गोपाल जी के आंगन में हुआ शालिगराम-तुलसी विवाह:द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में गोधूलि बेला में हुई विवाह की रस्में

देव प्रबोधिनी एकादशी पर मंगलवार को श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में विराजित भगवान शालिगराम और तुलसी माता का विवाह हुआ। भगवान द्वारकाधीश के सामने आंगन में सजे मंडप में विवाहोत्सव की सभी रस्में पुरोहित गोपाल व्यास ने पूरी कराई। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने मंदिर पहुंचकर दर्शन लाभ लिया। देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण के शालिगराम स्वरूप और तुलसी के विवाह की परंपरा है। मंगलवार को एकादशी पर श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में शालिगराम-तुलसी विवाह के लिए भगवान गोपाल जी के आंगन में गन्ने से विवाह मंडप बनाया गया। गोधूलि बेला में मंदिर की स्थापना के समय से विराजित भगवान शालिगराम का पूजन-अभिषेक कर पाटले पर विराजमान किया। पूजन में मंदिर की ओर से यजमान को बैठाया गया था। इस अवसर पर सुहाग सामग्री व दहेज का सामान भी दिया गया। गोपाल मंदिर के पुजारी पं. मधुर शर्मा ने बताया- देव प्रबोधिनी एकादशी पर संध्या के समय गौधूली बेला में भगवान श्री कृष्ण का शालिगराम स्वरूप में मां तुलसी से विवाह होता है। इस परंपरा में श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में भी संध्या काल में मंदिर की प्रतिष्ठा के समय से ही विराजित शालिगराम जी जो राजमाता बायेजा बाई ने स्थापित किए थे। उनका विवाह मंदिर प्रांगण की तुलसी से गोपाल जी के समुख संपन्न कराया जाता है। मंदिरों में हुए धार्मिक आयोजन मनाई देव दिवाली मंगलवार को देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के शयनकाल के बाद जाग गए है। एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। शहर के अन्य मंदिरों में भी धार्मिक आयोजन के साथ ही देव दिवाली मनाई गई। वहीं घर-आंगन में रंगोली सजाकर आतिशबाजी की गई। एकादशी पर सांदीपनि आश्रम, श्रीनाथजी की हवेली, गोवर्धन नाथ जी की हवेली, बांके बिहारी मंदिर सहित श्रीकृष्ण मंदिरों में भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में मंदिरों और घर-आंगन में तुलसी-शालिगराम के विवाह आयोजित किए गए।

गोपाल जी के आंगन में हुआ शालिगराम-तुलसी विवाह:द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में गोधूलि बेला में हुई विवाह की रस्में
देव प्रबोधिनी एकादशी पर मंगलवार को श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में विराजित भगवान शालिगराम और तुलसी माता का विवाह हुआ। भगवान द्वारकाधीश के सामने आंगन में सजे मंडप में विवाहोत्सव की सभी रस्में पुरोहित गोपाल व्यास ने पूरी कराई। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने मंदिर पहुंचकर दर्शन लाभ लिया। देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण के शालिगराम स्वरूप और तुलसी के विवाह की परंपरा है। मंगलवार को एकादशी पर श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में शालिगराम-तुलसी विवाह के लिए भगवान गोपाल जी के आंगन में गन्ने से विवाह मंडप बनाया गया। गोधूलि बेला में मंदिर की स्थापना के समय से विराजित भगवान शालिगराम का पूजन-अभिषेक कर पाटले पर विराजमान किया। पूजन में मंदिर की ओर से यजमान को बैठाया गया था। इस अवसर पर सुहाग सामग्री व दहेज का सामान भी दिया गया। गोपाल मंदिर के पुजारी पं. मधुर शर्मा ने बताया- देव प्रबोधिनी एकादशी पर संध्या के समय गौधूली बेला में भगवान श्री कृष्ण का शालिगराम स्वरूप में मां तुलसी से विवाह होता है। इस परंपरा में श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में भी संध्या काल में मंदिर की प्रतिष्ठा के समय से ही विराजित शालिगराम जी जो राजमाता बायेजा बाई ने स्थापित किए थे। उनका विवाह मंदिर प्रांगण की तुलसी से गोपाल जी के समुख संपन्न कराया जाता है। मंदिरों में हुए धार्मिक आयोजन मनाई देव दिवाली मंगलवार को देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के शयनकाल के बाद जाग गए है। एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। शहर के अन्य मंदिरों में भी धार्मिक आयोजन के साथ ही देव दिवाली मनाई गई। वहीं घर-आंगन में रंगोली सजाकर आतिशबाजी की गई। एकादशी पर सांदीपनि आश्रम, श्रीनाथजी की हवेली, गोवर्धन नाथ जी की हवेली, बांके बिहारी मंदिर सहित श्रीकृष्ण मंदिरों में भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में मंदिरों और घर-आंगन में तुलसी-शालिगराम के विवाह आयोजित किए गए।