कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण शुरू होते ही मची भगदड़:2 महिलाओं की मौत, चश्मदीद बोले- पुलिस का एक जवान भी नहीं था

'हम पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने परिवार के साथ यहां आए थे। यहां कोई सुविधा नहीं है, सब झूठा है। कोई सिक्याेरिटी नहीं है।' सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में यूपी के मेरठ से आई सूरज बाई का गुस्से में हैं। मंगलवार को जब यहां भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हुई तब वे वहीं पर मौजूद थीं। बदइंतजामी को लेकर ऐसा ही गुस्सा दूसरे लोगों में भी है। भारी भीड़ जुटने की जानकारी के बावजूद न प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की न कुबेरेश्वर धाम से जुड़े लोगों ने। नतीजा- दो मौतें। बुधवार को प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु इकट्‌ठा हुए हैं। मंगलवार को धाम में बने रुद्राक्ष वितरण केंद्र के सामने सुबह 5 बजे से ही लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई। रुद्राक्ष वितरण का समय सुबह 10 से शाम 5 बजे तक रहता है। जैसे ही 10 बजे हादसा हुआ। घटना के तुरंत बाद दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। घटना के चश्मदीदों और श्रद्धालुओं से बात की। मंदिर प्रशासन से बात की। साथ ही घटनास्थल का निरीक्षण करने आए कलेक्टर, एसपी से भी बात करने को कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया। चश्मदीदों और श्रद्धालुओं ने क्या कहा? घटना के पहले क्या हालात थे? पुलिस और प्रशासन की तैयारियां कैसी थी? इस रिपोर्ट में जानिए इन सभी सवालों के जवाब… सीहोर पहुंचते ही हमने देखा पुलिस ने इंदौर-भोपाल हाईवे को एक तरफ से ब्लॉक कर दिया है। कुबेरेश्वर धाम जाने के लिए शहर के अंदर से रूट डायवर्ट कर दिया है। हादसे के बाद भी श्रद्धालुओं में उत्साह कम नहीं दिखा। हमें पूरे रास्ते कांवड़ लिए लोगों के झुंड भजन गाते और जयकारे लगाते हुए नजर आए। ये लोग धाम की तरफ जाते दिखे। भीड़ और जाम के चलते धाम तक पहुंचने में 1 घंटा ज्यादा वक्त लगा। पूरा धाम श्रद्धालुओं की भीड़ से पैक दिखा। दो दृश्यों से जानिए कैसे थे हालात... 1.भारी भीड़, पुलिसकर्मी नहीं दिखे, लोग खुद मैनेज कर रहे थे धाम में पहुंचने के बाद हमने कई लोगों से घटनास्थल की जानकारी मांगी। करीब 50 अलग-अलग महिला-पुरुषों से बात करने के बाद भी हमें घटनास्थल का पता नहीं चला। हैरानी इस बात की थी कि अधिकतर लोगों को हादसे की जानकारी तक नहीं थी। धाम परिसर में खचाखच भीड़ दिखी। लोग खुद ही मैनेज करके एक जगह से दूसरी जगह जाते दिखे। धाम परिसर में भीड़ को मैनेज करने के लिए धाम या पुलिस प्रशासन का कोई भी स्वयंसेवक या जिम्मेदार दिखाई नहीं दिया। बहुत से लोग अपनी-अपनी जगह पर बैठकर फूल, बेलपत्र चढ़ाकर, दीपक जलाकर पूजा आराधना करते नजर आए। शिवलिंग के पास इतनी भीड़ थी कि अन्य लोगों का वहां तक पहुंचना लगभग नामुमकिन सा लगा। लोग जहां बैठे थे, वहीं चद्दर से या छतरी से ढंक कर खुद को धूप से बचाते दिखे। काफी समय बाद एक व्यक्ति ने बताया, घटना सुबह 10 से 11 बजे के बीच हुई थी। धाम के पीछे की तरफ रुद्राक्ष वितरण केंद्र है। उसके पास ही एक बड़ा डोम है, जहां श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था है। उसी तरफ हादसा हुआ। 2.