चने की फसल पर उमला रोग का कहर:हरदा में हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित; कृषि विभाग ने दी फफूंदनाशक छिड़काव की सलाह
चने की फसल पर उमला रोग का कहर:हरदा में हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित; कृषि विभाग ने दी फफूंदनाशक छिड़काव की सलाह
हरदा जिले में इस वर्ष किसानों द्वारा 79 हजार हेक्टेयर में लगाई गई चने की फसल को उमला रोग ने अपनी चपेट में ले लिया है। तेज ठंड के कारण मसनगांव, कमताड़ा सहित कई गांवों में चने के पौधे पीले पड़कर सूखने लगे हैं। स्थानीय किसान गोपी किशन यादव के अनुसार, यदि मौसम में सुधार नहीं होता है तो फसल और अधिक प्रभावित हो सकती है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है। कृषि उप संचालक संजय यादव ने बताया कि बे मौसम बारिश से पहले सिंचाई करने वाले खेतों में यह समस्या अधिक देखी गई है। कृषि विभाग और वैज्ञानिक प्रभावित खेतों का निरीक्षण कर किसानों को फफूंदनाशक दवाओं के छिड़काव की सलाह दे रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि कमताड़ा गांव के कुछ किसानों ने प्रभावित चने की फसल की बखरनी कर उसी जमीन में दूसरी फसल की बोआई कर दी। किसानों का कहना है कि अब तक केवल बोआई की लागत ही आई है, इसलिए कम समय में तैयार होने वाली धना की फसल को बेहतर विकल्प मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस रबी सीजन में किसानों ने चने के साथ 20 हजार हेक्टेयर में मक्का की भी बोआई की है।
हरदा जिले में इस वर्ष किसानों द्वारा 79 हजार हेक्टेयर में लगाई गई चने की फसल को उमला रोग ने अपनी चपेट में ले लिया है। तेज ठंड के कारण मसनगांव, कमताड़ा सहित कई गांवों में चने के पौधे पीले पड़कर सूखने लगे हैं। स्थानीय किसान गोपी किशन यादव के अनुसार, यदि मौसम में सुधार नहीं होता है तो फसल और अधिक प्रभावित हो सकती है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है। कृषि उप संचालक संजय यादव ने बताया कि बे मौसम बारिश से पहले सिंचाई करने वाले खेतों में यह समस्या अधिक देखी गई है। कृषि विभाग और वैज्ञानिक प्रभावित खेतों का निरीक्षण कर किसानों को फफूंदनाशक दवाओं के छिड़काव की सलाह दे रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि कमताड़ा गांव के कुछ किसानों ने प्रभावित चने की फसल की बखरनी कर उसी जमीन में दूसरी फसल की बोआई कर दी। किसानों का कहना है कि अब तक केवल बोआई की लागत ही आई है, इसलिए कम समय में तैयार होने वाली धना की फसल को बेहतर विकल्प मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस रबी सीजन में किसानों ने चने के साथ 20 हजार हेक्टेयर में मक्का की भी बोआई की है।