10 घंटे तक चिल्लाते रहे- हमें निकाल लो, फिर खामोश:छिंदवाड़ा में कुएं के मलबे में दबे तीन लोग, 36 घंटे बाद भी नहीं निकाल सके शव

पानी बढ़ रहा है, हमें बचा लो.. हमें बचा लो.. यह चीख थी उन तीन मजदूरों की, जो मंगलवार को छिंदवाड़ा में एक कुआं धंसने से 35 फीट गहराई में मलबे में दब गए। कुएं से शाम 4 बजे से लेकर रात करीब 2 बजे तक उनकी आवाजें आती रहीं। बाद में ये आवाजें बंद हो गई। रेस्क्यू टीम अपना काम करती रही। जेसीबी से मलबा हटाने में जुटी रही। इधर, मलबे में दबे मजदूर और धंसते गए। सुबह होते-होते मलबे में पूरी तरह से समा गए थे। दिन से रात और रात से दिन गुजरा, लेकिन न मलबा हटा और न ही मजदूर बाहर आ पाए। परिवार बिलखता रहा, अधिकारियों के सामने चीखता रहा कि आप हमारे अपनों को नहीं निकाल सकते तो हम खुद निकाल लेंगे। आप लोग रेस्क्यू बंद कर दीजिए। दैनिक भास्कर की टीम इस रेस्क्यू के दौरान पूरे समय मौजूद रही। पढ़िए पूरी रिपोर्ट सबसे पहले ऐसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार, दोपहर 3.30 बजे: छिंदवाड़ा के खुनाझिर खुर्द गांव में ऐशराव वस्त्राणे के खेत में कुएं को गहरा किया जा रहा था। यहां 2 दिन से 6 मजदूर कुआं खुदाई का काम कर रहे थे। कुएं के एक हिस्से की मिट्‌टी धंस गई। मलबे में वासिद पिता नन्हें खान (18) निवासी बुधनी, उसकी मां शहजादी (50) और राशिद पिता कल्लू खान (18) निवासी सुल्तानपुर रायसेन मलबे में दब गए। शाम 4.00 बजे: हादसे की सूचना पर पुलिस–प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जेसीबी की मदद से कुएं से मलबा निकालने का काम शुरू हुआ। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह, एसपी अजय पांडेय और सीईओ जिला पंचायत अग्रिम कुमार भी थोड़ी देर में आ गए। शाम 5 बजे: सूचना मिलते ही एसडीईआरएफ की टीम वहां पहुंची। टीम को पोकलेन मशीन की बकेट में बिठाकर कुएं के अंदर भेजा गया। मैनुअल तरीके से मलबा निकालकर बकेट में भरकर ऊपर फिंकवाया गया। ​​​​शाम 6 बजे: जेसीबी की मदद से चार से पांच ट्राली मलबा बाहर निकाल लिया गया। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि मजदूरों की स्थिति खतरे से बाहर है। महिला मजदूर की आवाज सुनाई दे रही है कि बचाओ-बचाओ। मजदूर भी दिखाई दे रहे हैं। शाम 7 बजे: अफसरों ने बताया कि तीनों मजदूर 30-35 फीट की गहराई पर कुएं में फंसे हैं। एक मजदूर का कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा है। दूसरे पुरुष मजदूर का सिर दिखाई दे रहा है। वहीं महिला सबसे नीचे अंदर की तरफ पत्थरों के बीच फंसी हुई है। उन्हें पानी पिलाया गया। शाम 7:20 बजे: महिला शहजादी के दिखाई देने के बाद सीईओ अग्रिम कुमार ने कुएं के नजदीक जाकर जायजा लिया। कलेक्टर महिला मजदूर के पति नन्हें खान को कुएं के पास ले गए, जहां मजदूरों की आवाज आ रही थी। रात 8.15 बजे: कुएं के अंदर फंसे पुरुष मजदूर ने आवाज लगाई कि पत्थर हटवा दो। जल्दी करो। इसके बाद रेस्क्यू टीम ने मजदूरों को भरोसा दिलाया कि हम जल्द आप तक पहुंच जाएंगे। रात 9 बजे: प्रशासन के बुलाने पर एंबुलेंस के साथ ही डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची। प्राथमिक