ग्वालियर में डेंगू से पांचवीं मौत:9 साल के अयांश ने दिल्ली ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ा, जिले में 1030 डेंगू मरीज

ग्वालियर में डेंगू का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। शनिवार रात को डेंगू से ग्वालियर में पांचवी मौत हो गई। एक परिवार के इकलौते चिराग ने ग्वालियर से इलाज के लिए दिल्ली ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया। 9 साल के अयांश को 7 अक्टूबर को बिड़ला हॉस्पिटल में डेंगू के लक्षण आने पर भर्ती किया गया था। डॉक्टर लगातार कहते रहे कि हालात में सुधार आ रहा है, लेकिन शनिवार को दशहरा के मौके पर अचानक डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और दिल्ली ले जाने के लिए कहा। परिवार एम्बुलेंस में मासूम को दिल्ली लेकर निकला था, लेकिन देर रात धौलपुर तक ही पहुंचा था कि मासूम की जान चली गई। एक बार फिर डेंगू ने ग्वालियर में एक मासूम की जान ले ली है लेकिन स्वास्थ्य विभाग फिलहाल इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहा है। इलाज में देरी बनी जानलेवा अयांश श्रीवास्तव, ग्वालियर के थाटीपुर दर्पण कॉलोनी में रहने वाले प्रवीण श्रीवास्तव का इकलौता बेटा था। वह न्यूट्रिक स्कूल में कक्षा तीसरी का छात्र था। अयांश को कुछ समय से बुखार आ रहा था। 7 अक्टूबर को उसकी हालत अचानक बिगड़ी तो उसे तत्काल परिजन ने बिड़ला हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहां डॉ. वीके शर्मा की निगरानी में उसका इलाज चल रहा था। उसकी रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आई थी। अयांश का लगातार ऑक्सीजन लेवल गिर रहा था और प्लेटलेट्स भी कम हो रही थी। इसके बाद भी डॉक्टर लगातार परिवार को सही स्थिति नहीं बताते हुए हालात में सुधार की बात कह रहे थे, लेकिन असल में बच्चे की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। इसी कारण शनिवार सुबह 8 बजे डॉक्टर ने अयांश को दिल्ली सर गंगाराम अस्पताल ले जाने की बात कही। परिवार ने दिल्ली जाने की तैयारी कर ली, लेकिन डॉक्टरों ने हॉस्पिटल की औपचारिकता पूरी करने में शाम के छह बजा लिए। इसके बाद परिजन एम्बुलेंस में बेटे को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में बच्चे ने दम तोड़ दिया। धौलपुर के बाद उसका शरीर बेजान हो गया, जिसके बाद एम्बुलेंस में मौजूद डॉक्टर ने चेक कर उसे मृत घोषित कर दिया। देर रात परिजन उसे लेकर ग्वालियर पहुंचे हैं।​​​​​​​ सात दिन पहले मनाया था आखिरी जन्मदिन अयांश श्रीवास्तव 6 अक्टूबर को नौ साल का हुआ था। उसका जन्मदिन हर साल धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन इस बार उसकी तबीयत ठीक न होने के कारण बड़ा आयोजन नहीं किया गया। परिवार ने घर में ही छोटा सा जश्न किया और सभी ने उसकी लंबी उम्र की कामना की थी, लेकिन सात दिन बाद ही अयांश दुनिया से चला गया। परिवार का आरोप: समय पर इलाज मिलता तो बच जाता बता दें कि नौ साल के अयांश की मौत के बाद उसके पिता प्रवीण श्रीवास्तव और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। अयांश उनका इकलौता सहारा था, लेकिन उनको यह समझ नहीं आ रहा कि वह ऐसे कैसे छोड़कर जा सकता है। परिजन ने इलाज में लापरवाही और डॉक्टरों द्वारा लगातार अयांश की हालत उनसे छुपाए रखने का आरोप भी लगाया है। परिजन का मानना है कि शायद पहले दिल्ली के लिए डिस्चार्ज कर देते तो अयांश आज जिंदा होता। अब तक 1030 डेंगू मरीज, पांच की मौत ग्वालियर में डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। ग्वालियर में जनवरी 2024 से लेकर आज तक 1030 डेंगू के मरीज सिर्फ ग्वालियर में निकल आए हैं, जबकि पांच लोगों की मौत हो गई है। चार मौत तो 21 सितंबर से 26 सितंबर के बीच सिर्फ पांच दिन में हो गई थीं। एक सितंबर 2024 से अभी तक 816 मरीज मिल चुके हैं। इनमें 17 साल से कम उम्र वाले 396 मरीज हैं। प्रशासन ने साधी चुप्पी इस मामले में जब सीएमएचओ से बात करने का प्रयास किया तो पता लगा कि वह शहर से बाहर हैं। अन्य अधिकारी चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं।

