गांधीसागर अभयारण्य में गिद्धों की गणना 17 फरवरी से:वन विभाग ने कर्मचारियों और समाजसेवियों को दी ट्रेनिंग, पिछले साल मिले थे 800 गिद्ध
गांधीसागर अभयारण्य में गिद्धों की गणना 17 फरवरी से:वन विभाग ने कर्मचारियों और समाजसेवियों को दी ट्रेनिंग, पिछले साल मिले थे 800 गिद्ध
मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य में गिद्धों की बड़ी आबादी को देखते हुए विशेष गणना अभियान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। वनमंडलाधिकारी संजय रायखेरे के अनुसार, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के बाद गांधीसागर अभयारण्य में सबसे अधिक गिद्धों का वास है। पिछली गणना के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं, जब मंदसौर वनमंडल में कुल 850 गिद्धों में से 800 से अधिक अकेले गांधीसागर अभयारण्य में पाए गए थे। यहां की विशेषता यह है कि लुप्तप्राय इंडियन वल्चर और किंग वल्चर के अलावा, यूरेशियन ग्रिफोन और सिनेरियस जैसे प्रवासी गिद्ध भी बड़ी संख्या में देखे जाते हैं। गिद्धों के संरक्षण को लेकर सरकार गंभीर है। इसी को लेकर हाल ही में डाइक्लोफिनेक और निमेसुलाइड कॉम्बिनेशन वाली पशु चिकित्सा दवाओं के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाई गई है। 17 से 19 फरवरी तक होने वाली गणना से पहले वन विभाग ने अपने स्टाफ और समाजसेवियों को गिद्धों की पहचान और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रशिक्षण दिया है। विभाग का प्रयास है कि गिद्धों के लिए भोजन और निवास की दृष्टि से अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य में गिद्धों की बड़ी आबादी को देखते हुए विशेष गणना अभियान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। वनमंडलाधिकारी संजय रायखेरे के अनुसार, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के बाद गांधीसागर अभयारण्य में सबसे अधिक गिद्धों का वास है। पिछली गणना के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं, जब मंदसौर वनमंडल में कुल 850 गिद्धों में से 800 से अधिक अकेले गांधीसागर अभयारण्य में पाए गए थे। यहां की विशेषता यह है कि लुप्तप्राय इंडियन वल्चर और किंग वल्चर के अलावा, यूरेशियन ग्रिफोन और सिनेरियस जैसे प्रवासी गिद्ध भी बड़ी संख्या में देखे जाते हैं। गिद्धों के संरक्षण को लेकर सरकार गंभीर है। इसी को लेकर हाल ही में डाइक्लोफिनेक और निमेसुलाइड कॉम्बिनेशन वाली पशु चिकित्सा दवाओं के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाई गई है। 17 से 19 फरवरी तक होने वाली गणना से पहले वन विभाग ने अपने स्टाफ और समाजसेवियों को गिद्धों की पहचान और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रशिक्षण दिया है। विभाग का प्रयास है कि गिद्धों के लिए भोजन और निवास की दृष्टि से अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जाए।