भंडारा चल रहा था, रुद्राक्ष वितरण बंद, अव्यवस्था से महिलाएं नाराज हम धाम परिसर में ही पीछे की तरफ बने बड़े डोम की ओर गए। वहां भंडारा चल रहा था। डोम के ठीक बगल से एक परमानेंट स्ट्रक्चर है, जहां से रुद्राक्ष बांटा जाता है। यहां लोहे के बड़े-बड़े स्लाइडिंग दरवाजे हैं, जहां पर लोहे की सलाखों वाली जालियां लगी हुई हैं। श्रद्धालु रुद्राक्ष लेने के लिए यहीं लाइन लगाते हैं। लिखा था- रुद्राक्ष वितरण बंद है। यहां कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा की तस्वीर के साथ एक अभिनंदन का बैनर लगा दिखा। यहां बहुत ज्यादा भीड़ नहीं दिखी। कुछ महिलाएं क्विक रिएक्शन फोर्स के जवान से अपनी शिकायत करते हुए नजर आईं। हम उन महिलाओं के पास पहुंचे। जैसे ही उन्हें पता चला हम मीडिया से हैं, उन्होंने चीख-चीख कर अपना दर्द बताना शुरू कर दिया। अब जानिए श्रद्धालुओं का दर्द... महिला बोलीं- यहां कोई सुविधा नहीं, सब बिजनेस है यूपी के मेरठ से आई सूरज बाई ने कहा, हम प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने परिवार के साथ यहां आए थे। बुधवार को कांवड़ भी उठाने आए थे। हमें कोई सुविधा नहीं मिली, सब झूठा है। पब्लिक को लूट रहे हैं। चारों तरफ जो ये बिल्डिंग बनी हैं ये बिजनेस के लिए बनी हैं या जनता के लिए बनी हैं। रोड पर नहाने तक का यहां 50 रुपए लेते हैं। जब घटना हुई तब मैं यहीं मौजूद थी। यहां कोई सिक्योरिटी नहीं थी। इन्हीं लोहे की जालियों के पास घटना हुई। कोई हजार किलोमीटर से आ रहा है कोई दो हजार। मेरठ से ही आई अन्नू ने कहा, यहां होटल वाले एक घंटे रुकने का 500 रुपए मांग रहे हैं। टीवी में जो सब प्रदीप मिश्रा जी के लिए दिखा रहे हैं, ऐसा यहां कुछ नहीं है। कोई फैसिलिटी नहीं है। हम परसों रात यहां आए। आज सुबह रुद्राक्ष के चलते इसी जगह पर घटना हुई है। उसी घटना में मेरे हाथ में चोट आई है। पास ही खड़ी गीता ने कहा, मैं 3 अगस्त को यहां आई थी। भगदड़ में मेरे हाथ में भी चोट आई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कैसे हुआ हादसा.. सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी, धक्का मुक्की के बाद हुई भगदड़ दिल्ली से आए जतिन शर्मा ने बताया कि मैं सुबह यहां रुद्राक्ष लेने आया था। यहां सुबह 5 बजे से ही लोग लाइन में लगे थे। धीरे-धीरे पूरा मैदान लोगों से भर गया। रुद्राक्ष बंटने वाली जगह पर भीड़ बहुत ज्यादा थी। धक्का-मुक्की शुरू हो गई थी। मुझे घबराहट हुई तो मैं थोड़ा पीछे चला गया। 10 बजे के बाद अचानक लोगों ने जालियों पर चढ़ना शुरू कर दिया। बहुत शोर मचा। मैं थोड़ा आगे बढ़ा तो मैंने देखा वहां कुछ औरतें नीचे गिरी हुई थीं। इसके बाद मैं घबराकर बाहर की तरफ भागा। सुरक्षा की यहां कोई व्यवस्था नहीं थी। न ही मंदिर प्रशासन की तरफ से और न ही पुलिस की तरफ से। जनता के बीच से ही कुछ लोगों ने भगदड़ को शांत करने की कोशिश की। एक अन्य चश्मदीद हरियाणा के कमल किशोर वर्मा ने कहा, 4 अगस्त को ही मैं 6 अगस्त को होने वाली कांवड़ यात्रा में शामिल होने आ गया था।

Aug 6, 2025 - 06:49
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कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण शुरू होते ही मची भगदड़:2 महिलाओं की मौत, चश्मदीद बोले- पुलिस का एक जवान भी नहीं था
