पत्रकार मर्डर-केस...120 करोड़ की सड़क 15 साल में भी अधूरी:हर 2KM के लिए अलग-अलग ठेका, 52KM में से सिर्फ 13KM में डामर; सैकड़ों गड्ढे
पत्रकार मर्डर-केस...120 करोड़ की सड़क 15 साल में भी अधूरी:हर 2KM के लिए अलग-अलग ठेका, 52KM में से सिर्फ 13KM में डामर; सैकड़ों गड्ढे
तारीख 11 जनवरी 2025 समय - सुबह 7 बजे ये वो तारीख और वक्त है, जब दैनिक भास्कर की टीम 120 करोड़ रुपए की सड़क और घोटाले की पड़ताल करने गंगालूर, मिरतुर से लेकर नेलसनार तक करीब 52 किमी का सफर तय की। ये वही सड़क है, जिसकी कीमत 56 करोड़ थी, जो बढ़कर 120 करोड़ रुपए पहुंच गई। इसी सड़क को लेकर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का मर्डर हुआ। हमारी टीम जब बीजापुर से गंगालूर के पास पहुंची तो करीब 20 फीट के दायरे में ही 4 बड़े-बड़े गड्ढे मिले। इसी तरह गंगालूर से पुसनार के बीच 2 से 3 किलोमीटर में ही करीब 100 से ज्यादा गड्ढे मिले। गड्ढों को भरने के लिए सीमेंट और गिट्टी डालकर बराबर किया गया है। सड़क की दुर्दशा ऐसी है कि हाथ से ही डामर की परत उखड़ रही है। अब जानिए कैसे 4 लोगों को मिला टेंडर ? सड़क निर्माण का ठेका 4 फर्मों को मिला। हर 2 किमी की सड़क निर्माण के लिए अलग-अलग टेंडर जारी किया गया। 32 किमी के काम को 16 भागों में बांटा गया और अनुबंध किया गया। ये काम ठेकेदार सुरेश चंद्राकर कर रहा था। 52 किलोमीटर की सड़क को टुकड़ों में बनाया गया है। लगभग 12 से 15 किमी तक डामर बिछाया गया, लेकिन क्वॉलिटी इतनी घटिया थी कि कुछ ही दिन में सड़क उखड़ने लगी। इसके अलावा बीच-बीच में गिट्टी और मुरुम डाल दिया गया है, जो चलने लायक भी नहीं है। 3 से 4 सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हमारी टीम जब गंगालूर से आगे बढ़ी तो दिखा मिरतुर से पहले एक सुरक्षाबलों का कैंप है। गंगालूर से लेकर मिरतुर तक इस सड़क निर्माण काम की सुरक्षा के लिए कुल 3 से 4 सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हैं, ताकि बिना किसी रुकावट के सड़क का निर्माण हो जाए। गंगालूर से लेकर मिरतुर तक कई जगहों पर सिर्फ गिट्टी बिछाकर रखी गई है। वहीं कई जगहों पर पैच वर्क किया गया है। पैच वर्क ऐसा है अगर आप इस पर झाड़ू लगाएं तो गिट्टी और सीमेंट उखड़ जाएगी। इसी तरह 52 किलोमीटर की सड़क सिर्फ कागजों पर बनकर रह गई है। सड़क बनने से पहले ही 90 प्रतिशत राशि निकाल ली गई। ग्रामीण बोले- सड़क निर्माण में घटिया काम हुआ दैनिक भास्कर की टीम ने इस दौरान रास्ते में मिले गंगालूर के सोमड़ू और पुसनार के मंगल से बातचीत की। उन्होंने फोटो नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सड़क का काम बहुत ही घटिया हुआ है। डामर उखड़ गया है। कुछ जगहों पर सिर्फ गिट्टी डालकर छोड़ दी गई है। हम लोगों को वर्षों से आवाजाही में परेशानी हो रही है। 56 करोड़ रुपए का काम कैसे हुआ 120 करोड़ का ? दरअसल, 15 साल पहले यानी 2009 में भारत सरकार ने सड़क आवश्यकता योजना स्पेशल प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी, 2009 के प्रोजेक्ट का 2015 में एग्रीमेंट हुआ था। जिसके तहत सड़क के लिए लगभग 56 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इन 15 सालों में सड़क की दूरी उतनी ही है, जितनी पहले थी, लेकिन जब 56 करोड़ रुपए में बननी थी तो 120 करोड़ रुपए कैसे हुई? मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है- कलेक्टर संबित मिश्रा इस सवाल