भोपाल के ज्योतिषी बोले-31 को अमावस्या, इसी दिन मनाएं दिवाली:इंदौर सहित 4 जिलों में अलग राय; सरकारी छुट्‌टी भी 31 अक्टूबर को

इस साल दिवाली मनाने को लेकर मध्यप्रदेश के साथ पूरे देशभर में असमंजस की स्थिति है। कुछ विद्वान-ज्योतिष 31 अक्टूबर को तो कुछ 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के पक्ष में हैं। हालांकि, मध्यप्रदेश के साथ ही दिल्ली, गुजरात समेत ज्यादातर राज्यों में सरकारी अवकाश 31 अक्टूबर को ही है। बैंकों में भी इसी दिन छुट्‌टी रहेगी। अधिकतर ज्योतिषियों के मुताबिक, 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि शाम 4:30 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानी 1 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे तक रहेगी। इस पर भोपाल के ज्योतिषियों का कहना है कि 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जा सकती है। इसके बाद अमावस्या खत्म होने के बाद इसे नहीं मनाया जाना चाहिए। ज्योतिषियों ने इस भ्रम का जिम्मेदार सोशल मीडिया को ठहराया है। उनका कहना है कि वॉट्सऐप और यूट्यूब पर कुछ गलत जानकारियां दी जा रही हैं। इसी से यह स्थिति बनी है। वहीं, व्यापारी वर्ग में भी दिवाली मनाने को लेकर अभी संशय की स्थिति है। उनका कहना है कि एकमत होकर जो राय बनेगी, हम उसमें सहमत हैं। 1 नवंबर को नहीं मनाई जा सकती दिवाली ज्योतिष मठ संस्थान, भोपाल के पंडित विनोद गौतम ने कहा- दिवाली पूजन को लेकर भ्रम की स्थितियां सोशल मीडिया के कारण बनी हैं। देश में सभी प्रतिष्ठित पंचांग, जैसे- लाल रामस्वरूप पंचांग, पंडित अयोध्या प्रसाद गौतम पंचांग, ऋषिकेश पंचांग में पंचांगकारों ने 31 अक्टूबर को दिवाली दर्शाई है। कंप्यूटराइज्ड पंचांग, वॉट्सऐप पर कुछ लोग गलत प्रचार कर रहे हैं। पंडित गौतम ने कहा- शास्त्रों के अनुसार, जिस रात्रि में अमावस्या तिथि विद्यमान हो...उसी तिथि में दीप प्रज्वलन, दीपोत्सव, दीप पूजन होता है। ऐसे में 31 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 30 मिनट पर अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो दूसरे दिन दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। 1 नवंबर को दिवाली पूजन का कोई औचित्य नहीं है। 1 नवंबर की रात्रि में अमावस्या तिथि होगी ही नहीं। न ही प्रदोष काल में रहेगी और न ही रात्रि में रहेगी। ऐसे में 31 अक्टूबर को पूरे भारत देश में दीपोत्सव का मनाया जाएगा। यूट्यूब, सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा भ्रम ​​​​​​पंडित रामकिशोर वैध ने बताया- दिवाली तिथि पर इस बार जो भ्रम की स्थिति बनी है, वह यूट्यूब की वजह से है। लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। पौराणिक ग्रंथों में माना गया है कि जिस तिथि में अमावस्या रात्रि में हो, उसी में दीपोत्सव मनाया जा सकता है। 1 नवंबर को रात्रि में अमावस्या नहीं है, शाम को समाप्त हो जाएगी। जिस रात्रि व्यापिनी अमावस्या हो, उसी दिन दिवाली मनानी चाहिए। धनेश प्रपन्नाचार्य कहते हैं- दिवाली रात्रि कालीन त्योहार माना जाता है। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर दोपहर से 1 नवंबर दोपहर तक है, तो दिवाली 31 को ही मनाई जाएगी। व्यापारी एसोसिएशन ने कहा- जानकार एक राय हों भोपाल में 10 नंबर मार्केट व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद सोनी ने बताया- फिलहाल हमारे पास 31 अक्टूबर को दि‌वाली मनाने की बात सामने आ रही है। हम जानकारों से कहना चाहेंगे कि जल्द से जल्द स्थिति को साफ करें। सभी एकमत होकर जानकारी दें। एसोसिएशन में भी राय मशविरा चल रहा है। सर्राफा एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट विजय कुमार वर्मा ने कहा- अभी तक की जानकारी के अनुसार हमें 