गठिया से लड़कर बेहतर जीवन जी रहे मरीज:डॉक्टर्स बोले- हेल्दी रहने के लिए सबसे आसान एक्सरसाइज है साइकिलिंग

हमारे शरीर की क्षमताएं असीमित हैं। शरीर वह सब कुछ करने की क्षमता रखता है, जो आपका दिमाग उससे करने के लिए कहता है। इसलिए अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आपको एक बार दृढ़ निश्चय करने की जरूरत है। यह बात रविवार को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आयोजित कार्यक्रम में अर्थराइटिस पर विजय प्राप्त कर चुकी मैनेजमेंट प्रोफेशनल इशिता ने कही। इसके साथ ही अपने अनुभव साझा किए। इशिता ने कहा कि, कम उम्र में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण मैं वेंटिलेटर तक चली गई थी। मेरी मेडिकल कंडिशन के कारण वजन काफी बढ़ गया था। मैंने अपने 25वें जन्मदिन पर तय किया कि अब मैं अपने जीवन को बेहतर बनाऊंगी। जिम जाने के साथ ही मैराथन में हिस्सा लेना शुरू किया। एक साल में मैंने न सिर्फ अपना 30 किलो वजन कम किया, बल्कि पिछले दिनों में लद्दाख मैराथन भी पूरा करके आई। यह उस क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी के कारण काफी कठिन माना जाता है। यदि आप दृह निश्चय कर लें तो आप सभी भी अपने स्वास्थ्य संबंधी जटिलतों को दूर कर सकते हैं। कार्यक्रम में बीमारी पर विजय प्राप्त कर बेहतर जीवन जी रहे 5 मरीजों को सम्मानित किया गया। साथ ही ऐसे परिवारों का सम्मान दिया गया। जो गठिया के मरीजों के सपोर्ट सिस्टम बनकर उन्हें गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में मदद कर रहे हैं। सही इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकती है बीमारियां गुड़गांव से आए सीनियर क्लिनिकल इम्युनोलॉजिस्ट डॉ. सुमित अग्रवाल ने कहा कि मेडिकल साइंस का पूरा कांसेप्ट अब बदल रहा है। हम बीमारियों को जल्दी पहचान कर उनके एग्रेसिव ट्रीटमेंट पर फोकस कर रहे हैं, ताकि मरीज को जल्द से जल्दी राहत दिलाई जा सकें। यदि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता लम्बे समय तक एक्टिव रहती है तो इसका दुष्परिणाम यह होता है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है। यह भविष्य में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है। लम्बे वक्त में ऑटोइम्यून डिजीज के कारण होने वाली मृत्यु का बड़ा कारण कार्डियक डिसऑर्डर ही होता है। हेल्दी रहने के लिए सबसे आसान एक्सरसाइज साइकिलिंग है, जो आपकी स्ट्रेंथ को बढ़ाता है। आर्थराइटिस के साथ बेहतर जीवन जीने की कला सीखें रिहुमेटोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ मालवीय ने बताया कि आर्थराइटिस 150 प्रकार का होता है। इसका संबंध सिर्फ जोड़ों से नहीं बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। यह आपके निजी-सामाजिक और आर्थिक जीवन को भी प्रभावित करता है। एक बार आर्थराइटिस होने पर यह बीमारी जीवन भर आपके साथ रहती है। जरूरी है कि आप इसके साथ अपने जीवन को बेहतर तरीके से जीने की कला सीख लें। डॉक्टर से बीमारी के संबंध में हर तरह के सवाल पूछें और अपनी जिज्ञासाओं को शांत करें। जब आपको पूरी जानकारी होगी तो आप स्वयं बेहतर इलाज और जीवन जीने के प्रति जागरूक रहेंगे। जितना जल्दी इसके लक्षणों को समझकर इलाज शुरू करेंगे, आपकी क्वालिटी ऑफ लाइफ उतनी ही बेहतर हो पाएगी। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. काव्या रावत ने कहा- रूमेटाइड आर्थराइटिस बीमारी न केवल मरीज पर बल्कि उनके परिवार पर भी गहरा प्रभाव डालती है। इस बीमारी का स्वभाव मरीज को मानसिक बीमारियां जैसे चिंता और अवसाद विकसित करने के प्रति संवेदनशील बना देता है। बीमारी के स्वभाव को स्वीकार करना और इसे सही तरीके से समझना ज़रूरी है। यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि आपकी पहचान आपकी बीमारी से परे भी है। उन गतिविधियों में भाग लें जो आपको दर्द से विचलित करने में मदद करती हैं। अगर आपको लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेने में संकोच न करें। कार्यक्रम के दौरान मरीजों ने डॉक्टर्स से प्रश्न पूछे। उत्तर देते हुए डॉ. सौरभ मालवीय ने बताया कि आपकी उम्र और जेंडर से लेकर जेनेटिक्स तक कई ज्ञात और अज्ञात फैक्टर हैं। ये आर्थराइटिस का कारण बनते हैं। इसके एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स में सबसे प्रमुख स्मोकिंग है। यदि मरीज एक्टिव या पैसिव स्मोकर है तो उसे न सिर्फ आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि ऐसे मरीजों में सही इलाज के बावजूद भी इम्प्रूवमेंट कम ही दिखाई देता है। जल्दी दवाई शुरू करने पर बेहतर होता है परिणाम दिल्ली से आई डॉ. मीतू अग्रवाल ने कहा कि आप जितना जल्दी बीमारी के लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर के पास जाएंगे। उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे। इस बीमारी में आप जितना समय गवाएंगे, दवाइयों के परिणाम उतने ही प्रभावित होंगे। अक्सर देखा जाता है कि मरीज बार-बार अपने डॉक्टर या इलाज की पद्धति बदलते हैं। इससे मरीज का ही समय खराब होता है और बीमारी विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसे में अपने डॉक्टर पर विश्वास रखे और उनसे अपनी सभी समस्याओं और प्रश्नों को साझा कर अपनी स्थिति के बारे में सही जानकारी लेकर लगातार दवाइयां लेते रहे।

गठिया से लड़कर बेहतर जीवन जी रहे मरीज:डॉक्टर्स बोले- हेल्दी रहने के लिए सबसे आसान एक्सरसाइज है साइकिलिंग
हमारे शरीर की क्षमताएं असीमित हैं। शरीर वह सब कुछ करने की क्षमता रखता है, जो आपका दिमाग उससे करने के लिए कहता है। इसलिए अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आपको एक बार दृढ़ निश्चय करने की जरूरत है। यह बात रविवार को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आयोजित कार्यक्रम में अर्थराइटिस पर विजय प्राप्त कर चुकी मैनेजमेंट प्रोफेशनल इशिता ने कही। इसके साथ ही अपने अनुभव साझा किए। इशिता ने कहा कि, कम उम्र में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण मैं वेंटिलेटर तक चली गई थी। मेरी मेडिकल कंडिशन के कारण वजन काफी बढ़ गया था। मैंने अपने 25वें जन्मदिन पर तय किया कि अब मैं अपने जीवन को बेहतर बनाऊंगी। जिम जाने के साथ ही मैराथन में हिस्सा लेना शुरू किया। एक साल में मैंने न सिर्फ अपना 30 किलो वजन कम किया, बल्कि पिछले दिनों में लद्दाख मैराथन भी पूरा करके आई। यह उस क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी के कारण काफी कठिन माना जाता है। यदि आप दृह निश्चय कर लें तो आप सभी भी अपने स्वास्थ्य संबंधी जटिलतों को दूर कर सकते हैं। कार्यक्रम में बीमारी पर विजय प्राप्त कर बेहतर जीवन जी रहे 5 मरीजों को सम्मानित किया गया। साथ ही ऐसे परिवारों का सम्मान दिया गया। जो गठिया के मरीजों के सपोर्ट सिस्टम बनकर उन्हें गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में मदद कर रहे हैं। सही इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकती है बीमारियां गुड़गांव से आए सीनियर क्लिनिकल इम्युनोलॉजिस्ट डॉ. सुमित अग्रवाल ने कहा कि मेडिकल