'हम पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने परिवार के साथ यहां आए थे। यहां कोई सुविधा नहीं है, सब झूठा है। कोई सिक्याेरिटी नहीं है।' सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में यूपी के मेरठ से आई सूरज बाई का गुस्से में हैं। मंगलवार को जब यहां भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हुई तब वे वहीं पर मौजूद थीं। बदइंतजामी को लेकर ऐसा ही गुस्सा दूसरे लोगों में भी है। भारी भीड़ जुटने की जानकारी के बावजूद न प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की न कुबेरेश्वर धाम से जुड़े लोगों ने। नतीजा- दो मौतें। बुधवार को प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु इकट्‌ठा हुए हैं। मंगलवार को धाम में बने रुद्राक्ष वितरण केंद्र के सामने सुबह 5 बजे से ही लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई। रुद्राक्ष वितरण का समय सुबह 10 से शाम 5 बजे तक रहता है। जैसे ही 10 बजे हादसा हुआ। घटना के तुरंत बाद दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। घटना के चश्मदीदों और श्रद्धालुओं से बात की। मंदिर प्रशासन से बात की। साथ ही घटनास्थल का निरीक्षण करने आए कलेक्टर, एसपी से भी बात करने को कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया। चश्मदीदों और श्रद्धालुओं ने क्या कहा? घटना के पहले क्या हालात थे? पुलिस और प्रशासन की तैयारियां कैसी थी? इस रिपोर्ट में जानिए इन सभी सवालों के जवाब… सीहोर पहुंचते ही हमने देखा पुलिस ने इंदौर-भोपाल हाईवे को एक तरफ से ब्लॉक कर दिया है। कुबेरेश्वर धाम जाने के लिए शहर के अंदर से रूट डायवर्ट कर दिया है। हादसे के बाद भी श्रद्धालुओं में उत्साह कम नहीं दिखा। हमें पूरे रास्ते कांवड़ लिए लोगों के झुंड भजन गाते और जयकारे लगाते हुए नजर आए। ये लोग धाम की तरफ जाते दिखे। भीड़ और जाम के चलते धाम तक पहुंचने में 1 घंटा ज्यादा वक्त लगा। पूरा धाम श्रद्धालुओं की भीड़ से पैक दिखा। दो दृश्यों से जानिए कैसे थे हालात... 1.भारी भीड़, पुलिसकर्मी नहीं दिखे, लोग खुद मैनेज कर रहे थे धाम में पहुंचने के बाद हमने कई लोगों से घटनास्थल की जानकारी मांगी। करीब 50 अलग-अलग महिला-पुरुषों से बात करने के बाद भी हमें घटनास्थल का पता नहीं चला। हैरानी इस बात की थी कि अधिकतर लोगों को हादसे की जानकारी तक नहीं थी। धाम परिसर में खचाखच भीड़ दिखी। लोग खुद ही मैनेज करके एक जगह से दूसरी जगह जाते दिखे। धाम परिसर में भीड़ को मैनेज करने के लिए धाम या पुलिस प्रशासन का कोई भी स्वयंसेवक या जिम्मेदार दिखाई नहीं दिया। बहुत से लोग अपनी-अपनी जगह पर बैठकर फूल, बेलपत्र चढ़ाकर, दीपक जलाकर पूजा आराधना करते नजर आए। शिवलिंग के पास इतनी भीड़ थी कि अन्य लोगों का वहां तक पहुंचना लगभग नामुमकिन सा लगा। लोग जहां बैठे थे, वहीं चद्दर से या छतरी से ढंक कर खुद को धूप से बचाते दिखे। काफी समय बाद एक व्यक्ति ने बताया, घटना सुबह 10 से 11 बजे के बीच हुई थी। धाम के पीछे की तरफ रुद्राक्ष वितरण केंद्र है। उसके पास ही एक बड़ा डोम है, जहां श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था है। उसी तरफ हादसा हुआ। 2.