का जवाब जानने दैनिक भास्कर ने बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा से बातचीत की। कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि ये सारा काम PWD का है। अलग-अलग पार्ट में काम हुए हैं। एक बार PWD से पता कर लीजिए। मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि इस सड़क के संबंध में स्टेट से भी एक टीम का गठन हुआ है। वह भी जांच कर रही है। वहां से ज्यादा जानकारी मिल पाएगी। पूर्व BJP नेता बोले- सुरेश ने जमकर भ्रष्टाचार किया युवा आयोग के पूर्व सदस्य और पूर्व भाजपा नेता अजय सिंह का आरोप है कि सुरेश चंद्राकर ने अधिकारियों के साथ मिलकर सांठ-गांठ की थी। टेंडर लिया और फिर सड़क निर्माण पर जमकर भ्रष्टाचार किया। सड़क के लिए कुल 16 अनुबंध हुए थे। अब ये जांच का विषय है कि इसे 120 करोड़ कैसे कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले की सिरे से जांच हो जाए तो कई बड़े नेता, कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। MLA बोले- हो मामले की जांच बीजापुर MLA विक्रम मंडावी ने कहा कि, कुछ दिन पहले PWD मिनिस्टर अरुण साव यहां आए हुए थे। उन्होंने सड़क भी देखी, तो अब वे इसकी जांच क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि, नक्सल प्रभावित इलाका है इसलिए हम जा नहीं पाते। लेकिन इतना जरूर है कि सड़क में भ्रष्टाचार हुआ है। उसकी जांच की जाए, पैसे रिकवर किए जाएं। कुटरू-फरसेगढ़ का काम भी निरस्त ठेकेदार सुरेश चंद्राकर PWD का A कैटेगरी का ठेकेदार था। बीजापुर जिले में उसके 6 प्रोजेक्ट थे। उसने जितने सड़क निर्माण का टेंडर लिया था, उन सारे कामों को अब राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया है। इनमें कुटरू से फरसेगढ़ तक की भी सड़क और ब्रिज निर्माण है। ठेकेदार ने यहां मिट्टी फिलिंग का काम कर दिया था, लेकिन यह काम भी महीनेभर से बंद था। अब इस काम को भी निरस्त कर दिया गया है। सरकार की तरफ से PWD मंत्री अरुण साव ने कहा था कि सभी सड़क निर्माण कार्यों को निरस्त कर दिया गया है। धीमी गति और निर्माण कार्य लंबे समय तक बंद पाए गए थे। अब पढ़िए मुकेश चंद्राकर हत्याकांड के बारे में बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की रॉड से पीट-पीटकर हत्या की गई थी। लोकेशन भटकाने के लिए उसका मोबाइल 50KM दूर तुमनार नदी में फेंका गया। वारदात से 5 दिन पहले ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने मुकेश की हत्या की प्लानिंग की थी। SIT की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। सड़क निर्माण काम की खबर से ये लोग मुकेश से नाराज थे। इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने और आरोपियों को पकड़ने के लिए CG के अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा पुलिस की भी मदद ली गई। SIT के मुताबिक, हत्या रितेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके ने की, जबकि शव छिपाने का काम दिनेश ने किया। पढ़ें पूरी खबर... ................................ पत्रकार मर्डर केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ पत्रकार मौत केस-पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर पर 15 निशान: लिवर के 4 टुकड़े, गर्दन टूटी और हार्ट फटा मिला; आरोपी ठेकेदार हैदराबाद से गिरफ्तार गुरुवार की शाम SIT ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि, इस घ
तारीख 11 जनवरी 2025 समय - सुबह 7 बजे ये वो तारीख और वक्त है, जब दैनिक भास्कर की टीम 120 करोड़ रुपए की सड़क और घोटाले की पड़ताल करने गंगालूर, मिरतुर से लेकर नेलसनार तक करीब 52 किमी का सफर तय की। ये वही सड़क है, जिसकी कीमत 56 करोड़ थी, जो बढ़कर 120 करोड़ रुपए पहुंच गई। इसी सड़क को लेकर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का मर्डर हुआ। हमारी टीम जब बीजापुर से गंगालूर के पास पहुंची तो करीब 20 फीट के दायरे में ही 4 बड़े-बड़े गड्ढे मिले। इसी तरह गंगालूर से पुसनार के बीच 2 से 3 किलोमीटर में ही करीब 100 से ज्यादा गड्ढे मिले। गड्ढों को भरने के लिए सीमेंट और गिट्टी डालकर बराबर किया गया है। सड़क की दुर्दशा ऐसी है कि हाथ से ही डामर की परत उखड़ रही है। अब जानिए कैसे 4 लोगों को मिला टेंडर ? सड़क निर्माण का ठेका 4 फर्मों को मिला। हर 2 किमी की सड़क निर्माण के लिए अलग-अलग टेंडर जारी किया गया। 32 किमी के काम को 16 भागों में बांटा गया और अनुबंध किया गया। ये काम ठेकेदार सुरेश चंद्राकर कर रहा था। 52 किलोमीटर की सड़क को टुकड़ों में बनाया गया है। लगभग 12 से 15 किमी तक डामर बिछाया गया, लेकिन क्वॉलिटी इतनी घटिया थी कि कुछ ही दिन में सड़क उखड़ने लगी। इसके अलावा बीच-बीच में गिट्टी और मुरुम डाल दिया गया है, जो चलने लायक भी नहीं है। 3 से 4 सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हमारी टीम जब गंगालूर से आगे बढ़ी तो दिखा मिरतुर से पहले एक सुरक्षाबलों का कैंप है। गंगालूर से लेकर मिरतुर तक इस सड़क निर्माण काम की सुरक्षा के लिए कुल 3 से 4 सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हैं, ताकि बिना किसी रुकावट के सड़क का निर्माण हो जाए। गंगालूर से लेकर मिरतुर तक कई जगहों पर सिर्फ गिट्टी बिछाकर रखी गई है। वहीं कई जगहों पर पैच वर्क किया गया है। पैच वर्क ऐसा है अगर आप इस पर झाड़ू लगाएं तो गिट्टी और सीमेंट उखड़ जाएगी। इसी तरह 52 किलोमीटर की सड़क सिर्फ कागजों पर बनकर रह गई है। सड़क बनने से पहले ही 90 प्रतिशत राशि निकाल ली गई। ग्रामीण बोले- सड़क निर्माण में घटिया काम हुआ दैनिक भास्कर की टीम ने इस दौरान रास्ते में मिले गंगालूर के सोमड़ू और पुसनार के मंगल से बातचीत की। उन्होंने फोटो नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सड़क का काम बहुत ही घटिया हुआ है। डामर उखड़ गया है। कुछ जगहों पर सिर्फ गिट्टी डालकर छोड़ दी गई है। हम लोगों को वर्षों से आवाजाही में परेशानी हो रही है। 56 करोड़ रुपए का काम कैसे हुआ 120 करोड़ का ? दरअसल, 15 साल पहले यानी 2009 में भारत सरकार ने सड़क आवश्यकता योजना स्पेशल प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी, 2009 के प्रोजेक्ट का 2015 में एग्रीमेंट हुआ था। जिसके तहत सड़क के लिए लगभग 56 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इन 15 सालों में सड़क की दूरी उतनी ही है, जितनी पहले थी, लेकिन जब 56 करोड़ रुपए में बननी थी तो 120 करोड़ रुपए कैसे हुई? मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है- कलेक्टर संबित मिश्रा इस सवाल का जवाब जानने दैनिक भास्कर ने बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा से बातचीत की। कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि ये सारा काम PWD का है। अलग-अलग पार्ट में काम हुए हैं। एक बार PWD से पता कर लीजिए। मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि इस सड़क के संबंध में स्टेट से भी एक टीम का गठन हुआ है। वह भी जांच कर रही है। वहां से ज्यादा जानकारी मिल पाएगी। पूर्व BJP नेता बोले- सुरेश ने जमकर भ्रष्टाचार किया युवा आयोग के पूर्व सदस्य और पूर्व भाजपा नेता अजय सिंह का आरोप है कि सुरेश चंद्राकर ने अधिकारियों के साथ मिलकर सांठ-गांठ की थी। टेंडर लिया और फिर सड़क निर्माण पर जमकर भ्रष्टाचार किया। सड़क के लिए कुल 16 अनुबंध हुए थे। अब ये जांच का विषय है कि इसे 120 करोड़ कैसे कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले की सिरे से जांच हो जाए तो कई बड़े नेता, कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। MLA बोले- हो मामले की जांच बीजापुर MLA विक्रम मंडावी ने कहा कि, कुछ दिन पहले PWD मिनिस्टर अरुण साव यहां आए हुए थे। उन्होंने सड़क भी देखी, तो अब वे इसकी जांच क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि, नक्सल प्रभावित इलाका है इसलिए हम जा नहीं पाते। लेकिन इतना जरूर है कि सड़क में भ्रष्टाचार हुआ है। उसकी जांच की जाए, पैसे रिकवर किए जाएं। कुटरू-फरसेगढ़ का काम भी निरस्त ठेकेदार सुरेश चंद्राकर PWD का A कैटेगरी का ठेकेदार था। बीजापुर जिले में उसके 6 प्रोजेक्ट थे। उसने जितने सड़क निर्माण का टेंडर लिया था, उन सारे कामों को अब राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया है। इनमें कुटरू से फरसेगढ़ तक की भी सड़क और ब्रिज निर्माण है। ठेकेदार ने यहां मिट्टी फिलिंग का काम कर दिया था, लेकिन यह काम भी महीनेभर से बंद था। अब इस काम को भी निरस्त कर दिया गया है। सरकार की तरफ से PWD मंत्री अरुण साव ने कहा था कि सभी सड़क निर्माण कार्यों को निरस्त कर दिया गया है। धीमी गति और निर्माण कार्य लंबे समय तक बंद पाए गए थे। अब पढ़िए मुकेश चंद्राकर हत्याकांड के बारे में बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की रॉड से पीट-पीटकर हत्या की गई थी। लोकेशन भटकाने के लिए उसका मोबाइल 50KM दूर तुमनार नदी में फेंका गया। वारदात से 5 दिन पहले ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने मुकेश की हत्या की प्लानिंग की थी। SIT की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। सड़क निर्माण काम की खबर से ये लोग मुकेश से नाराज थे। इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने और आरोपियों को पकड़ने के लिए CG के अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा पुलिस की भी मदद ली गई। SIT के मुताबिक, हत्या रितेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके ने की, जबकि शव छिपाने का काम दिनेश ने किया। पढ़ें पूरी खबर... ................................ पत्रकार मर्डर केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ पत्रकार मौत केस-पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर पर 15 निशान: लिवर के 4 टुकड़े, गर्दन टूटी और हार्ट फटा मिला; आरोपी ठेकेदार हैदराबाद से गिरफ्तार गुरुवार की शाम SIT ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि, इस घटना के आरोपियों को पकड़ने के लिए करीब 100 से ज्यादा CDR निकाले गए। CCTV कैमरे खंगाले गए। 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए साइबर टीम ने AI (Artificial intelligence) और OSINT (Open-source intelligence) टूल्स का भी प्रयोग किया। पढ़ें पूरी खबर...