उपचार के लिए डॉक्टर्स की टीम को कुएं के पास बुलाया गया। रात 9.30 बजे: बैतूल में मौजूद एनडीआरएफ की 30 सदस्यीय टीम पहुंची। इन्होंने भी इसी पैटर्न पर काम किया। कुएं में फंसे मजदूरों के आसपास टी आकर में मलबा निकालने का काम शुरू किया गया। लेकिन समय ज्यादा लगने पर कुएं से कुछ दूर से स्लाइडर रैंप मशीनों द्वारा बनाया शुरू किया गया। रात 11.30 बजे: मलबा गिरने से कुएं का पानी ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मजदूरों के गले तक पानी आने के बाद मोटर से पानी बाहर निकालने का काम तेज किया गया। रेस्क्यू टीम का कहना था कि सुबह तक ऑपरेशन चल सकता है। बुधवार रात 1 बजे: रेस्क्यू टीम जेसीबी की मदद से कुएं के अंदर पहुंची और दबे मजदूरों को एनर्जी ड्रिंक और बिस्किट दिए। एक डॉक्टर को भी हालात देखने नीचे उतारा गया। डॉक्टर ने यहां दर्द निवारक दवा दी। रात 3 बजे: टी बनाने में काफी समय लग रहा था, इसलिए टीम ने रैंप बनाने का निर्णय लिया। दो जेसीबी की मदद से करीब कुएं से 35 फीट दूर से रैंप बनाने का काम शुरू किया। सुबह 6 बजे: सूचना मिलते ही घटना स्थल पर 50 से ज्यादा परिवार के लोग मौके पर पहुंच गए। ठंड से बचने के लिए उन्हें अलाव का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने रेस्क्यू में देरी होने पर नाराजगी जाहिर की। सुबह 7 बजे: रेस्क्यू के दौरान कुएं के कच्चे हिस्से की मलबा गिरने के बाद परिजन रोने लगे। मलबा गिरने की वजह से एनडीआरएफ की टीम के लिए भी काम करना मुश्किल हो गया। प्रशासन ने कुएं के आसपास से लोगों को हटाया। सुबह 8 बजे: कुएं की दीवार में लगे पत्थर और मलबा गिरता देख एहतियातन जाली लगाई गई। 2 पोकलेन से 35 फीट तक खुदाई कर डाली। टीम ने दावा किया कि 6-7 फीट खुदाई के बाद हम मजदूरों तक पहुंच जाएंगे और हम उन्हें निकाल लेंगे। इसके थोड़ी देर बाद और मलबा गिर गया। दोपहर 1 बजे: पांढुर्णा विधायक नीले उइके मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू के बारे में जानकारी ली। इसके बाद मलबा हटाने का काम चलता रहा। दोपहर 1.39 बजे: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ट्वीट कर मजदूरों की मौत पर दुख जताया और परिजनों को 4-4 लाख की आर्थिक सहायता देने की बात कही। रेस्क्यू में 100 लोग, NDRF- SDRF ने संभाला मोर्चा मंगलवार की शाम को हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन सहित पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई थी। प्रशासनिक, पुलिस, होमगार्ड के साथ SDRF के करीब 50 अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे जो रेस्क्यू करते रहे। इसके बाद मंगलवार की रात को ही 30 सदस्यीय एनडीआरएफ की टीम ने मोर्चा संभाला। इस दौरान कलेक्टर और एसपी भी पूरे समय मौके पर बने रहे। परिजन बोले-सुबह 6 बजे तक आवाजें आती रही राशिद के पिता बोले- सभी मजा लेने वाले दिखे राशिद के पिता कल्लू खान दिव्यांग है। उनका कहना है कि बुधवार दोपहर बजे के बाद जानकारी लगी थी। रायसेन के सुल्तानपुर से यहां आने में 9-10 बज गए थे। यहां आने के बाद तो मुझे ऐसा नहीं लगा कि यह लोग निकालने वाले थे। मुझे तो सब मजा लेने वाले दिख रहे थे। वो लड़के चिल्ला रहे थे, गिड़गिड़ा रहे थे कि भईया हमें निकाल लो…निकाल लो। इसके बाद भी नहीं निकाल पाए। बुधवार सुबह 6 बजे तक उन्

