पत्नी के आइडिया से 100 करोड़ की कंपनी बनाई:खिलौने बेचकर पढ़ाई की; आज देशभर के बिजनेस को देते हैं साइबर सिक्योरिटी
पत्नी के आइडिया से 100 करोड़ की कंपनी बनाई:खिलौने बेचकर पढ़ाई की; आज देशभर के बिजनेस को देते हैं साइबर सिक्योरिटी
यह कहानी है इंदौर के युवा स्टार्टअप अभिजीत अकोलेकर की, जिनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जब वे केवल 8 साल के थे, तब उनके पिता को इम्पोर्ट बिजनेस में भारी नुकसान हुआ, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। उनकी मां ने परिवार की मदद के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, और अभिजीत ने भी मेले और बाजारों में खिलौने बेचने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। अभिजीत ने नेटवर्क इंजीनियरिंग में नौकरी की, फिर कॉर्पोरेट ट्रेनिंग के बाद कंसल्टिंग का काम शुरू किया। इसके बाद खुद की कंपनी शुरू की, लेकिन बिजनेस में 20 लाख रुपए का नुकसान हो गया। इसके बाद नौकरी फिर से शुरुआत की, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अधिकांश काम ऑनलाइन होने लगा। इस दौरान, पत्नी ने अभिजीत को एक नया आइडिया दिया – साइबर अटैक और फिशिंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए कंपनियों को साइबर सुरक्षा देने का। इस विचार को साकार करते हुए अभिजीत ने साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में कदम रखा और तीन साल में 100 करोड़ की कंपनी बना दी। आज, अभिजीत की कंपनी "C-9 (पिनाक इन्फो-सेक प्रा. लि.)" भारत की एक प्रमुख साइबर सिक्योरिटी कंपनी बन चुकी है। नौकरी और बिजनेस का संघर्ष, कोरोना के बाद यू टर्न
अभिजीत बताते हैं कि पढ़ाई पूरी होते ही ट्यूशन पढ़ाने के साथ कम्प्यूटर असेम्बल करने का काम शुरू किया। फिर एक साल आईटी कंपनी में काम किया। अच्छे परफॉर्मेंस के चलते एक अन्य कंपनी ने उन्हें अपने यहां नेटवर्क इंजीनियरिंग और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग का ऑफर दिया। चूंकि सैलरी में ग्रोथ अच्छी थी इसलिए कंपनी जॉइन कर ली। यहां 6 साल जॉब करने के दौरान पता चला कि इन दिनों साइबर अटैक की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। कंपनियों की वेबसाइट, डेटा, मेल सहित कई ऑनलाइन एक्टिविटीज में धोखा हो रहा है। 2012 से खुद की कंसल्टिंग शुरू कर दी। इसमें एमएसएमई सहित बड़े बिजनेस को भी नेटवर्क सिक्योरिटी और मैनेज करने का काम किया। इस बीच 2014 में शादी हुई। जब कंपनियां लगातार आगे बढ़ने लगीं और बिजनेस ग्रो करने लगा तो 2018 में आइडिया आया कि क्यों न छोटे बिजनेस को साइबर सिक्योरिटी दी जाए। इस पर खुद के नए प्रोडक्ट थ्रेट इंटेलिजेंस का काम शुरू किया। इसके लिए सेटअप लगाया और कामकाज शुरू किया। शुरू में रफ्तार कम तो थी ही साथ ही 2020 में कोरोना फैल गया। इस कारण बिजनेस में करीब 20 लाख रुपए का नुकसान हो गया। पत्नी ने बढ़ाया आत्मविश्वास
अभिजीत के मुताबिक उस दौरान यही बड़ा सवाल था, अब क्या किया जाए। तभी एक अन्य आईटी कंपनी से ऑफर आया तो वहां साइबर सिक्योरिटी मैनेजर की नौकरी जॉइन कर ली। यह 2022 का समय था। उस दौरान मन में फिर यही विचार कौंधता था कि करना तो बिजनेस था लेकिन नौकरी करनी पड़ रही है। तब पत्नी मानसी ने मेरे मन की बात भांप ली। उसने कहा कि साइबर में सबसे ज्यादा अटैक फिशिंग के हो रहे हैं। यह बड़ा थ्रेट है। इसे कैसे रोका जा सकता है, इस पर काम किया जा सकता है। यह बिजनेस के लिए साइबर अवेयरनेस को लेकर बड़ा कदम होगा। पत्नी ने मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया और कहा कि तुम्हारे लिए यही सबसे अच्छा होगा। मुझे भी आइडिया अच्छा लगा लेकिन चैलेंज बड़ा था। फिशिंग से जरूरी है बिजनेस सुरक्षा
