नर्मदा पुल के पिलर के बीच पहुंचा युवक:रेंगकर पहुंची एसडीईआरएफ की टीम, तेज बहाव के बीच करीब 45 मिनट में किया रेस्क्यू

मंडला में महाराजपुर को जोड़ने वाले नर्मदा नदी पुल पर बुधवार दोपहर 1 बजे से एसडीईआरएफ की टीम ने पौन घंटे तक जटिल रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। दरअसल, एक व्यक्ति पुल की रेलिंग से उतरकर पिलर के बीच की खाली जगह में चला गया। माहिष्मती घाट पर तैनात होमगार्ड और ट्रैफिक पुलिस के जवान ने यह दिखा और तुरंत इसकी सूचना एसडीईआरएफ कंट्रोल रूम को दी। सूचना मिलते ही तुरंत प्लाटून कमांडर हेमराज परस्ते टीम के साथ पहुंचे। रेस्क्यू टीम में शामिल सैनिक संदीप जंघेला के अनुसार, जब टीम पहुंची तो वहां दो बिस्तर लगे हुए थे। वह व्यक्ति वहां आराम से लेटा हुआ था। उसके आसपास गिलास और लकड़ी जैसी वस्तुएं पड़ी थीं। टीम ने पहले उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह व्यक्ति और अंदर अगले पिलर तक चला गया। इसके बाद दो अतिरिक्त जवानों को दूसरे पिलर से भेजा गया। संयुक्त प्रयास से उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया। रेस्क्यू की चुनौतियों में नर्मदा का तेज बहाव प्रमुख था। पिलर के बीच केवल 3 फीट की ऊंचाई थी। टीम को कोहनी के बल रेंगकर आगे बढ़ना पड़ा। जवानों की सूझबूझ और साहस से यह ऑपरेशन सफल रहा। हालांकि टीम ने उसे शेल्टर या रैन बसेरा में भेजने के बजाय बेसहारा छोड़ दिया। देखिए रेस्क्यू के विजुअल्स

नर्मदा पुल के पिलर के बीच पहुंचा युवक:रेंगकर पहुंची एसडीईआरएफ की टीम, तेज बहाव के बीच करीब 45 मिनट में किया रेस्क्यू
मंडला में महाराजपुर को जोड़ने वाले नर्मदा नदी पुल पर बुधवार दोपहर 1 बजे से एसडीईआरएफ की टीम ने पौन घंटे तक जटिल रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। दरअसल, एक व्यक्ति पुल की रेलिंग से उतरकर पिलर के बीच की खाली जगह में चला गया। माहिष्मती घाट पर तैनात होमगार्ड और ट्रैफिक पुलिस के जवान ने यह दिखा और तुरंत इसकी सूचना एसडीईआरएफ कंट्रोल रूम को दी। सूचना मिलते ही तुरंत प्लाटून कमांडर हेमराज परस्ते टीम के साथ पहुंचे। रेस्क्यू टीम में शामिल सैनिक संदीप जंघेला के अनुसार, जब टीम पहुंची तो वहां दो बिस्तर लगे हुए थे। वह व्यक्ति वहां आराम से लेटा हुआ था। उसके आसपास गिलास और लकड़ी जैसी वस्तुएं पड़ी थीं। टीम ने पहले उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह व्यक्ति और अंदर अगले पिलर तक चला गया। इसके बाद दो अतिरिक्त जवानों को दूसरे पिलर से भेजा गया। संयुक्त प्रयास से उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया। रेस्क्यू की चुनौतियों में नर्मदा का तेज बहाव प्रमुख था। पिलर के बीच केवल 3 फीट की ऊंचाई थी। टीम को कोहनी के बल रेंगकर आगे बढ़ना पड़ा। जवानों की सूझबूझ और साहस से यह ऑपरेशन सफल रहा। हालांकि टीम ने उसे शेल्टर या रैन बसेरा में भेजने के बजाय बेसहारा छोड़ दिया। देखिए रेस्क्यू के विजुअल्स