विजयपुर में आदिवासियों को पीटा, वोटिंग पर्ची-आधार कार्ड छीने:घायल बोले- पीटने वालों ने कहा हम जीते या हारें दोनों हालत में तुम मरोगे

श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा में बुधवार को उपचुनाव के बाद भी बवाल थमा नहीं है। मतदान के बाद देर रात दबंगों ने गोहरा गांव में आदिवासियों के घरों में आग लगा दी। पत्थर मारे। बिजली के खंभे भी तोड़ दिए। इससे गांव में दहशत का माहौल है। दो दिन पहले भी विजयपुर के आदिवासी बाहुल्य 4 गांवों में आदिवासियों पर गोलियां चलीं। उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर बंदूक के बट और लाठियों से पीटा गया। कई गंभीर तौर पर घायल हुए। पीटने वाले तीन गाड़ियों में घूम रहे थे, जिनकी तादात 25 से 35 बताई जा रही है। गांववालों के मुताबिक पीटने वाले उन्हें वोट डालने न जाने के लिए कह रहे थे। साथ ही उनकी वोटिंग पर्ची और आधार कार्ड मांग रहे थे। धमकाते हुए ये भी कहा कि हम चुनाव जीते या हारें दोनों हालत में मारे जाओगे। गांव जला दिया जाएगा और बच्चों को अगवा कर लिया जाएगा। कल और परसों फिर आएंगे। इस घटना के बाद दैनिक भास्कर की टीम वोटिंग के दिन विजयपुर विधानसभा पहुंची। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… विधानसभा का आधे से ज्यादा क्षेत्र कूनो नेशनल पार्क के इर्द गिर्द और अंदर तक फैला हुआ है। चुनाव के दिन यहां 327 पोलिंग बूथ बनाए गए। हर पोलिंग बूथ पर 8 से 10 सुरक्षा कर्मी तैनात रहे। हम यहां वोटिंग के दौरान आदिवासी वोटरों वाले 10 पोलिंग बूथ तक पहुंचे। यहां हमारा पूरा फोकस आदिवासी वोटरों पर था। हमने मतदान कर बाहर निकल रहे आदिवासी वोटरों से बात की। उनका मन टटोलने की कोशिश की। ज्यादातर आदिवासियों का झुकाव कांग्रेस की तरफ दिखाई दिया। उन्होंने पूरी विधानसभा में एकजुट होकर कांग्रेस को वोट करने की बात कही। इसके पीछे दो वजह सामने आईं पहली: इस सीट पर आदिवासी शुरुआत से ही कांग्रेस को वोट करते आ रहे हैं। मौजूदा भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत भी 6 बार कांग्रेस से ही विधायक रहे। दूसरी: वोटिंग से 2 दिन पहले आदिवासी बाहुल्य गांवों में हुई गोलीबारी और मारपीट से उपजा आक्रोश। इसके पीछे आदिवासी वर्ग भाजपा को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है। पीड़ित बोला- कांग्रेस का वोटर हूं, बीजेपी को वोट करना पड़ा 10 पोलिंग बूथ पर आदिवासी वोटरों का मन टटोलने के बाद हम उन गांवों तक भी पहुंचे, जहां चुनाव से पहले हिंसा हुई थी। पीड़ितों और उनके परिजन से बात की। हिंसा का शिकार पूरे के पूरे गांव में गरीब आबादी रहती है। उनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता मालूम नहीं पड़ता। पीड़ितों ने उस रात की कहानी बताई। घायलों ने अपने जख्म दिखाए। एक घायल को छोड़ सभी घायलों ने वोट किया। एक घायल व्यक्ति ने कहा- मैं कांग्रेस का वोटर हूं, लेकिन डर के कारण भाजपा को वोट करना पड़ा है। हमारे लिए ये अच्छा नहीं है। आदिवासी वोटर बोले- पंजा को वोट देते आए हैं और देंगे हम विजयपुर विधानसभा की 10 पोलिंग बूथ बसैया, सेसईपुरा, करहाल, गोरस, पिपरो नी, बुढ़रा, हासिलपुर, धनायचा, डोबर, चांदीपुर, बालानी पहुंचे। कुरात से बसैया पोलिंग बूथ वोट करने आए बुजुर्ग बादामी आदिवासी ने कहा कि हम आदिवासियों को लोग गाली देते हैं। कहते हैं- ये तो पंजा को वोट करते हैं। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पंजा को ही वोट देते आए हैं और देंगे। विजयपुर के गांवों में मारपीट ठीक नहीं हैं। ये गलत कर रहे हैं। मारपीट करके सपोर्ट लेने से क्या मतलब निकलेगा। आदिवासियों ने रामनिवास रावत पर लगाए आरोप पूनिया आदिवासी ने कहा कि हमारे गांव में तो नहीं, लेकिन कई गांवों में मारपीट हुई है। हम वोट करने आए हैं। मारपीट करना गलत हरकत है। हम किसी से नहीं डरते। इस घटना से चुनाव पर बहुत असर पड़ा है। हम उस पार्टी को वोट नहीं देंगे। ये गोलीबारी और मारपीट की घटना रामनिवास रावत जी ने करवाई है। वो गरीबों पर आतंक कर रहे हैं। पास ही खड़े कुछ लोगों ने टोका कि रावत जी ऐसा नहीं करा सकते। उनके समर्थक ही ज्यादा उपद्रवी हैं। झरैर गांव के बाबू आदिवासी ने कहा कि कांग्रेस ही जीतेगी। हमने उसी को वोट किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा आतंक फैला रही हैं। ये पूरी हिंसा कांग्रेस का वोट काटने के लिए ही हुई है। पातलगढ़ के मुन्ना आदिवासी ने कहा कि भाजपा के रामनिवास रावत चाहते हैं कि हम वोट डालने पोलिंग बूथ तक ना जाएं। उन्हें हार का डर है। भाजपा गरीबों पर हिंसा कर रही है। लाठी और बंदूक का जोर लगा रही है। आदिवासियों को मरवा रही है। हमने कांग्रेस से लड़ रहे अपने आदिवासी भाई को वोट किया है, ताकि हमारे दबे कुचले समाज को सहारा मिल सके। हमारा विकास हो सके। जहां हिंसा नहीं हुई वहां भी आदिवासियों में नाराजगी हासिलपुर बूथ पर अमलिका गांव से वोट डालने आए नेवी राम ने कहा कि मेरे गांव में हिंसा नहीं हुई, लेकिन जब से मैंने बाकी के गांव में आदिवासियों पर जानलेवा हमले की बात सुनी है, तब से सोया नहीं हूं। हम सब डर-डर के वोट दे रहे हैं। इस घटना के बाद आदिवासियों में एकता आई है और हम सबने कांग्रेस प्रत्याशी को वोट किया है। जैनवित आदिवासी ने कहा हमारा गांव जंगल के बीच है। हमने पंजे से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी के लिए मतदान किया है। भाजपा ने गरीब आदिवासियों पर अत्याचार किया है। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र के आदिवासियों में एकता आई है। यहां से पंजा ही चुनाव जीतेगा। भाजपा के कट्टर समर्थक ने कहा- घटना ने माहौल बिगाड़ा हासिलपुर में वोट कर चुके ओमप्रकाश वैष्णव ने कहा, मैं भाजपा को वोट देकर आया हूं। मेरे दादा परदादा भाजपा को ही वोट देते आए हैं। मैं भी हमेशा भाजपा को ही वोट करता हूं। अभी चुनावी माहौल ठीक है, लेकिन इस क्षेत्र से कांग्रेस ही चुनाव जीत रही है। इसके पीछे दो कारण हैं। ये इलाका आदिवासी बाहुल्य है। आदिवासी हमेशा से कांग्रेस को ही वोट करते आए हैं। उन्होंने अभी के भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस में रहते हुए 6 बार चुनाव जिताया है। दूसरी बात गोलीबारी और मारपीट के बाद आदिवासियों में आक्रोश है। पैर में गोली लगी, बंदूक के बट से बेतहाशा पीटा गया गोलीबारी की घटना 4 गांवों में हुई। धनायचा, दंगपुरा, पातलगढ़ और झझेरा। हम दंगपुरा के अलावा 3 गांव पहुंचे। मारपीट तो सभी गांवों मे

विजयपुर में आदिवासियों को पीटा, वोटिंग पर्ची-आधार कार्ड छीने:घायल बोले- पीटने वालों ने कहा हम जीते या हारें दोनों हालत में तुम मरोगे
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा में बुधवार को उपचुनाव के बाद भी बवाल थमा नहीं है। मतदान के बाद देर रात दबंगों ने गोहरा गांव में आदिवासियों के घरों में आग लगा दी। पत्थर मारे। बिजली के खंभे भी तोड़ दिए। इससे गांव में दहशत का माहौल है। दो दिन पहले भी विजयपुर के आदिवासी बाहुल्य 4 गांवों में आदिवासियों पर गोलियां चलीं। उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर बंदूक के बट और लाठियों से पीटा गया। कई गंभीर तौर पर घायल हुए। पीटने वाले तीन गाड़ियों में घूम रहे थे, जिनकी तादात 25 से 35 बताई जा रही है। गांववालों के मुताबिक पीटने वाले उन्हें वोट डालने न जाने के लिए कह रहे थे। साथ ही उनकी वोटिंग पर्ची और आधार कार्ड मांग रहे थे। धमकाते हुए ये भी कहा कि हम चुनाव जीते या हारें दोनों हालत में मारे जाओगे। गांव जला दिया जाएगा और बच्चों को अगवा कर लिया जाएगा। कल और परसों फिर आएंगे। इस घटना के बाद दैनिक भास्कर की टीम वोटिंग के दिन विजयपुर विधानसभा पहुंची। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… विधानसभा का आधे से ज्यादा क्षेत्र कूनो नेशनल पार्क के इर्द गिर्द और अंदर तक फैला हुआ है। चुनाव के दिन यहां 327 पोलिंग बूथ बनाए गए। हर पोलिंग बूथ पर 8 से 10 सुरक्षा कर्मी तैनात रहे। हम यहां वोटिंग के दौरान आदिवासी वोटरों वाले 10 पोलिंग बूथ तक पहुंचे। यहां हमारा पूरा फोकस आदिवासी वोटरों पर था। हमने मतदान कर बाहर निकल रहे आदिवासी वोटरों से बात की। उनका मन टटोलने की कोशिश की। ज्यादातर आदिवासियों का झुकाव कांग्रेस की तरफ दिखाई दिया। उन्होंने पूरी विधानसभा में एकजुट होकर कांग्रेस को वोट करने की बात कही। इसके पीछे दो वजह सामने आईं पहली: इस सीट पर आदिवासी शुरुआत से ही कांग्रेस को वोट करते आ रहे हैं। मौजूदा भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत भी 6 बार कांग्रेस से ही विधायक रहे। दूसरी: वोटिंग से 2 दिन पहले आदिवासी बाहुल्य गांवों में हुई गोलीबारी और मारपीट से उपजा आक्रोश। इसके पीछे आदिवासी वर्ग भाजपा को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है। पीड़ित बोला- कांग्रेस का वोटर हूं, बीजेपी को वोट करना पड़ा 10 पोलिंग बूथ पर आदिवासी वोटरों का मन टटोलने के बाद हम उन गांवों तक भी पहुंचे, जहां चुनाव से पहले हिंसा हुई थी। पीड़ितों और उनके परिजन से बात की। हिंसा का शिकार पूरे के पूरे गांव में गरीब आबादी रहती है। उनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता मालूम नहीं पड़ता। पीड़ितों ने उस रात की कहानी बताई। घायलों ने अपने जख्म दिखाए। एक घायल को छोड़ सभी घायलों ने वोट किया। एक घायल व्यक्ति ने कहा- मैं कांग्रेस का वोटर हूं, लेकिन डर के कारण भाजपा को वोट करना पड़ा है। हमारे लिए ये अच्छा नहीं है। आदिवासी वोटर बोले- पंजा को वोट देते आए हैं और देंगे हम विजयपुर विधानसभा की 10 पोलिंग बूथ बसैया, सेसईपुरा, करहाल, गोरस, पिपरो नी, बुढ़रा, हासिलपुर, धनायचा, डोबर, चांदीपुर, बालानी पहुंचे। कुरात से बसैया पोलिंग बूथ वोट करने आए बुजुर्ग बादामी आदिवासी ने कहा कि हम आदिवासियों को लोग गाली देते हैं। कहते हैं- ये तो पंजा को वोट करते हैं। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पंजा को ही वोट देते आए हैं और देंगे। विजयपुर के गांवों में मारपीट ठीक नहीं हैं। ये गलत कर रहे हैं। मारपीट करके सपोर्ट लेने से क्या मतलब निकलेगा। आदिवासियों ने रामनिवास रावत पर लगाए आरोप पूनिया आदिवासी ने कहा कि हमारे गांव में तो नहीं, लेकिन कई गांवों में मारपीट हुई है। हम वोट करने आए हैं। मारपीट करना गलत हरकत है। हम किसी से नहीं डरते। इस घटना से चुनाव पर बहुत असर पड़ा है। हम उस पार्टी को वोट नहीं देंगे। ये गोलीबारी और मारपीट की घटना रामनिवास रावत जी ने करवाई है। वो गरीबों पर आतंक कर रहे हैं। पास ही खड़े कुछ लोगों ने टोका कि रावत जी ऐसा नहीं करा सकते। उनके समर्थक ही ज्यादा उपद्रवी हैं। झरैर गांव के बाबू आदिवासी ने कहा कि कांग्रेस ही जीतेगी। हमने उसी को वोट किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा आतंक फैला रही हैं। ये पूरी हिंसा कांग्रेस का वोट काटने के लिए ही हुई है। पातलगढ़ के मुन्ना आदिवासी ने कहा कि भाजपा के रामनिवास रावत चाहते हैं कि हम वोट डालने पोलिंग बूथ तक ना जाएं। उन्हें हार का डर है। भाजपा गरीबों पर हिंसा कर रही है। लाठी और बंदूक का जोर लगा रही है। आदिवासियों को मरवा रही है। हमने कांग्रेस से लड़ रहे अपने आदिवासी भाई को वोट किया है, ताकि हमारे दबे कुचले समाज को सहारा मिल सके। हमारा विकास हो सके। जहां हिंसा नहीं हुई वहां भी आदिवासियों में नाराजगी हासिलपुर बूथ पर अमलिका गांव से वोट डालने आए नेवी राम ने कहा कि मेरे गांव में हिंसा नहीं हुई, लेकिन जब से मैंने बाकी के गांव में आदिवासियों पर जानलेवा हमले की बात सुनी है, तब से सोया नहीं हूं। हम सब डर-डर के वोट दे रहे हैं। इस घटना के बाद आदिवासियों में एकता आई है और हम सबने कांग्रेस प्रत्याशी को वोट किया है। जैनवित आदिवासी ने कहा हमारा गांव जंगल के बीच है। हमने पंजे से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी के लिए मतदान किया है। भाजपा ने गरीब आदिवासियों पर अत्याचार किया है। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र के आदिवासियों में एकता आई है। यहां से पंजा ही चुनाव जीतेगा। भाजपा के कट्टर समर्थक ने कहा- घटना ने माहौल बिगाड़ा हासिलपुर में वोट कर चुके ओमप्रकाश वैष्णव ने कहा, मैं भाजपा को वोट देकर आया हूं। मेरे दादा परदादा भाजपा को ही वोट देते आए हैं। मैं भी हमेशा भाजपा को ही वोट करता हूं। अभी चुनावी माहौल ठीक है, लेकिन इस क्षेत्र से कांग्रेस ही चुनाव जीत रही है। इसके पीछे दो कारण हैं। ये इलाका आदिवासी बाहुल्य है। आदिवासी हमेशा से कांग्रेस को ही वोट करते आए हैं। उन्होंने अभी के भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस में रहते हुए 6 बार चुनाव जिताया है। दूसरी बात गोलीबारी और मारपीट के बाद आदिवासियों में आक्रोश है। पैर में गोली लगी, बंदूक के बट से बेतहाशा पीटा गया गोलीबारी की घटना 4 गांवों में हुई। धनायचा, दंगपुरा, पातलगढ़ और झझेरा। हम दंगपुरा के अलावा 3 गांव पहुंचे। मारपीट तो सभी गांवों में हुई। उपद्रवियों ने युवाओं के साथ ही बुजुर्गों और महिलाओं तक को नहीं छोड़ा। 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। सबसे ज्यादा गोलीबारी धनायचा गांव में हुई। यहां दो लोगों को गोलियां लगीं। एक गंभीर घायल के पैर में गोली लगी, बंदूक के बट से उसे बेतहाशा पीटा गया। वहीं, दूसरे गंभीर घायल को सीने और हाथ में गोली लगी। दोनों दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे। वापस आने के बाद भी वो बिस्तर पर हैं। उनके शरीर से गोली नहीं निकाली गई है, इसके बावजूद वो वोट करके आए। इसके बाद हमपातलगढ़ और झझेरा पहुंचे। बुजुर्ग ने कहा- गुंडे कह रहे थे भाजपा को वोट देना धनायचा गांव के दीचालाल आदिवासी ने कहा कि चुनाव से एक दिन पहले शाम सवा 7 बजे हम रात का खाना खा रहे थे। अचानक बाहर गोलियों की तड़तड़ाहट और चीखें सुनाई दी। हम बाहर निकले तो देखा वो गुंडे सभी गांव वालों से वोट करने वाली पर्ची और आधार कार्ड मांग रहे थे। वो एक मिनट के लिए भी नहीं रुके, जो दिखा उसे लाठियों से मारा। वो कह रहे थे बीजेपी को वोट देना है। इतने में उन्होंने 2 लोगों पर गोली चला दी। इसके बाद गांव वालों ने भी उन पर पत्थरबाजी शुरू की। वो वापस चले गए। कम से कम 20 लोग बोलेरो गाड़ियों से आए थे। बाकी लोग बाइक से आए थे। जाते-जाते एक बाइक वाले को हमने पकड़ लिया था, जो अभी पुलिस कस्टडी में है। उनके पास 315 बोर की बंदूकें थीं। पुलिस ढाई घंटे बाद पहुंची थी। रामनिवास रावत जानते हैं हम कांग्रेसी वोटर हैं दीचालाल ने कहा कि वो लोग हमसे वोटिंग पर्ची मांग रहे थे। सीधी सी बात है वो रामनिवास रावत के लोग थे। रामनिवास रावत जानते हैं हम कांग्रेसी वोटर हैं। जो आदमी हमने पकाड़, उसका पूरा नाम भी बंटी मीणा रावत है। एक महावीर मीणा भी उन गुंडों में शामिल था। वो रामनिवास रावत का साला लगता है। इस घटना के बाद 40-50 गांव के लोग इकट्ठे हुए थे, सब संगठित हुए। सबने अपने समाज के कांग्रेस प्रत्याशी को वोट किया है। आज भी हमारे साथ घटना हुई है। दुशवानी और कोटका में आदिवासियों को वोट नहीं डालने दिया गया है। क्या है ये। पोलिंग बूथ जंगल के बीचों बीच हैं। जंगल में ही बसे दूसरे गांवों के लोग बूथ तक वोट करने जाते हैं, उससे पहले ही हमारे लोगों को रोक दिया गया। दूसरा कोई रास्ता नहीं होता। गुंडे जंगल के बीचों बीच बूथ से करीब 500 मीटर की दूरी पर पिस्टल और माउजर लेकर खड़े थे। डर के चलते लोगों को वापस आना पड़ा। हरबिलास के बांह-सीने में लगी गोली, घर में खून के छींटे हरबिलास ने कहा कि उस शाम मैं अपने घर के बाहर खड़ा था। उन गुंडों ने आते ही गाली गलौज शुरू की। फिर मुझसे वोटिंग पर्ची और आधार कार्ड मांगा। इसके बाद उन्होंने लाठियों से मारना शुरू कर दिया, फिर मुझ पर गोली दाग दी। पूरे आंगन में मेरा खून बहा। मैं भागते हुए अंदर गया और बेहोश हो गया। हरबिलास की पत्नी ने घर अंदर तक ले जाकर दिखाया। वहां जमीन और दीवारों पर अब भी खून के छींटे हैं। एक अन्य घायल प्रकाश के पूरे शरीर पर गंभीर चोटें हैं। पैर में गोली लगी है जिसे अब तक निकाला नहीं गया है। प्रकाश ने बताया कि मैं गांव के चबूतरे पर बैठा था, वो आए और वोटिंग पर्ची, आधार कार्ड मांगने लगे। हम कुछ बोल पाते इससे पहले उन्होंने मारना शुरू कर दिया। आज वोट डालने के लिए अस्पताल से मुझे घर लाया गया है। मजबूरी में भाजपा को वोट दिया, वो बच्चों को मार देंगे पातालगढ़ में गंभीर तौर पर चोटिल पंचू आदिवासी ने कहा कि रात के 2 बज रहे थे। मैं अपने घर के अंदर गहरी नींद में था। अचानक मुझ पर लाठियों से हमला हुआ। वो कह रहे थे वोट किसको डालेगा? इसके बाद वो मुझे बाहर खींचते हुए लाए और लगातार पीटते रहे। ये सब रामनिवास रावत ने करवाया है। अगर वो ये घटना नहीं करते तो उन्हें यहां से एक वोट नहीं मिलता। कांग्रेस जीतती। इसी हार के डर के चलते उन्होंने हम गरीबों पर आतंक किया है। डर के चलते मुझे भाजपा को वोट देना पड़ा। नहीं तो वो मेरे बच्चों तक को मार डालेंगे। डर के चलते ऐसा ही कई अन्य लोगों ने भी किया। मेरा तो दूर-दूर तक चुनाव से कोई नाता नहीं है। अरे, जितने गांव में हमला हुआ वहां हम सब गरीब आदिवासी रहते हैं। चुनाव राजनीति से किसी का कोई वास्ता नहीं है, फिर हमें क्यों मारा। 