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात सामने आई है। हम सभी 31 को ही दिवाली सेलिब्रेट करेंगे। मध्यप्रदेश में उज्जैन, भोपाल, जबलपुर, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम, दतिया, सागर, दमोह, बैतूल समेत 45 जिलों में 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने पर सहमति बनी है। वहीं, इंदौर, श्योपुर, भिंड और धार में ज्योतिषाचार्य और पंडित एक नवंबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं। ग्वालियर, गुना, विदिशा, झाबुआ, आलीराजपुर, महू सहित 6 जिलों में अभी तय नहीं हुआ है। देश के कई राज्यों में 31 अक्टूबर को लेकर सहमति 31 अक्टूबर को दोपहर 3:55 बजे से अमावस्या लग रही है। यह तिथि एक नवंबर को शाम 6:15 बजे तक रहेगी। अमावस्या पर रात में लक्ष्मी पूजन का विधान माना गया है। ऐसे में 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना श्रेष्ठ है। -पं. आनंद शंकर व्यास, ज्योतिषाचार्य, उज्जैन 2023 में 12 नवंबर को चतुर्दशी दोपहर 2:45 बजे तक थी। इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू हो गई थी। तब भी 12 नवंबर की रात अमावस्या होने पर ही दिवाली मनाई गई। इस बार 31 अक्टूबर की पूरी रात अमावस्या रहेगी। - पं. विष्णु राजौरिया, धर्माचार्य, भोपाल यह खबर भी पढ़ें... 31 अक्टूबर को नहीं, 1 नवंबर को दिवाली मनाना सही: इंदौर में 150 से अधिक पंचांगकारों की सहमति से फैसला, वजह भी बताई इस बार दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाए या फिर 1 नवंबर को...इसका जवाब ज्योतिष और विद्वत परिषद ने दे दिया है। इंदौर में हुई बैठक में इस बार दिवाली का पर्व 1 नवंबर को मनाना तय किया गया है। इसके लिए सोमवार दोपहर को इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में विद्वानों और आचार्य की बैठक हुई। इसमें यह फैसला लिया गया है। पूरी खबर पढ़ें...

भोपाल के ज्योतिषी बोले-31 को अमावस्या, इसी दिन मनाएं दिवाली:इंदौर सहित 4 जिलों में अलग राय; सरकारी छुट्‌टी भी 31 अक्टूबर को
इस साल दिवाली मनाने को लेकर मध्यप्रदेश के साथ पूरे देशभर में असमंजस की स्थिति है। कुछ विद्वान-ज्योतिष 31 अक्टूबर को तो कुछ 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के पक्ष में हैं। हालांकि, मध्यप्रदेश के साथ ही दिल्ली, गुजरात समेत ज्यादातर राज्यों में सरकारी अवकाश 31 अक्टूबर को ही है। बैंकों में भी इसी दिन छुट्‌टी रहेगी। अधिकतर ज्योतिषियों के मुताबिक, 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि शाम 4:30 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानी 1 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे तक रहेगी। इस पर भोपाल के ज्योतिषियों का कहना है कि 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जा सकती है। इसके बाद अमावस्या खत्म होने के बाद इसे नहीं मनाया जाना चाहिए। ज्योतिषियों ने इस भ्रम का जिम्मेदार सोशल मीडिया को ठहराया है। उनका कहना है कि वॉट्सऐप और यूट्यूब पर कुछ गलत जानकारियां दी जा रही हैं। इसी से यह स्थिति बनी है। वहीं, व्यापारी वर्ग में भी दिवाली मनाने को लेकर अभी संशय की स्थिति है। उनका कहना है कि एकमत होकर जो राय बनेगी, हम उसमें सहमत हैं। 1 नवंबर को नहीं मनाई जा सकती दिवाली ज्योतिष मठ संस्थान, भोपाल के पंडित विनोद गौतम ने कहा- दिवाली पूजन को लेकर भ्रम की स्थितियां सोशल मीडिया के कारण बनी हैं। देश में सभी प्रतिष्ठित पंचांग, जैसे- लाल रामस्वरूप पंचांग, पंडित अयोध्या प्रसाद गौतम पंचांग, ऋषिकेश पंचांग में पंचांगकारों ने 31 अक्टूबर को दिवाली दर्शाई है। कंप्यूटराइज्ड पंचांग, वॉट्सऐप पर कुछ लोग गलत प्रचार कर रहे हैं। पंडित गौतम ने कहा- शास्त्रों के अनुसार, जिस रात्रि में अमावस्या तिथि विद्यमान हो...