अभिजीत का कहना है कि सबसे पहले बड़ी कंपनियों की ग्लोबल थ्रेट रिपोर्ट निकाली तो उसमें भी यही सामने आया कि फिशिंग के मामले बढ़े हैं। इसमें जैसे लोग, कंपनी डोमेन तो खरीद लेते हैं लेकिन ईमेल सिक्योरिटी, कॉन्फिगरेशन पर ध्यान नहीं देते। साइबर अपराधी उनके जैसे डोमेन बनाकर ईमेल कर देते हैं। ऐसे ही मिलते-जुलते डोमेन ले लेते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फिशिंग से मेल भेजना और आसान हो गया। इससे कंपनियों की साइबर सुरक्षा जरूरी हो गई है। बिजनेस सुरक्षा के लिए एंटी स्कैम प्रोडक्ट
कंपनी ने बिजनेस सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एंटी स्कैम प्रोडक्ट तैयार किया है। इस प्रोडक्ट की मदद से यदि कोई किसी कंपनी का डुप्लीकेट ईमेल बनाता है तो उसका तुरंत पता चल जाता है। इसी तरह, मोबाइल एप्स के लाखों वेरिएंट्स मौजूद हैं, लेकिन अगर कोई किसी कंपनी का डुप्लीकेट एप बनाता है तो एंटी स्कैम सिस्टम से इसका पता चल जाता है। इसके अलावा, कंपनी सोशल मीडिया अकाउंट्स की सुरक्षा भी करती है। यदि कोई अकाउंट हैक करने या डुप्लीकेट बनाने की कोशिश करता है, तो कंपनी उसे तुरंत डिलीट कर देती है और डेटा को पूरी तरह सुरक्षित रखती है। इससे न केवल बिजनेस की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि ग्राहक और कंपनी का डेटा भी पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। साइबर क्रिमिनल एक्टिविटीज की सेफ्टी
बकौल अभिजीत डार्क वेब इंटरनेट का वह एरिया होता है जहां ज्यादा क्रिमिनल एक्टिविटीज होती हैं। यहां यूजर्स का डेटा चेक किया जाता है। कंपनी यूजर्स का डेटा सरफेस, वेब, डीप वे और डार्क वेब पर उसे सेफ करती है। इस प्रकार की साइबर सिक्योरिटी देने वाली उनकी कंपनी सेंट्रल इंडिया की पहली कंपनी है। इसके अलावा बेंगलुरु की दो और मुंबई की एक कंपनी इस तरह की साइबर सिक्योरिटी सेवाएं देती हैं। कंपनी के क्लाइंट मध्यप्रदेश, गुजरात, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र और दुबई में हैं। 40 करोड़ लोगों का डेटा बचाने का दावा
कंपनी का कहना है कि ठगी का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी ने तीन सालों में 40 करोड़ से अधिक लोगों के डेटा को सुरक्षित रखते हुए साइबर हमलों से बचाने का बडा कदम उठाया है। इसके साथ ही कई बड़ी कंपनियों को साइबर अटैक की पूर्व चेतावनी दी है। इस चेतावनी ने कंपनियों को हमले से पहले ही सतर्क कर दिया, जिससे डेटा सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठा सकी। यह कदम हैकर्स से बचाने में निर्णायक साबित हुआ। पत्नी संभालती है एचआर की जिम्मेदारी
C9 लैब की शुरुआत अभिजीत अकोलेकर ने लव सक्सेना और दशरथ तोमर के साथ मिलकर की। दरअसल, अभिजीत डायरेक्टर है और लव और दशरथ प्रमोटर्स हैं। कंपनी में 40 एक्सपर्ट्स की टीम है। पत्नी मानसी एचआर का कामकाज सं
