रावण-अंगद संवाद सुन दर्शक हो उठे भावुक:जौनपुर में रामलीला का मंचन, ​​​​​​​कबूलपुर बाजार में हो रहा भव्य आयोजन

जौनपुर के सिरकोनी क्षेत्र में श्री दया नारायण लीला समिति के तत्वावधान में कबूलपुर बाजार में भव्य रामलीला का आयोजन चल रहा है। रविवार की रात को कलाकारों ने रावण और अंगद के संवाद के साथ-साथ विभीषण की शरणागति का मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष योगेश श्रीवास्तव, अंकित श्रीवास्तव, उमेश मिश्रा, विनय श्रीवास्तव, रमेश चंद्र जायसवाल, प्रदीप श्रीवास्तव, मिताई जायसवाल, डॉ. बद्री नाथ यादव, भूपेश श्रीवास्तव, जय प्रकाश निषाद, पिंटू श्रीवास्तव, सुरेंद्र यादव सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अंगद का रावण से संवाद, सच्चाई की जीत राम ने अंगद को रावण के पास समझाने के लिए भेजा। अंगद ने रावण को चेतावनी दी कि माता सीता को वापस लौटाएं, नहीं तो यह उनके लिए ठीक नहीं होगा। उन्होंने रावण से कहा कि यदि कोई भी बलशाली योद्धा उनका पैर हिला दे, तभी वह उनकी शक्ति को मानेंगे। लेकिन जब सभी योद्धा असफल हुए, तो अंगद ने कहा, "सेवक के नहीं, श्री राम के पैर पकड़ो।" विभीषण ने रावण को सीता माता को वापस करने की सलाह दी, लेकिन रावण ने उन्हें लात मारकर राज्य से बाहर फेंक दिया। इसके बाद विभीषण ने हनुमान जी की मदद से प्रभु श्री राम के पास जाकर शरण ली। इस दृश्य ने दर्शकों के दिलों को छू लिया और वे भावुक हो उठे। कलाकारों की अदाकारी पर तालियों की गड़गड़ाहट राम की भूमिका दीपक चौहान, लक्ष्मण के रूप में संजय यादव, हनुमान के रूप में आनंद विश्वकर्मा, रावण के रूप में जय नाथ चौहान, सुग्रीव के रूप में अतुल सिंह, मेघनाद के रूप में मोनु गुप्ता, प्रहस्त के रूप में सुरेंद्र यादव, और विभीषण के रूप में अशोक गुप्ता ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया।

रावण-अंगद संवाद सुन दर्शक हो उठे भावुक:जौनपुर में रामलीला का मंचन, ​​​​​​​कबूलपुर बाजार में हो रहा भव्य आयोजन
जौनपुर के सिरकोनी क्षेत्र में श्री दया नारायण लीला समिति के तत्वावधान में कबूलपुर बाजार में भव्य रामलीला का आयोजन चल रहा है। रविवार की रात को कलाकारों ने रावण और अंगद के संवाद के साथ-साथ विभीषण की शरणागति का मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष योगेश श्रीवास्तव, अंकित श्रीवास्तव, उमेश मिश्रा, विनय श्रीवास्तव, रमेश चंद्र जायसवाल, प्रदीप श्रीवास्तव, मिताई जायसवाल, डॉ. बद्री नाथ यादव, भूपेश श्रीवास्तव, जय प्रकाश निषाद, पिंटू श्रीवास्तव, सुरेंद्र यादव सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अंगद का रावण से संवाद, सच्चाई की जीत राम ने अंगद को रावण के पास समझाने के लिए भेजा। अंगद ने रावण को चेतावनी दी कि माता सीता को वापस लौटाएं, नहीं तो यह उनके लिए ठीक नहीं होगा। उन्होंने रावण से कहा कि यदि कोई भी बलशाली योद्धा उनका पैर हिला दे, तभी वह उनकी शक्ति को मानेंगे। लेकिन जब सभी योद्धा असफल हुए, तो अंगद ने कहा, "सेवक के नहीं, श्री राम के पैर पकड़ो।" विभीषण ने रावण को सीता माता को वापस करने की सलाह दी, लेकिन रावण ने उन्हें लात मारकर राज्य से बाहर फेंक दिया। इसके बाद विभीषण ने हनुमान जी की मदद से प्रभु श्री राम के पास जाकर शरण ली। इस दृश्य ने दर्शकों के दिलों को छू लिया और वे भावुक हो उठे। कलाकारों की अदाकारी पर तालियों की गड़गड़ाहट राम की भूमिका दीपक चौहान, लक्ष्मण के रूप में संजय यादव, हनुमान के रूप में आनंद विश्वकर्मा, रावण के रूप में जय नाथ चौहान, सुग्रीव के रूप में अतुल सिंह, मेघनाद के रूप में मोनु गुप्ता, प्रहस्त के रूप में सुरेंद्र यादव, और विभीषण के रूप में अशोक गुप्ता ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया।