केले के पत्तियों को मानते हैं मां-दुर्गा का स्वरूप:कोंडागांव में तालाब के पानी से पत्तों को कराया स्नान, वर्षों से चल आ रही परंपरा
केले के पत्तियों को मानते हैं मां-दुर्गा का स्वरूप:कोंडागांव में तालाब के पानी से पत्तों को कराया स्नान, वर्षों से चल आ रही परंपरा
कोंडागांव के फरसगांव ब्लॉक के बोरगांव में बंग समाज हर साल भव्य तरीके से दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। इस बार भी दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया गया। सुबह तालाब के पास पूजा-अर्चना के साथ पवित्र उत्सव की शुरुआत हुई। इस दौरान गांव की महिलाएं और युवतियां ढोल-नगाड़ों के साथ पारंपरिक परिधान में तालाब के पास पहुंची। पूजा के लिए मां दुर्गा के प्रतीक के रूप में तालाब के पानी से 9 केले के पत्तों को स्नान कराया गया। इसके बाद शहर में कलश यात्रा निकाली गई। इस दौरान कलश में जल भरकर पूजा स्थल पर स्थापित किया गया। बंगाली समाज में दुर्गा पूजा का महत्व बंगाली समाज के लिए शारदीय दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। षष्ठी पूजा के साथ मां दुर्गा के मुख के दर्शन होंगे, जो भक्तों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूजा के साथ ही क्षेत्र में सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला भी शुरू हो गई है, जिसमें जगराता, संध्या आरती, नौ कन्या भोज और सिंदूर खेला जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। बंग समुदाय में नवरात्रि की पंचमी तिथि से दशमी तक दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। इन पांच दिनों में कई विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं जिसमें महालया और प्रतिपदा तिथि को मां पार्वती अपने नौ रूपों के साथ पृथ्वी पर अपने मायके आती हैं, जिसे महालया कहा जाता है। उनके साथ बेटी लक्ष्मी सरस्वती और बेटे गणेश और कार्तिकेय भी आते हैं। महालया के दिन मां को आमंत्रित करने के लिए समाज हर साल दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। इस बार भी पूरे विधि-विधान से दुर्गा पूजा की जा रही है। हम माता से पूरे समाज और लोगों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना कर रहे हैं।
कोंडागांव के फरसगांव ब्लॉक के बोरगांव में बंग समाज हर साल भव्य तरीके से दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। इस बार भी दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया गया। सुबह तालाब के पास पूजा-अर्चना के साथ पवित्र उत्सव की शुरुआत हुई। इस दौरान गांव की महिलाएं और युवतियां ढोल-नगाड़ों के साथ पारंपरिक परिधान में तालाब के पास पहुंची। पूजा के लिए मां दुर्गा के प्रतीक के रूप में तालाब के पानी से 9 केले के पत्तों को स्नान कराया गया। इसके बाद शहर में कलश यात्रा निकाली गई। इस दौरान कलश में जल भरकर पूजा स्थल पर स्थापित किया गया। बंगाली समाज में दुर्गा पूजा का महत्व बंगाली समाज के लिए शारदीय दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। षष्ठी पूजा के साथ मां दुर्गा के मुख के दर्शन होंगे, जो भक्तों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूजा के साथ ही क्षेत्र में सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला भी शुरू हो गई है, जिसमें जगराता, संध्या आरती, नौ कन्या भोज और सिंदूर खेला जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। बंग समुदाय में नवरात्रि की पंचमी तिथि से दशमी तक दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। इन पांच दिनों में कई विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं जिसमें महालया और प्रतिपदा तिथि को मां पार्वती अपने नौ रूपों के साथ पृथ्वी पर अपने मायके आती हैं, जिसे महालया कहा जाता है। उनके साथ बेटी लक्ष्मी सरस्वती और बेटे गणेश और कार्तिकेय भी आते हैं। महालया के दिन मां को आमंत्रित करने के लिए समाज हर साल दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। इस बार भी पूरे विधि-विधान से दुर्गा पूजा की जा रही है। हम माता से पूरे समाज और लोगों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना कर रहे हैं।