कि चक्रवर्ती दिग्विजय की यात्रा आयोजन स्थल से प्रारंभ होकर बंगाली, कनाडिय़ा, तिलक नगर होते हुए पुन: आयोजन स्थल महावीर नगर पहुंचेगी। 2 किलोमीटर के इस यात्रा मार्ग में 40 युवाओं को यातायात संबंधित जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजेश जैन, नवीन अजमेरा, मनमोहन पाटनी ने बताया कि एक मार्ग से यात्रा और दूसरे मार्ग से वाहनों की आवाजाही रहेगी। वहीं यातायात विभाग, पुलिस प्रशासन के साथ ही नगर सुरक्षा समिति के सदस्य भी इसकी व्यवस्था संभालेंगे। यात्रा के पश्चात श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान में 108 समवशरण की सामूहिक रूप से आरती की जाएगी। इसके पश्चात इस चक्रवर्ती यात्रा का समापन होगा।
इंदौर के महावीर नगर ग्राउंड पर आयोजित श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान जारी हैं। शनिवार शाम को निकलने वाली चक्रवर्ती की भव्य दिग्विजय यात्रा की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। इस यात्रा में 41 बग्घियों में इंद्र-इंद्राणी सवार होंगे, जिसकी कमान 40 से अधिक युवा संभालेंगे। यात्रा में स्वर्ण और चांदी के रथ पर 4 मुख्य पात्र सवार होंगे। विधान के दौरान मुनिश्री विनम्र सागर महाराज ने आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रथम समाधि तिथि पर उनके जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागरजी 58 वर्षों के अपने जीवन में चारित्र के हिमालय के समान थे। उनका जीवन श्रद्धा, विश्वास, वात्सल्य और सम्यक चारित्र से परिपूर्ण था। मुनिश्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुदेव के दिए ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रभाव जन्म-जन्मांतर तक बना रहेगा। कार्यक्रम में मुनिश्री निस्वार्थ सागर, मुनिश्री निसर्ग सागर महाराज सहित अन्य साधु-साध्वी भी उपस्थित रहे। विधान में हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हो रहे हैं, जो धार्मिक विधि-विधान में भाग ले रहे हैं। 88 अर्घ्य समर्पित किए गए दयोदय फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट एवं कल्पद्रूम महामंडल विधान महोत्सव समिति संरक्षक राजेश उदावत, अध्यक्ष राहुल जैन (स्पोर्ट्स वर्ल्ड), मनीष नायक एवं मीडिया प्रभारी राजीव जैन ने बताया कि महामंडल विधान के छठे दिन सुबह के सत्र में मुनिश्री के सान्निध्य एवं विधानाचार्य ब्रह्मचारी अनिल भैया, डॉ. अभिषेक जैन एवं डॉ. आशीष जैन के निर्देशन में सुबह के सत्र में शांतिधारा व नित्य पूजन की विधियां संपन्न हुई। श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान निमित्त में गढ़धर परमेष्ठी का पूजन इंद्र-इंद्राणियों द्वारा किया गया एवं 64 विधिधारी मुनिराजों के 64 अर्घ्य सहित 88 अर्घ्य शुक्रवार को समर्पित किए गए। आयोजन के समापन अवसर तक 1695 अर्घ्य समर्पित किए जाएंगे। शुक्रवार को नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, अल्पसंख्यक आयोग मंत्री ललित गांधी (महाराष्ट्र) ने भी मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान विमल अजमेरा, प्रदीप जैन , नरेंद्र जैन , मनोज बाकलीवाल, सतीश डबडेरा, धर्मेंद्र जैन , दिलीप