भारत सरकार का उपक्रम फैरो स्क्रैप पहुंचा निजी हाथों में:हर साल 100 करोड़ का प्रॉफिट देने वाली थी कंपनी, जापानी कंपनी ने खरीदा
भारत सरकार का उपक्रम फैरो स्क्रैप पहुंचा निजी हाथों में:हर साल 100 करोड़ का प्रॉफिट देने वाली थी कंपनी, जापानी कंपनी ने खरीदा
भारत सरकार का उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड आखिरकार निजी हाथों में चला गया है। इसे एक जापानी कंपनी खरीद रही है। यह कंपनी हर साल भारत सरकार को 100 करोड़ रुपए का मुनाफा देने वाली कंपनी थी। इसके निजीकरण को लेकर काफी विरोध था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे बेच दिया। जानकारी के मुताबिक फैरो स्क्रैप को जापान की एक कंपनी ने 320 करोड़ में खरीद लिया है। केन्द्र सरकार के इस निर्णय के बाद जैसे ही आदेश और समझौते की कॉपी मिली, एफएसएनएल में हड़कंप मच गया है। देशभर के एफएसएनएल की यूनियन के 19 प्रतिनिधि सोमवार को चेयरमैन मनेन्दू घोषाल से मिलने भिलाई पहुंचे। एफएसएनएल के कॉपरेट ऑफिस भिलाई के सामने कर्मचारियों ने भी जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उनसे मिलने दुर्ग सांसद विजय बघेल भी पहुंचे। सांसद विजय बघेल ने कहा कि वो एफएसएनएल के कर्मचारियों के साथ हैं। इस मामले को लेकर उन्होंने लगातार स्टील मिनिस्टर से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक से बात की है और मामला उनके संज्ञान में लाया है। वे चाहते हैं कि कर्मचारियों और अधिकारियों का कही अहित न हो। विजय बघेल ने कहा कि चेयरमैन से उनकी बात हुई है और यूनियन के लोगों से भी उन्होंने मुलाकात की है। उन्होंने अपनी बात रखी है और वे उनके साथ ही खड़े हैं। इधर एफएसएनएल के यूनियन लीडर्स का कहना है कि वे अब सड़क की लड़ाई लड़ेंगे और इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। 200 करोड़ है कंपनी का असेट्स यूनियन के मुताबिक एक ट्रांसपोर्ट कंपनी को इतनी बड़ी सरकारी कंपनी देना सरकार के बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यह निविदा निजीकरण के लिए निकाली गई थी। साल 2029 में भी इस कंपनी का निजीकरण करने की कोशिश की गई थी। बाद में सरकार ने अपने फैसले को वापस लिया था। एक बार फिर से निजी करण के लिए निविदा बुलाई गई और इसे एक जापानी कंपनी को देना एक बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इस कंपनी का सभी इस्पात संयंत्रों से अभी भी 225 करोड़ का भुगतान लेना बाकी है। कंपनी के पूरे असेट्स की बात की जाए तो उसकी अनुमानित वैल्यू 200 करोड़ रुपए हैं। इसका हेड ऑफिस भिलाई में है, जिसकी अकेले की वैल्यू 50 करोड़ से अधिक की है।
भारत सरकार का उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड आखिरकार निजी हाथों में चला गया है। इसे एक जापानी कंपनी खरीद रही है। यह कंपनी हर साल भारत सरकार को 100 करोड़ रुपए का मुनाफा देने वाली कंपनी थी। इसके निजीकरण को लेकर काफी विरोध था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे बेच दिया। जानकारी के मुताबिक फैरो स्क्रैप को जापान की एक कंपनी ने 320 करोड़ में खरीद लिया है। केन्द्र सरकार के इस निर्णय के बाद जैसे ही आदेश और समझौते की कॉपी मिली, एफएसएनएल में हड़कंप मच गया है। देशभर के एफएसएनएल की यूनियन के 19 प्रतिनिधि सोमवार को चेयरमैन मनेन्दू घोषाल से मिलने भिलाई पहुंचे। एफएसएनएल के कॉपरेट ऑफिस भिलाई के सामने कर्मचारियों ने भी जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उनसे मिलने दुर्ग सांसद विजय बघेल भी पहुंचे। सांसद विजय बघेल ने कहा कि वो एफएसएनएल के कर्मचारियों के साथ हैं। इस मामले को लेकर उन्होंने लगातार स्टील मिनिस्टर से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक से बात की है और मामला उनके संज्ञान में लाया है। वे चाहते हैं कि कर्मचारियों और अधिकारियों का कही अहित न हो। विजय बघेल ने कहा कि चेयरमैन से उनकी बात हुई है और यूनियन के लोगों से भी उन्होंने मुलाकात की है। उन्होंने अपनी बात रखी है और वे उनके साथ ही खड़े हैं। इधर एफएसएनएल के यूनियन लीडर्स का कहना है कि वे अब सड़क की लड़ाई लड़ेंगे और इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। 200 करोड़ है कंपनी का असेट्स यूनियन के मुताबिक एक ट्रांसपोर्ट कंपनी को इतनी बड़ी सरकारी कंपनी देना सरकार के बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यह निविदा निजीकरण के लिए निकाली गई थी। साल 2029 में भी इस कंपनी का निजीकरण करने की कोशिश की गई थी। बाद में सरकार ने अपने फैसले को वापस लिया था। एक बार फिर से निजी करण के लिए निविदा बुलाई गई और इसे एक जापानी कंपनी को देना एक बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इस कंपनी का सभी इस्पात संयंत्रों से अभी भी 225 करोड़ का भुगतान लेना बाकी है। कंपनी के पूरे असेट्स की बात की जाए तो उसकी अनुमानित वैल्यू 200 करोड़ रुपए हैं। इसका हेड ऑफिस भिलाई में है, जिसकी अकेले की वैल्यू 50 करोड़ से अधिक की है।