केंद्रीय बजट 2025 पर सरकारी कर्मचारियों-श्रमिकों की प्रतिक्रिया:इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने का स्वागत, मजदूरों की अनदेखी ने बढ़ाई नाराजगी

केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इनकम टैक्स में 12 लाख 75 हजार तक छूट स्वागत योग्य कदम है, पर पुरानी पेंशन बहाली, बोनस स्लैब में बदलाव और ठेका श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी पर सरकार को निर्णय लेना था। खासकर ठेका श्रमिक 5000 रुपए महीने की सैलरी में गुजारा कर रहे हैं। महंगाई के इस दौर में यह काफी कठिन कार्य है। उन्होंने कहा कि सरकार को न्यूनतम मजदूरी कम से कम 21000 रुपए करनी चाहिए। जिनकी जेबें पहले से भरी, उन्हें दी राहत आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी श्रमिक मोर्चा मध्य प्रदेश के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा कहते हैं कि जरूरत सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्र के ऐसे श्रमिक कर्मचारी वर्ग को राहत पहुंचाने की थी, जिनके वेतन ठहरे हुए हैं, बढ़ती महंगाई में वे परेशान हैं लेकिन जिनकी जेबें पहले से भरी हैं, उन्हें राहत पहुंचाई गई है। जिस तरह सरकार चंद रईसों के लिए काम कर रही है, बजट की दिशा भी वही है। इस तरह बजट में बहुमत आबादी की चिंता नहीं की गई। केंद्र सरकार को न्यूनतम वेतन 21000 रुपए करने की घोषणा एवं राज्य सरकारों को इसे सख्ती से लागू करने की बात करनी चाहिए थी। बजट में मनरेगा में परिवार के हर सदस्य को 200 दिन काम और न्यूनतम 450 रुपए मजदूरी की बात होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा न करके वित्तमंत्री ने मेहनतकश वर्ग को हाशिए पर ही पडे़ रहने दिया है, भुला दिया है। ठेका मजदूरों का रखना था ध्यान भेल के श्रमिक नेता और सीटू यूनियन के कार्यकारी महासचिव दीपक गुप्ता ने बजट को मजदूर विरोधी बताया। उनका कहना है कि बजट में 12 लाख की इनकम टैक्स फ्री होना स्वागत योग्य है पर सरकार को देश के कारखानों में ठेके पर कार्य करने वाले मजदूरों का भी ध्यान रखना चाहिए। उनका वेतन कम से कम 30 हजार रुपए किया जाना चाहिए, ताकि वे ठीक से जीवन यापन कर सकें। सरकार ने पेंशनरों को नहीं दी राहत सेमी गवर्नमेंट एम्प्लॉइज फेडरेशन एमपी के अध्यक्ष अनिल वाजपेयी कहते हैं कि बजट में पेंशनरों के लिए कोई राहत नहीं दी गई, बोनस में भी बदलाव नहीं किया। बजट कर्मचारियों के हित में नहीं है। नया अध्यादेश आने पर पता चलेगा इनकम टैक्स में क्या कोई सुविधा मिलेगी। जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च हो अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) की महामंत्री प्रो गीता भट्ट ने केंद्रीय बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 6.65% की वृद्धि के साथ ₹1,28,650 करोड़ के आवंटन का स्वागत किया है। उन्होंने इस बजट को शिक्षा के बुनियादी ढांचे के विस्तार, डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहन, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी का कम से कम 6% खर्च करने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए। ताकि नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लक्ष्यों को पूर्ण रूप से हासिल किया जा सके।

केंद्रीय बजट 2025 पर सरकारी कर्मचारियों-श्रमिकों की प्रतिक्रिया:इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने का स्वागत, मजदूरों की अनदेखी ने बढ़ाई नाराजगी
केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इनकम टैक्स में 12 लाख 75 हजार तक छूट स्वागत योग्य कदम है, पर पुरानी पेंशन बहाली, बोनस स्लैब में बदलाव और ठेका श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी पर सरकार को निर्णय लेना था। खासकर ठेका श्रमिक 5000 रुपए महीने की सैलरी में गुजारा कर रहे हैं। महंगाई के इस दौर में यह काफी कठिन कार्य है। उन्होंने कहा कि सरकार को न्यूनतम मजदूरी कम से कम 21000 रुपए करनी चाहिए। जिनकी जेबें पहले से भरी, उन्हें दी राहत आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी श्रमिक मोर्चा मध्य प्रदेश के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा कहते हैं कि जरूरत सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्र के ऐसे श्रमिक कर्मचारी वर्ग को राहत पहुंचाने की थी, जिनके वेतन ठहरे हुए हैं, बढ़ती महंगाई में वे परेशान हैं लेकिन जिनकी जेबें पहले से भरी हैं, उन्हें राहत पहुंचाई गई है। जिस तरह सरकार चंद रईसों के लिए काम कर रही है, बजट की दिशा भी वही है। इस तरह बजट में बहुमत आबादी की चिंता नहीं की गई। केंद्र सरकार को न्यूनतम वेतन 21000 रुपए करने की घोषणा एवं राज्य सरकारों को इसे सख्ती से लागू करने की बात करनी चाहिए थी। बजट में मनरेगा में परिवार के हर सदस्य को 200 दिन काम और न्यूनतम 450 रुपए मजदूरी की बात होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा न करके वित्तमंत्री ने मेहनतकश वर्ग को हाशिए पर ही पडे़ रहने दिया है, भुला दिया है। ठेका मजदूरों का रखना था ध्यान भेल के श्रमिक नेता और सीटू यूनियन के कार्यकारी महासचिव दीपक गुप्ता ने बजट को मजदूर विरोधी बताया। उनका कहना है कि बजट में 12 लाख की इनकम टैक्स फ्री होना स्वागत योग्य है पर सरकार को देश के कारखानों में ठेके पर कार्य करने वाले मजदूरों का भी ध्यान रखना चाहिए। उनका वेतन कम से कम 30 हजार रुपए किया जाना चाहिए, ताकि वे ठीक से जीवन यापन कर सकें। सरकार ने पेंशनरों को नहीं दी राहत सेमी गवर्नमेंट एम्प्लॉइज फेडरेशन एमपी के अध्यक्ष अनिल वाजपेयी कहते हैं कि बजट में पेंशनरों के लिए कोई राहत नहीं दी गई, बोनस में भी बदलाव नहीं किया। बजट कर्मचारियों के हित में नहीं है। नया अध्यादेश आने पर पता चलेगा इनकम टैक्स में क्या कोई सुविधा मिलेगी। जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च हो अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) की महामंत्री प्रो गीता भट्ट ने केंद्रीय बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 6.65% की वृद्धि के साथ ₹1,28,650 करोड़ के आवंटन का स्वागत किया है। उन्होंने इस बजट को शिक्षा के बुनियादी ढांचे के विस्तार, डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहन, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी का कम से कम 6% खर्च करने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए। ताकि नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लक्ष्यों को पूर्ण रूप से हासिल किया जा सके।