उसी तिथि में दीप प्रज्वलन, दीपोत्सव, दीप पूजन होता है। ऐसे में 31 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 30 मिनट पर अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो दूसरे दिन दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। 1 नवंबर को दिवाली पूजन का कोई औचित्य नहीं है। 1 नवंबर की रात्रि में अमावस्या तिथि होगी ही नहीं। न ही प्रदोष काल में रहेगी और न ही रात्रि में रहेगी। ऐसे में 31 अक्टूबर को पूरे भारत देश में दीपोत्सव का मनाया जाएगा। यूट्यूब, सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा भ्रम ​​​​​​पंडित रामकिशोर वैध ने बताया- दिवाली तिथि पर इस बार जो भ्रम की स्थिति बनी है, वह यूट्यूब की वजह से है। लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। पौराणिक ग्रंथों में माना गया है कि जिस तिथि में अमावस्या रात्रि में हो, उसी में दीपोत्सव मनाया जा सकता है। 1 नवंबर को रात्रि में अमावस्या नहीं है, शाम को समाप्त हो जाएगी। जिस रात्रि व्यापिनी अमावस्या हो, उसी दिन दिवाली मनानी चाहिए। धनेश प्रपन्नाचार्य कहते हैं- दिवाली रात्रि कालीन त्योहार माना जाता है। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर दोपहर से 1 नवंबर दोपहर तक है, तो दिवाली 31 को ही मनाई जाएगी। व्यापारी एसोसिएशन ने कहा- जानकार एक राय हों भोपाल में 10 नंबर मार्केट व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद सोनी ने बताया- फिलहाल हमारे पास 31 अक्टूबर को दि‌वाली मनाने की बात सामने आ रही है। हम जानकारों से कहना चाहेंगे कि जल्द से जल्द स्थिति को साफ करें। सभी एकमत होकर जानकारी दें। एसोसिएशन में भी राय मशविरा चल रहा है। सर्राफा एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट विजय कुमार वर्मा ने कहा- अभी तक की जानकारी के अनुसार हमें 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात सामने आई है। हम सभी 31 को ही दिवाली सेलिब्रेट करेंगे। मध्यप्रदेश में उज्जैन, भोपाल, जबलपुर, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम, दतिया, सागर, दमोह, बैतूल समेत 45 जिलों में 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने पर सहमति बनी है। वहीं, इंदौर, श्योपुर, भिंड और धार में ज्योतिषाचार्य और पंडित एक नवंबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं। ग्वालियर, गुना, विदिशा, झाबुआ, आलीराजपुर, महू सहित 6 जिलों में अभी तय नहीं हुआ है। देश के कई राज्यों में 31 अक्टूबर को लेकर सहमति 31 अक्टूबर को दोपहर 3:55 बजे से अमावस्या लग रही है। यह तिथि एक नवंबर को शाम 6:15 बजे तक रहेगी। अमावस्या पर रात में लक्ष्मी पूजन का विधान माना गया है। ऐसे में 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना श्रेष्ठ है। -पं. आनंद शंकर व्यास, ज्योतिषाचार्य, उज्जैन 2023 में 12 नवंबर को चतुर्दशी दोपहर 2:45 बजे तक थी। इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू हो गई थी। तब भी 12 नवंबर की रात अमावस्या होने पर ही दिवाली मनाई गई। इस बार 31 अक्टूबर की पूरी रात अमावस्या रहेगी। - पं. विष्णु राजौरिया, धर्माचार्य, भोपाल यह खबर भी पढ़ें... 31 अक्टूबर को नहीं, 1 नवंबर को दिवाली मनाना सही: इंदौर में 150 से अधिक पंचांगकारों की सहमति से फैसला, वजह भी बताई इस बार दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाए या फिर 1 नवंबर को...इसका जवाब ज्योतिष और विद्वत परिषद ने दे दिया है। इंदौर में हुई बैठक में इस बार दिवाली का पर्व 1 नवंबर को मनाना तय किया गया है। इसके लिए सोमवार दोपहर को इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में विद्वानों और आचार्य की बैठक हुई। इसमें यह फैसला लिया गया है। पूरी खबर पढ़ें...