भंडारा चल रहा था, रुद्राक्ष वितरण बंद, अव्यवस्था से महिलाएं नाराज हम धाम परिसर में ही पीछे की तरफ बने बड़े डोम की ओर गए। वहां भंडारा चल रहा था। डोम के ठीक बगल से एक परमानेंट स्ट्रक्चर है, जहां से रुद्राक्ष बांटा जाता है। यहां लोहे के बड़े-बड़े स्लाइडिंग दरवाजे हैं, जहां पर लोहे की सलाखों वाली जालियां लगी हुई हैं। श्रद्धालु रुद्राक्ष लेने के लिए यहीं लाइन लगाते हैं। लिखा था- रुद्राक्ष वितरण बंद है। यहां कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा की तस्वीर के साथ एक अभिनंदन का बैनर लगा दिखा। यहां बहुत ज्यादा भीड़ नहीं दिखी। कुछ महिलाएं क्विक रिएक्शन फोर्स के जवान से अपनी शिकायत करते हुए नजर आईं। हम उन महिलाओं के पास पहुंचे। जैसे ही उन्हें पता चला हम मीडिया से हैं, उन्होंने चीख-चीख कर अपना दर्द बताना शुरू कर दिया। अब जानिए श्रद्धालुओं का दर्द... महिला बोलीं- यहां कोई सुविधा नहीं, सब बिजनेस है यूपी के मेरठ से आई सूरज बाई ने कहा, हम प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने परिवार के साथ यहां आए थे। बुधवार को कांवड़ भी उठाने आए थे। हमें कोई सुविधा नहीं मिली, सब झूठा है। पब्लिक को लूट रहे हैं। चारों तरफ जो ये बिल्डिंग बनी हैं ये बिजनेस के लिए बनी हैं या जनता के लिए बनी हैं। रोड पर नहाने तक का यहां 50 रुपए लेते हैं। जब घटना हुई तब मैं यहीं मौजूद थी। यहां कोई सिक्योरिटी नहीं थी। इन्हीं लोहे की जालियों के पास घटना हुई। कोई हजार किलोमीटर से आ रहा है कोई दो हजार। मेरठ से ही आई अन्नू ने कहा, यहां होटल वाले एक घंटे रुकने का 500 रुपए मांग रहे हैं। टीवी में जो सब प्रदीप मिश्रा जी के लिए दिखा रहे हैं, ऐसा यहां कुछ नहीं है। कोई फैसिलिटी नहीं है। हम परसों रात यहां आए। आज सुबह रुद्राक्ष के चलते इसी जगह पर घटना हुई है। उसी घटना में मेरे हाथ में चोट आई है। पास ही खड़ी गीता ने कहा, मैं 3 अगस्त को यहां आई थी। भगदड़ में मेरे हाथ में भी चोट आई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कैसे हुआ हादसा.. सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी, धक्का मुक्की के बाद हुई भगदड़ दिल्ली से आए जतिन शर्मा ने बताया कि मैं सुबह यहां रुद्राक्ष लेने आया था। यहां सुबह 5 बजे से ही लोग लाइन में लगे थे। धीरे-धीरे पूरा मैदान लोगों से भर गया। रुद्राक्ष बंटने वाली जगह पर भीड़ बहुत ज्यादा थी। धक्का-मुक्की शुरू हो गई थी। मुझे घबराहट हुई तो मैं थोड़ा पीछे चला गया। 10 बजे के बाद अचानक लोगों ने जालियों पर चढ़ना शुरू कर दिया। बहुत शोर मचा। मैं थोड़ा आगे बढ़ा तो मैंने देखा वहां कुछ औरतें नीचे गिरी हुई थीं। इसके बाद मैं घबराकर बाहर की तरफ भागा। सुरक्षा की यहां कोई व्यवस्था नहीं थी। न ही मंदिर प्रशासन की तरफ से और न ही पुलिस की तरफ से। जनता के बीच से ही कुछ लोगों ने भगदड़ को शांत करने की कोशिश की। एक अन्य चश्मदीद हरियाणा के कमल किशोर वर्मा ने कहा, 4 अगस्त को ही मैं 6 अगस्त को होने वाली कांवड़ यात्रा में शामिल होने आ गया था। हर कोई यहां श्रद्धा के कारण ही आता है। हमने टीवी पर गुरु जी का प्रवचन सुना था। उसमें बताया जाता था कि यहां कई किमी दूर तक बड़े-बड़े पंडाल लगे हुए हैं। रुकने और तमाम व्यवस्था है। ऐसा जानने के बाद ही हम यहां आए, लेकिन यहां खाने के अलावा कोई भी व्यवस्था नहीं है। सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं हैं। इसी के चलते आज सुबह इतना बड़ा हादसा हुआ। जब हर साल इतनी भीड़ आती है तो मंदिर के साथ प्रशासन को भी इस पर ध्यान देना चाहिए था। ये लापरवाही है। मैंने सुबह यहां से 4 एम्बुलेंस में भरकर मरीज जाते देखे हैं। यहां मंदिर और पुलिस-प्रशासन का एक भी आदमी नहीं था। रिपोर्टिंग रोकने का दबाव बनाने आ गए कुछ लोग रिपोर्टिंग के दौरान हमारे पास कुछ लोग आए। उन्होंने हमें घेर लिया। अपनी पहचान बताए बिना उन्होंने हमें रिपोर्ट करने से मना किया। बोले-आपके पास क्या सबूत है कि यहां भगदड़ हुई? वीडियो दिखाइए, नहीं तो रिपोर्टिंग बंद कीजिए। वे बोले- यहां किसी की मौत नहीं हुई है। धाम को बदनाम मत कीजिए। हमने वहां मौजूद क्विक रिएक्शन फोर्स का सहारा लिया। उन्होंने लोगों को वहां से दूर किया। इसके बाद हमने दोबारा रिपोर्टिंग शुरू की। हादसे को लेकर धाम के प्रबंधन का जवाब... हादसे में मौत से इनकार कर दिया धाम की देखरेख करने वाले विनय मिश्रा ने बताया कि यहां कितने श्रद्धालु आए हैं या आएंगे इसका कोई अनुमान नहीं है। हमने 8 से 10 लाख लोगों की भोजन प्रसादी की व्यवस्था कर रखी है। सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक भोजन का वितरण होता है। सभी व्यवस्थाओं के लिए धाम की 90 से 100 लोगों की टीम है। 40 वॉलंटियर्स मालेगांव से भी आए हैं। इसके अलावा कुछ भक्त भी सेवा दे रहे हैं। सुरक्षा के लिए हमने पुलिस और जिला प्रशासन से कहा है। किसी को थोड़ा बहुत धक्का लग जाता है तो लोग भगदड़ कह देते हैं। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। यहां और फील्ड में आप देखेंगे प्रशासन के लोग लगे हुए हैं। मंदिर और प्रशासन कोऑर्डिनेशन के साथ काम कर रहा है। जिला प्रशासन पूरी सेवा दे रहा है। जिम्मेदार अफसरों का रवैया देखिए... अफसरों ने निरीक्षण किया, लेकिन बिना जवाब दिए चले गए घटना के बाद धाम में करीब 3 बजे भोपाल कमिश्नर संजीव सिंह, आईजी अभय सिंह, कलेक्टर बालागुरु के और एसपी दीपक कुमार शुक्ला पहुंचे। यहां घटनास्थल का निरीक्षण किया और धाम प्रबंधन से जुड़े लोगों से बंद कमरे में बात की। घटनास्थल पर किसी भी चश्मदीद या आए हुए श्रद्धालुओं से उन्होंने बात नहीं की। जब अफसर कमरे से बाहर आए तो हमने उनसे ऑन कैमरा बात करने की कोशिश की। हादसे को लेकर प्रशासन से लोगों को शिकायत के बारे में पूछा तो वो बात करने से साफ मना करते हुए वहां से चले गए। उन्होंने कहा, आपको हमने यहां नहीं बुलाया है। एसपी और कलेक्टर एक ही गाड़ी में बैठे हुए थे। इसके बाद हमने एसपी और कलेक्टर से फोन कॉल पर बात करने की कोशिश की, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। हम उनके दफ्तर भी गए, लेकिन वो वहां भी नहीं मिले। परिवार को सौंपेंगे डेड बॉडी अस्पताल के चीफ सर्जन प्रवीर गुप्ता ने फोन कॉल पर बात की। उन्होंने कहा, हमारे पास कुबेरेश्वर धाम से दो डेडबॉडी आई थीं। इसके अलावा कुछ और पेशेंट थे। कोई ज्यादा नहीं थे। दोनों डेडबॉडी 50 साल की महिलाओं की थी। एक महिला गुजरात की है और दूसरी उत्तर प्रदेश की है। दोनों डेडबॉडी हमारे पास हैं। परिवार के लोग बुधवार को बॉडी लेने आएंगे। हादसे को लेकर सीएम ने शोक संदेश के साथ प्रशासन और आयोजकों को चेतावनी भी दी है। घटना की मूल खबर पढ़ें... प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में भगदड़, 2 की मौत: एमपी के सीहोर में कांवड़ यात्रा में शामिल होने पहुंचे थे, भीड़ में दबने से जान गई सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार को भारी भीड़ के चलते भगदड़ में दो लोगों की मौत हो गई। 8 से 10 श्रद्धालु चक्कर और घबराहट की शिकायत के बाद अस्पताल पहुंचे हैं। जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं की गई है। पढ़ें पूरी खबर...