'रामनिवास को वोट देना, नहीं तो गांव जला देंगे' हरि सिंह आदिवासी ने कहा, गुंडे कह रहे थे रामनिवास रावत को वोट देना। नहीं तो पूरे गांव में आग लगा देंगे, तुम्हारे बच्चे उठा ले जाएंगे। वो करीब 25 से 30 लोग थे। 3 गाड़ियों से आए थे। तीनों गाड़ियों में नंबर प्लेट नहीं थी। घटना के वक्त उन्होंने गाड़ियां चालू रखी थीं। मारपीट और धमकी देने के बाद वो चले गए थे। युवक बोला- मुझ पर फायर किए, इससे अच्छा जहर दे दो पातालगढ़ गांव के युवक परशुराम लंगड़ाते हुए चल रहे थे। उनसे बात की तो बोले- उन हमलावरों ने मुझ पर भी हमला किया था। वो रात 2 बजे आए। जो बाहर बैठे थे उन पर लाठी डंडों से हमला किया। जो अंदर थे, उनके दरवाजे तोड़ कर अंदर घुसकर हमला किया। परशुराम ने कहा कि गांव में कई लोगों के साथ मारपीट करने के बाद वो कह कर गए थे कि कोई भी वोट करने नहीं जाएगा। हम कल भी आएंगे और परसों भी आएंगे। उन्होंने बुजुर्ग महिलाओं को भी नहीं छोड़ा। उन पर हमला किया। परशुराम ने खुद पर हुए हमले के 3 खाली कारतूस भी दिखाए। उसने कहा- हमें मारना ही है तो जहर खिला दो। हम कहां जाएं। उन्होंने हमसे बात भी नहीं की। सीधे मारना शुरू कर दिया। परशुराम ने आगे कहा कि ये हमला भाजपा प्रत्याशी ने ही करवाया है। कांग्रेस प्रत्याशी हम जैसा ही गरीब है और हम कांग्रेस को ही वोट करते आए हैं, तो वो तो हम पर हमले की बात सोच भी नहीं सकता। बुजुर्ग महिला रमपति ने कहा कि कपड़े खोल कर नहीं दिखा सकती पूरा शरीर सूजा है। कमर टूट गई है। मेरे बेटे नहीं हैं। एक बेटी है अपने पति के साथ मेरे पास रहती है। उन्होंने हम सबको मारा। जब तक वो मारते रहे हमें पता ही नहीं चला कि क्यों मार रहे हैं। फिर आखिरी में कह कर गए कि वोट डालने मत जाना। मैं तो चलने की स्थिति में ही नहीं हूं, इसलिए वोट डालने नहीं गई। बेटी दामाद ने वोट डाला है। झझेर में महिला का पैर तोड़ा, लोगों को घसीटकर मारा झरेर गांव के रामपूर नाम के व्यक्ति ने कहा कि 2 दिन पहले उन गुंडों ने गांव के 5 लोगों को बेरहमी से मारा है। वो गुंडे मंत्री रामनिवास के ही आदमी होंगे और दूसरा कोई नहीं हो सकता। पास ही बैठे रामदर्शन ने कहा, हमें वोट डालने जाने में भी डर लग रहा था। पुलिस प्रशासन पर भी भरोसा नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम में रामनिवास का ही हाथ है। आदिवासी ज्यादा हैं। उनको रोकने के लिए उन्होंने ऐसा किया है ताकि चुनाव जीत जाएं। 2 लोग ऐसे भी मिले, जिन्हें वोट डालने नहीं दिया गया सांकरीखेड़ा के काशीराम और गोपाल पातालगढ़ में वोटिंग पर्ची हाथ में लिए निराश बैठे हुए थे। पूछने पर उन्होंने अपनी पर्ची दिखाते हुए कहा कि हम ढोकर गांव वोट डालने जा रहे थे। वहां तक पहुंचने के लिए एक ही रास्ता है जो जंगल से होकर गुजरता है। बूथ से कुछ दूर पहले ही वहां कुछ गुंडे खड़े थे। उन्होंने हमें जान से मारने की धमकी दी तो हम वापस आ गए। अब शाम का वक्त हो रहा है। हम वोट नहीं डाल पाए हैं। विजयपुर और बुधनी 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