यह कहानी है इंदौर के युवा स्टार्टअप अभिजीत अकोलेकर की, जिनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जब वे केवल 8 साल के थे, तब उनके पिता को इम्पोर्ट बिजनेस में भारी नुकसान हुआ, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। उनकी मां ने परिवार की मदद के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, और अभिजीत ने भी मेले और बाजारों में खिलौने बेचने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। अभिजीत ने नेटवर्क इंजीनियरिंग में नौकरी की, फिर कॉर्पोरेट ट्रेनिंग के बाद कंसल्टिंग का काम शुरू किया। इसके बाद खुद की कंपनी शुरू की, लेकिन बिजनेस में 20 लाख रुपए का नुकसान हो गया। इसके बाद नौकरी फिर से शुरुआत की, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अधिकांश काम ऑनलाइन होने लगा। इस दौरान, पत्नी ने अभिजीत को एक नया आइडिया दिया – साइबर अटैक और फिशिंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए कंपनियों को साइबर सुरक्षा देने का। इस विचार को साकार करते हुए अभिजीत ने साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में कदम रखा और तीन साल में 100 करोड़ की कंपनी बना दी। आज, अभिजीत की कंपनी "C-9 (पिनाक इन्फो-सेक प्रा. लि.)" भारत की एक प्रमुख साइबर सिक्योरिटी कंपनी बन चुकी है। नौकरी और बिजनेस का संघर्ष, कोरोना के बाद यू टर्न
अभिजीत बताते हैं कि पढ़ाई पूरी होते ही ट्यूशन पढ़ाने के साथ कम्प्यूटर असेम्बल करने का काम शुरू किया। फिर एक साल आईटी कंपनी में काम किया। अच्छे परफॉर्मेंस के चलते एक अन्य कंपनी ने उन्हें अपने यहां नेटवर्क इंजीनियरिंग और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग का ऑफर दिया। चूंकि सैलरी में ग्रोथ अच्छी थी इसलिए कंपनी जॉइन कर ली। यहां 6 साल जॉब करने के दौरान पता चला कि इन दिनों साइबर अटैक की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। कंपनियों की वेबसाइट, डेटा, मेल सहित कई ऑनलाइन एक्टिविटीज में धोखा हो रहा है। 2012 से खुद की कंसल्टिंग शुरू कर दी। इसमें एमएसएमई सहित बड़े बिजनेस को भी नेटवर्क सिक्योरिटी और मैनेज करने का काम किया। इस बीच 2014 में शादी हुई। जब कंपनियां लगातार आगे बढ़ने लगीं और बिजनेस ग्रो करने लगा तो 2018 में आइडिया आया कि क्यों न छोटे बिजनेस को साइबर सिक्योरिटी दी जाए। इस पर खुद के नए प्रोडक्ट थ्रेट इंटेलिजेंस का काम शुरू किया। इसके लिए सेटअप लगाया और कामकाज शुरू किया। शुरू में रफ्तार कम तो थी ही साथ ही 2020 में कोरोना फैल गया। इस कारण बिजनेस में करीब 20 लाख रुपए का नुकसान हो गया। पत्नी ने बढ़ाया आत्मविश्वास
अभिजीत के मुताबिक उस दौरान यही बड़ा सवाल था, अब क्या किया जाए। तभी एक अन्य आईटी कंपनी से ऑफर आया तो वहां साइबर सिक्योरिटी मैनेजर की नौकरी जॉइन कर ली। यह 2022 का समय था। उस दौरान मन में फिर यही विचार कौंधता था कि करना तो बिजनेस था लेकिन नौकरी करनी पड़ रही है। तब पत्नी मानसी ने मेरे मन की बात भांप ली। उसने कहा कि साइबर में सबसे ज्यादा अटैक फिशिंग के हो रहे हैं। यह बड़ा थ्रेट है। इसे कैसे रोका जा सकता है, इस पर काम किया जा सकता है। यह बिजनेस के लिए साइबर अवेयरनेस को लेकर बड़ा कदम होगा। पत्नी ने मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया और कहा कि तुम्हारे लिए यही सबसे अच्छा होगा। मुझे भी आइडिया अच्छा लगा लेकिन चैलेंज बड़ा था। फिशिंग से जरूरी है बिजनेस सुरक्षा
अभिजीत का कहना है कि सबसे पहले बड़ी कंपनियों की ग्लोबल थ्रेट रिपोर्ट निकाली तो उसमें भी यही सामने आया कि फिशिंग के मामले बढ़े हैं। इसमें जैसे लोग, कंपनी डोमेन तो खरीद लेते हैं लेकिन ईमेल सिक्योरिटी, कॉन्फिगरेशन पर ध्यान नहीं देते। साइबर अपराधी उनके जैसे डोमेन बनाकर ईमेल कर देते हैं। ऐसे ही मिलते-जुलते डोमेन ले लेते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फिशिंग से मेल भेजना और आसान हो गया। इससे कंपनियों की साइबर सुरक्षा जरूरी हो गई है। बिजनेस सुरक्षा के लिए एंटी स्कैम प्रोडक्ट
