गृहमंत्री शाह बोले-CG में सिर्फ 4 अति नक्सल प्रभावित जिले:भूपेश बघेल ने कहा- भाजपा के समय बढ़ा नक्सलवाद, भाजपा बोली-कांग्रेसियों को दस्त लगे
गृहमंत्री शाह बोले-CG में सिर्फ 4 अति नक्सल प्रभावित जिले:भूपेश बघेल ने कहा- भाजपा के समय बढ़ा नक्सलवाद, भाजपा बोली-कांग्रेसियों को दस्त लगे
देश में अति नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई है। यह जानकारी खुद अमित शाह ने जारी की है। अति नक्सल प्रभावित जिले में छत्तीसगढ़ के 4 जिले हैं। अब इस पर राजनीतिक बयान भी सामने आ रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं। सबसे पहले ये जानिए कि नक्सल प्रभावित जिलों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री का क्या बयान है। अमित शाह ने कहा कि, हम 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के प्रति कटिबद्ध है। अति नक्सल प्रभावित 12 जिले घटकर अब 6 रह गए हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के 4 ज़िले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का 1 (पश्चिमी सिंहभूम) और महाराष्ट्र का भी 1 ज़िला (गढ़चिरौली) शामिल है। डिस्ट्रिक्ट ऑफ कनसर्न की संख्या 9 से घटकर 6 रह गई है। ये 6 ज़िले हैं- आंध्र प्रदेश (अल्लूरी सीताराम राजू), मध्य प्रदेश (बालाघाट), ओडिशा (कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी) और तेलंगाना (भद्राद्रि-कोठागुडेम) हैं। अदर नक्सल इफेक्टेड डिस्ट्रकिक्ट में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, झारखंड के (लातेहार), ओडिशा(नुआपाड़ा) और तेलंगाना (मुलुगु) शामिल हैं। बघेल क्या बोले ? पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, भाजपा के 15 सालों में कई नक्सल वारदातें हुई हैं। देश और दुनिया ने देखा है। डॉ रमन सिंह के समय तो कई गांव खाली हो गए, नक्सलियों के डर से लोग तेलंगाना चले गए। राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। हमारे शासनकाल में नक्सली घटनाएं भी कम हुई थी नक्सली भी सिमटे थे। भाजपा कार्यालय में नक्सली वसूली के लिए आते थे। चंदे की रसीद भी मिली थी। सब जानते थे कि नक्सलियों का कौन पोषण करता था शायद मौजूदा मुख्यमंत्री इतिहास नहीं जानते है। CM साय ने जवाब दिया मुख्यमंत्री विष्णुदेव ने कहा कि, लगातार हार से कांग्रेस बौखलाई हुई है। विधानसभा में बुरी तरह से पराजित हुए, लोकसभा में पराजित हुए अभी नगरी निकाय पंचायती राज के चुनाव में पूरा क्लीन स्वीप हो गए तो बौखलाहट में कुछ भी बोल रहे हैं। यह तो पूरा छत्तीसगढ़ और देश जानता है कि किसके राज्य में नक्सली फले-फूले और किसके राज्य में नक्सलियों के साथ मजबूती से लड़ाई हो रही है। भाजपा ने कांग्रेस को घेरा बीजेपी प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि, जब प्रदेश से नक्सलवाद खत्म हो रहा है, तो कांग्रेस को दस्त लग रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार ने साफ कर दिया है कि नक्सली गोली की भाषा छोड़ें, अन्यथा नक्सली जिस भाषा में समझेंगे, उनसे उसी भाषा में बात की जाएगी। पिछले सवा साल में मुठभेड़ों में लगभग 350 नक्सलियों को सुरक्षा और पुलिस बल के जवानों ने मार गिराया है, लगभग 1261 नक्सली गिरफ्तार किए गए हैं और लगभग 1150 नक्सलियों ने आत्म-समर्पण किया है। जिस तरीके से दुर्दान्त इनामी नक्सली आत्म-समर्पण कर रहे हैं, मारे और गिरफ्तार किए जा रहे हैं, उससे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश की जनता में उत्साह और विश्वास का माहौल बना है। श्रीवास्तव ने नक्सली आतंक के खात्मे की इस पहल को लेकर कांग्रेस के रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कांग्रेसी आज सवाल कर रहे हैं कि 15 वर्षों के अपने पूर्ववर्ती शासनकाल में भाजपा की सरकार ने क्या किया? दरअसल, आज नक्सलियों का जो खात्मा हो रहा है, नक्सली मारे जा रहे हैं उससे नक्सलियों के साथ भाईचारा निभाते कांग्रेसियों को अपनी दुकानदारी बंद होती दिख रही है, इसलिए वे प्रलाप कर रहे हैं। कांग्रेस में घबराहट है कि अब आखिर किन मुद्दों को लेकर कांग्रेसी राजनीति करेंगे? कांग्रेसी नक्सलियों को पाल-पोसकर राजनीति करते थे, नक्सलियों को संरक्षण देते थे लेकिन अब नक्सली नेस्तनाबूद हो रहे हैं।
देश में अति नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई है। यह जानकारी खुद अमित शाह ने जारी की है। अति नक्सल प्रभावित जिले में छत्तीसगढ़ के 4 जिले हैं। अब इस पर राजनीतिक बयान भी सामने आ रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं। सबसे पहले ये जानिए कि नक्सल प्रभावित जिलों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री का क्या बयान है। अमित शाह ने कहा कि, हम 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के प्रति कटिबद्ध है। अति नक्सल प्रभावित 12 जिले घटकर अब 6 रह गए हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के 4 ज़िले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का 1 (पश्चिमी सिंहभूम) और महाराष्ट्र का भी 1 ज़िला (गढ़चिरौली) शामिल है। डिस्ट्रिक्ट ऑफ कनसर्न की संख्या 9 से घटकर 6 रह गई है। ये 6 ज़िले हैं- आंध्र प्रदेश (अल्लूरी सीताराम राजू), मध्य प्रदेश (बालाघाट), ओडिशा (कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी) और तेलंगाना (भद्राद्रि-कोठागुडेम) हैं। अदर नक्सल इफेक्टेड डिस्ट्रकिक्ट में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, झारखंड के (लातेहार), ओडिशा(नुआपाड़ा) और तेलंगाना (मुलुगु) शामिल हैं। बघेल क्या बोले ? पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, भाजपा के 15 सालों में कई नक्सल वारदातें हुई हैं। देश और दुनिया ने देखा है। डॉ रमन सिंह के समय तो कई गांव खाली हो गए, नक्सलियों के डर से लोग तेलंगाना चले गए। राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। हमारे शासनकाल में नक्सली घटनाएं भी कम हुई थी नक्सली भी सिमटे थे। भाजपा कार्यालय में नक्सली वसूली के लिए आते थे। चंदे की रसीद भी मिली थी। सब जानते थे कि नक्सलियों का कौन पोषण करता था शायद मौजूदा मुख्यमंत्री इतिहास नहीं जानते है। CM साय ने जवाब दिया मुख्यमंत्री विष्णुदेव ने कहा कि, लगातार हार से कांग्रेस बौखलाई हुई है। विधानसभा में बुरी तरह से पराजित हुए, लोकसभा में पराजित हुए अभी नगरी निकाय पंचायती राज के चुनाव में पूरा क्लीन स्वीप हो गए तो बौखलाहट में कुछ भी बोल रहे हैं। यह तो पूरा छत्तीसगढ़ और देश जानता है कि किसके राज्य में नक्सली फले-फूले और किसके राज्य में नक्सलियों के साथ मजबूती से लड़ाई हो रही है। भाजपा ने कांग्रेस को घेरा बीजेपी प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि, जब प्रदेश से नक्सलवाद खत्म हो रहा है, तो कांग्रेस को दस्त लग रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार ने साफ कर दिया है कि नक्सली गोली की भाषा छोड़ें, अन्यथा नक्सली जिस भाषा में समझेंगे, उनसे उसी भाषा में बात की जाएगी। पिछले सवा साल में मुठभेड़ों में लगभग 350 नक्सलियों को सुरक्षा और पुलिस बल के जवानों ने मार गिराया है, लगभग 1261 नक्सली गिरफ्तार किए गए हैं और लगभग 1150 नक्सलियों ने आत्म-समर्पण किया है। जिस तरीके से दुर्दान्त इनामी नक्सली आत्म-समर्पण कर रहे हैं, मारे और गिरफ्तार किए जा रहे हैं, उससे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश की जनता में उत्साह और विश्वास का माहौल बना है। श्रीवास्तव ने नक्सली आतंक के खात्मे की इस पहल को लेकर कांग्रेस के रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कांग्रेसी आज सवाल कर रहे हैं कि 15 वर्षों के अपने पूर्ववर्ती शासनकाल में भाजपा की सरकार ने क्या किया? दरअसल, आज नक्सलियों का जो खात्मा हो रहा है, नक्सली मारे जा रहे हैं उससे नक्सलियों के साथ भाईचारा निभाते कांग्रेसियों को अपनी दुकानदारी बंद होती दिख रही है, इसलिए वे प्रलाप कर रहे हैं। कांग्रेस में घबराहट है कि अब आखिर किन मुद्दों को लेकर कांग्रेसी राजनीति करेंगे? कांग्रेसी नक्सलियों को पाल-पोसकर राजनीति करते थे, नक्सलियों को संरक्षण देते थे लेकिन अब नक्सली नेस्तनाबूद हो रहे हैं।