पाटनी, जैनेश झांझरी, आनंद जैन, डीके जैन, प्रदीप जैन सहित हजारों समाज बंधु मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सचिन जैन ने किया। आचार्यश्री पर आधारित नाटक ने किया भाव-विभोर शुक्रवार को त्रिशला माता मंडल सिलवानी (रायसेन) के 40 कलाकारों ने आचार्यश्री के जीवन चरित्र पर महानाट्य की प्रस्तुति दी। नाटक की सूत्रधार कमलेश जैन ने बताया कि आचार्यश्री के जन्म से लेकर समाधि दिवस को नाटक के माध्यम से दिखाया गया। 1 घंटे 4 मिनट के इस नाटक में अलग-अलग पात्रों ने अपने अभिनय से सभी दर्शकों का मन मोह लिया। नाटक में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के माता-पिता, 4 भाई व 2 बहनों के पात्र बने कलाकारों ने अपने अभिनय से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्यश्री विद्या सागर महाराज के पात्र में व्रतधारी इलू थे। वहीं महावीर सागर, योग सागर, समय सागर, शांता-सुवर्णा के पात्रों को शांतम जैन, श्रेयांश जैन, प्रयाशू जैन, शुभी जैन एवं सौम्य जैन ने निभाया। वहीं आचार्यश्री के बाल्यकाल का पात्र बने अरिहंत जैन ने अपने अभिनय से खूब तालियां बटोरी। आचार्यश्री के दोस्त मारूति का पात्र टोनी जैन बने। आचार्यश्री के पिता मल्लप्पा एवं माता श्रीमंती का किरदार आशीष सिंघई एवं सविता जैन ने निभाया। 1 घंटे 4 मिनट तक नान स्टाप चले इस महानाट्य में आचार्यश्री के जन्म से लेकर समाधि दिवस की यात्रा का भावपूर्ण चरित्र-चित्रण हुआ जिसने वहां उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं को भाव-विभोर कर दिया। नाटक के दौरान आचार्यश्री के संदेशों का भी अनुसरण करवाया गया। चक्रवर्ती दिग्विजय यात्रा 8 फरवरी को अध्यक्ष राहुल जैन ने बताया कि 8 फरवरी को शाम 6.30 बजे आयोजन स्थल से चक्रवर्ती दिग्विजय यात्रा निकाली जाएगी। चक्रवर्ती दिग्विजय की इस ऐतिहासिक व भव्य यात्रा में 41 बग्घियों पर इंद्र-इंद्राणी संवार होंगे। वहीं चार मुख्य रथ सौधर्म इंद्र, चक्रवर्ती इंद्र, कुबेर इंद्र व महायज्ञनायक इंद्र परिवार के रहेंगे। यात्रा के दौरान 2 स्वर्ण व रजत रथ भी रहेंगे जो इस यात्रा में मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। इसी के साथ राजस्थान, झाबुआ, राजगढ़, कुक्षी की आदिवासी मंडलियां भी नृत्य की प्रस्तुति देंगी। यात्रा में ढ़ोल-ताशे, 11 घोड़ों के साथ ही 25 से अधिक मंच भी लगाए जाएंगे। यात्रा प्रभारी जिनेश झांझरी, प्रदीप बडज़ात्या एवं जितेंद्र सेठ ने बताया कि चक्रवर्ती दिग्विजय की यात्रा आयोजन स्थल से प्रारंभ होकर बंगाली, कनाडिय़ा, तिलक नगर होते हुए पुन: आयोजन स्थल महावीर नगर पहुंचेगी। 2 किलोमीटर के इस यात्रा मार्ग में 40 युवाओं को यातायात संबंधित जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजेश जैन, नवीन अजमेरा, मनमोहन पाटनी ने बताया कि एक मार्ग से यात्रा और दूसरे मार्ग से वाहनों की आवाजाही रहेगी। वहीं यातायात विभाग, पुलिस प्रशासन के साथ ही नगर सुरक्षा समिति के सदस्य भी इसकी व्यवस्था संभालेंगे। यात्रा के पश्चात श्री 1008 कल्पद्रुम महामंडल विधान में 108 समवशरण की सामूहिक रूप से आरती की जाएगी। इसके पश्चात इस चक्रवर्ती यात्रा का समापन होगा।