साइंस का पूरा कांसेप्ट अब बदल रहा है। हम बीमारियों को जल्दी पहचान कर उनके एग्रेसिव ट्रीटमेंट पर फोकस कर रहे हैं, ताकि मरीज को जल्द से जल्दी राहत दिलाई जा सकें। यदि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता लम्बे समय तक एक्टिव रहती है तो इसका दुष्परिणाम यह होता है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है। यह भविष्य में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है। लम्बे वक्त में ऑटोइम्यून डिजीज के कारण होने वाली मृत्यु का बड़ा कारण कार्डियक डिसऑर्डर ही होता है। हेल्दी रहने के लिए सबसे आसान एक्सरसाइज साइकिलिंग है, जो आपकी स्ट्रेंथ को बढ़ाता है। आर्थराइटिस के साथ बेहतर जीवन जीने की कला सीखें रिहुमेटोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ मालवीय ने बताया कि आर्थराइटिस 150 प्रकार का होता है। इसका संबंध सिर्फ जोड़ों से नहीं बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। यह आपके निजी-सामाजिक और आर्थिक जीवन को भी प्रभावित करता है। एक बार आर्थराइटिस होने पर यह बीमारी जीवन भर आपके साथ रहती है। जरूरी है कि आप इसके साथ अपने जीवन को बेहतर तरीके से जीने की कला सीख लें। डॉक्टर से बीमारी के संबंध में हर तरह के सवाल पूछें और अपनी जिज्ञासाओं को शांत करें। जब आपको पूरी जानकारी होगी तो आप स्वयं बेहतर इलाज और जीवन जीने के प्रति जागरूक रहेंगे। जितना जल्दी इसके लक्षणों को समझकर इलाज शुरू करेंगे, आपकी क्वालिटी ऑफ लाइफ उतनी ही बेहतर हो पाएगी। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. काव्या रावत ने कहा- रूमेटाइड आर्थराइटिस बीमारी न केवल मरीज पर बल्कि उनके परिवार पर भी गहरा प्रभाव डालती है। इस बीमारी का स्वभाव मरीज को मानसिक बीमारियां जैसे चिंता और अवसाद विकसित करने के प्रति संवेदनशील बना देता है। बीमारी के स्वभाव को स्वीकार करना और इसे सही तरीके से समझना ज़रूरी है। यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि आपकी पहचान आपकी बीमारी से परे भी है। उन गतिविधियों में भाग लें जो आपको दर्द से विचलित करने में मदद करती हैं। अगर आपको लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेने में संकोच न करें। कार्यक्रम के दौरान मरीजों ने डॉक्टर्स से प्रश्न पूछे। उत्तर देते हुए डॉ. सौरभ मालवीय ने बताया कि आपकी उम्र और जेंडर से लेकर जेनेटिक्स तक कई ज्ञात और अज्ञात फैक्टर हैं। ये आर्थराइटिस का कारण बनते हैं। इसके एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स में सबसे प्रमुख स्मोकिंग है। यदि मरीज एक्टिव या पैसिव स्मोकर है तो उसे न सिर्फ आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि ऐसे मरीजों में सही इलाज के बावजूद भी इम्प्रूवमेंट कम ही दिखाई देता है। जल्दी दवाई शुरू करने पर बेहतर होता है परिणाम दिल्ली से आई डॉ. मीतू अग्रवाल ने कहा कि आप जितना जल्दी बीमारी के लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर के पास जाएंगे। उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे। इस बीमारी में आप जितना समय गवाएंगे, दवाइयों के परिणाम उतने ही प्रभावित होंगे। अक्सर देखा जाता है कि मरीज बार-बार अपने डॉक्टर या इलाज की पद्धति बदलते हैं। इससे मरीज का ही समय खराब होता है और बीमारी विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसे में अपने डॉक्टर पर विश्वास रखे और उनसे अपनी सभी समस्याओं और प्रश्नों को साझा कर अपनी स्थिति के बारे में सही जानकारी लेकर लगातार दवाइयां लेते रहे।