कंपनी ने बिजनेस सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एंटी स्कैम प्रोडक्ट तैयार किया है। इस प्रोडक्ट की मदद से यदि कोई किसी कंपनी का डुप्लीकेट ईमेल बनाता है तो उसका तुरंत पता चल जाता है। इसी तरह, मोबाइल एप्स के लाखों वेरिएंट्स मौजूद हैं, लेकिन अगर कोई किसी कंपनी का डुप्लीकेट एप बनाता है तो एंटी स्कैम सिस्टम से इसका पता चल जाता है। इसके अलावा, कंपनी सोशल मीडिया अकाउंट्स की सुरक्षा भी करती है। यदि कोई अकाउंट हैक करने या डुप्लीकेट बनाने की कोशिश करता है, तो कंपनी उसे तुरंत डिलीट कर देती है और डेटा को पूरी तरह सुरक्षित रखती है। इससे न केवल बिजनेस की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि ग्राहक और कंपनी का डेटा भी पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। साइबर क्रिमिनल एक्टिविटीज की सेफ्टी
बकौल अभिजीत डार्क वेब इंटरनेट का वह एरिया होता है जहां ज्यादा क्रिमिनल एक्टिविटीज होती हैं। यहां यूजर्स का डेटा चेक किया जाता है। कंपनी यूजर्स का डेटा सरफेस, वेब, डीप वे और डार्क वेब पर उसे सेफ करती है। इस प्रकार की साइबर सिक्योरिटी देने वाली उनकी कंपनी सेंट्रल इंडिया की पहली कंपनी है। इसके अलावा बेंगलुरु की दो और मुंबई की एक कंपनी इस तरह की साइबर सिक्योरिटी सेवाएं देती हैं। कंपनी के क्लाइंट मध्यप्रदेश, गुजरात, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र और दुबई में हैं। 40 करोड़ लोगों का डेटा बचाने का दावा
कंपनी का कहना है कि ठगी का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी ने तीन सालों में 40 करोड़ से अधिक लोगों के डेटा को सुरक्षित रखते हुए साइबर हमलों से बचाने का बडा कदम उठाया है। इसके साथ ही कई बड़ी कंपनियों को साइबर अटैक की पूर्व चेतावनी दी है। इस चेतावनी ने कंपनियों को हमले से पहले ही सतर्क कर दिया, जिससे डेटा सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठा सकी। यह कदम हैकर्स से बचाने में निर्णायक साबित हुआ। पत्नी संभालती है एचआर की जिम्मेदारी
C9 लैब की शुरुआत अभिजीत अकोलेकर ने लव सक्सेना और दशरथ तोमर के साथ मिलकर की। दरअसल, अभिजीत डायरेक्टर है और लव और दशरथ प्रमोटर्स हैं। कंपनी में 40 एक्सपर्ट्स की टीम है। पत्नी मानसी एचआर का कामकाज संभालती है। इन सभी ने कंपनी को साइबर सुरक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी टीम ने एक बड़ी मोबाइल कंपनी के प्लेटफॉर्म पर 65 से अधिक सुरक्षा खामियों का पता लगाया। इस तत्परता से डिजिटल सिस्टम की सुरक्षा को बनाए रखने में मदद मिली है। कंपनी को कई बड़े ब्रांड्स ने कई सम्मान प्रदान किए हैं। गूगल ने C9 लैब के एक सदस्य को 'Hall of Fame' में भी स्थान दिया है। कंपनी के एक सदस्य को 2023 की Hacker One पर भारत के शीर्ष 5 हैकर्स में स्थान प्राप्त हुआ। ये भी हैं उपलब्धियां थ्रेट इंटेलिजेंस (Threat Intelligence) क्या है?
थ्रेट इंटेलिजेंस एक साइबर सुरक्षा रणनीति है, जिसमें संभावित खतरों, साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों की पहचान, विश्लेषण और रोकथाम की जाती है। इसमें विभिन्न प्रकार के साइबर खतरों, मैलवेयर, फिशिंग, रैंसमवेयर, और हैकर्स की गतिविधियों से संबंधित डेटा एकत्र किया जाता है और इसका विश्लेषण किया जाता है। थ्रेट इंटेलिजेंस क्यों जरूरी है? थ्रेट इंटेलिजेंस से जुड़े संभावित खतरे