रात में सड़क पर ही सोए धरने पर बैठे ग्रामीण:पचमढ़ी में विस्थापन के बाद मुआवजा न मिलने का विरोध; पुराने गांव में बसने की मांग

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से विस्थापित बतकछार गांव के लोग पचमढ़ी के पनारपानी गेट के बाहर एसटीआर के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीण शुक्रवार दोपहर 12 बजे से बैठे हैं। इस दौरान मनाने आए अफसरों की उन्होंने नहीं सुनी और रात में वहीं कंबल, शॉल और तिरपाल ढककर सो गए। विस्थापित ग्रामीण मुआवजा और जमीन की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर उन्होंने पिछले महीने भी धरना देकर पैदल मार्च निकाला था। 2013-16 में हुआ कई गांवों का विस्थापन एसटीआर के कोर क्षेत्र से साल 2013 से 2016 में रोरीघाट, खामखेड़ी, काजरी, बतकछार समेत कई गांव का विस्थापन हुआ। एसटीआर फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया कि बतकछार के कई ग्रामीणों को विकल्प अनुसार मुआवजा और जमीन दी गई। उस समय जो बाहर रहते थे या नौकरी करते थे, वे लोग छूट गए थे। वही लोग अब मुआवजा और जमीन की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन की 3 तस्वीरें देखिए- ग्रामीणों की ये मांगें हैं युवती बोली- 10 लाख रुपए देने का वादा किया था बतकछार की आदिवासी युवती ने कहा- 13 साल पहले जब गांव का विस्थापन हुआ, तब हम काफी छोटे थे। हमारे माता-पिता से कहा गया था कि प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपए दिया जाएगा। उनसे पेपर में हस्ताक्षर की जगह अंगूठा लगवाया और कहा कि आप लोगों को मुआवजा मिलेगा, लेकिन आज तक नहीं मिला। ग्रामीणों को मनाने पहुंचे अधिकारी बैरंग लौटे ग्रामीणों को मनाने के लिए पिपरिया के नायब तहसीलदार नीरज बैस पहुंचे, लेकिन सभी ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका कहना है कि पहले उन्हें पुराने गांव में बसाएं उसके बाद ही बात करेंगे। पिपरिया एसडीएम आईएएस अनिशा श्रीवास्तव, एसडीओपी पिपरिया ने भी समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी भी नहीं सुनी। एसडीएम स्तर से कार्रवाई जारी है- एसटीआर एसटीआर फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया विस्थापित ग्रामीणों की मुआवजा वाली मांग जायज है, उन्हें मिलना चाहिए। उसके लिए सरकारी भुगतान की प्रकिया है। वो एसडीएम पिपरिया के स्तर पर जारी है। विस्थापन के समय दो विकल्प दिए जाते हैं- 10 लाख रुपए कैश और दूसरा कुछ रुपए के साथ जमीन और रहने की व्यवस्था। जिन्होंने 10 लाख रुपए वाला विकल्प चुन लिया, उन्हें हम जमीन कैसे दे सकते हैं। बाकी प्रक्रिया जारी है। पिछले महीने भी धरना देकर अल्टीमेटन दिया था विस्थापित ग्रामीण पिछले महीने पचमढ़ी से पनारपानी तक 5 किलोमीटर रैली निकालकर पहुंचे थे। तब वन विभाग के अधिकारी संजीव शर्मा धरना स्थल पर ग्रामीणों को मनाने पहुंचे थे। रात 9 बजे तक धरना चला और एसडीएम ने 15 दिन में समस्या का समाधान कराने का लिखित आश्वासन दिया था। उसके बाद अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका, इसलिए ग्रामीण धरने पर बैठे हैं। इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- पचमढ़ी में STR के खिलाफ आदिवासियों का धरना नर्मदापुरम के पचमढ़ी के पनारपानी में आदिवासी समुदाय ने जमीन के बदले मुआवजा नहीं मिलने से सोमवार से धरना शुरू कर दिया है। बतकछार गांव ग्रामीण आदिवासी पचमढ़ी से पनारपानी गांव निमघान गेट 5 किमी तक पैदल रैली निकालकर पहुंचे। पूरी खबर पढ़ें...

रात में सड़क पर ही सोए धरने पर बैठे ग्रामीण:पचमढ़ी में विस्थापन के बाद मुआवजा न मिलने का विरोध; पुराने गांव में बसने की मांग
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से विस्थापित बतकछार गांव के लोग पचमढ़ी के पनारपानी गेट के बाहर एसटीआर के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीण शुक्रवार दोपहर 12 बजे से बैठे हैं। इस दौरान मनाने आए अफसरों की उन्होंने नहीं सुनी और रात में वहीं कंबल, शॉल और तिरपाल ढककर सो गए। विस्थापित ग्रामीण मुआवजा और जमीन की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर उन्होंने पिछले महीने भी धरना देकर पैदल मार्च निकाला था। 2013-16 में हुआ कई गांवों का विस्थापन एसटीआर के कोर क्षेत्र से साल 2013 से 2016 में रोरीघाट, खामखेड़ी, काजरी, बतकछार समेत कई गांव का विस्थापन हुआ। एसटीआर फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया कि बतकछार के कई ग्रामीणों को विकल्प अनुसार मुआवजा और जमीन दी गई। उस समय जो बाहर रहते थे या नौकरी करते थे, वे लोग छूट गए थे। वही लोग अब मुआवजा और जमीन की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन की 3 तस्वीरें देखिए- ग्रामीणों की ये मांगें हैं युवती बोली- 10 लाख रुपए देने का वादा किया था बतकछार की आदिवासी युवती ने कहा- 13 साल पहले जब गांव का विस्थापन हुआ, तब हम काफी छोटे थे। हमारे माता-पिता से कहा गया था कि प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपए दिया जाएगा। उनसे पेपर में हस्ताक्षर की जगह अंगूठा लगवाया और कहा कि आप लोगों को मुआवजा मिलेगा, लेकिन आज तक नहीं मिला। ग्रामीणों को मनाने पहुंचे अधिकारी बैरंग लौटे ग्रामीणों को मनाने के लिए पिपरिया के नायब तहसीलदार नीरज बैस पहुंचे, लेकिन सभी ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका कहना है कि पहले उन्हें पुराने गांव में बसाएं उसके बाद ही बात करेंगे। पिपरिया एसडीएम आईएएस अनिशा श्रीवास्तव, एसडीओपी पिपरिया ने भी समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी भी नहीं सुनी। एसडीएम स्तर से कार्रवाई जारी है- एसटीआर एसटीआर फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया विस्थापित ग्रामीणों की मुआवजा वाली मांग जायज है, उन्हें मिलना चाहिए। उसके लिए सरकारी भुगतान की प्रकिया है। वो एसडीएम पिपरिया के स्तर पर जारी है। विस्थापन के समय दो विकल्प दिए जाते हैं- 10 लाख रुपए कैश और दूसरा कुछ रुपए के साथ जमीन और रहने की व्यवस्था। जिन्होंने 10 लाख रुपए वाला विकल्प चुन लिया, उन्हें हम जमीन कैसे दे सकते हैं। बाकी प्रक्रिया जारी है। पिछले महीने भी धरना देकर अल्टीमेटन दिया था विस्थापित ग्रामीण पिछले महीने पचमढ़ी से पनारपानी तक 5 किलोमीटर रैली निकालकर पहुंचे थे। तब वन विभाग के अधिकारी संजीव शर्मा धरना स्थल पर ग्रामीणों को मनाने पहुंचे थे। रात 9 बजे तक धरना चला और एसडीएम ने 15 दिन में समस्या का समाधान कराने का लिखित आश्वासन दिया था। उसके बाद अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका, इसलिए ग्रामीण धरने पर बैठे हैं। इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- पचमढ़ी में STR के खिलाफ आदिवासियों का धरना नर्मदापुरम के पचमढ़ी के पनारपानी में आदिवासी समुदाय ने जमीन के बदले मुआवजा नहीं मिलने से सोमवार से धरना शुरू कर दिया है। बतकछार गांव ग्रामीण आदिवासी पचमढ़ी से पनारपानी गांव निमघान गेट 5 किमी तक पैदल रैली निकालकर पहुंचे। पूरी खबर पढ़ें...