10 घंटे तक चिल्लाते रहे- हमें निकाल लो, फिर खामोश:छिंदवाड़ा में कुएं के मलबे में दबे तीन लोग, 36 घंटे बाद भी नहीं निकाल सके शव
पानी बढ़ रहा है, हमें बचा लो.. हमें बचा लो.. यह चीख थी उन तीन मजदूरों की, जो मंगलवार को छिंदवाड़ा में एक कुआं धंसने से 35 फीट गहराई में मलबे में दब गए। कुएं से शाम 4 बजे से लेकर रात करीब 2 बजे तक उनकी आवाजें आती रहीं। बाद में ये आवाजें बंद हो गई। रेस्क्यू टीम अपना काम करती रही। जेसीबी से मलबा हटाने में जुटी रही। इधर, मलबे में दबे मजदूर और धंसते गए। सुबह होते-होते मलबे में पूरी तरह से समा गए थे। दिन से रात और रात से दिन गुजरा, लेकिन न मलबा हटा और न ही मजदूर बाहर आ पाए। परिवार बिलखता रहा, अधिकारियों के सामने चीखता रहा कि आप हमारे अपनों को नहीं निकाल सकते तो हम खुद निकाल लेंगे। आप लोग रेस्क्यू बंद कर दीजिए। दैनिक भास्कर की टीम इस रेस्क्यू के दौरान पूरे समय मौजूद रही। पढ़िए पूरी रिपोर्ट सबसे पहले ऐसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार, दोपहर 3.30 बजे: छिंदवाड़ा के खुनाझिर खुर्द गांव में ऐशराव वस्त्राणे के खेत में कुएं को गहरा किया जा रहा था। यहां 2 दिन से 6 मजदूर कुआं खुदाई का काम कर रहे थे। कुएं के एक हिस्से की मिट्‌टी धंस गई। मलबे में वासिद पिता नन्हें खान (18) निवासी बुधनी, उसकी मां शहजादी (50) और राशिद पिता कल्लू खान (18) निवासी सुल्तानपुर रायसेन मलबे में दब गए। शाम 4.00 बजे: हादसे की सूचना पर पुलिस–प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जेसीबी की मदद से कुएं से मलबा निकालने का काम शुरू हुआ। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह, एसपी अजय पांडेय और सीईओ जिला पंचायत अग्रिम कुमार भी थोड़ी देर में आ गए। शाम 5 बजे: सूचना मिलते ही एसडीईआरएफ की टीम वहां पहुंची। टीम को पोकलेन मशीन की बकेट में बिठाकर कुएं के अंदर भेजा गया। मैनुअल तरीके से मलबा निकालकर बकेट में भरकर ऊपर फिंकवाया गया। ​​​​शाम 6 बजे: जेसीबी की मदद से चार से पांच ट्राली मलबा बाहर निकाल लिया गया। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि मजदूरों की स्थिति खतरे से बाहर है। महिला मजदूर की आवाज सुनाई दे रही है कि बचाओ-बचाओ। मजदूर भी दिखाई दे रहे हैं। शाम 7 बजे: अफसरों ने बताया कि तीनों मजदूर 30-35 फीट की गहराई पर कुएं में फंसे हैं। एक मजदूर का कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा है। दूसरे पुरुष मजदूर का सिर दिखाई दे रहा है। वहीं महिला सबसे नीचे अंदर की तरफ पत्थरों के बीच फंसी हुई है। उन्हें पानी पिलाया गया। शाम 7:20 बजे: महिला शहजादी के दिखाई देने के बाद सीईओ अग्रिम कुमार ने कुएं के नजदीक जाकर जायजा लिया। कलेक्टर महिला मजदूर के पति नन्हें खान को कुएं के पास ले गए, जहां मजदूरों की आवाज आ रही थी। रात 8.15 बजे: कुएं के अंदर फंसे पुरुष मजदूर ने आवाज लगाई कि पत्थर हटवा दो। जल्दी करो। इसके बाद रेस्क्यू टीम ने मजदूरों को भरोसा दिलाया कि हम जल्द आप तक पहुंच जाएंगे। रात 9 बजे: प्रशासन के बुलाने पर एंबुलेंस के साथ ही डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची। प्राथमिक उपचार के लिए डॉक्टर्स की टीम को कुएं के पास बुलाया गया। रात 9.30 बजे: बैतूल में मौजूद एनडीआरएफ की 30 सदस्यीय टीम पहुंची। इन्होंने भी इसी पैटर्न पर काम किया। कुएं में फंसे मजदूरों के आसपास टी आकर में मलबा निकालने का काम शुरू किया गया। लेकिन समय ज्यादा लगने पर कुएं से कुछ दूर से स्लाइडर रैंप मशीनों द्वारा बनाया शुरू किया गया। रात 11.30 बजे: मलबा गिरने से कुएं का पानी ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मजदूरों के गले तक पानी आने के बाद मोटर से पानी बाहर निकालने का काम तेज किया गया। रेस्क्यू टीम का कहना था कि सुबह तक ऑपरेशन चल सकता है। बुधवार रात 1 बजे: रेस्क्यू टीम जेसीबी की मदद से कुएं के अंदर पहुंची और दबे मजदूरों को एनर्जी ड्रिंक और बिस्किट दिए। एक डॉक्टर को भी हालात देखने नीचे उतारा गया। डॉक्टर ने यहां दर्द निवारक दवा दी। रात 3 बजे: टी बनाने में काफी समय लग रहा था, इसलिए टीम ने रैंप बनाने का निर्णय लिया। दो जेसीबी की मदद से करीब कुएं से 35 फीट दूर से रैंप बनाने का काम शुरू किया। सुबह 6 बजे: सूचना मिलते ही घटना स्थल पर 50 से ज्यादा परिवार के लोग मौके पर पहुंच गए। ठंड से बचने के लिए उन्हें अलाव का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने रेस्क्यू में देरी होने पर नाराजगी जाहिर की। सुबह 7 बजे: रेस्क्यू के दौरान कुएं के कच्चे हिस्से की मलबा गिरने के बाद परिजन रोने लगे। मलबा गिरने की वजह से एनडीआरएफ की टीम के लिए भी काम करना मुश्किल हो गया। प्रशासन ने कुएं के आसपास से लोगों को हटाया। सुबह 8 बजे: कुएं की दीवार में लगे पत्थर और मलबा गिरता देख एहतियातन जाली लगाई गई। 2 पोकलेन से 35 फीट तक खुदाई कर डाली। टीम ने दावा किया कि 6-7 फीट खुदाई के बाद हम मजदूरों तक पहुंच जाएंगे और हम उन्हें निकाल लेंगे। इसके थोड़ी देर बाद और मलबा गिर गया। दोपहर 1 बजे: पांढुर्णा विधायक नीले उइके मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू के बारे में जानकारी ली। इसके बाद मलबा हटाने का काम चलता रहा। दोपहर 1.39 बजे: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ट्वीट कर मजदूरों की मौत पर दुख जताया और परिजनों को 4-4 लाख की आर्थिक सहायता देने की बात कही। रेस्क्यू में 100 लोग, NDRF- SDRF ने संभाला मोर्चा मंगलवार की शाम को हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन सहित पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई थी। प्रशासनिक, पुलिस, होमगार्ड के साथ SDRF के करीब 50 अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे जो रेस्क्यू करते रहे। इसके बाद मंगलवार की रात को ही 30 सदस्यीय एनडीआरएफ की टीम ने मोर्चा संभाला। इस दौरान कलेक्टर और एसपी भी पूरे समय मौके पर बने रहे। परिजन बोले-सुबह 6 बजे तक आवाजें आती रही राशिद के पिता बोले- सभी मजा लेने वाले दिखे राशिद के पिता कल्लू खान दिव्यांग है। उनका कहना है कि बुधवार दोपहर बजे के बाद जानकारी लगी थी। रायसेन के सुल्तानपुर से यहां आने में 9-10 बज गए थे। यहां आने के बाद तो मुझे ऐसा नहीं लगा कि यह लोग निकालने वाले थे। मुझे तो सब मजा लेने वाले दिख रहे थे। वो लड़के चिल्ला रहे थे, गिड़गिड़ा रहे थे कि भईया हमें निकाल लो…निकाल लो। इसके बाद भी नहीं निकाल पाए। बुधवार सुबह 6 बजे तक उन्होंने आवाज भी लगाई थी। अमीर का बेटा होता तो जल्दी से आ जाते वे बोले- इलाके में सुबह कोई जेसीबी नहीं थी। पानी निकालने के लिए कोई बड़ी पाइप लाइन भी नहीं थी। बताइए न क्यों नहीं थी, क्योंकि गरीब का बेटा था, इसलिए नहीं थी। अगर अमीर का होता न तो जल्दी से आ जाते। गलत है साहब, मैं मानता ही नहीं हूं साहब को। यह कौनसी बात है। पूरा दिन होने वाला है। इसके बाद भी अभी तक कोई ठिकाना नहीं है। लड़के मरे नहीं थे, पानी भरा गया था कल्लू खान ने रोते हुए कहा कि लड़के मरे नहीं थे। पानी भरा गया था। मैं हाथ जोड़ता रहा कि पानी निकाल लो, नहीं तो उनके मुंह में चला जाएगा। मेरी किसी ने सुनी ही नहीं। मुझसे कहा कि तुम जानते ही क्या हो। मैंने कहा भी कि यह जरूर जानते हैं कि पानी मुंह और नाक में जाएगा तो वो खतरे से खाली नहीं रहेगा। मैंने ही कहा था काम पर चला जा बेटा सुबह 6 बजे से जेसीबी लगा दी और पूरा कुआं खिसका दिया, जिससे अंदर ही बच्चे दबकर रह गए, लो भाई कर दिया आपने। एक ही कमाने वाला लड़का था। मैं तो खुद विकलांग हूं। अब हम क्या करेंगे। लड़का पहली बार काम करने आया था। इस साल उसकी शादी करना थी। इसलिए मैंने बोला था कि काम पर चला जा बेटा , कुछ कमा लेगा शादी के लिए। इस मामले में प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। राशिद के पिता बोले- रात को नहीं मिली मदद कुएं में गिरे मजदूर राशिद के पिता ने प्रशासन से रात को मदद न मिलने की बात कही है। उन्होंने रात को कुएं से कम मिट्‌टी निकालने की बात कहते हुए अब दिखावा करने के लिए जेसीबी रखने का बोला। एनडीआरएफ ने क्या कहा- लर्निंग रेस्क्यू 75 फीट का बनाया गया रैंप एनडीआरएफ टीम के अधिकारी ने बताया कि 31 लोगों की टीम रेस्क्यू में जुटी है। पहले टी बनाकर मलबा निकालने की कोशिश की गई। समय ज्यादा लगने के कारण ट्रेडिशनल तरीके से कुएं की गहराई से 3 गुना लंबा 75 फीट का रैंप बनाकर मलबे में फंसे लोगों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। भुरभुरी मिट्टी और कच्चे पत्थर बने चुनौती एनडीआरएफ के जीत सिकंदर (असिस्टेंड कमांडेंट अधिकारी) बताया कि यह हमारे लिए लर्निंग रेस्क्यू है। इस कुएं समेत आसपास के खेत की भुरभुरी मिट्‌टी और कच्चे पत्थर होने की वजह से रेस्क्यू में चुनौती बनी हुई है। यह खबर भी पढ़ें छिंदवाड़ा में कुएं में दबे तीनों मजदूरों की मौत छिंदवाड़ा में कुआं धंसने से मलबे में दबे तीन मजदूरों को बचाया नहीं जा सका। 30 घंटे से ज्यादा समय से चल रहे रेस्क्यू के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। शव अभी भी कुएं से बाहर नहीं निकाले जा सके है। एनडीआरएफ की टीम अभी भी रेस्क्यू कार्य में जुटी है। पढ़ें पूरी खबर