ग्वालियर में डेंगू से पांचवीं मौत:9 साल के अयांश ने दिल्ली ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ा, जिले में 1030 डेंगू मरीज
ग्वालियर में डेंगू का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। शनिवार रात को डेंगू से ग्वालियर में पांचवी मौत हो गई। एक परिवार के इकलौते चिराग ने ग्वालियर से इलाज के लिए दिल्ली ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया। 9 साल के अयांश को 7 अक्टूबर को बिड़ला हॉस्पिटल में डेंगू के लक्षण आने पर भर्ती किया गया था। डॉक्टर लगातार कहते रहे कि हालात में सुधार आ रहा है, लेकिन शनिवार को दशहरा के मौके पर अचानक डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और दिल्ली ले जाने के लिए कहा। परिवार एम्बुलेंस में मासूम को दिल्ली लेकर निकला था, लेकिन देर रात धौलपुर तक ही पहुंचा था कि मासूम की जान चली गई। एक बार फिर डेंगू ने ग्वालियर में एक मासूम की जान ले ली है लेकिन स्वास्थ्य विभाग फिलहाल इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहा है। इलाज में देरी बनी जानलेवा अयांश श्रीवास्तव, ग्वालियर के थाटीपुर दर्पण कॉलोनी में रहने वाले प्रवीण श्रीवास्तव का इकलौता बेटा था। वह न्यूट्रिक स्कूल में कक्षा तीसरी का छात्र था। अयांश को कुछ समय से बुखार आ रहा था। 7 अक्टूबर को उसकी हालत अचानक बिगड़ी तो उसे तत्काल परिजन ने बिड़ला हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहां डॉ. वीके शर्मा की निगरानी में उसका इलाज चल रहा था। उसकी रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आई थी। अयांश का लगातार ऑक्सीजन लेवल गिर रहा था और प्लेटलेट्स भी कम हो रही थी। इसके बाद भी डॉक्टर लगातार परिवार को सही स्थिति नहीं बताते हुए हालात में सुधार की बात कह रहे थे, लेकिन असल में बच्चे की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। इसी कारण शनिवार सुबह 8 बजे डॉक्टर ने अयांश को दिल्ली सर गंगाराम अस्पताल ले जाने की बात कही। परिवार ने दिल्ली जाने की तैयारी कर ली, लेकिन डॉक्टरों ने हॉस्पिटल की औपचारिकता पूरी करने में शाम के छह बजा लिए। इसके बाद परिजन एम्बुलेंस में बेटे को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में बच्चे ने दम तोड़ दिया। धौलपुर के बाद उसका शरीर बेजान हो गया, जिसके बाद एम्बुलेंस में मौजूद डॉक्टर ने चेक कर उसे मृत घोषित कर दिया। देर रात परिजन उसे लेकर ग्वालियर पहुंचे हैं।​​​​​​​ सात दिन पहले मनाया था आखिरी जन्मदिन अयांश श्रीवास्तव 6 अक्टूबर को नौ साल का हुआ था। उसका जन्मदिन हर साल धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन इस बार उसकी तबीयत ठीक न होने के कारण बड़ा आयोजन नहीं किया गया। परिवार ने घर में ही छोटा सा जश्न किया और सभी ने उसकी लंबी उम्र की कामना की थी, लेकिन सात दिन बाद ही अयांश दुनिया से चला गया। परिवार का आरोप: समय पर इलाज मिलता तो बच जाता बता दें कि नौ साल के अयांश की मौत के बाद उसके पिता प्रवीण श्रीवास्तव और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। अयांश उनका इकलौता सहारा था, लेकिन उनको यह समझ नहीं आ रहा कि वह ऐसे कैसे छोड़कर जा सकता है। परिजन ने इलाज में लापरवाही और डॉक्टरों द्वारा लगातार अयांश की हालत उनसे छुपाए रखने का आरोप भी लगाया है। परिजन का मानना है कि शायद पहले दिल्ली के लिए डिस्चार्ज कर देते तो अयांश आज जिंदा होता। अब तक 1030 डेंगू मरीज, पांच की मौत ग्वालियर में डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। ग्वालियर में जनवरी 2024 से लेकर आज तक 1030 डेंगू के मरीज सिर्फ ग्वालियर में निकल आए हैं, जबकि पांच लोगों की मौत हो गई है। चार मौत तो 21 सितंबर से 26 सितंबर के बीच सिर्फ पांच दिन में हो गई थीं। एक सितंबर 2024 से अभी तक 816 मरीज मिल चुके हैं। इनमें 17 साल से कम उम्र वाले 396 मरीज हैं। प्रशासन ने साधी चुप्पी इस मामले में जब सीएमएचओ से बात करने का प्रयास किया तो पता लगा कि वह शहर से बाहर हैं। अन्य अधिकारी चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं।